King Porus In Hindi : भारत में कई महान शासकों ने जन्म लिया जिनमे से एक महान शासक राजा पोरस थे। राजा पोरस का जन्म पकिस्तान के पंजाब प्रान्त में हुआ था। राजा पोरस (पोरुस) पाण्डव वंश के महान राजा थे। जिन्होंने ने अपनी राजधानी पकिस्तान में स्थापित की थी जोकि वर्तमान समय में लाहौर के नाम से जाना जाता है। राजा पोरस पुरु राजा भरत के वंशज थे। जिनके नाम पर भारत देश का नाम रखा गया है। पुरु वंश में कई शासको ने जन्म लिया लेकिन प्रसिद्धी राजा पोरस ने हासिल की वह अन्य किसी ने नही। राजा पोरस का साम्राज्य की बात करे तो यह पकिस्तान के सिंध-पंजाब में झेलम नदी से लेकर चिनाव नदी के बीच में फैला हुआ है। राजा पोरस ने अपने जीवन में कई लड़ाईयां लड़ी और अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हुए विजय भी हासिल की हैं। पोरस और सिकंदर के बीच हुआ युद्ध आज भी इतिहास के पन्नो में अमर हैं।
राजा पोरस को अपने कौशल और वीरता के कारण हिंदुस्तान के महान शासकों में गिना जाता हैं। पुरुवंशी महान सम्राट पोरस का साम्राज्य बहुत ही विशाल था जोकि झेलम और चिनाब नदी के चारों और फैला हुआ था। यदि आप हिंदुस्तान के वीर पुत्र महान शासक पोरस के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
पुरु का वंश के सबसे प्रमुख राजा पोरस थे। उसने 340 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व तक शासन किया, और उसके अधीन राज्य धन और समृद्धि से भरा था। पोरस की माता तक्षशिला राज्य की राजकुमारी थी। कुछ लोग कहते हैं कि पोरस की मृत्यु के बाद साम्राज्य में गिरावट आई, लेकिन यह सिद्धांत इस तथ्य पर विचार नहीं करता है कि उनका पुत्र मलयकेतु अभी भी जीवित था और उसने चंद्रगुप्त मौर्य के साथ गठबंधन किया। मलयकेतु के बारे में कहा जाता है कि उसने 299 ईसा पूर्व तक शासन किया था, जिसके बाद वह अपने बेटे भद्रकेतु द्वारा सफल हुआ था।
पौरवों पर कोई भी जानकारी इससे परे मौजूद नहीं है, इसलिए यह अभी भी अज्ञात है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में उनके साथ क्या हुआ था। हालाँकि, कई राज्य जो शायद योध्या गणराज्य द्वारा एनेक्स किए गए थे।
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पुरु वंश के महान राजा पोरस की ऊँचाई 7 फीट 5 इंच थी। राजा पोरस का शरीर बहुत ही विशालकाय था। उनको देखके ही लोग युद्ध से डर जाते थे।
पौरव राष्ट्र का वर्तमान नाम पंजाब है जो की पाकिस्तान देश में आता हैं।
पुरु वंश के शासक राजा पोरस का नाम इतिहास के पन्नो पर इसीलिए लिखा गया था क्योंकि राजा पोरस ने महान शासक सिकंदर से युद्ध किया था। सिकंदर को “अलेक्जेंडर द ग्रेट” के नाम से भी जाना जाता है। सिकंदर ने पूरे भारत पर कब्ज़ा करने के इरादे से भारतीय धरती पर कदम रखे। लेकिन अलेक्जेंडर की मुलाकात भारत के वीरपुत्र पोरस से हुई। क्योंकि पोरस का साम्राज्य झेलम नदी से लगा हुआ था जोकि सिकंदर के भारत जीतने के सपने के बीच में आ गया। झेलम नदी को पार किए बिना सिकंदर भारत विजय हासिल नही कर सकता था। सिकंदर ने पोरस आत्म समर्पण करने के लिए कहा लेकिन इसके जबाब में पोरस ने सिकंदर को वापिस लौट जाने की हिदायत देदी।
इसके बाद हुए पोरस और सिकंदर के बीच युद्ध को आज भी इतिहास के पन्नो में झेलम का युद्ध और बेटल ऑफ़ हाइडेस्पेस (Battle Of Hydaspes) के नाम से जाना जाता हैं। हाइडेस्पेस झेलम नदी का ग्रीक नाम है। राजा पोरस तक पहुँचने के लिए सिकंदर को झेलम नदी पार करना बहुत जरूरी था। सिकंदर ने बहुत चालाकी से झेलम नदी पार की।
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राजा पोरस के पास 20,000 पैदल सैनिक, 4000 घुड़सवार 4000 रथ और 130 हाथियों का बल था। सिकंदर राजा पोरस की ताकत से भली-भांति परिचित था।
सिकंदर और पोरस के बीच हुए युद्ध के परिणाम पर इतिहासकार एक मत नही हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना हैं कि इस युद्ध में सिकंदर की हार हुई थी और कुछ का मानना हैं कि इस युद्ध में पोरस की हार हुई थी और एक संधि के बाद सिकंदर उसी स्थान से वापिस लौट गया था। कुछ इतिहासकार कहते झेलम नदी तक आकर सिकंदर की सेना पूरी थक चुकी थी और उन्होंने आगे बढ़ने से माना कर दिया।
सिकंदर एक ऐसा राजा था जो विश्व विजय की राह पर निकला था और अपने रास्ते में आने वाली सारी बाधाओं (लडाइयों) से निपटते हुए वह भारत की सरहद पर आ पहुंचा। सिकंदर जब झेलम नदी के पास पहुँचा तो वह युद्ध राजा पोरस से हुआ। इस युद्ध को द्दुनिया हाइडेस्पेस नदी की लड़ाई के नाम से जानती हैं जोकि जुलाई 326 ईसा पूर्व में सिकंदर और राजा पोरस के बीच लड़ी गई। अलेक्जेंडर द्वारा लड़ी गई यह आखरी लड़ाई थी, माना जाता है कि इस युद्ध में सिकंदर की पराजय हुई थी। लेकिन इसका कोई साक्ष नही हैं। क्योंकि पोरस यहाँ से वापिस अपने देश को लौट गया था।
माना जाता हैं कि झेलम नदी के युद्ध के बाद पोरस और सिकंदर की मित्रता हो गई थी। लेकिन जब वह भारतीय उपमहाद्वीप से बाबुल (वर्तमान बगदाद) के लिए लौट रहा था। तब 323 ईसा पूर्व में 32 वर्ष की उम्र में सिकंदर की मृत्यु हो गई थी।
राजा पोरस का कार्यकाल 340 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व तक माना जाता है। राजा पोरस की मृत्यु के बारे में अलग-अलग तथ्य सामने आये है। कई इतिहासकार कहते है कि राजा पोरस की मृत्यु विषकन्या के द्वारा हुई थी। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर के खास सेना नायक यूदोमोस ने राजा पोरस की हत्या कर दी थी। ऐसा भी माना जाता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य के आचार्य चाणक्य ने राजा पोरस की हत्या कर दी थी। राजा पोरस की मृत्यु का वर्ष अभी तक ज्ञात नही है।
इस लेख में आपने राजा पोरस की कहानी को जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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