Khatu Shyam Mandir history in hindi : राजस्थान के सीकर स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर भारत देश में कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी को कलयुग का सबसे मशहूर भगवान माना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में बने खाटू श्याम जी के मंदिर की हिंदू भक्तों में बहुत मान्यता है। भक्तों का कहना है कि श्याम बाबा से जो भी मांगों, वो लाखों-करोड़ों बार देते हैं, यही वजह है कि खाटू श्याम जी को लखदातार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के मुताबिक खाटू शम जी को कलयुग में कृष्ण का अवतार माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था कि खाटू श्याम जी कलयुग में उनके नाम श्याम के नाम से पूजे जाएंगे। यही वजह है कि आज खाटू श्यामजी देश में करोड़ों भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं।
यहां सालभर बाबा श्याम के प्रति आस्था रखने वाले 40 लाख भक्त हर साल उनके दर्शन के लिए पहुंचते हैं। खासतौर से होली के कुछ दिनों पहले फरवरी -मार्च में यहां खाटू श्याम जी का भव्य मेला आयोजित होता है, जिसमें देश ही नहीं विदेशों से भी बाबा के भक्त उनके दर्शन के लिए आते हैं। खाटू श्याम मंदिर के बारे में बताया जाता है कि खाटू श्याम जी का ये मंदिर महाभारत काल में बना था, इस मंदिर का इतिहास भी महाभारत की लड़ाई से जुड़ा है। तो आइए आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएं राजस्थान के मशहूर खाटू श्याम जी के मंदिर से जुड़ी दिलचस्प तथ्यों के बारे में।
जैसा कि हमने आपको बताया कि खाटू श्याम जी का मंदिर महाभारत काल में ही बनकर तैयार हो गया था। यहां पर भगवान कृष्ण खाटू श्याम बाबा के रूप में स्थापित है। मंदिर की स्थापित्य कला समृद्ध है। श्याम बाबा मंदिर में खाटू श्याम की मूर्ति उनके सिर के रूप में है, जो खाटू गांव के कुंड में दबा मिला था। पूरा मंदिर लाइम मोर्टार, मकराना संगमरमर और टाइल्स से निर्मित है। यहां एक प्रार्थना हॉल है, जिसे जगमोहन के नाम से जाना जाता है। इस हाल की खास बात यह है कि इसकी दीवारों पर पौराणिक दृश्य चित्रित किए गए हैं। खाटू श्यामजी के मंदिर का प्रवेश द्वार और निकास द्वार संगमरमर से बने हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने एक खुली जगह है। पास में एक सुंदर बाग भी स्थित है जिसे श्याम बाग कहा जाता है। यह बाग पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। ये वही बाग है जहां से भगवान खाटू श्याम को अपर्ण करने के लिए फूल चुने जाते हैं। इस बगीचे के बाहर अलू सिंह की समाधि स्थित है। गोपीनाथ मंदिर भी मुख्य मंदिर के दक्षिण पूर्व में स्थित है। यहां पास में गौरीशंकर मंदिर भी है। गौरीशंकर मंदिर से जुड़ी एक कहानी भी काफी मशहूर है। कहा जाता है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के कुछ सैनिक इस मंदिर को नष्ट करना चाहते थे। उन्होंने इस मंदिर के भीतर भालों के साथ शिव लिंगम पर हमला बोला। शिव लिंगम से खून की धारा बहने लगी, तब सैनिक वहां से भाग गए। आज भी कोई भी लिंगम पर भाले का निशान साफ देख सकता है।
माना जाता है सीकर जिले में प्रसिद्ध खाटू श्याम जी का मंदिर खाटू गांव के शासक राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर द्वारा सन् 1027 में बनवाया गया था। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा रूपसिंह को सपना आया, जिसमें उन्हें खाटू के कुंड में श्याम का सिर मिलने के बाद उनका मंदिर बनवाने के लिए कहा गया था। तब राजा रूपसिंह ने खाटू गांव में खाटू श्याम जी के नाम से मंदिर का निर्माण करवाया। लेकिन 1720 में एक मशहूर दीवान अभयसिंह ने इसका पुर्ननिर्माण कराया।
श्याम बाबा की पूरी कहानी महाभारत से शुरू होती है। आपको बता दें कि पहले खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था। वे बलवान गदाधारी भीम और नाग कन्या मौरवी के पुत्र थे। बचपन से ही उनमें वीर योद्धा बनने के सभी गुण थे। उन्होंने युद्ध करने की कला अपनी मां और श्रीकृष्ण से सीखी थी। उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या करके तीन बाण प्राप्त किए। ये तीनों बाण उन्हें तीनों लोकों में विजयी बनाने के लिए काफी थे। एक बार जब उन्हें पता चला कि कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध होने वाला है, तो उन्होंने भी युद्ध में शामिल होने की इच्छा जताई। इसके लिए जब वे अपनी मां के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे तो उन्होंने हारे हुए पक्ष की ओर से युद्ध लड़ने का वचन दिया।
जब उन्हें बर्बरीक के इस वचन का पता चला तो वे ब्राह्मण का रूप धारण कर उनका मजाक उड़ाने लगे और कहने लगे कि वे तीन बाण से क्या युद्ध लड़ेंगे। तब बर्बरीक ने कहा कि उनका एक बाण ही शत्रु सेना को मारने के लिए काफी है, ऐसे में अगर उन्होंने तीन तीरों का इस्तेमाल किया तो ब्रह्मांड का विनाश हो जाएगा। ये जानकर भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को चुनौती दी कि पीपल के इन सभी पत्तों को वेधकर बताओ। बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार की। उनकी परीक्षा लेने के लिए श्रीकृष्ण ने एक पत्ती अपने पैरों के नीचे दबा ली। बर्बरीक ने एक बाण से सभी पत्तियों पर निशान कर दिए और श्रीकृष्ण के पैरों के पास चक्कर लगाने लगे और श्रीकृष्ण से कहा कि एक पत्ता आपके पैर के नीचे दबा हुआ है, अपने पैर हटा लीजिए वरना आपके पैरों पर चोट लग जाएगी।
इसके बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि वे युद्ध में किसकी तरफ से शामिल होंगे। बर्बरीक ने जवाब दिया कि जो पक्ष हारेगा वे उनकी तरफ से युद्ध लड़ेंगे। श्रीकृष्ण को ज्ञात था कि युद्ध में हार तो कौरवों की होनी है, ऐसे में अगर बर्बरीक ने उनके साथ यद्ध लड़ा तो गलत परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने बर्बरीक को रोकने के लिए उनसे दान की मांग व्यक्त की। दान में उन्होंने बर्बरीक का सिर मांगा। बर्बरीक ने कहा कि मैं दान जरूर दूंगा। उन्होंने श्रीकृष्ण के चरणों में अपना सिर काट कर रख दिया और उनसे आखिरी इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे महाभारत का युद्ध अंत तक अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने उनकी इच्छा स्वीकार करते हुए बर्बरीक के सिर को युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी के ऊपर रख दिया जहां से बर्बरीक ने अपनी आंखों से अंत तक महाभारत युद्ध देखा। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध में जीत का श्रेय किसको जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि श्रीकृष्ण के कारण वे युद्ध जीते हैं। श्रीकृष्ण बर्बरीक के इस बलिदान से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का अनमोल वचन दिया।
होली के कुछ दिनों पहले फरवरी -मार्च में यहां खाटू श्याम जी का भव्य मेला आयोजित होता है, जिसमें देश ही नहीं विदेशों से भी बाबा के भक्त उनके दर्शन के लिए आते हैं। फाल्गुन मेला खाटू श्याम जी का मुख्य मेला है यह मेला 5 दिनों के लिए लगाया जाता है जिसमे भक्त श्याम बाबा के साथ होली का त्यौहार मानते हैं।
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अगर आप खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो आपको मंदिर में दर्शन करने का समय जरूर मालूम होना चाहिए। क्योंकि यहां गर्मियों में और सर्दियों में दर्शन का समय अलग-अलग होता है। गर्मियों में मंदिर सुबह 4:30 बजे से दोपहर 12:30 तक भक्तों के लिए दर्शन के लिए खुला रहता है। वहीं शाम को 5 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन होते हैं। जबकि सर्दियों में मंदिर के पट सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक खुले रहते हैं और शाम को 5 बजे से रात 9 बजे तक मंदिर खुला रहता है। वहीं आरती की बात करें तो गर्मियों में मंगल आरती सुबह 4:45 पर होती है, जबकि सर्दियों में आरती का समय बदलकर 5:45 कर दिया जाता है। गर्मियों में भगवान खाटू श्याम का श्रृंगार सुबह 7 बजे होता है तो सर्दियों में सुबह 8 बजे इनका श्रृंगार किया जाता है। गर्मियों में भोग आरती का समय दोपहर 12:15 रखा गया है जबकि सर्दियों में भोग आरती 12:30 पर हो जाती है। गर्मियों में सांध्य आरती शाम 7:30 बजे तो सर्दियों में आरती 6 बजे हो जाती है। गर्मियों में पट बंद होने के दौरान होने वाली शयन आरती रात 10 बजे होती है, जबकि सर्दी के दिनों में पट 9 बजे बंद कर दिए जाते हैं।
महाभारत युद्ध के बाद बर्बरीक का सिर खाटू गांव में दफनाया गया था इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है। एक बार एक गांव में एक गाय अपने स्तनों से इस जगह पर दूध बहा रही थी, जब लोगों ने देखा तो आश्चर्य किया। जब इस जगह को खोदा गया, तो बर्बरीक का कटा हुआ सिर मिला। इस सिर को एक ब्राह्मण को सौंप दिया गया। वह उसकी रोज पूजा करने लगा। एक दिन खाटू नगर के राजा रूपसिंह को स्वप्न में मंदिर का निर्माण कर बर्बरीक का सिर मंदिर में स्थपित करने के लिए कहा गया। कार्तिक महीने की एकादशी को बर्बरीक का शीश मंदिर में सुशोभित किया गया, जिसे बाबा खाटू श्याम जी के नाम से जाना जाने लगा, तब से यह मंदिर प्रसिद्ध हो गया।
खाटू श्याम जी के मंदिर के पास पवित्र तालाब है जिसका नाम है श्यामकुंड। इस कुंड में नहान का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस कुंड में नहाने से मनुष्य के सभी रोग ठीक हो जाते हैं और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है। खासतौर से वार्षिक फाल्गुन मेले के दौरान यहां डुबकी लगाने की बहुत मान्यता है।
खाटू श्याम जी का पवित्र मंदिर जयपुर से 80 किमी दूर खाटू गांव में स्थित है। खाटू श्याम जी पहुंचने के लिए सबसे पास रिंगस रेलवे स्टेशन है। जहां से बाबा के मंदिर की दूरी 18.5 किमी है। रेलवे स्टेशन से आपको खाटू श्याम जी के मंदिर के लिए कई टैक्सी और जीप मिल जाएंगी। आप चाहें तो इनमें शेयरिंग भी कर सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं तो सबसे नजदीकी जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहां से खाटू श्याम जी के मंदिर की दूरी 95 किमी है। अगर आप दिल्ली से बाय रोड खाटू श्याम जी के मंदिर के लिए जा रहे हैं तो आपको यहां पहुंचने में 4.30 से 5 घंटे लगेंगे।
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बाबा श्याम से जुडी जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद...