Churu In Hindi, चूरू जिला राजस्थान का एक प्रमुख शहर है जो अपने कई पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है। आपको बता दें कि यह शहर राज्य में थार रेगिस्तान के किनारे पर सुनहरी रेत के टीलों के बीच स्थित एक छोटा सा शहर है। यह शहर कई हवेलियों, भित्ति चित्रों और अद्वितीय वास्तुकला से युक्त है। चुरू उत्तरी राजस्थान में ऐतिहासिक शेखावाटी क्षेत्र में का एक हिस्सा है। चुरू को “गेटवे टू थार डेजर्ट”( Gateway to the Thar Desert) के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप एक वास्तुकला प्रेमी हैं तो आपको चूरू यात्रा अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह अपनी वास्तुकला के कारण पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय आकर्षण है।
अगर आप चुरू जिले की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि आप अपनी यात्रा के दौरान यहां पर कन्हैया लाल बागला और सुराना की हवेलियों तथा एक 400 साल पुराने किले की सैर कर सकते हैं। दिल्ली के पर्यटक वीकेंड के दौरान इस पर्यटन स्थल के लिए एक दिन के लिए घूमने के लिए आ सकते हैं।
चूरू के इतिहास की बात करें तो बता दें कि इस ऐतिहासिक शहर का इतिहास 1620 ईस्वी पूर्व का है। जब ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना राजपूतों द्वारा की गई थी। चूरू शहर का नाम राजपूत शासक चोरू जाट के नाम से पड़ा है जो राजस्थान में जंगलदेश क्षेत्र से था। राजपूत चूरू में सत्ता में प्राथमिक राजवंश थे, और 1871 के युद्ध के बाद यह बीकानेर का हिस्सा बन गया। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद बीकानेर राज्य को पुनर्गठित किया गया और इस प्रकार चुरू जिला अस्तित्व में आया।
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चुरू राजस्थान के एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां की यात्रा के दौरान आप यहां स्थित कई पर्यटन स्थलों की सैर कर सकते हैं। यहां हम आपको चुरू के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहें हैं जहां की यात्रा आपको अवश्य करना चाहिए।
सेठानी का जोहरा चूरू से सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थलों में से एक है। आपको बता दें कि सेठानी का जोहरा रतनगढ़ से 3 किमी दूर एक जल भंडार है जिसे भगवान दास बागला की विधवा ने बनवाया था। इस क्षेत्र में 1956 के दौरान एक भयानक अकाल का सामना करना पड़ा, जिसके बाद इस जलाशय को बनवाया गया था। आपको बता दें एक शोध परियोजना के रूप में निर्मित है जिसकापानी पक्षियों और जानवरों को बहुत आकर्षित करता है। यहाँ पर आप नीलगाय को देख सकते हैं। अगर आप चुरू जिले की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको इस पर्यटन स्थल की सैर करने के लिए अवश्य जाना चाहिए।
रत्नागढ़ चुरू के पास स्थित एक अदभुद किला है जो भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह एक ऐतिहासिक किला है जिसका निर्माण राजा रत्नसिंह द्वारा 1820 ई. में करवाया गया था। बता दें कि इस किले के आसपास कई हवेलियाँ भी बनी हुई है। यहां की खूबसूरत हवेलियों में कन्हैया लाल बंगला की हवेली और सुराना हवेली के शामिल हैं।
सालासर बालाजी या सालासर धाम एक मंदिर है जो राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ के पास सालासर के छोटे से शहर में स्थित है। बता दें कि यह मंदिर बालाजी को समर्पित है जो कि हनुमान का एक नाम है। यह मंदिर साल भर भारी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। सालासर धाम यहां खाटू श्यामजी मंदिर, रानी सती दादीजी (झुंझुनू) मंदिर के पास स्थित है।
सालासर बालाजी मंदिर का निर्माण वर्ष 1754 में किया गया था, जिसे आज बेहद पवित्र स्थल माना जाता है। इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि यहां पर भक्तों कि हर मनोकामना पूरी होती है। यहां मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्वयंभू मानी जाती है। अगर आप चुरू में किसी धार्मिक स्थल की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको इस मंदिर के दर्शन करने के लिए जरुर जाना चाहिए।
कोठारी हवेली चुरू जिले में स्थित एक आकर्षक और प्रसिद्ध संरचना है जिसका निर्माण 1925 में एक व्यापारी ओसवाल जैन कोठारी द्वारा करवाया गया था।
सुराना हवेली एक बेहद आकर्षक संरचना है जो चुरू जिले में स्थित है। इस हवेली का निर्माण 1870 के दौरान किया गया था। बता दें कि इस हवेली में 1111 खिड़कियां और दरवाजे बने हुए हैं। सुराना हवेली एक 6 मंजिला इमारत है जो बहुत ही विशाल है। अगर आप वास्तुशिल्प प्रेमी हैं तो आपको इस हवेली की यात्रा अवश्य करना चाहिए।
ताल छापर अभयारण्य चुरू जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इस अभ्यारण्य में पर्यटक कई तरह के जानवर जैसे चिंकारा, जंगली बिल्ली और लोमड़ी को देख सकते हैं। इसके अलावा यहां पर पक्षियों कि भी कई प्रजातियां पाई जाती है। ताल छापर अभयारण्य में एक अनोखा पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसमें ज्यादातर घास भूमि को कवर करती है, यहां पर कई तरह के प्रवासी पक्षी भी देखे जा सकते हैं। 719 हेक्टेयर में फैले तलछापर को 1962 में एक आरक्षित भूमि घोषित किया गया था। यह स्थान पक्षी प्रेमियों के बीच लोकप्रिय है। यहां पर कई दुर्लभ और लुप्तप्राय काली हिरन, जंगल बिल्ली, रोज़्रा, लोमड़ी आदि पाए जाते हैं। अगर आप किसी प्राकृतिक जगह की तलाश में हैं तो आपको इस अभ्यारण्य की यात्रा अवश्य करना चाहिए।
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चूरू में कुछ स्वादिष्ट पारंपरिक राजस्थानी व्यंजन पाए जाते हैं जिनका स्वाद आपको जरुर चखना चाहिए। यहां के भोजन इतने ज्यादा स्वादिष्ट होने ने कि आपको घर के भोजन को भुला देंगे।
अगर आप चुरू की यात्रा करने के लिए जा रहें हैं तो यहां स्थित प्रसिद्ध चूरू किले को एक्सप्लोर करने से अपने दिन की शुरुआत कर सकते हैं। बता दें कि यह किला 400 साल से अधिक पुराना है। सुराना हवेली, सालासार बालाजी, दूधवा खारा, ताल छापर अभयारण्य, कोठारी हवेली और छतरी यहाँ के प्रमुख पर्यटन आकर्षण हैं। सेठानी का जोहरा चुरू के उत्तर-पश्चिम में लगभग 4 किमी है, यहां आप शाम के समय यात्रा कर सकते हैं और सुंदर सूर्यास्त को देख सकते हैं। चुरू के बाजारों में आप राजस्थानी मसालों और मारुति पापड़ ले सकते हैं। चुरू की यात्रा के समय आपको यहां के स्थानीय रेस्तरां से कुछ प्रसिद्ध राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद भी लेना चाहिए। यहां पर बाजरे की रोटी और केर-संगी मिठाई काफी प्रसिद्ध है।
चूरू घूमने जाने के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा मौसम है। अक्टूबर से मार्च के महीनों के दौरान चूरू की यात्रा करने के लिए आदर्श समय होता है। मानसून का सीजन भी चूरू घूमने जाने के लिए अच्छा समय है। गर्मियों का मौसम यहां की यात्रा के लिए बिलकुल भी उचित नहीं है, राजस्थान में स्थित होने की वजह से यहां असहनीय गर्मी पड़ती है।
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अगर आप चुरू की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि यह राजस्थान का एक प्रमुख शहर हैं, जो रेल और सड़क दोनों माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चूरू शहर के लिए नियमित रेल और बस सेवाएं चलती हैं और निजी और सरकारी बसें राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा संचालित की जाती हैं। हवाई अड्डे की अनुपस्थिति के कारण चूरू के लिए कोई सीधी उड़ान कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है। यहां का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो चूरू से लगभग 218 किमी दूर है।
चूरू के लिए कोई सीधी उड़ान कनेक्टिविटी नहीं है। निकटतम हवाई अड्डा जयपुर से 218 किमी दूर है। हवाई अड्डे से आप प्रीपेड टैक्सी की मदद से चूरू पहुँच सकते हैं और इसके पर्यटन स्थलों की यात्रा कर सकते हैं।
चूरू राजस्थान के साथी शहरों से सड़क और आसपास के राज्यों से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। आरएसआरटीसी और निजी बसें चूरू से आसपास के शहरों तक जाती हैं। यहां पर नियमित रूप से बसें संचालित होती हैं। दिन और रात दोनों समय यहां पर जयपुर, जोधपुर आदि स्थानों से बस और टैक्सी उपलब्ध है।
चूरू रेलवे रेल मार्ग द्वारा भी भारत के अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चुरू जंक्शन इसे भारत के प्रमुख शहरों दिल्ली, जयपुर, बीकानेर और अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ता है। इन शहरों से चुरू के लिए पैसेंजर ट्रेन भी उपलब्ध हैं जिन कोई भी यात्रा करके आसानी से यहाँ आ सकते है।
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इस लेख में आपने चूरू के प्रमुख पर्यटक स्थल और उनकी यात्रा से जुड़ीं जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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