Srisailam Temple In Hindi : श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य के दक्षिणी भाग में श्रीशैलम पर्वत पर कृष्णा नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर हैं। आन्ध्र प्रदेश के इस दर्शनीय मंदिर को “दक्षिण के कैलाश” के नाम से भी जाना जाता है और यह भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के प्रमुख देवता माता पार्वती (मलिका) और भगवान शिव (अर्जुन) हैं।
यह स्थान भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। यह मंदिर हिन्दू धर्मं और संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। श्रीशैलम मल्लिकार्जुन दर्शन के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं और मंदिर के आराध्य देव के दर्शन कर अपने आप को धन्य समझते हैं। यदि आप इस पवन धाम और इसके पर्यटक स्थलों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर का इतिहास से जुड़े सातवाहन राजवंश के शिलालेख इस बात का प्रमाण हैं की यह मंदिर को दूसरी शताब्दी से अस्तित्व में हैं। मंदिर के अधिकांश आधुनिक जोड़ विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर प्रथम काल से मिलते हैं।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर परिसर में 2 हेक्टेयर और 4 गेटवे टॉवर हैं, जिन्हें गोपुरम कहा जाता है। श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के अंदर कई मंदिर बने हुए हैं जिनमें मल्लिकार्जुन और भ्रामराम्बा सबसे प्रमुख मंदिर हैं। यहां सबसे उल्लेखनीय और देखने लायक विजयनगर काल के दौरान बनाया गया मुख मंडप है। मंदिर के केंद्र में कई मंडपम स्तंभ हैं और जिसमें नादिकेश्वरा की एक विशाल दर्शनीय मूर्ति है।
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शिवपुराण के अनुसार श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर की कहानी भगवान भोलेनाथ के परिवार से जुडी हुई हैं। माना जाता हैं की शंकर भगवान के छोटे पुत्र गणेश जी कार्तिकेय से पहले शादी करना चाहते थे। इसी बात पर भोलेनाथ और माता पार्वती ने इस समस्या को सुलझाने के लिए दोनों के समक्ष यह शर्त रखी की जो भी पहले पृथ्वी की परिकृमा करके लोटेगा उसका विवाह पहले होगा। यह सुनकर कार्तिकेय ने परिकृमा शुरू कर दी लेकिन गणेश जी बुद्धि से तेज थे उन्होंने माता पार्वती और भगवान शिव की परिकृमा करके उन्हें पृथ्वी के सामान बताया। जब यह समाचार कार्तिकेय को पता चला तो वह रूस्ट होकर क्रंच पर्वत पर चले गए। उन्हें मनाने के सारे प्रयास जब असफल हुए तो देवी पर्वती उन्हें लेने गई लेकिन वह उन्हें देखकर वहा से पलायन कर गए। इस बात से हतास होकर पार्वती जी वही बैठ गई और भगवान भोलेनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रगत हुए। यह स्थान श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के रूप में दर्शनीय हुआ।
शक्ति पीठ का आशय उन स्थानों से हैं जहां देवी सती के अवशेष गिरे थे। पौराणिक कथाओं से पता चलता हैं कि देवी सती के पिता राजा दक्ष द्वारा भगवान भोलेनाथ का अपमान न सहपाने की वजह से देवी सती ने आत्मदाह कर लिया था। भगवान शिव ने देवी सती के जलते हुए शरीर को उठा कर तांडव किया और इस दौरान उनके शरीर के अंग जहां-जहां गिर हैं उस स्थान को शक्ति पीठ के रूप में जाना गया हैं। माना जाता हैं कि श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर में उनके ऊपरी होंठ के यहां गिरने का परिणाम हैं। श्रीशैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक है।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम पर्वत पर स्थित हैं।
हैदराबाद से श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर की दूरी लगभग 215 किलोमीटर हैं।
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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम में स्थित हैं, श्रीशैलम में कई दर्शनीय और घूमने वाली जगह स्थित हैं। आप श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर दर्शन के दौरान श्रीशैलम के प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं।
अक्क महादेवी गुफ़ाएँ तेलंगाना में श्रीशैलम से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक दर्शनीय स्थल हैं।यह प्राचीन पर्यटन स्थल बारहमासी कृष्णा नदी के पास स्थित हैं। यह अपने प्रवेश द्वार पर बने प्राकृतिक मेहराब के लिए अधिक जानी जाती हैं।
श्रीशैलम शहर में कृष्णा नदी के तट पर स्थित श्री ब्रह्मराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर यहां का एक प्रमुख दर्शनीय स्थान हैं। माना जाता हैं कि यह ऐतिहासिक मंदिर 6वीं शताब्दी का हैं। विजय नगर के राजा हरिहर द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
पातालगंगा श्रीशैलम का प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जैसे ही कृष्णा नदी पहाड़ी से मुड़ती है यह अपने साथ आध्यात्मिकता का समावेश लिए होती हैं। इस नदी में आप डुबकी लगा सकते हैं माना जाता हैं कि इसके पानी में डुबकी लगाने से त्वचा रोग दूर हो जाता हैं। यहां आने वाले पर्यटक रोपवे की सवारी का लुत्फ उठा सकते हैं। सवारी के दौरान राजसी नदी और हरे-भरे घने जंगल का नजारा देख सकते हैं।
श्रीशैलम टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 3568 एकड़ में फैला हुआ है जोकि इसे भारत के सबसे बड़े बाँध में शामिल करता हैं। श्रीशैलम बांध और नागार्जुनसागर बांध आरक्षित क्षेत्र में बने हुए हैं। यहां पाए जाने वाले जानवरों में टाइगर के अलावा आपको तेंदुआ, चीतल, इंडियन पैंगोलिन, सांभर हिरण, शेवरोट, सुस्त भालू, ढोल, ब्लैकबक, चिंकारा और चौसिंघा दिखाई दे सकते हैं। इस क्षेत्र में अन्य सरीसृप शामिल मगरमच्छ, भारतीय अजगर, किंग कोबरा और भारतीय मोर आदि शामिल हैं।
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श्रीशैलम बांध शहर के आकर्षण का एक मुख्य केंद्र बना हुआ हैं और श्रीशैलम बांध भारत की सबसे बड़ी 12 पनबिजली परियोजनाओं का हिस्सा हैं। यह बाँध वर्तमान तेलंगाना का हिस्सा हैं। श्रीशैलम बांध नल्लमाला हिल्स की खूबसूरत हरियालियों के बीच कृष्णा नदी के बरामदे में बनाया गया हैं। पर्यटक को लिए यह एक शानदार पिकनिक स्पॉट के लिए जाना जाता हैं, टूरिस्ट दूर-दूर से यहां पिकनिक मानाने के लिए अपने परिवार के साथ आते हैं।
शिखरेश्वर मंदिर श्रीशैलम के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित हैं जोकि सिखाराम के नाम से प्रसिद्ध हैं और शिखरेश्वर स्वमी को समर्पित हैं। मंदिर यहां की प्राचीन नदी कृष्णा के पास ही स्थित हैं। शिखरेश्वर भगवान शिव के एक अन्य रूप को जाना जाता हैं यह स्थान खूबसूरत दृश्यों से भरा हुआ हैं।
भगवान शिव के प्रति भक्ति भाव के लिए पहचानी जाने वाली यह जगह जो श्रीशैलममें कृष्णा नदी के किनारे के लिए जाना जाता हैं। इस स्थान पर भगवान भोएनाथ की छवि देखने को मिलती हैं। इसी विश्वास ने नदी के किनारे को लिंगला गट्टू नाम दिया हैं। पर्यटक यहां की यात्रा करना काफी हद तक पसंद करते हैं।
श्रीशैलम के दर्शनीय स्थानों में हाल ही में हेमारेड्डी मल्लम्मा मंदिर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा हैं। यह मंदिर शहर के प्रसिद्ध मंदिर मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर के पास ही स्थित हैं। इस दर्शनीय मंदिर में एक आश्रम भी बना हुआ है।
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श्रीशैलम में बहुत अधिक विस्तृत और विशाल शॉपिंग मॉल या खरीदारी मार्किट नही हैं। हालांकि यहां की जनजातियों द्वारा एकत्र किए गए स्वादिष्ट शहद को आप खरीद सकते हैं। यहां का शहद पर्यटकों के लिए बहुत अधिक रास आता हैं।
साक्षी गणपति मंदिर खूबसूरत परिवेश के बीच स्थित भगवान गणेश को समर्पित एक दर्शनीय स्थल हैं। इस मंदिर के बारे में भक्तो का मानना हैं कि भगवान गणेश इस बात का रिकॉर्ड रखते हैं कि कौन-कौन श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के दर्शन करने के लिए आए हैं। यह रिकॉर्ड वह भगवान शिव के पास पहुंचा देते हैं। मंदिर के गर्वग्रह तक जाने के लिए भक्तो को 10 सीढ़ीयों का सफ़र तय करना पड़ता हैं।
श्रीशैलम में देखने वाली जगह चेनचू लक्ष्मी संग्रहालय में आंध्र प्रदेश की जनजाति समृद्ध आजीविका और संस्कृतियों के साक्ष को समेट के रखा हुआ हैं। यहां की जनजातियों द्वारा एकत्रित किया गया शहद भी संग्रहालय में रखा जाता हैं।
हाटकेश्वर मंदिर श्रीशैलम में सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में एक हैं और यह भगवान शिव को समर्पित हैं। इस मंदिर के बारे में कहां जाता हैं कि यह वही मंदिर हैं जहां श्री शंकराचार्य ने अपना एक दार्शनिक ग्रंथ बनाया था।
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श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर घूमने और यहां के दर्शनीय स्थलों की यात्रा पर वर्ष में किसी भी समय आप जा सकते हैं, लेकिन यहां जाने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से फरवरी के बीच का माना जाता हैं।
श्रीशैलम मंदिर के शहर के रूप में जाना जाता हैं और यहां शाकाहारी भोजन ही एकमात्र विकल्प है। भोजन के लिए पर्यटकों को यहां अधिक विकल्प नही मिलेंगे। लेकिन दक्षिण-भारतीय स्वादिष्ट व्यंजनों को चखा जा सकता है। यहां के स्ट्रीट फूड का स्वाद भी आप ले सकते हैं।
श्रीशैलम मंदिर यात्रा के दौरान आप यहां रुकना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि श्रीशैलम में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट के होटल मिल जाएंगे। होटल का चुनाव आप अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं।
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श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर की यात्रा के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर जाने के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि श्रीशैलम के लिए उड़ानें सीधे उपलब्ध हैं लेकिन उड़ानें नियमित रूप से नहीं हैं।श्रीशैलम में अपना हवाई अड्डा नहीं है और सबसे निकटतम हवाई अड्डा बेगमपेट हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे से आप स्थानीय साधनों की मदद से श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर तक पहुँच जाएंगे।
अगर आपने श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर जाने के लिए ट्रेन का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि श्रीशैलम का अपना रेलवे स्टेशन नहीं है। श्रीशैलम का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन मरकापुर रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से आप यहां के स्थानीय साधनों की मदद से अपने गंतव्य तक पहुँच जाएंगे।
यदि आपने सडक मार्ग के जरिए श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर जाने की योजना बनाई हैं तो हम आपको बता दें कि यह स्थान सडक मार्ग के जरिए बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। आप बस या टैक्सी आदि के माध्यम से यहां तक पहुँच जाएंगे।
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इस आर्टिकल में आपने श्रीशैलम मल्लिकार्जुन के दर्शन और यात्रा की जानकरी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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