Mulayanagiri in Hindi : मुलयनगिरी समुद्र तल से 1930 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कर्नाटक राज्य की सबसे ऊँची चोटी है। चिकमगलूर से सिर्फ 45 मिनट की दूरी पर स्थित मुल्लयनगिरी चोटी पश्चिमी घाट के बाबा बुदन गिरि रेंज में स्थित है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान के साथ एक शांतिपूर्ण वातावरण और मंत्रमुग्ध कर देने वाले नजारों की पेशकश करता है। यह शिखर बरामदा घास के मैदान, और ट्रेकिंग रूट से परिपूर्ण है, जिस वजह से मुल्यायनगिरी को साहसिक उत्साही लोगों के लिए एक हब के रूप में जाना जाता है, जहाँ पर्यटक ट्रेकिंग, कैम्पिंग, माउंटेन बाइकिंग और रॉक क्लिम्बिंग जैसे एक्टिविटीज को एन्जॉय कर सकते है। कुल मिलाकर यह जगह उन पर्यटकों के लिए बेहद खास जगह है जो एडवेंचर एक्टिविटीज एन्जॉय और एकांत में टाइम स्पेंड करना चाहते है। इन सबके साथ मुलयनगिरि अपने पास में स्थित कॉफी बागानों के लिए भी जाना जाता है जो कपल्स के लिए सबसे लोकप्रिय बने हुए है। मुल्यायनगिरि शिखर के सबसे ऊपरी शिखर पर एक छोटा सा मंदिर भी स्थित है, जिस वजह से श्रद्धालु भी यहाँ घूमने आते है।
चलिए आइये तो आज के इस आर्टिकल में माध्यम से हम आपको मुलयनगिरि चोटी की ट्रिप पर ले जाने वाले है इसीलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े –
कर्नाटक की सबसे ऊँची छोटी मुलयनगिरि के इतिहास पर नजर डालने और आसपास के क्षेत्रों के स्थानीय लोगों की किवदंतीयों के अनुसार इस चोटी का नाम संत तपस्वी मुलपा स्वामी के नाम पर रखा गया है। मुलपा स्वामी एक तपस्वी थे जो बर्षो पहले मुल्यायनगिरि पहाड़ी की चोटी पर ध्यान लगाते थे जिसके बाद इस चोटी को मुलयनगिरि के रूप में पहचान मिली है। चोटी पर आज एक छोटा मंदिर भी मौजूद है जिसमे मुलपा स्वामी की मूर्ति स्थापित है जो इस तथ्य की पुष्टि करती है।
यदि आप मुलयनगिरि पीक घूमने जाने को प्लान कर रहे है, लेकिन उससे पहले जानना चाहते है की आखिर मुलयनगिरि क्यों इतना फेमस है ? तो चलिए हम आपको बताये देते है मुलयनगिरि किसी एक चीज के लिए नही बल्कि कई चीजों के लिए फेमस है जिनमे सबसे जाड्या ट्रेकिंग, कैम्पिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटीज, अपने सुखद माहौल, और आसपास के सुन्दर परिदृश्य के लिए फेमस है जिनके कारण हर साल हजारों पर्यटक इसके और खिचे आने पर मजबूर हो जाते है। कर्नाटक की सबसे ऊँची चोटी मुलयनगिरि एक ऐसा टूरिस्ट प्लेस है जिसकी यात्रा आप फैमली, फ्रेंड्स और कपल सभी के साथ कर सकते है, क्योंकि यहाँ सभी के घूमने के लिए बहुत कुछ है ।
मुलयनगिरि ट्रेक पूरी इंडिया के सबसे रोमांचक ट्रेक्स में से एक है जहाँ हर साल कई हजारों ट्रेकर्स ट्रेकिंग के लिए आते है। बता दे मुलयनगिरि के लिए दो ट्रेक रूट है जिसमे एक कठिन और एक मध्यम है –
यदि आप मुलयनगिरि के लिए एक शानदार ट्रेक की कोशिश करना चाहते हैं, तो बाबाबुदगिरी पहाड़ियों से ट्रेकिंग शुरू करें। इसके लिए आपको काईवाड़ा से बाबाबुदगिरी के बेस तक पहुँचने की आवश्यकता है और फिर आपको बाबाबुदगिरी के सबसे ऊपरी शिखर तक पहुँचने के लिए एक जीप किराए पर लेनी होगी। यहाँ पहुचने के बाद आप मुलयनगिरि के लिए ट्रेकिंग शुरू कर सकते है
सरपधारी ट्रेक रूट
दूसरा ट्रेक सर्पधारी से शुरू होता है इस ट्रेकिंग मार्ग में 60 डिग्री का झुकाव है और यह अपने संपूर्ण स्वरूप में काफी खड़ी है। यदि आप इस ट्रेकिंग मार्ग को चुनते हैं तो आपको बेहद सावधान रहने की आवश्यकता है। जैसे ही आप सर्पधारी से ट्रेकिंग शुरू करते है तो लगभग 3 किलोमीटर के ट्रेकिंग के बाद मुल्लयनगिरि पहुंच जायेंगे जबकि यहाँ से बाबाबुदगिरी के लिए आपको लगभग 10 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी होगी। ट्रेकिंग के दौरान आप जैसे ही पगडंडीयों से होते हुए आगे बढ़ते है थोडा आगे बढ़ने पर आपको चट्टानी आश्रय में एक नंदी की प्रतिमा देखने को मिलती है। जिसके कुछ दूरी पर एक गुफा भी हैं जहाँ आप कुछ देर रुक सकते है। यहाँ से पगडंडी कम खड़ी हो जाती है और आप थोड़ी देर में ही मुलयनगिरी के शिखर पर पहुंच जाते है।
सितंबर से फरवरी के महीने मुलयनगिरी के लिए इस साहसिक ट्रेकिंग को करने के लिए सबसे अच्छे हैं। इस दौरान मौसम सुहावना बना रहता है, और आपको इस क्षेत्र के कुछ अद्भुत दुर्लभ वनस्पतियों के बारे में जानकारी भी मिलती है।
मुलयनगिरि ट्रेक का डिफीकल्टी लेवल : कठिन से मध्यम
ट्रेक अवधि : लगभग 3 घंटे
परमिशन : ध्यान दे आप जब भी मुलयनगिरि की ट्रेकिंग पर जायेंगे तो आपको ट्रेकिंग पर जाने से पहले चिकमगलूर वन विभाग से अनुमति लेनी होगी जो की बस डिपो के बगल में स्थित है।
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यदि आप मुलयनगिरि पीक की ट्रिप पर जाने वाले है तो किसी भी परेशानी से बचने के लिए नीचे दिए गये टिप्स को जरूर फ़ॉलो करें
वैसे तो यह पीक 24 घंटे खुली रहती है लेकिन पर्यटकों के घूमने जाने का समय सुबह 6.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक है।
जो पर्यटक मुलयनगिरि पीक की ट्रिप पर या ट्रेक पर आने वाले है हम उन्हें बता दे मुलयनगिरि चोटी घूमने के लिए कोई भी एंट्री फीस नही है बस आपको वन विभाग से अनुमति लेनी होगी।
यदि आप अपनी फैमली, फ्रेंड्स या फिर अपने कपल के साथ मुलयनगिरी घूमने आने वाले है तो क्या आप जानते है ? मुलयनगिरी के आसपास भी घूमने के लिए भी नीचे दी गयी कई खूबसूरत जगहें और झरने मौजूद है जिन्हें आप अपनी मुलयनगिरी पीक की यात्रा में घूमने जा सकते है –
तपस्वी मुलप्पा स्वामी मंदिर मुलयनगिरी की चोटी पर स्थित एक पवित्र हिंदू मंदिर है जो तपसवी मुलप्पा स्वामी की याद में बनाया गया है, जिन्होंने मुल्यायनगिरि पहाड़ियों के ऊपर ध्यान लगाया था।
झारी झरने अत्तिगुंडी के पास स्थित चिकमगलूर के भव्य झरनों में से एक हैं। घने जंगल और हरे भरे कॉफी बागानों की उपस्थिति इन झरनों की सुंदरता को और अधिक बढ़ाती है। इस झरने से गिरने वाले पानी से एक छोटे तालाब भी बनता है जहाँ आप पानी में तैरने का आनंद ले सकते हैं या इसके किनारे आराम कर सकते हैं।
मुलयनगिरी से दूरी – 12.4 किमी
रॉक गार्डन कर्नाटक बागवानी विभाग का एक उपक्रम है। यह गार्डन एक आर्किड घर जैसा दिखता है, जहां आपको विदेशी पौधों की प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला देखने को मिलती है।
मुलयनगिरी से दूरी – 0.2 किमी
पश्चिमी घाट के घने जंगल के बीच स्थित हिरेकोले झील मुलयनगिरी के आसपास घूमने की सबसे अच्छी जगहें में से एक है। यह झील अपनी फैमली के साथ सुखद समय बिताने और सूर्यास्त के अद्भुद नजारों को देखने के लिए बेहद खास जगह है।
मुलयनगिरी से दूरी – 8.3 किमी
जयंती कॉफी दक्षिण भारत में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली फिल्टर कॉफी की खरीददारी करने का स्थान है जहाँ आप फिल्टर कॉफी, शुद्ध कॉफी, मसाले, शहद, कॉफी निर्माता और अन्य सामान खरीद सकते हैं।
मुलयनगिरी से दूरी – 0.6 किमी
बाबाबुदगिरी, बाबा बुदन रेंज की एक आकर्षक जगह है, जो पश्चिमी घाटों में फैली हुई है। ट्रेकर्स के अलावा यह स्थान हिंदू की दत्तात्रेय पीठ और मुस्लिमों के बाबा बुदगिरी दरगाह के लिए भी जानी जाती है जहाँ ट्रेकर्स के साथ साथ दोनों धर्मों में लोग यहाँ आते है।
मुलयनगिरी से दूरी – 12.8 किमी
यदि आप एक प्रकृति प्रेमी हैं, तो हरी भरी हरियाली से घिरा कलाथगिरी जलप्रपात मुलयनगिरि के आसपास घूमने के लिए एक और बेहद खास जगह है।
मुलयनगिरी से दूरी – 11.8 किमी
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वैसे तो आप मानसून के मौसम को छोड़कर साल के किसी भी समय यहाँ घूमने आ सकते है लेकिन सितंबर से मार्च की शुरुआत तक का समय ऐसा समय समय होता है जिसे मुलयनगिरी घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। मानसून के ठीक बाद यह जगह पूरी तरह से हरी भरी होती है जो किसी को भी इसके मंत्रमुग्ध कर देने वाले नजारों में खोने पर मजबूर कर देती है। इस दौरान मुलयनगिरी का मौसम भी सुखद होता है जो ट्रेकिंग, कैम्पिंग जैसी अन्य एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए परफेक्ट होता है।
यदि आप मुलयनगिरी की यात्रा में कही थोड़ी देर या कुछ दिन रुकने की सोच रहे है तो आप मुलयनगिरी के आसपास स्थित होमस्टे में रुक सकते है जो आपको देशी माहौल के साथ साथ मुलयनगिरी के शानदार दृश्य भी प्रदान करते है। हम आपको नीचे मुलयनगिरी के कुछ सबसे बेस्ट होमस्टे बताने जा रहे है जहाँ अपनी यात्रा के दौरान रुक सकते है
चिकमगलूर से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुलयनगिरी चोटी के लिए कोई रेल या फ्लाइट कनेक्टविटी नही है इसीलिए मुलयनगिरी पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका एक टैक्सी बुक करके जाना है। टेक्सी के अलावा आप सेल्फ ड्राइव करके भी यहाँ आ सकते है लेकिन ध्यान दे इसके लिए एक्सपीरियंस ड्राईवर होना चाहिए क्योंकि यह रास्ता खतरनाक मोड़ो से भरा हुआ है जिसमे जरा से भी चुक बड़ी दुर्घटना का जन्म दे सकती है।
लेकिन यदि आप भारत के किसी अन्य प्रमुख शहर से यहाँ आ रहे है तो आप फ्लाइट या ट्रेन से भी यहाँ आ सकते है जिसके बारे में हम आपको नीचे बताने जा रहे है –
मुलयनगिरी की यात्रा पर जाने के लिए यदि आप फ्लाइट से ट्रेवल करना चाहते हैं। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंगलोर हवाई अड्डा मुलयनगिरी का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा हैं। मुलयनगिरी से मंगलोर हवाई अड्डे की दूरी लगभग 178 किलोमीटर हैं। यह एयरपोर्ट चेन्नई, कोलकाता, मुंबई के अलावा अन्य भारतीय शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। भारत के किसी भी प्रमुख शहर से फ्लाइट से ट्रेवल करके एयरपोर्ट पर उतरने के बाद आप एक टेक्सी बुक करके लगभग 4 -5 घंटे में मुलयनगिरी पहुंच सकते है।
जिन पर्यटकों ने मुलयनगिरी जाने के लिए रेल मार्ग का चुनाव किया हैं, हम उन्हें बता दे मुलयनगिरी से लगभग 58 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कडूर रेलवे स्टेशन मुलयनगिरी पीक का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। कडूर रेलवे स्टेशन पहुचने के बाद टेक्सी या अन्य स्थानीय वाहनों की मदद से अपने गंतव्य तक पहुंच सकते है।
सड़क मार्ग से मुलयनगिरी की यात्रा करना सबसे आसान और फर्स्ट ऑप्शन है क्योंकि फ्लाइट या ट्रेन से ट्रेवल करने के बाद भी आपको सड़क मार्ग से यात्रा करने की आवश्यकता होती है। सड़क मार्ग से मुलयनगिरी जाने का सबसे अच्छा ऑप्शन एक टेक्सी बुक करना या अपनी पर्सनल कार से सेल्फ ड्राइव करके जाना है। इसके अलावा आप चिकमगलूर के लिए बस ले सकते है और बस से उतरने के बाद फिर एक टेक्सी बुक करके यहाँ आ सकते है।
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इस आर्टिकल में आपने मुलयनगिरी ट्रेक और यहाँ घूमने की पूरी जानकारी जाना है आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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Featured Image Credit : Deepak Kumar
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