Rani Ki Vav In Hindi : रानी का वाव या ‘क्वीन्स स्टेपवेल’ गुजरात राज्य में सरस्वती नदी के तट पर एक छोटे गांव पाटण में स्थित एक सीढ़ीदार कुआं हैं। रानी की वाव गुजरात राज्य के सबसे भव्य जल पर्यटन स्थलों में से एक है। रानी की वाव को 22 जून वर्ष 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया जा चुका हैं और रानी की वाव को जुलाई 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 100 रूपये के नोट पर चित्रित किया हैं। रानी की वाव का निर्माण 1063 से 1068 ईस्वी के दौरान चालुक्य वंश के भीमदेव सोलंकी की याद में उनकी विधवा रानी उदयमती द्वारा एक स्मारक के रूप में निर्मित करबाया गया था।यह स्थान जल संग्रहण के अलावा सोलंकी वंश की वास्तुकला और उसके समय से रूबरू कराता हैं।
माना जाता हैं कि पुराने समय में कुए के पानी का बहुत महत्व था यह औषधीय गुणों से संपन रहता था और बुखार जैसी बीमारियों के लिए उपयुक्त साबित होता था। रानी की वाव में भगवान विष्णु की प्रतिमाओं की आकर्षित नक्काशी देखने को मिलती हैं। पर्यटकों द्वारा रानी की वाव की यात्रा भारी संख्या में की जाती हैं। आप भी रानी की वाव की यात्रा या इसके बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
रानी की वाव के इतिहास के बारे में ऐसा माना जाता है कि इस भव्य संरचना का निर्माण (1022 से 1063 ई) भीमदेव प्रथम की विधवा रानी उदयमती द्वारा (जोकि सोलंकी वंश की थी) करबाया गया था। रानी की वाव का निर्माण कार्य 1050 ईस्वी के आसपास शुरू हुआ और 1304 ईस्वी के आसपास पूरा हुआ था। लेकिन वर्ष 1980 के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने नक्काशी के साथ-साथ इसकी खुदाई कार्य भी करबाया हैं। वर्तमान में यह मानव निर्मित पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता हैं।
रानी की वाव सोलंकी वंश की आकर्षित वास्तुकला का नमूना प्रस्तुत करती हैं साथ ही साथ विशिष्ट मारू-गुर्जर वास्तुकला शैली को दर्शाती है। रानी की वाव कुआँ पांच सौ से अधिक प्रमुख मूर्तियों और एक हजार से अधिक अन्य धार्मिक और पौराणिक आकृतियों को प्रस्तुत करता हैं। इसके अलावा उच्च कलात्मक गुणवत्ता के साथ-साथ मूर्तिकला पैनल से सजी सीढ़ियों को सातवें स्तर पर अलग किया जाता है जोकि अक्सर साहित्यिक कार्यों को संदर्भित करती हैं। पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर उन्मुख चौकोर आयताकार टैंक 23 मीटर की गहराई की ओर जाता है।
यह कुआँ धार्मिक महत्व भी रखता है और इसलिए पानी की पवित्रता बनाएं रखने के लिए इसे उल्टे मंदिर के रूप में बनाया गया है। रानी की वाव कई प्रकार की धार्मिक संरचनाओ को दर्शाता हैं जिसमे वामन, वरही, कल्कि, राम, कृष्ण, नरसिंह जैसे भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों को दर्शाया गया है।
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रानी की वाव एक प्राचीन सीढ़ीदार कुआ हैं।
रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटन क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन सीढ़ीदार कुआ हैं।
रानी की वाव पर्यटकों के लिए सुबह 8:30 से शाम के 7 बजे तक खुला रहता हैं।
रानी की वाव पर्यटकों के लिए बिल्कुल निशुल्क रहता हैं, यहाँ आने वाले पर्यटकों को किसी भी प्रकार का कोई प्रवेश शुल्क नही देना पड़ता हैं।
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रानी की वाव की यात्रा पर आने वाले पर्यटक इसके आसपास के आकर्षित स्थलों की यात्रा करना भी बहुत पसंद करते हैं। आइयें हम आपको रानी की वाव के नजदीकी पर्यटन स्थल की जानकारी देते हैं।
सहस्त्रलिंग तालाब पाटन के उत्तर पश्चिम में स्थित 11 वीं शताब्दी के अंत में चालुक्य वंश के राजा सिद्धराज जय सिंह के द्वारा निर्मित किया गया एक कृत्रिम जल भंडारण स्थान है। सरस्वती नदी के जल से इसे भरा जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं कि इस तालाब को खोदने वाली एक खूबसूरत महिला के श्राप के कारण राजा की मृत्यु बिना संतान के ही हो गई थी। तालाब के आसपास कई देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं। रानी की वाव की यात्रा पर आने वाले पर्यटक पाटन के सहस्त्रलिंग तालाब घूमने के लिए जरूर आते हैं।
पटोला साड़ी हाथो से बनी हुई आकर्षित और खूबसूरत होती हैं जोकि दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। पाटन को पटोला कलाकारों का घर भी कहा जाता है। यह स्थान महिलाओं के बीच सबसे अधिक लौकप्रिय स्थान हैं। पटोला साडी की शुरुआत करने में बहुत अधिक समय लगता हैं और इसकी बुनाई बहुत जटिल होती है। इन सभी गतिविधियों के चलते पटोला साडी की कीमत भी बहुत अधिक हो जाती हैं। पटोला साडीयों की ज्यादातर शुरुआत 20,000 से होती हैं और साडी के धागों के आधार पर लाखो तक कीमत हो जाती हैं।
पाटन में जैन मंदिरों सहित कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। पाटन में लगभग 100 से भी अधिक जैन मंदिर बने हुए हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध धनाढेरवाड़ में महावीर स्वामी दैसर मंदिर है। यह मंदिर अपनी आकर्षित नक्काशीदार लकड़ी के गुंबद के लिए जाना जाता है। इसके अलावा पाटन के अन्य मंदिरों में, कालिका माता, सिधवाई माता, ब्रह्मकुंड आदि प्रसिद्ध मंदिर हैं।
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पाटन अपनी पटोला साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। ये व्यापक धागे के काम और प्राकृतिक रंगों के साथ आकर्षित दिखाई देती हैं। पटोला साडी की कीमत अधिक होती हैं यह 20,000 से शुरू होती है और काम की गहनता और धागे के उपयोग के आधार पर 25,00,000 रूपये तक को भी छू सकती है।
रानी की वाव का पर्यटन स्थल खान सरोवर पाटन के दक्षिणी भाग में स्थित है। जिसका निर्माण गुजरात के तत्कालीन गवर्नर खान मिर्ज़ा अज़ीज़ कोकख द्वारा खंडहर की संरचनाओं से पत्थरों का उपयोग करके निर्मित एक जलाशय के रूप में किया गया था। रानी की वाव की यात्रा पर आने वाले पर्यटक खान सरोवर की ओर भी अपना रुख करते हैं।
हेमचंद्राचार्य गुजराती भाषा का व्याकरण तैयार करने वाले पहले विद्वान और व्याकरणविद थे। ज्ञान मंदिर में संस्कृत और प्राकृत की लगभग 25000 प्राचीन पांडुलिपियाँ हैं जिसकी वजह से पाटन संस्कृत और प्राकृत सीखने के लिए एक आदर्श स्थान बन गया।
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रानी की वाव यात्रा के लिए यदि आप गुजरात जाने की योजना बना रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि रानी की वाव आप साल में किसी भी समय जा सकते हैं लेकिन मौसम के लिहाज से यहाँ जाने का सबसे आदर्श समय अक्टूबर और मार्च के बीच का माना जाता हैं।
रानी की वाव यात्रा के दौरान आप थेपला, ढोकला, भाजिया, खांडवी, पानी पुरी जैसे गुजराती स्नैक्स के अलावा कई स्वादिस्ट व्यंजन चख सकते हैं। गुजराती मेनू में भोजन की अत्यधिक विविधता वाले विकल्पों की सूची आपको मिल जाएगी।
रानी की वाव यात्रा और इसके प्रमुख पर्यटन स्थल घूमने के बाद आप यहाँ रुकना चाहते है, तो हम आपको बता दें कि रानी की वाव के नजदीक ही लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक के होटल आपको मिल जायेंगे, जिसका चुनाव आप अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकते हैं।
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रानी की वाव यात्रा के लिए पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
रानी की वाव यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि रानी की वाव का सबसे निकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद का सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डा हैं, जोकि लगभग 123 किलोमीटर की दूरी पर हैं। रानी की वाव तक पहुँचने के लिए आप हवाई अड्डे से बस या कैब की मदद से आसानी से पहुँच जायेंगे।
रानी की वाव का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन मेहसाणा है जोकि रानी की वाव से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर है। पाटन पहुँचने के लिए आप मेहसाणा से बस या कैब सकते हैं।
रानी की वाव गुजरात के पाटन क्षेत्र में स्थित है। यदि आपने सड़क मार्ग से रानी की वाव जाने की योजना बनाई हैं। तो हम आपको बता दें कि अहमदाबाद शहर यहाँ से लगभग 127 किलोमीटर की दूरी पर हैं और अहमदाबाद से पाटन के लिए कई बसे चलती है जो आपको सुविधाजनक ढंग से रानी की वाव पहुंचा देगी।
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इस आर्टिकल में आपने प्रसिद्ध रानी की वाव गुजरात की यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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