Chittorgarh In Hindi : चित्तौड़गढ़ शहर अपने प्राचीन स्मारकों, युद्ध विरासत और अपनी राजसी महिमा की वजह से आज भी अपने त्याग और वीरता के इतिहास को बताता है। मेवाड़ के तत्कालीन राज्य की राजधानी, चित्तौड़गढ़ कई किलों, गढ़ों, खंडहरों और सदाबहार कहानियों की भूमि है। राजस्थान के दक्षिण पूर्वी कोने में स्थित चित्तौड़गढ़ चटरी राजपूत गौरव के शीर्ष पर है। इसे अपनी शानदार लड़ाइयों के लिए इतिहास के पन्नों में याद किया जाता है। चित्तौड़गढ़ अपने सबसे प्रसिद्ध आकर्षणों की वजह से पूरे देश में जाना जाता है। यहां स्थित चित्तौड़गढ़ किला बहुत प्रसिद्ध है, जो पहाड़ी पर बना है और देश के सबसे बड़े किलों में से एक है।
अगर आप चित्तौड़गढ़ घूमने के लिए आ रहे हैं तो आप यहां के अन्य स्थलों मीरा मंदिर, काली माता मंदिर, गौमुख जलाशय और बस्सी वन्यजीव अभयारण्य को भी अपनी लिस्ट में शामिल कर सकते हैं।
चित्तौड़गढ़ या चित्रकूट की नींव मौर्य शासक चित्रांगदा मोरी द्वारा रखी गई थी। यह शहर राजस्थान के राजपुताना इतिहास का एक बहुत ही खास अंग है। यह शहर महाभारत के समय से लेकर आज तक की कहानियों के लिए लोकप्रिय है जो कि भीमताल के पांच पांडवों में से एक भीमताल झील की उत्पत्ति के बारे में भी बताता है। चित्तौड़गढ़ शहर राणा कुंभा, राणा साँगा, महाराणा प्रताप, और राणा रतन सिंह, रानी पद्मिनी और रहस्यवादी कवयित्री और भगवान कृष्ण, मीराबाई के भक्त सहित राजपूत वंशों के शासकों के लिए जाना-जाता है। वर्ष 1303 में दिल्ली सल्तनत के सबसे शक्तिशाली शासक अल्लाउद्दीन खिलजी जो कि रानी पद्मिनी पर मोहित था। जब वो राणा रतन सिंह को बंधक बनाकर रखने में असफल रहा तो उसने चित्तौड़ के साम्राज्य पर तब जोरदार हमला किया। चित्तौड़गढ़ पहले ही राणा रतन सिंह को बचाने में 7,000 राजपूत योद्धाओं को खो चुका था।
इसके बाद जब आत्मसमर्पण के अलावा बचने का कोई रास्ता नहीं था, तो रानी पद्मिनी ने सैनिकों, मंत्रियों और सेवकों की पत्नियों के साथ जौहर कुंड में आत्मदाह कर लिया था। जौहर कुंड ’समकालीन समय में एक बहुत लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है। 1572 में जब मेवाड़ शासन करने के लिए महाराणा प्रताप आए तब इस दौरान चित्तौड़गढ़ ने गति प्राप्त की। चित्तौड़गढ़ किला भी मीराबाई मंदिर का एक घर है जो उनकी स्मृति में मीराबाई के अनुयायियों ने बनाया था। राजस्थान के पाली के एक राजपूत परिवार में जन्मी मीराबाई को भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण और उन्हें अपना पति मानने जैसी सामाजिक परंपराओं के प्रति उदासीनता के लिए जाना जाता है। मीराबाई भक्तिकाल के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक हैं उनको भगवान कृष्ण के लिए कई भक्ति कविताओं और भजन के लिए भी जाना जाता है।
चित्तौड़गढ़ का दुर्ग ऐतिहासिक रूप से उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक है जो कई वीरता और बलिदान की कहानियों के साथ यहां आज भी खड़ा हुआ है। चित्तौड़गढ़ का दुर्ग राजस्थान में घूमी जाने वाली सबसे अच्छी जगहों में से एक है। सही अर्थों में यह दुर्ग राजपूत संस्कृति और मूल्यों को भी प्रदर्शित करता है।
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विजय स्तम्भ को विजय टॉवर के रूप में भी जाना जाता है। यह स्तंभ चित्तौड़गढ़ के प्रतिरोध का एक टुकड़ा है जिसका निर्माण मेवाड़ के राजा राणा कुंभा ने 1448 में महमूद खिलजी की मालवा और गुजरात की संयुक्त सेना पर अपनी विजय का जश्न के रूप में मनाया था। विजय स्तम्भ चित्तौड़गढ़ की आकर्षक संरचनाओं में एक है जिसका निर्माण 1458 और 1488 की अवधि के बीच किया गया था। इस स्तम्भ की सबसे खास बात यह है कि इतना विशाल और लंबा है कि देश के किसी भी हिस्से से दिखाई देता है, इसलिए यहां से पूरे शहर को देखा जा सकता है।
कीर्ति स्तम्भ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थित है। 22 मीटर लम्बे इस स्तम्भ का निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुआ था। टॉवर का निर्माण एक जैन व्यापारी, जीजा भार्गवला ने रावल कुमार सिंह के शासन काल में किया था, ताकि जैन धर्म को प्रकाशित बनाया जा सके। कई जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा कीर्ति स्तम्भ को एक प्रमुख जैन तीर्थ माना जाता है।
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महा सती चित्तौड़गढ़ से करीब 110 किलोमीटर दूर स्थित एक बहुत ही पवित्र स्थान है। आपको बता दें कि यह जगह इतनी खास इसलिए है क्योंकि यहां पर उदयपुर शासकों का अंतिम संस्कार किया जाता था। यह एक बहुत की सुंदर और शानदार संरचना है जो पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यहां के एक जलाशय के कारण यह माना जाता है कि इससे गंगा नदी का पानी निकलता है। यहां अहर सेनोटाफ में 19 राजाओं का स्मरण करने के लिए 19 छत्रियाँ हैं जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित गोमुख कुंड को चित्तौड़गढ़ के तीर्थराज के रूप में भी जाना जाता है ,क्योंकि जब भी कोई तीर्थयात्री हिंदू आध्यात्मिक स्थानों के दौरे पर जाते हैं तो वो लौटने के बाद अपनी यात्रा को पूरा करने के लिए इस पवित्र गौमुख कुंड में आते हैं। गौ मुख का अर्थ है गाय का मुंह। इसका नाम गौमुख कुंड इसलिए रखा गया है क्योंकि यहाँ गाय के मुहं के आकार की जगह से पानी बहता है। यहाँ के हरे भरे पेड़ पौधे इस जगह के वातावरण को और भी ज्यादा खास बनाते हैं। गोमुख कुंड तीर्थयात्रियों के साथ पर्यटकों को भी अपनी तरफ बेहद आकर्षित करता है।
राणा कुंभ महल चित्तौड़गढ़ की एक ऐसी खास जगह है जहाँ पर राणा कुंभा रहते थे और उन्होंने अपना शाही जीवन बिताया था। इस महल का आकर्षण और कलात्मक वास्तुकला चित्तौड़गढ़ घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। राणा कुंभ महल के पास भगवान शिव का एक मंदिर और यहाँ परिसर का लाइट एंड साउंड शो पर्यटकों की यात्रा को बेहद यादगार बनाता है।
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कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। अगर आप इस शहर की यात्रा करने के लिए आते हैं तो आपको मंदिर के दर्शन करने जरुर आना चाहि ए क्योंकि अपनी यात्रा इस मंदिर के बिना पूरी नहीं हो सकती। इस मंदिर की शानदार मूर्ति सबसे ज्यादा पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। कालिका माता मंदिर कलिका देवी दुर्गा को समर्पित है। एक मंच पर बना यह मंदिर प्रथिरा वास्तुकला शैली को दर्शाता है। मंदिर के छत, खंभे और फाटक सभी पर जटिल डिजाइन है यह मंदिर आंशिक रूप से खंडहर है लेकिन फिर भी इसकी वास्तुकला हैरान कर देने वाली है।
चित्तौड़गढ़ का फतेह प्रकाश पैलेस आपको भव्यता को एक नए स्तर पर लेकर जाता है। इसकी शानदार वास्तुकला और लेआउट पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करते हैं। महल में कई गलियारें हैं और राजस्थानी चित्रों का एक समृद्ध प्रदर्शन है। यहाँ पर क्रिस्टल कलाकृतियों की एक विशाल विविधता का होना राजा के इस महल के लिए प्यार को बताता है। अब इस महल के एक बड़े हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है और यहाँ पर शाही क्रिस्टल आइटम का शानदार प्रदर्शन है।
श्यामा मंदिरव् चित्तौड़गढ़ किले में स्थित प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बुलंद छत और पिरामिडनुमा मीनार है। इसकी दीवारें हिंदू देवी-देवताओं से जुड़ी कई मूर्तियों से सजी हुई है।
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शतीस देओरी मंदिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है, यह कुल 27 मंदिरों का एक समूह है, जो कि चित्तौड़गढ़ शहर में स्थित जैन तीर्थंकरों को समर्पित है। मंदिरों का निर्माण 11 वीं शताब्दी किया गया था। पर्यटक यहाँ शांति के लिए और 11 वीं शताब्दी की सुंदर वास्तुकला की प्रशंसा करने के लिए मंदिर परिसर में आते हैं। ये प्राचीन मंदिर सभी पर सुंदर नक्काशी और शानदार मूर्तियां सुशोभित करते हैं, और साइट को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है।
सांवरियाजी मंदिर भगवान् कृष्ण को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है जो राजस्थान के मंडफिया में स्थित है। मंडफिया, चित्तौड़गढ़ शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़-उदयपुर राजमार्ग पर पड़ता है जिसकी वजह से इस जगह पर ज्यादा से ज्यादा पर्यटक और श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए भगवान कृष्ण को समर्पित धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिरों की सूचि में दूसरे नंबर पर आता है।
मीरा मंदिर चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में स्थित मीरा बाई को समर्पित है जो कि एक राजपूत राजकुमारी थी। इस मंदिर का निर्माण राजपूत राजा महाराणा कुंभा ने अपने शासन काल के समय करवाया था, जिसकी वजह से यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक आकर्षण था। जब भी कोई पूजा करने के लिए इस मंदिर में प्रवेश करता है तो यहाँ अदभुद शांति और खुशी का एहसास करता है। इस मंदिर में आकर पर्यटक ध्यान कर सकते हैं, अपने लक्ष्य के बारे में सोच सकते हैं। यहाँ आने वाले कई लोग अपने जीवन में एक नई दिशा पाते हैं।
रतन सिंह पैलेस या रतन सिंह महल चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में स्थित एक बहुत ही आकर्षित और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व वाला स्मारक है। रतन सिंह पैलेस चित्तौड़गढ़ किले का एक बहुत ही खूबसूरत आकर्षण है लेकिन यहाँ स्थित रत्नेश्वर झील इसकी खूबसूरती को दस गुना बढ़ा देती है। जो भी पर्यटक इस महल की सैर करने के लिए जाते हैं वो इसकी पारंपरिक राजस्थानी वास्तुकला, प्रवेश द्वार, विशाल दीवारें, भव्य प्रांगण, शाही कक्ष स्तंभित छत्रियाँ, मंडप और बालकनियों को देखकर हैरान रह जाते हैं क्योंकि इस मंदिर का ज्यादातर भाग अब खंडहर लेकिन इसकी खूबसूरती और आकर्षण अब भी बरकरार है।
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भैंसरोगढ़ वन्यजीव अभयारण्य चित्तौड़गढ़, राजस्थान में अरावली पहाड़ियों में स्थित है। यह अभ्यारण राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण अभ्यारणों में से एक है जिसको 1983 में घोषित किया गया था। यह अभ्यारण भैंसरोडगढ़ किले के एक प्राचीन किले के परिसर के अंदर बेमानी और चंबल नदियों के अभिसरण के पास स्थित है। यह अभ्यारण प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस नेशनल पार्क में कई तरह के पक्षी और जीवजंतु पाए जाते हैं। इस वन्यजीव अभ्यारण की सैर करने का सबसे अच्छा समय सुबह का है। अगर आप चित्तौड़गढ़ शहर घूमने के लिए आ रहे हैं तो इस अभ्यारण की सैर करना न भूलें।
बस्सी वन्यजीव अभयारण्य चित्तौड़गढ़ में स्थित है और यह बस्सी फोर्ट पैलेस से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण भी राजस्थान का एक प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण है। बस्सी वन्यजीव अभयारण्य विंध्याचल पर्वत की पश्चिमी सीमा पर 150 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमे कई जल प्रपात और झीलें स्थित हैं जो वनस्पति के लिए आवश्यक हैं। बस्सी वन्यजीव अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव उत्साही लोगों के लिए स्वर्ग के समान है।
पद्मिनी पैलेस चित्तौड़गढ़ का वो महल है जहाँ पर रानी पद्मिनी ने मेवाड़ साम्राज्य के शासक रावल रतन सिंह से शादी की थी, जिन्होंने 1302 और 1303 Ce के बीच राज किया था। यह राजसी महल चित्तौड़गढ़ पर दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी द्वारा हमला किये जाने के बाद नी पद्मिनी के आत्म-बलिदान से संबंधित एक ऐतिहासिक स्मारक है। पद्मिनी पैलेस चित्तौड़गढ़ एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, अगर आप शहर की सैर करने के लिए आये हैं तो आपको पद्मिनी महल को एक्सप्लोर करने के लिए जरुर जाना चाहिए।
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चित्तौड़गढ़ राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन शहर है अगर आप इस शहर की यात्रा करने के लिए जाना चाहते हैं तो बता दें कि यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय साल में अक्टूबर से लेकर मार्च के महीने तक का होता है। अगर आप किले की सैर करने जा रहे हैं तो शाम के समय जाएँ क्योंकि शाम के समय मौसम ठंडा होता है और भीड़ भी कम होती है।
चित्तौड़गढ़ के भोजन के बहुत ही कम स्टैंडआउट हैं। लेकिन यहाँ आप स्थनीय सड़क के किनारे कई तरह के फास्ट फूड का स्वाद ले सकते हैं और इसके साथ-साथ रेस्तरां में भी जा सकते हैं। इसके साथ ही यहाँ पर आप मुगल व्यंजन, स्थानीय राजस्थानी भोजन के अलावा विशिष्ट शाकाहारी भारतीय भोजन का मजा भी ले सकते हैं।
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चित्तौड़गढ़ उदयपुर शहर से करीब 112 किमी की दूरी पर, राजस्थान में गणभेरी नदी के पास एक ऊंचे ढलान पर स्थित है। इस शहर कि यात्रा करने का सबसे अच्छा विकल्प बस से या फिर उदयपुर शहर से टैक्सी किराये पर लेकर यात्रा करना है।
चित्तौड़गढ़ शहर का सबसे पास का हवाई अड्डा उदयपुर में डबोक हवाई अड्डा है जो 70 किमी की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से आप चित्तौड़गढ़ जाने के लिए टैक्सी या कैब किराये पर ले सकते हैं शहर के सभी पर्यटन स्थलों की सैर कर सकते हैं। सड़क मार्ग से उदयपुर से चित्तौड़गढ़ जाने में आपको करीब डेढ़ घंटे का समय लगेगा।
चित्तौड़गढ़ राजस्थान के प्रमुख शहरों जैसे उदयपुर, जयपुर, जोधपुर आदि और पड़ोसी राज्यों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से चित्तौड़गढ़ की यात्रा करना एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। दिल्ली से चित्तौड़गढ़ के बीच की दूरी 566 किमी है जिसको तय करने में 10 घंटे का समय लगता है। अहमदाबाद से चित्तौड़गढ़ पहुंचने के लिए आपको लगभग 7 घंटे की यात्रा करनी होगी।
चित्तौड़गढ़ जंक्शन चित्तौड़गढ़ को राज्य के और भारत के प्रमुख शहरों से जोड़ता है। यह रेलवे स्टेशन ब्रॉड गेज लाइन पर स्थित है और दक्षिणी राजस्थान के सबसे बड़े रेलवे जंक्शनों में से एक है।
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इस आर्टिकल में आपने चित्तौड़गढ़ के प्रमुख पर्यटक स्थल और यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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