Kailash Temple In Hindi : कैलास मंदिर महाराष्ट्र का एक प्रमुख मंदिर है जिसकों यहाँ पर 34 गुफा मंदिरों के साथ हाथों के साधनों से पहाड़ी से उकेरा गया था। बता दें कि इन 34 गुफाओं में से केवल 12 सबसे ज्यादा प्रभावशाली हैं। ऐसा माना जाता है कि कैलास मंदिर का निर्माण लगभग खुदाई द्वारा किया गया था। कैलास मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जो कि यहां की 34 गुफाओं में से 16वी गुफा में स्थित हैं। कैलास मंदिर का निर्माण आठवी शताब्दी में राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण प्रथम के द्वारा किया गया था। कैलास मंदिर एलोरा गाँव के पास स्थित है जिसको वास्तुकला के इतिहास में सबसे आश्चर्यजनक ‘इमारतों’ में से एक माना जाता है।
आपको बता दें कि यह मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी अखंड संरचना है जो एक चट्टान पर खुदी हुई है। एलोरा का यह मंदिर औरंगाबाद से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर स्थित हैं। कैलास मंदिर दिखने में इतना आकर्षक है कि यह सिर्फ भारत के लोगों को ही नहीं बल्कि दुनियाभर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
अगर आप एलोरा गुफा में स्थित कैलास मंदिर के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम आपको कैलास मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
कैलास मंदिर का निर्माण लगभग खुदाई द्वारा किया गया था।
कैलास मंदिर को एक अपनी तरह की एक अनूठी संरचना कहा जाता है जिसका निर्माण राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण प्रथम ने 757-783 ई के बीच करवाया था, यह मंदिर एलोरा की लयण-श्रृंखला में स्थित है। आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण करने के लिए लगभग 40 हजार टन बजनी पत्थरों को चट्टान से काटा गया था। कैलास मंदिर का निर्माण सही डेट आज भी कोई नहीं जानता। बताया जाता है कि कैलास मंदिर को बनवाने में करीब 7000 मजदूर लगे थे। कैलास मंदिर शिव को समर्पित है, इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग विराजमान है। सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर हिमालय के कैलास मंदिर की तरह दिखता है।
कैलासा मंदिर के बारे में महाराष्ट्र के लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण एक सप्ताह के अंदर किया गया था। इस मंदिर की कहानी एक रानी से जुड़ी है जिसका पति( राजा नरेश कृष्ण प्रथम) बेहद बीमार था। रानी से अपने पति के ठीक हो जाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। इसके बदले में रानी ने शिव को समर्पित एक मंदिर बनवाने की कसम खाई और मंदिर पूरा होने तक उपवास किया। इसके बाद रानी अपने प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए आगे बढ़ी। रानी के वास्तुविद उसके उपवास के बारे में चिंतित थे, क्योंकि इस तरह के भव्य मंदिर को पूरा करने के लिए एक लंबे समय की आवश्यकता होगी। लेकिन एक वास्तुकार कोकासा नाम के वास्तुकार ने रानी को आश्वासन दिया कि वह एक सप्ताह में मंदिर का निर्माण कर सकता है। कोकसा ने अपनी बात रखी और ऊपर से नीचे तक चट्टान से मंदिर बनाना शुरू किया। इस तरह एक हफ्ते में कैलासा मंदिर बन कर तैयार हो गया।
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कैलास मंदिर की वास्तुकला सिर्फ देश के लोगों को ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों को अपने तरफ आकर्षित करती है। कैलास मंदिर दिखने में जितना आकर्षक है उतनी ही मेहनत इस मंदिर को बनने में लगी थी। बताया जाता है कि इस मंदिर को बनाने में 150 सालों का समय लगा था। वैसे इस मंदिर की खूबसूरती को देखकर आपको इस बात में कोई हैरानी नहीं होगी कि उस समय इस मंदिर को बनाने में इतना समय लगा होगा।
बता दें कि कैलास मंदिर दो मंजिला इमारत है जो पूरी दुनिया में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए नानी जाती है। बताया जाता है कि मंदिर के निर्माण में कई पीढ़ियों का योगदान रहा है। मंदिर की उंचाई 90 फीट है। इस मंदिर खुले मंडप में नंदी स्थित हैं और उसके दोनों तरफ विशाल हाथी और स्तम्भ स्थित हैं। मंदिर के आँगन में तीन तरफ कोठियां बनी हुई हैं।
सप्ताह के सभी दिन मंगलवार को छोड़कर : सुबह 7:00 – शाम 6:00 बजे
कैलास मंदिर या एलोरा की गुफाओं में प्रवेश के लिए भारतीयों को प्रवेश शुल्क के रूप में 10 रूपये देने होंगे वही विदेशियों के लिए 250 रूपये इसका शुल्क भुगतान करना होगा।
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एलोरा गुफा में घूमने की जगह रावण की खाई यहां के प्रसिद्ध कैलासा मंदिर से 350 मीटर की दूरी पर और एलोरा गुफाओं के बस स्टैंड से 400 मीटर की दूरी पर गुफा 14 में हैं। जोकि गुफा 12 के नजदीक ही स्थित है। गुफा संख्या 13 से 29 में हिन्दू धर्म से सम्बंधित सभी 17 गुफाएं हैं। यह गुफाएं हिन्दू धर्म ग्रथों को प्रदर्शित करती हैं। गुफा 14, 15, 16, 21 और 29 कैलाश मंदिर के चारो तरफ फैली हुई हैं। रावण के रूप में जाने जानी वाली गुफा 14 को 7 वीं शताब्दी के दौरान बौद्ध विहार से परिवर्तित किया गया था।
एलोरा की प्रसिद गुफाओं में शामिल विश्वकर्मा गुफा बस स्टॉप से 600 मीटर और कैलासा मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। एलोरा की यह 10वी गुफा हैं और यह गुफा 9 के नजदीक स्थित हैं। यह गुफा एलोरा की बौद्ध गुफाओं में सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। विश्वकर्मा गुफा को सुतार का झोपड़ा के नाम से भी प्रसिधी मिली हैं। सातवी शताब्दी में निर्मित की गई गुफाओं में से यह एक मात्र हैं। गुफा के प्रांगण में भगवान बुध का एक मंदिर हैं।
एलोरा केव्स का प्रमुख पर्यटन स्थल इंद्रा सभा कैलासा मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर गुफा संख्या 32 में स्थित हैं जोकि एक जैन गुफा है। गुफा संख्या 32 कैलास मंदिर के उत्तर में स्थित हैं। नौवी और दसवी शताब्दी के दौरान की पांच जैन गुफाएं एलोरा में स्थित हैं जोकि सभी दिगंबर संप्रदाय के हैं। यहां का सबसे फेमस जैन मंदिर छोटा कैलाश ( 30), इंद्र सभा ( 32) और जगन्नाथ सभा (33) में स्थित हैं।
एलोरा में घूमने वाली जगह गुफा संख्या 33 एक जैन गुफा हैं जोकि इंद्र सभा (32) के नजदीक स्थित हैं। यह गुफा कैलास मंदिर और एलोरा बस स्टैंड से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। गुफा संख्या 33 एलोरा में जैन गुफाओ में दूसरी सबसे बड़ी गुफा हैं जिसे जगन्नाथ सभा के रूप में भी जाना जाता है। इस गुफा की अदालत इंद्र सभा की तुलना में छोटी हैं। गुफा में पांच स्वतंत्र मंदिर हैं। गुफा संख्या 34 एक छोटी गुफा हैं जिसे गुफा संख्या 33 के वाई ओर एक उद्घाटन के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है।
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एलोरा में देखने लायक स्थान में धो ताल गुफा एक आकर्षित पर्यटक स्थल है जोकि एलोरा बस स्टैंड और कैलाश मंदिर से लगभग 600 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। गुफा संख्या 11 गुफा संख्या 10 के ठीक बगल में स्थित है। यह गुफा एलोरा में बौद्ध धर्म से सम्बंधित 12 गुफाओं में से एक हैं। गुफा संख्या 11 के दो स्तर हैं और इसलिए इसे पहले दो ताल या दो मंजिला के रूप में जाना जाता है। 1876 ईस्वी में इस गुफा के एक तहखाने का स्तर खोजा गया है और यह कुल मंजिलों को तीन तक लाता है। लेकिन इसके बाद भी अभी इसका नाम दो ताल ही बना हुआ हैं। सन 1877 में आंशिक रूप से इसकी खुदाई की गई थी।
एलोरा में घूमने वाली जगहों में गुफा संख्या (12) जिसे टीन ताल नाम से भी जाना जाता हैं। यह एलोरा या पूरे महाराष्ट्र का सबसे बड़ा मठ परिसर हैं। इसमें एक 118 फीट लंबा और 34 फीट चौड़ाई वाला एक विशाल हॉल है। पहली मंजिल की ओर की दीवारों पर 9 कक्ष व्यवस्थित हैं। इसके हॉल को 8 वर्ग खंभों की पंक्तियों के रूप में तीन गलियारों में विभाजित किया गया है। यह गुफा 11 के पास स्थित हैं।
एलोरा गुफा का प्रमुख पर्यटन स्थल, गुफा संख्या 29 एक हिन्दू गुफा हैं। इस गुफा को धुमर लेना के रूप में भी जाना जाता है। गुफा संक्या 29 सीता-की-नाहणी की ओर से एलोरा का एक प्रमुख उत्खनन है जोकि “एलांगा नदी” के झरने के द्वारा बनाया गया हैं। छठी शताब्दी के उत्तरार्ध में गुफा संख्या 29 मुंबई के एलिफेंटा गुफा से प्रभवित हैं। यह कैलाश मंदिर और एलोरा बस स्टैंड के नजदीक ही हैं।
यह गुफा भगवान शंकर को समर्पित है। इसी गुफा में भगवान भोले नाथ की एक लिंग के रूप पूजा अर्चना की गई थी। गुफा में एक मंच के ऊपर भोले नाथ के लिंग के ठीक सामने नंदिस्वर महाराज को स्थापित किया गया हैं। गुफा के अंदर एक आयत के आकार का एक गर्वाग्रह और मंडप बना हुआ हैं। देवी गंगा और देवी यमुना की मूर्ती मंदिर के प्रवेश द्वार पर बनी हुई हैं।
एलोरा गुफा से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्रिनेस्वर ज्योतिर्लिंगा या ग्रुनेश्वर मंदिर यहां का एक प्रमुख पर्यन स्थल है। यह दर्शनीय हिन्दू मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के वेरुल गांव में स्थित हैं। शिवपुराण में वर्णित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता हैं। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित किया गया हैं। ग्रिशनेश्वर मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी के दौरान छत्रपति शिवाजी के दादा मालोजी राजे भोसले द्वारा किया गया था।
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एलोरा में स्थित दशावतार गुफा हिन्दू धर्म से संबधित हैं जोकि गुफा संख्या 14 के नजदीक स्थित हैं। गुफा संख्या 13-29 सभी हिन्दू धर्म से सम्बंधित गुफा हैं जोकि पहाड़ी के पश्चिमी छोर पर हैं। गुफा संख्या 15 को दशावतार गुफा के रूप में जाना जाता हैं। जोकि राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग के समय काल की हैं। यह गुफा भगवान शिव और भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों के लिए जानी जाती हैं। यह एक दो मंजिला ईमारत हैं जिसके प्रांगण में एक अखंड नदी मंडप हैं। प्रारंभ में यह एक बौध मठ था लेकिन बाद में शिव मंदिर के रूप में तब्दील हो गया।
एलोरा में देखने के लिए गुफा संख्या 1 से 5 तक बहुत महत्वपूर्ण हैं। एलोरा में सबसे पहले उत्खनन का काम बौद्धों ने किया था। उन्होंने 450 ए डी से लेकर 700 ए डी तक उत्खनन का कार्य किया था। बौद्ध धर्म के अनुयाइयों द्वारा 12 गुफाओं की खुदाई का काम किया गया था। ये गुफाएं एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। गुफा संख्या 1 से 5 को पहले 12 के बीच में जबकि 6-12 को एक अलग समूह में रखा गया हैं। इन संरचनाओं में अधिकतर विहार या मठ शामिल हैं।
एलोरा में घूमने वाली जगहें गुफा संख्या 6 से 9 यहाँ कि प्रमुख हैं। इन संरचनाओं में अधिकतर विहार या मठ शामिल हैं। पहाड़ के ऊपर बड़ी – बड़ी बहुमंजिला ईमारत बनी हुई हैं इनमे रहने वालो में स्लीपिंग क्वार्टर, रसोई और अन्य कमरो के साथ साथ कुछ मठ गुफाएं भी हैं। गुफा संख्या 6 का निर्माण सातवी शताब्दी में किया गया था और एलोरा में दो प्रमुख मूर्तियों का स्थान बना हुआ हैं। वाई साइड दयालु देवी तारा हैं और उसके सामने दाई साइड महामयूरी सीखने के लिए बौद्ध देवी हैं। यह गुफाएं कैलाश मंदिर से 500 की दूरी पर स्थित हैं।
एलोरा की गुफा संख्या 17 यहां के प्रसिद्ध कैलास मंदिर के उत्तर में स्थित एक विशाल गुफा हैं जोकि भगवान शंकर को समर्पित है। यह गुफा अपने आकर्षित द्वार और स्तंभों के लिए अति-लौकप्रिय हैं। चार खम्भों कि तीन पंक्तियाँ और पीछे गलियारा है। मंदिर का दरवाजा साहसिक द्रविड़ शैली में बनाया गया हैं। जबकि गुफा संख्या 18 एक अत्यंत समतल गुफा है जोकि आठवी शताब्दी के राष्ट्रकूट गर्भाधान की निशानी के रूप में जानी जाती हैं। गुफा संख्या 19 एक विशाल चौकोर गड्ढा में स्थित एक बड़ा लिंगम है। गुफा संख्या 20 एक छोटा लिंग मंदिर है।
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एलोरा में देखने के लिए गुफा संख्या 22 जोकि नीलकंठ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। यहां पर खड़े क्षतिग्रस्त नंदिस्वर कि मूर्ती हैं। इस हॉल की दीवारों पर भगवान गणेश, तीन देवियों और चार सशस्त्र विष्णु की मूर्तियां स्थापित हैं। गुफा संख्या 23 में पांच दरवाजों के साथ एक आंशिक रूप से दोहरा बरामदा है, जिसमें छोटी कोशिकाए प्रवेश करती हैं। गुफा संख्या 24 में एक श्रंखला है जिसमे तेलमैन की चक्की, तेली-का-गण नामक पांच निम्न कोशिकायें हैं। गुफा संख्या 25 को कुंवरवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भगवान सूर्य को दर्शाया गया हैं जिसमे उनके रथ को 7 घोड़ो द्वारा खींचा जा रहा हैं। केव्स 26 गर्भगृह में एक बड़ा चौकोर कुरसी और लिंग है। गुफा संख्या 27 को एक मिल्कमिड की गुफा के नाम से भी जाना जाता है। गुफा संख्या 28 एक चट्टान के नीचे है जिस पर धारा प्रवाहित (गिरती) होती है। इस खूबसूरत झरने को सीता-की-नहानी भी कहा जाता है।
गुफा संख्या 30 जैन गुफाओं की श्रृंखला में पहली गुफा है। जोकि छोटा कैलास के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। यह हिंदू धर्म से सम्बंधित कैलास मंदिर का अधूरा संस्करण हैं। गुफा संख्या 30 कैलास मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर पर स्थित है।
औरंगजेब का मकबरा खेडाबाद में शेख ज़ैनुद्दीन की दरगाह या मंदिर के परिसर में एलोरा गुफा से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। औरंगजेब मुगल वंश के 6वें शासक थे जिन्होंने 1618 से 1707 ए डी तक शासन किया था। 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। इस स्थान को देखने के लिए पर्यटक औरंगजेब की कब्र को देखने के लिए आते हैं।
एलोरा गुफा के नजदीक ही स्थित श्री भद्र मारुति मंदिर भगवान हनुमान जी महाराज को समर्पित है। हनुमान जी महाराज की मूर्ती का चित्रण सोने से किया गया हैं। मंदिर में पवन पुत्र हनुमान को विश्राम की अवस्था में देखा जा सकता हैं। यह मंदिर एलोरा केव्स लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर और औरंगजेब के मकबरे के पास स्थित हैं।
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एलोरा गुफा से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खुल्दाबाद को संतों की घाटी या अनंत काल के निवास के रूप में भी जाना जाता है। 14 वीं शताब्दी के दौरान इसे सूफी संतों ने अपने निवास स्थानों के रूप बनाया था।
अगर आप कैलास मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहा हैं तो आपके मन में ख्याल आएगा कि यहां जाने के लिए सबसे अच्छा समय कौनसा है ? तो बता दें कि यह गुफाएं पर्यटकों के लिए पूरे साल खुली रहती हैं। लेकिन अक्टूबर से फरवरी के दौरान अच्छी जलवायु और ठंडे मौसम होने की वजह से यहां आने वाले पर्यटकों की उपस्थिति पूरे साल की अपेक्षा काफी ज्यादा होती है। मार्च से जून तक गर्मी का मौसम होता है जिसमें यहां दिन के समय का तापमान 40 ° C से अधिक हो जाता है। इसके बाद जून के अंत से अक्टूबर मानसून का मौसम रहता है।
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कैलास मंदिर एलोरा की 16 वी गुफा में स्थित है और यहाँ घूमने जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
अगर आप हवाई मार्ग द्वारा कैलास मंदिर यात्रा करने का सोच रहे हैं, तो बता दें कि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद का है। यहां से एलोरा की गुफाओं की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। औरंगाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद आप किसी भी बस या टैक्सी की मदद से गुफाओं तक पहुंच सकते हैं। औरंगाबाद के लिए आपको मुंबई और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से सीधी उड़ाने मिल जाएंगी। इन दोनों हवाई अड्डों की भारत में सभी महत्वपूर्ण शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है।
यदि आपने कैलास मंदिर जाने के लिए रेल मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि औरंगाबाद रेलवे स्टेशन मुंबई और पुणे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जलगांव रेलवे स्टेशन एलोरा के सबसे निकटतम स्टेशन हैं। यहां से आप बस या टैक्सी के रूप में विकल्प चुन सकते हैं।
यदि आपने कैलास मंदिर जाने के लिए सडक मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बात दें कि औरंगाबाद अजंता से केवल 100 किमी और एलोरा से 30 किमी कि दूरी पर है। अजंता एलोरा की गुफाएं तक पहुंचने के लिए आप स्थानीय टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या राज्य परिवहन द्वारा संचालित कि जाने वाली बसों से अपना सफर कर सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने महाराष्ट्र के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर की यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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