Kareri Lake In Hindi : करेरी झील, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में धर्मशाला के लगभग 9 किमी उत्तर पश्चिम में धौलाधार श्रेणी में स्थित एक उथली और ताज़ी पानी की झील है, जिसकी सतह समुद्र तल से 2934 मीटर ऊपर है। करेरी झील एक प्रमुख दर्शनीय स्थल होने के अलावा धौलाधार रेंज में एक बेहद लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थल भी है। इस झील में पानी बर्फ पिघलने से मिलता है और यह झील कैफ उथली है इसमें पानी की दृश्यता बहुत अधिक है। हिमाचल प्रदेश की यात्रा करने वाले अधिकांश बैकपैकर्स ट्राइंड या इंद्रहार पास सर्किट ट्रेकिंग के लिए आते हैं, यह करारी झील के लिए एक छोटा ट्रेक है जो शानदार और शांत अनुभव देता है।
करेरी झील विशेष रूप से दिसंबर से मार्च के सर्दियों के महीनों में बेहद आकर्षक आकर्षक दिखाई देती है जब यह जमी होती है और शांति की एक हवा इसे ढंकती है। करेरी झील एक ऐसी जगह है जहाँ की यात्रा पर्यटकों को जरुर करना चाहिए, क्योंकि यह पर्यटकों और खासकर प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है।
करेरी झील का साहसिक ट्रेक पर्यटकों को इस क्षेत्र में रहने वाले समृद्ध वनस्पतियों और जीवों को एक्सप्लोर करने का मौका देता है। झील के आसपास का क्षेत्र हरे-भरे उष्णकटिबंधीय देवदार के जंगलों से घिरा है। इस जंगल में चिर और चिलगोजा पाइंस भरे हुए हैं। करेरी झील के आसपास के क्षेत्रों में पक्षियों की बड़ी विविधता है जो कम कैनोपी के कारण आसानी से देखे जा सकते हैं। पगडंडी के दूसरे भाग में पर्यटक चट्टानी घास के मैदान देख सकते हैं।
करेरी झील के पास के प्रमुख आकर्षणों में एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव और शक्ति को समर्पित है। यह पवित्र और आकर्षक मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहाँ से झील का लुहावना दृश्य दिखाई देता है। झील के दूसरी तरफ आप कुछ गद्दी की कोठियाँ भी देख सकते हैं जो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनका उपयोग गद्दी अपने मवेशियों के लिए चराई के लिए करते हैं। यहाँ का सबसे मुख्य आकर्षण मस्ती भरा और साहसिक ट्रेक है, जब पर्यटक यहाँ पर आते हैं तो वे ट्रेक पर स्थानीय पर्यटन और टिरोलियन ट्रैवर्सिंग जैसे साहसिक गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैं। करेरी झील धौलाधार रेंज में फिर चंबा और भरमौर तक, मिंकियानी दर्रा (समुद्र तल से 4250 मीटर) और बलेनी दर्रा (समुद्र तल से 3710 मीटर) के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए एक बेस के रूप में काम करती है।
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अगर आप करेरी झील की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि यहाँ जाने का सबसे अच्छे समय गर्मियों का मौसम होता है। मई से जुलाई और सितंबर से नवंबर करारी झील की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छे महीने हैं।
करेरी झील की यात्रा करने वाले पर्यटक और हाइकर्स ठहरने के लिए अपने स्वयं के टेंट और शिविर लगाते हैं। झील के अलावा हाइकर्स मंदिर परिसर में भी रुक सकते हैं, लेकिन बता दें कि यह मंदिर ज्यादातर समय बन रहता है। मंदिर का आधारभूत ढांचा बहुत बुनियादी है और इसमें पर्यटकों के ठहरने के लिए दो या तीन स्टोन और ऊँची छतें हैं। यहाँ पर रुकने के एक और अन्य विकल्प गद्दी कोठी है, जो मिंकियानी दर्रे के नीचे झील के दूसरी ओर स्थित है। इसके अलावा सल्ली गांव में स्नो मॉन्क कैंप भी एक अच्छा विकल्प है और यहाँ वो सभी उपकरण हैं जो ट्रेकर्स के लिए आवश्यक होते हैं।
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करेरी झील धर्मशाला का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो पर्यटकों द्वारा बेहद पसंद किया जाता है, अगर आप इस झील के अलावा इसके पास के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को आगे पढ़ें।
सुंदर तालाब और हरे-भरे हरियाली से घिरा भागसुनाग मंदिर मैकलोडगंज से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह भागसुनाथ मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है जो स्थानीय गोरखा और हिंदू समुदाय द्वारा अत्यधिक पूजनीय है। इस मंदिर के पास के दो कुंड को बेहद पवित्र माना जाता है और कहा जाता है कि इनमें उपचार की चमत्कारिक शक्तियाँ हैं। बता दें कि भागसूनाथ मंदिर प्रसिद्ध भागसू झरनों की यात्रा के दौरान रस्ते में पड़ता है और पर्यटक इस मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए रुकते हैं और इसके बाद आगे की यात्रा करते हैं।
करेरी झील से भागसुनाग मंदिर की सिर्फ 47 किलोमीटर है।
अघंजर महादेव मंदिर धौलाधार की तलहटी में खनियारा में धर्मशाला शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। माना जाता है कि लगभग इस मंदिर को 500 साल पहले बनाया गया था, जो वनों के बीच पहाड़ की चोटियों के बीच बसा है। इस मंदिर के अलावा यहाँ पर एक छोटा झरना है जो इस पवित्र स्थल की सुंदरता को बढाता है। मंदिर के पास एक छोटी गुफा में एक शिवलिंग है और इस जगह को भी एक पवित्र स्थल माना जाता है। अघंजर महादेव मंदिर तीर्थयात्रियों के अलावा पर्यटकों भी अपने शांत वातावरण की वजह से आकर्षित करता है। मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता इसे शिव भक्तों के अलावा प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए भी एक खास जगह बनाती है।
करेरी झील से अघंजर महादेव मंदिर की दूरी 49 किलोमीटर है।
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धर्मशाला की राजसी हिमालय पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा एक छोटा सा क्रिकेट स्टेडियम है जो समुद्र तल से 1,457 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। आपको बता दें कि यह क्रिकेट मैदान दुनिया के सबसे ऊंचे खेल मैदानों में से एक है। धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम का दौरा करते समय आपको कुछ अजीब महसूस हो सकता है, लेकिन शानदार प्राकृतिक पृष्ठभूमि और ठंडी हवाएं लगातार मैदान में बहती हैं, जो एचपीसीए स्टेडियम की यात्रा को खास बनती है।
धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम करेरी झील से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वॉर मेमोरियल, करेरी झील से 44 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और धर्मशाला में देखने की खास जगहों में से एक है। यह स्मारक शहर के पास देवदार के जंगलों में स्थित है और यह जगह यात्रा करने के लायक है। यहां एक सुंदर जीपीजी कॉलेज है जिसका निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान किया गया था।यह स्मारक है जो धर्मशाला के प्रवेश बिंदु पर उन लोगों की याद में बनाया गया है जिन्होंने हमारी मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी।
डल झील निचली धर्मशाला से 11 किमी दूर है और पहाड़ियों के पास देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है। यह स्थान ट्रेकिंग और भ्रमण के लिए एक शुरूआती बिंदु है जो वाक के लिए झील के चारों ओर कवर किया गया है। इस झील के किनारे छोटा शिव मंदिर भी स्थित है जहाँ पर हर साल एक शानदार मेला लगता है।
करेरी झील से डल झील की दूरी 49 किलोमीटर है।
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ज्वालामुखी देवी मंदिर के बारे में बताया जाता है कि जब बहुत बुरी आत्माए यहाँ पर आती थी और देवताओं को परेशान करती थी तो भागवान शिव के कहने पर देवताओं ने उन्हें नष्ट करने का फैसला लिया और कई देवताओं ने अपनी शक्ति केद्रित की और वहां पृथ्वी से एक विशाल ज्वाला उत्पन्न हुई। इस ज्वाला से एक लड़की ने जन्म लिया, जिसे अब सीता या पार्वती के नाम से जाना जाता है। सती की जीभ समुद्र तल से लगभग 610 मीटर ऊपर ज्वालाजी में गिरी थी और देवी उस छोटी ज्वाला के रूप में प्रकट हुई थी। माना जाता है कि पांडवों भी इस पवित्र स्थान पर आये थे।
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करेरी झील से ज्वालामुखी देवी मंदिर की दूरी 79 किलोमीटर है।
करेरी झील से भाग्सू फॉल्स जो धर्मशाला में घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। भाग्सू फॉल्स हरियाली और प्रकृति के बीच अपने सबसे प्राचीन रूप में स्थापित है जो राजसी और बेहद भव्य है। धर्मशाला की यात्रा करने वाले सभी पर्यटकों को इस जगह जरुर आना चाहिए।
करेरी झील से भाग्सू फॉल्स की दूरी 47 किलोमीटर है।
नामग्याल मठ, त्सुगलाखंग परिसर के स्थित है जो यहां धर्मशाला के पास पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक है। यह परिसर दलाई लामा के निवास स्थान होने के साथ यहाँ पर मंदिर, किताबों की दुकानों, कई दूसरी दुकानें स्थित हैं।
नामग्याल मठ, करेरी झील से 46 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है।
तिब्बती संस्कृति से परिपूर्ण दलाई लामा मंदिर परिसर जिसे त्सुगलाखंग मंदिर भी कहा जाता है, यह धर्मशाला में एक राजनीतिक-धार्मिक केंद्र है। शांतिपूर्ण ध्यान और धार्मिक प्रार्थना के लिए मंदिर में पहियों या माला मौजूद हैं। दलाई लामा मंदिर परिसर बौद्धों के लिए श्रद्धेय तीर्थ स्थल बन गया है। इसके अलावा यहां का शांतिपूर्ण वातावरण दुनिया भर के पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है।
दलाई लामा मंदिर परिसर, करेरी झील से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कांगड़ा संग्रहालय तिब्बती और बौद्ध कलाकृति के शानदार चमत्कार और उनके समृद्ध इतिहास को बताता है। यह धर्मशाला के बस स्टेशन के पास स्थित है। इस संग्रहालय में आप कई पुराने गहने, दुर्लभ सिक्के यादगार, पेंटिंग, मूर्तियां और मिट्टी के बर्तन जैसी चीज़ें देख सकते हैं।
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धर्मशाला में कांगड़ा से 32 किलोमीटर की दूरी पर मसरूर रॉक कट मंदिर स्थित है जो कि एक पुरातात्विक स्थल है जो वर्तमान में एक खंडहर है। यहां परिसर में इंडो- आर्यन शैली की वास्तुकला में डिज़ाइन किए गए 15 रॉक कट मंदिरों का एक संयोजन है। बताया जाता है कि इन्हे कि इसे 8 वीं शताब्दी में बनाया गया था जो हिंदू देवता शिव, विष्णु, देवी और सौरा को समर्पित हैं। इतिहास प्रेमी और पर्यटकों के लिए यह जगह किस्सी जन्नत से कम नहीं है।
मसरूर रॉक कट मंदिर करेरी झील से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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करेरी झील जाने का सबसे अच्छा तरीका धर्मशाला से गेरा गांव तक एक जीप किराए पर लेना है, जो झील से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। घेरा से आप करेरी (50 रुपये / यात्री) तक एक जीप साझा कर सकते हैं या 500 रूपये में पूरी जीप किराए पर ले सकते हैं।
करेरी झील धर्मशाला पहुंचने के लिए रात भर की ट्रेन यात्रा एक अच्छा विकल्प है। निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन 85 किलोमीटर दूर पठानकोट में है। जम्मू-कश्मीर जाने वाली कई ट्रेनें पठानकोट में रुकती हैं। धर्मशाला पहुँचने के लिए आप पठानकोट से टैक्सी या बस ले सकते हैं। धर्मशाला से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा रेलवे स्टेशन, कांगड़ा मंदिर भी है, लेकिन कोई भी महत्वपूर्ण ट्रेन यहाँ नहीं रुकती है।
करेरी झील या धर्मशाला के लिए गागल हवाई अड्डे और पठानकोट रेलवे स्टेशन पर टैक्सी उपलब्ध हैं। पठानकोट से धर्मशाला पहुंचने में लगभग 3 घंटे का समय लगता है। दिल्ली से चंडीगढ़, कीरतपुर और बिलासपुर से लगभग 12-13 घंटे लग सकते हैं। दिल्ली और शिमला से कई लक्जरी बसें धर्मशाला जाती हैं।
करेरी झील के लिए बस से धर्मशाला के लिए यात्रा करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता। राज्य संचालित बसों के साथ-साथ निजी बस ऑपरेटर नेटवर्क के माध्यम से धर्मशाला दिल्ली और उत्तर भारत के कई शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से धर्मशाला लगभग 520 किलोमीटर की दूरी पर है।
अगर आप करेरी झील धर्मशाला के लिए हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें निकटतम हवाई अड्डा धर्मशाला से लगभग 13 किलोमीटर दूर गग्गल में स्थित है। गग्गल हवाई अड्डा धर्मशाला को एयर इंडिया और स्पाइस जेट की उड़ानों की मदद से दिल्ली से जोड़ता है। अगर आप भारत के अन्य किसी हिस्से आ रहे हैं तो चंडीगढ़ तक उड़ान भरना और धर्मशाला के लिए अपनी यात्रा के लिए टैक्सी बुक करना सबसे अच्छा विकल्प होगा, जो लगभग 275 किलोमीटर दूर है।
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इस आर्टिकल में आपने करेरी झील की यात्रा और इसके आसपास के प्रमुख पर्यटक स्थलों को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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