Nilgiri Mountain Railway in Hindi : नीलगिरि माउंटेन रेलवे 1908 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित एक 1000 मिमी लंबी मीटर-गेज रेलवे लाइन है जो तमिलनाडु के ऊटी के रानी हिल स्टेशन से गुजरती है। जुलाई 2005 में, यूनेस्को ने नीलगिरि माउंटेन रेलवे को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के वर्ल्ड हेरिटेज साइट के विस्तार के रूप में जोड़ा तब यह स्थल भारत के पर्वतीय रेलवे के रूप में जाना जाने लगा। बता दे इस रेलवे लाइन पर चलने वाले 50 गाड़ियां 80 साल से अधिक समय से इंजनों का उपयोग करती हैं जिसमे सबसे पुराने एक्स-क्लास इंजनों के नमूने अभी भी उपयोग में हैं।
लेकिन इस लाइन पर चलने वाले ट्रेन स्टीम लोकोमोटिव या ‘टॉय ट्रेन’ है जो बच्चों से लेकर तक बड़ो तक सभी के बीच काफी लोकप्रिय है। यह टॉय ट्रेन 5 घंटे की अवधि में 46 किमी की कुल दूरी तय करती है, जो रोलिंग पहाड़ियों, हरी घास के मैदानों और जंगल के ढलानों के दृश्य से गुज़रती है। इस लेख में आगे हम आपको नीलगिरि माउंटेन रेलवे घूमने जाने के पूरी जानकारी देने वाले है इसीलिए नीलगिरि माउंटेन रेलवे की ट्रिप पर जाने से पहले एक बार इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
नीलगिरि माउंटेन रेलवे का इतिहास 1854 में अस्तित्व में आया था जब मेट्टुपालयम से नीलगिरि पहाड़ियों तक एक पहाड़ी रेलवे बनाने की योजना बनाई गई थी। लेकिन निर्माण को पूरा होने में 45 साल लग गए आखिरकार जून 1899 में यह लाइन पूरी हो गई और इसे यातायात के लिए खोल दिया गया। सरकार के साथ एक समझौते के तहत इसे पहले मद्रास रेलवे द्वारा संचालित किया गया था।
मद्रास रेलवे कंपनी ने लंबे समय तक सरकार की ओर से रेलवे लाइन का प्रबंधन जारी रखा जब तक कि दक्षिण भारतीय रेलवे कंपनी ने इसे खरीद नहीं लिया। प्रारंभ में, कुन्नूर लाइन का अंतिम स्टेशन था। सितंबर 1908 में, लाइन को फर्नाहिल तक बढ़ाया गया था और उसी बर्ष 15 अक्टूबर 1908 को इसे उदगमंडलम तक और बढ़ा दिया गया था।
टॉय ट्रेन नीलगिरि माउंटेन रेलवे का प्रमुख टूरिस्ट अट्रेक्शन है जिसे यहाँ आने वाले पर्यटकों द्वारा खूब पसंद किया जाता है। यदि आप ऊटी घूमने आयें और अपने टॉय ट्रेन की राइड को एन्जॉय नही किया तो यक़ीनन आपकी ट्रिप की अधूरी है। क्योंकि इस ट्रेन का रूट अद्भुद और मंत्रमुग्ध कर देने वाले नजारों से भरा हुआ है जिन्हें देखने के बाद कुछ समय के लिए सब कुछ भूल जायेंगे और इन नजारों में खुद को खोने से रोक नही पाएंगे। टॉय ट्रेन के इस शानदार अनुभव को शब्दों में बयां नामुमकिन है जिसे सिर्फ इसकी राइड से ही फील किया जा सकता है। इसीलिए आपको जब भी चांस मिले इसकी राइड को जरूर एन्जॉय करें।
मेट्टुपालयम से शुरू होने वाली टॉय ट्रेन 5 घंटे की अवधि में 46 किमी की कुल दूरी तय करती है जिसमे ट्रेन 250 पुलों और 16 सुरंगों को पार करती हुई रोलिंग पहाड़ियों, जंगल की ढलानों, हरी घास के मैदानों और मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्यों होती हुई गुज़रती है।
जब आप इस ट्रेन में राइड कर रहे होगें तो इस ट्रेक के आसपास स्थानीय लोग को देख सकेगें। साथ ही विचित्र हिल स्टेशनों के खूबसूरत नजारों को देख सकेगें जो हर बार थोड़ी थोड़ी देर के लिए इन हिल्स स्टेशनों पर रूकती है। यह ट्रेन मेट्टुपालयम, केलार, कुन्नूर, वेलिंगटन, लॉडेल और ऊटाकामुंड के माध्यम से होती हुई 4,363 फीट ऊंचाई तक जाती है।
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नीलगिरि माउंटेन रेलवे पर यात्रा करने के लिए फर्स्ट क्लास एंड सेकंड क्लास दो कैटिगिरीस है जिनकी प्राइस अलग अलग है –
वर्तमान में नीलगिरि माउंटेन रेलवे पर कल्लर, लविंगडेल, वेलिंगटन और कुन्नूर स्टेशन स्थित है जबकि कुछ साल पहले फर्नाहिल स्टेशन को बंद कर दिया गया था।
जो भी पर्यटक नीलगिरि माउंटेन रेलवे की ट्रिप पर जाने वाले है बो अपनी ट्रिप पर जाने से पहले इन टिप्स को जरूर जान लें –
यदि आप अपनी फैमली या फ्रेंड्स के साथ ऊटी में बैंगलोर पैलेस घूमने जाने का प्लान बना रहे है, तो हम आपको बता दे ऊटी नीलगिरि पर्वतीय रेलवे के साथ अन्य कई खूबसूरत पर्यटक स्थलों से सजा हुआ है जिन्हें आपको नीलगिरि माउंटेन रेलवे के दौरान जरूर घूमने जाना चाहिए।
नीलगिरि पर्वतीय रेलवे पर घुमने के लिए बारिश के बाद के महीने अक्टूबर से जून का समय सबसे अच्छा और अनुकूल समय माना जाता है। मार्च से जून के महीने में जहां पूरे भारत में गर्मी पड़ती है, वहीं ऊटी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ता है। जबकि जुलाई से सितंबर तक यहां भारी वर्षा होती है जिसके कारण इस दौरान पर्यटक कम ही आना पसंद करते हैं।
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नीलगिरि पर्वतीय रेलवे और ऊटी की ट्रिप में रुकने के लिए होटल्स सर्च करने वाले पर्यटकों को बता दे भारत के सबसे खूबसूरत हिल्स स्टेशन में से एक होने के नाते ऊटी में सभी बजट की होटल्स और होमस्टे फैसिलिटीज अवेलेवल जिनको आप अपनी चॉइस के अनुसार सिलेक्ट कर सकते है। यहां आप एक हजार रुपये प्रति रात से लेकर चालीस हजार रुपये प्रति रात के होटलों में कमरे बुक करा सकते हैं। प्रत्येक होटलों में अलग अलग तरह की सुविधाएं हैं।
वैसे तो ऊटी जाने के लिए हवाई जहाज, ट्रेन और बस आदि विकल्प उपलब्ध हैं लेकिन ज्यादातर लोग सड़क मार्ग से ऊटी की यात्रा करना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि ऊटी जाने के लिए सभी मार्ग काफी सुंदर और मनोरम हैं। हालांकि आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी माध्यम से ऊटी पहुंच सकते हैं। एक बार जब ऊटी पहुंच जाते है तो शहर में लगभग कहीं से भी टैक्सी या ऑटो-रिक्शा किराए पर लेकर नीलगिरि माउंटेन रेलवे हैं। लेकिन उससे पहले आपको ऊटी पहुचना होगा जिसके साधनों के बारे में हम आपको नीचे बताने वाले है
ऊटी का निकटतम हवाई अड्डा (Airport) कोयम्बटूर एयरपोर्ट है जो ऊटी से लगभग 85 किमी दूर है। यह हिल स्टेशन देश के बाकी हिस्सों से उड़ानों के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से जुड़ा है। एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस नई दिल्ली, मुंबई, कोझीकोड (Kozhikode), बैंगलोर, हैदराबाद और अहमदाबाद से नियमित उड़ानें भरती हैं। विदेशों से आने वाले पर्यटक बैंगलोर के केम्पेगौड़ा (Kempegowda) अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी आकर ऊटी जा सकते हैं। बंगलौर से ऊटी 310 किमी है और ऊटी के लिए दोनों हवाई अड्डों से टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
कई राज्यों की सड़के एवं राष्ट्रीय राजमार्ग (national highways) ऊटी से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु राज्य सड़क परिवहन निगम (TNSTC) की बसें एवं कुछ निजी परिवहन बंगलौर, चेन्नई और मैसूर आदि शहरों से ऊटी के लिए चलते हैं। इसके अलावा बैंगलोर से कई लक्जरी बसें भी चलती हैं, जिससे ऊटी पहुंचने में लगभग 7 से 8 घंटे का समय लगता है।
ऊटी का निकटतम रेलवे स्टेशन मेट्टुपलयम (Mettupalyam) है जहाँ से नीलगिरि माउंटेन रेलवे के लिए टॉय ट्रेन शुरू होती है। मेट्टुपलयम रेलवे स्टेशन पहुचने के बाद आप सीधा यही से टॉय ट्रेन की सवारी कर सकते है।
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इस आर्टिकल में आपने नीलगिरि पर्वतीय रेलवे घूमने की पूरी जानकारी को जाना है आपको यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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