Jagdish Mandir In Hindi : जगदीश मंदिर उदयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित एक भव्य और राजसी संरचना है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर को भगवान लक्ष्मी नारायण के नाम से भी जाना जाता है जो पूरे उदयपुर शहर में सबसे महत्वपूर्ण मंदिर के रूप प्रसिद्ध है। इस पवित्र मंदिर के प्रवेश द्वार को सिटी पैलेस के बारा पोल से देखा जा सकता है। जगदीश मंदिर अपनी सुंदर नक्काशी, कई आकर्षक मूर्तियों और शांति भरे वातावरण की वजह से पर्यटकों और तीर्थयात्रियों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली जगहों में से एक है। बता दें कि जो भी पर्यटक यहां आता है वो इस मंदिर की सुन्दरता और भव्यता को देखकर मोहित हो जाता है।
अगर आप उदयपुर के जगदीश मंदिर के दर्शन के लिए जाने की योजना बना रहे हैं या इस मंदिर के बारे में और भी जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए खास साबित हो सकता है, क्योंकि इस लेख में हम आपको जगदीश मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, और घूमने की जानकारी देने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि श्री जगदीश मंदिर का निर्माण उदयपुर के शासक महाराजा जगत सिंह द्वारा करवाया गया है। जिन्होंने उदयपुर शहर पर 1628 से 1653 तक शासन किया था। इस भव्य मंदिर को छोटी छत पर बनाया गया था और इसका निर्माण वर्ष 1651 तक खत्म हो गया था। इस सुंदर और आकर्षक मंदिर का निर्माण वास्तुशास्त्र के हिंदू वास्तु विज्ञान द्वारा किया गया है। आपको जानकारी हैरानी होगी ही उस जमाने में इस विशाल मंदिर की इमारत को बनाने के निर्माण में करीब 1.5 मिलियन रूपये खर्च किये गए थे।
इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर पत्थर से बने दो विशाल हाथी है और जब आप आगे बढेंगे तो आप एक पत्थर की पटिया देखेंगे जो शिलालेखों के साथ अंकित है और महाराजा जगत सिंह को संदर्भित करता है। एक संगमरमर की सीढ़ी आपको मुख्य मंदिर तक ले जाती है, जहाँ पर आपको गरुड़ की एक पीतल की मूर्ति देखने को मिलेगी, जो आधे आदमी और आधे-चील की आकृति है और भगवान विष्णु के द्वार की रखवाली करती है।
यहां मुख्य मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की चार-सशस्त्र मूर्ति स्थित है जिसको काले पत्थर के एक टुकड़े से तराशा गया है। जगदीश भगवान का यह तीर्थस्थल चार छोटे मंदिर से घिरा हुआ है जो क्रमशः गणेश जी, सूर्य देवता, देवी शक्ति और शिव जी को समर्पित हैं। इस मंदिर के पास का और अंदर का वातावरण पूरी तरह से शांति से भरा हुआ है जो यहां आने पर्यटकों को एक खास अनुभव करवाता है।
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जगदीश मंदिर एक तीन मंजिला वास्तुशिल्प चमत्कार है जिसकी खूबसूरती से सजी छत, जटिल नक्काशीदार स्तंभ और बड़े हवादार हॉल इसको बेहद आकर्षक बनाते हैं। यह मंदिर श्री जगदीश मंदिर हिंदू आइकनोग्राफी के सबसे सुंदर उदाहरणों में से एक है जो भारत में देखा जा सकता है। मंदिर की संरचना में हाथ से नक्काशीदार पत्थर के तीन स्तर हैं। मुख्य मंदिर का शिखर लगभग 79 फीट की ऊंचाई पर है और यह घुड़सवारों, हाथियों और संगीतकारों की मूर्तियों सजा हुआ है।
जगदीश मंदिर के मुख्य मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की अद्भुत चार भुजाओं वाली प्रतिमा विराजमान है जिसको काले पत्थर के एक टुकड़े से उकेरा गया है। यह मुख्य मंदिर केंद्र में स्थित है और इसको घेरे हुए चार छोटे मंदिर हैं। जगदीश मंदिर की संरचना एक पिरामिड आकर की है जिसमें एक प्रार्थना हॉल है जिसको मंडप और पोर्च के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर की पहली और दूसरी मंजिलों पर दोनों में पचास-पचास जटिल नक्काशीदार खंभे हैं।
अगर आप जगदीश मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो बता दें कि उदयपुर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। सर्दियों का मौसम इस शहर की यात्रा को आपके लिए यादगार बना सकता है। गर्मियों के मौसम में यहाँ जाने से बचे क्योंकि राजस्थान एक रेगिस्तानी राज्य है जिसकी वजह से गर्मियों में यहां का तापमान 40 डिग्री से ऊपर चला जाता है।
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उदयपुर राजस्थान राज्य का एक ऐसा पर्यटन शहर है जहाँ आप आप कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। अगर आप उदयपुर जा रहे हैं तो आपकी यात्रा यहां के व्यंजनों को शामिल किये बिना पूरी नहीं होगी। यहां के प्रसिद्ध होटल नटराज में दाल बाट चूरमा और गट्टे की सब्जी का स्वाद हर किसी को पसंद आता है। इस होटल को राजस्थानी भोजन बनाने की कला में महारत हासिल है। इसके अलावा शिव शक्ति चाट पर आप विभिन्न प्रकार के कचौरी चाट का स्वाद चख सकते हैं, जो इस शहर की विशिष्टताओं में से एक है। नीलम रेस्तरां एक राजस्थानी थाली देता है जो मीठी, चटपटी और मसालेदार घर के खाने के भोजन से भरी हुई होती है।
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जगदीश मंदिर उदयपुर के सिटी पैलेस परिसर के अंदर स्थित है जो उदयपुर शहर के केंद्र में स्थित है. इसलिए यहां आप हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन सहित शहर के सभी प्रमुख हिस्सों से बस, ऑटो या अन्य सड़क परिवहन की मदद से पहुंच सकते हैं।
अगर आप उदयपुर हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि इसका निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है जो शहर के केंद्र से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है। यह हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, जयपुर और कोलकाता जिसे शहरों सहित भारत के सभी प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। इस हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद आप आप कैब किराए पर ले सकते हैं या प्री-पेड टैक्सी बुक कर सकते हैं और हवाई अड्डे से उदयपुर शहर आसानी से पहुंच सकते हैं।
उदयपुर की यात्रा सड़क मार्ग से करना भी काफी अच्छा साबित हो सकता है क्योंकि यह शहर बहुत अच्छी तरह रोड नेटवर्क द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, जयपुर, इंदौर, कोटा और अहमदाबाद से अच्छी तरह से जुड़ा है है। बस से यात्रा के लिए भी आपके सामने कई विकल्प होते हैं। आप डीलक्स बसें, वातानुकूलित कोच और राज्य द्वारा संचालित बसों के माध्यम से उदयपुर की यात्रा कर सकते हैं।
उदयपुर रेल के विशाल नेटवर्क पर स्थित है जो इसे भारत के प्रमुख शहरों जैसे जयपुर, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, मुंबई और कोटा से जोड़ता है। उदयपुर के लिए कई ट्रेन प्रतिदिन चलती हैं। जब एक आप स्टेशन पहुंच जाते है तो आप एक टैक्सी या एक ऑटो-रिक्शा किराए पर ले सकते हैं और शहर की यात्रा कर सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने उदयपुर के प्रसिद्ध जगदीश मंदिर का इतिहास, वास्तुकला और मंदिर की यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी को जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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