कांगड़ा के प्रसिद्ध मंदिर – Famous Temple in Kangra In Hindi

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Famous temple in Kangra In Hindi, हिमालय प्रदेश शक्तिशाली चोटियाँ, पर्वत, पहाड़ियाँ और घाटियाँ के साथ साथ  पूजनीय मंदिरों और धार्मिक स्थलों से भरा हुआ हैं, जहाँ हर साल लाखों भक्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए यात्रा करते हैं। इसीलिए इसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है। इस देवभूमि का एक हिस्सा कांगड़ा की खूबसूरत घाटी में भी स्थित है, जहाँ इन पूजनीय मंदिरों की सघनता कहीं अधिक है। कांगड़ा कई प्रसिद्ध देवी मंदिर और अत्यधिक प्रतिष्ठित बैजनाथ मंदिर विराजित है, जो हिंदू भक्तों के लिए एक बहुत ही पवित्र स्थान है जहाँ बड़ी मात्रा में तीर्थ यात्री काँगड़ा के प्रमुख तीर्थ स्थलों का दौरा करते है। अगर आप भी अपने परिवार या दोस्तों के साथ काँगड़ा हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो काँगड़ा के प्रमुख मंदिरों की जानकरी के लिए आप हमारे इस लेख को पूरा अवश्य पढ़े।

इस लेख में हमने आपके लिए काँगड़ा के लोकप्रिय और सबसे अधिक घूमे जाने वाले मंदिरों की सूची तैयार की है जिससे आप अपनी काँगड़ा के लोकप्रिय मंदिरों की यात्रा की व्यवस्थित योजना तैयार कर सकते है-

बैजनाथ मंदिर  – Baijnath Temple In Hindi In Hindi

बैजनाथ मंदिर  - Baijnath Temple In Hindi In Hindi

काँगड़ा में पालमपुर से केवल 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैजनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, और यहां भगवान शिव को ‘हीलिंग के देवता’ के रूप में पूजा जाता है। बैजनाथ या वैद्यनाथ भगवान शिव का एक अवतार है, और इस अवतार में वे अपने भक्तों के सभी दुखों और पीड़ाओं को दूर करते हैं। यह मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है और इसको बेहद पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर के जल में औषधीय गुण पाए जाते हैं जिससे कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। यह मंदिर हर साल लाखों की संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। बैजनाथ मंदिर 1204 ई में दो देशी व्यापारियों आहुका और मनुका द्वारा बनाया गया था, जो भगवान शिव के भक्त थे।

और पढ़े : बैजनाथ मंदिर दर्शन की जानकारी और पौराणिक कथा

ज्वाला देवी मंदिर – Jwala Devi Temple In Hindi

ज्वाला देवी मंदिर – Jwala Devi Temple In Hindi
Image Credit : Ravendra Singh

हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है जो ज्वाला जी को समर्पित है । माना जाता है की यह मंदिर उस जगह पर स्थित है जहाँ देवी सती की जीभ गिरी थी । एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक चरवाहे ने जंगल में अपने मवेशियों को चराने के दौरान एक पहाड़ से लगातार धधकती आग देखी और उस घटना के बारे में राजा को बताया। उसके बाद इस स्थान राजा भूमि चंद ने यहां एक उचित मंदिर का निर्माण कराया। ऐसा माना जाता है कि ज्वाला देवी उन सभी लोगों की इच्छाओं को पूरा करती हैं जो यहां आते हैं और नारियल चढाते है।

और पढ़े : ज्वाला देवी मंदिर से जुड़े तथ्य और घूमने की जानकारी

चामुंडा देवी मंदिर पालमपुर – Chamunda Devi Temple, Palampur In Hindi

चामुंडा देवी मंदिर पालमपुर – Chamunda Devi Temple, Palampur In Hindi
Image Credit : Milon Chaterji

51 शक्तिपीठों में से एक, चामुंडा देवी का मंदिर एक पहाड़ी मंदिर है जो बानर नदी के तट पर स्थित है। बता दे चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक पूजनीय धार्मिक स्थलों में से एक है। चामुंडेश्वरी देवी को देवी दुर्गा के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक कहा जाता है। नवरात्रि चामुंडा देवी मंदिर का एक प्रमुख उत्सव है और इस दौरान बड़ी मात्रा में  भक्तों द्वारा मंदिर में माता के दर्शन किये जाते है।

माना जाता है कि चामुंडा देवी मंदिर 1500 के दशक के दौरान अस्तित्व में आया जब देवी चामुंडा स्थानीय पुजारी के सपने में दिखाई दीं और मूर्ति को एक विशिष्ट स्थान पर स्थानांतरित करने का आग्रह किया और उसके देवी को इस मंदिर में स्थापित किया गया। मंदिर को पारंपरिक हिमाचली वास्तुकला में डिज़ाइन किया गया है जो श्रद्धालुयों के साथ साथ कला प्रेमियों को भी मंदिर की यात्रा के लिए आमंत्रित करता है।

बजरेश्वरी देवी मंदिर – Bajreshwari Devi Temple In Hindi

बजरेश्वरी देवी मंदिर - Bajreshwari Devi Temple In Hindi
Image Credit : Vikash Thakur

कांगड़ा शहर के भीड़ भरे बाजार के पीछे स्थित बजरेश्वरी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिन्दू तीर्थ स्थल है। बजरेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा में सबसे महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है क्योंकि यह भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है। माना जाता है मंदिर का निर्माण उस स्थान पर किया गया है जहाँ एक बार प्रसिद्ध अश्वमेध या अश्व-यज्ञ हुआ था। इस मंदिर में वार्षिक मकर संक्रांति त्योहार बहुत धूमधाम और शो के साथ मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर देवी की मूर्ति पर घी लगाया जाता है और 100 बार जल डाला जाता है। उसके बाद मूर्ति को फूलों से सजाया जाता है। इस उत्सव के दौरान स्थानीय लोगो के साथ साथ हिमाचल प्रदेश और देश की बिभिन्न कोनो से श्रद्धालुयों की उपस्थिति देखी जाती है।

कालेश्वर महादेव मंदिर – Kaleshwar Mahadev Temple In Hindi

कालेश्वर महादेव मंदिर – Kaleshwar Mahadev Temple In Hindi
Image Credit : Dinesh Sharma

परागपुर गाँव से 8 किमी दूर स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर काँगड़ा के सबसे प्रमुख तीर्थ सथलों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को केलसर के नाम से भी जाना जाता है और यहाँ पूजा की जाने वाले शिव को माता चिंतपूर्णी का महा रुद्र माना जाता है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण लिंगम है जिसे बहुत जमीनी स्तर पर रखा गया है। कालेश्वर महादेव मंदिर स्थानीय लोगो के लिए काँगड़ा के प्रमुख पूज्यनीय स्थल के रूप में कार्य करता है जो दैनिक तौर पर स्थानीय लोगो और तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करता हैं। जबकि महा शिवरात्रि त्यौहार के साथ-साथ श्रावण (हिंदू माह) के महीने में इस स्थान पर भारी संख्या में भक्त उमड़ते हैं। यह मंदिर व्यास नदी के किनारे स्थित है जो तीर्थ यात्रियों के साथ साथ पर्यटकों के घूमने के लिए आदर्श ध्यान स्थल के रूप में दिखाई देता है।

और पढ़े :  कालेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन की जानकारी और पर्यटन स्थल

बागलामुखी मंदिर – Bagalamukhi Temple In Hindi

बागलामुखी मंदिर – Bagalamukhi Temple In Hindi
Image Credit : Neeraj Thakur

कांगड़ा जिले से लगभग 30 किमी दूर स्थित बागलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। बागलामुखी मंदिर ज्वाला जी और चिंतपूर्णी देवी मंदिर दोनों के पास स्थति एक सिद्ध पीठ है। मंदिर बगलामुखी देवी के दस महाविद्याओं में से एक को समर्पित है, और माना जाता है कि वे सभी बुराइयों को नष्ट करने वाली हैं। माना जाता है की पीला रंग देवी का सबसे पसंदीदा रंग है, इसीलिए मंदिर को पीले रंग में रंगा गया है और भक्त मंदिर की यात्रा में पीले वस्त्र पहनते हैं और देवी को पीले रंग के मिष्ठान (बेसन के लड्डू) चढ़ाते हैं। लोग कानूनी टकरावों को जीतने के लिए,अपने दुश्मन को हराने के लिए, व्यापार में समृद्ध होने लिए देवी की पूजा करते हैं। नवरात्रि, गुरु पूर्णिमा, वसंत पंचमी, और अन्य विशेष पूजाओं और आरतियों सहित माँ बगलामुखी मंदिर में कई त्योहार मनाए जाते हैं।

और पढ़े : शिवशक्ति देवी मंदिर के दर्शन की जानकारी और पर्यटन स्थल 

मसरूर रॉक कट मंदिर – Masroor Rock Cut Temple, Kangra In Hindi

मसरूर रॉक कट मंदिर - Masroor Rock Cut Temple, Kangra In Hindi
Image Credit : Vishal Gupta

हिमालयन पिरामिड के रूप में डब किया गया, मसरूर रॉक कट मंदिर भारत का एक लोकप्रिय पुरातात्विक स्थल है, जो नगरोटा-सुरियन लिंक रोड पर कांगड़ा से लगभग 32 किमी दूर है। प्रसिद्ध रॉक कट मंदिरों का एक बड़ा हिस्सा खंडहर में है फिर भी कोई अवशेषों का स्पष्ट अध्ययन नहीं कर सकता है। विशेषज्ञों द्वारा किए गए अलग-अलग अध्ययनों के अनुसार मंदिर परिसर का निर्माण 8 वीं -9 वीं शताब्दी ईस्वी के बीच हुआ था। इंडो-आर्यन शैली में डिज़ाइन किए गए 15 अखंड रॉक कट मंदिरों का एक समूह। मुख्य मंदिरों में राम-लक्ष्मण और सीता की पत्थर की मूर्तियाँ हैं। यह दावा भी किया जाता है कि सभी 15 मंदिर एक ही चट्टान से बने हैं। जबकि स्थानीय लोगो के अनुसार माना जाता है पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान इस मंदिर में एक लंबा समय बिताया था।

भागसुनाग मंदिर – Bhagsunag Temple In Hindi

भागसुनाग मंदिर - Bhagsunag Temple In Hindi
Image Credit : Pankaj Kumar Singh

सुंदर ताल और हरी भरी हरियाली से घिरा, भागसुनाग मंदिर मैकलोडगंज से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भागसुनाथ मंदिर काँगड़ा के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है, यह स्थानीय गोरखा और हिंदू समुदाय द्वारा अत्यधिक पूजनीय है। माना जाता है कि मंदिर के चारों ओर के दो ताल पवित्र हैं और इन्हें उपचार की चमत्कारिक शक्तियाँ माना जाता है। यह भव्य मंदिर कई प्रमुख पर्यटक आकर्षणों से घिरा हुआ है और प्रसिद्ध भागसू झरनों के रास्ते पर स्थित है। इस प्रकार पर्यटक अपनी यात्रा करने से पहले इस मंदिर में रुकते और सर्वशक्तिमान का आशीर्वाद लेते है।

कुनाल पथरी – Kunal Pathri In Hindi

कुनाल पथरी – Kunal Pathri In Hindi
Image Credit : Jonáš Koukl

कांगड़ा जिले के सुंदर धौलाधार रेंज में स्थित कुनाल पथरी एक छोटा सा रॉक मंदिर है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे एक पत्थर में अमर थीं और वह अन्दर हमेशा गिला रहता हैं। माना जाता है कि जब भगवान शिव की पत्नी देवी सती की मृत्यु हुई थी, तो उनकी खोपड़ी इस स्थान पर गिरी थी। यह प्राचीन मंदिर घने चाय बागानों से घिरा हुआ है और हरे-भरे वातावरण के बीच एक लंबी शांतिपूर्ण सैर के लिए एकदम सही जगह है। मंदिर देवी-देवताओं की अद्भुत नक्काशी को प्रदर्शित करता है और इस मंदिर का आकर्षक परिवेश, उत्तम डिजाइन और जादुई वातावरण हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुयों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

नागनी माता मंदिर – Nagani mata Temple In Hindi

नागनी माता मंदिर - Nagani mata Temple In Hindi
Image Credit : Varun Sharma

कुल्लू राजमार्ग पर नूरपुर शहर से लगभग 6 किमी दूर स्थित नागानी माता मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। यह अद्वितीय है क्योंकि मंदिर के नीचे से पानी आता है जहाँ नागनी माता की मूर्ति रखी गयी है। नागनी माता मंदिर स्थानीय लोगो के लिए प्रमुख श्रध्दा स्थल के रूप में कार्य करता है और माना जाता मंदिर में देवी की चमत्कारिक शक्ति का निवास है। क्योंकि यदि किसी को साप काट लेता है, वे नागनी माता के पास आते हैं और बस पानी पीकर और मिटटी लगाकर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

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