Jahaz Mahal In Hindi, जहाज महल मांडू, मध्यप्रदेश के धार जिले में मांडव क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक किला हैं। जहाज महल मंडाव का एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है इसलिए इसे मंडाव का किला और मांडू महल के नाम से भी जाना जाता है। मांडू महल बाज बहादुर और रानी रूपमती के अमर प्रेम का प्रतीक है। मांडू का किला एक जहाज के आकार का हैं जोकि प्राचीन समय में मानव द्वारा बनाए गए दो तालाबो के बीच में निर्मित किया गया है। जहाज महल को “हिडोला महल” की पहचान इसकी टेडी दीवारों के कारण मिली हैं। इस किले पर शासन करने वाले पहले इस्लामिक सुल्तान होशंगशाह गौरी थे जिन्होंने 1406-1435 के दौरान यहाँ शासन किया था। मांडू के किले की आकर्षित संरचना और ऐतिहासिक महत्व पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं जबकि नर्मदा नदी के तट पर बसे होने की वजह से इसका आकर्षण और अधिक बढ़ जाता हैं।
मंडाव शहर का प्राचीन नाम मांडवगढ़ था जोकि दुनिया का सबसे बड़े किलों का शहर के नाम से जाना जाता था। दुनिया भर से हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक यहाँ मांडू जहाज महल घूमने के लिए आते हैं। मांडू में रानी रूपमती महल, हिंडौला महल, होशंगशाह का मकबरा आदि प्रमुख आकर्षण हैं। यदि आप मांडू का किला घूमने और और इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
मांडू के किले(जहाज महल) का इतिहास लगभग 10 वीं शताब्दी से माना जाता है जब राजा भोज ने मांडू को एक किले के रूप में स्थापित किया था। राजा भोज के अनुसार मांडू सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता था। सन 1304 में राजा भोज को हराकर दिल्ली के मुस्लिम शासकों ने मांडू पर जीत हासिल कर ली थी। इसके बाद 13 वीं शताब्दी में मांडू शहर का नाम मालवा के सुल्तानों द्वारा खुशियों का शहर रखा गया था। सन 1526 में गुजरात के बहादुर शाह ने मांडू के किले (जहाज महल) पर अपना अधिपत्य जमा लिया था। मांडू पर कई राजाओं ने राज्य किया परन्तु बाज बहादुर एक मात्र स्वतंत्र शासक बने जिन्होंने मांडू पर सबसे ज्यादा समय तक अपना अधिकार जमाए रखा।
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मांडू महल की संरचना तालाब में तैरते हुए जहाज की तरह प्रतीत होती हैं। मांडू का किला तालाब के बीच में बनी हुई एक आकर्षित संरचना हैं। जहाजनुमा 100 मीटर लम्बी संरचना को दूर से देखने पर यह पानी में खड़े हुए एक विराट (विशाल) जहाज की भाती दिखाई देता है। मांडू की खूबसूरत संरचना देखते ही बनती है। मांडू शहर में प्रवेश करने के लिए 12 दरवाजे है जोकि 45 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए है। उनमे से जो मुख्य दरवाजा है। इसके मुख्य दरवाजे दिल्ली दरवाजा के नाम से जाना जाता है और अन्य दरवाजे रामगोपाल दरवाजा, जहांगीर दरवाजा और तारापुर दरवाजा कहलाता है। ऐसा कहा जाता है की ये दरवाजे घुमावदार मोड़ पर स्थित है इसलिए यहाँ आते ही हाथियों की गति धीमी हो जाती थी। इन दरवाजो का निर्माण सन 1405 से सन 1407 के दौरान करबाया गया था।
जहाज़ महल पर्यटकों के लिए सुबह 6 बजे से शाम के 7 बजे तक खुला रहता है। अगर आप जहाज़ महल मांडू अच्छे से घूमना चाहते है तो कम से कम 2 घंटे का समय आपके पास होना बहुत जरुरी है।
मांडू के प्रसिद्ध किले का निर्माण राजा बाज बहादुर ने 16 वीं शताब्दी में अपनी रानी रानी रूपमती की याद में करवाया था।
मंडाव शहर अपने प्रसिद्ध किलों के लिए प्रसिद्ध है। मंडाव का सबसे आकर्षक किला रानी रूपमती का महल है जिसे बाज बहादुर ने बनबाया था। मांडू किला महल राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती के अमर प्रेम की कहानी से जुड़ा हुआ है। इस किले के अलावा भी मांडू में अनेकों ऐसे आकर्षक स्थान है जो मांडू की प्रसिद्धि का कारण है।
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जहाज महल मांडू के आसपास घूमने के लिए आपको मांडू शहर के कई ऐतिहासिक और आकर्षित पर्यटन स्थल मिलेंगे जोकि पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। आप इन खूबसूरत स्थानों पर घूमने के लिए जा सकते हैं।
रानी रूपमती का मंडाव मांडू का सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाला किला है। रानी रूपमती और मांडू के राजा बाज बहादुर की प्रेम कहानी के लिए इस महल को जाना जाता हैं। प्राचीन इतिहासकारों द्वारा बताया गया था की रानी रूपमती बहुत ही खूबसूरत महिला थी और एक हिन्दू गायिका भी थी। रानी रूपमती से मोहित होकर बाज बहादुर ने उनसे विवाह कर लिया था। माना जाता हैं कि रानी रूपमती को नर्मदा नदी के दर्शन किए पानी का एक घूंट भी नही पीती थी। यही प्रमुख कारण था जिसकी वजह बाज बहादुर ने नर्मदा नदी के तट पर इस महल का निर्माण करबाया जहां से रानी नर्मदा नदी के दर्शन कर सके। रानी रूपमती महल बलुआ पत्थर से बने मंडप की की सुन्दर संरचना हैं।
बाज बहादुर महल का निर्माण राजा बाज बहादुर द्वारा 16वीं शताब्दी में कराया गया था। बाज बहादुर महल मांडू के सबसे आकर्षक और दर्शनीय स्थानों में से एक है। बाज बहादुर महल ऊँचे छतों और बड़े-बड़े हॉल के साथ अपने सुन्दर आंगनों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। बाज बहादुर महल रानी रूपमती महल के निचे स्थित है जिसे रानी रूपमती के मंडप से आसानी से देखा जा सकता है। मांडू के अंतिम स्वतंत्र नेता बाज बहादुर के इस महल में इस्लामिक शैली देखने को नही मिलती बल्कि यह राजस्थानी शैली में डिजाईन किया गया महल है।
जहाज महल मांडू का बहुत ही आश्चर्यजनक महल है। इस महल का निर्माण मांडू सुल्तान गियास-उद-दीन खिलजी द्वारा करवाया गया था। जहाज महल दो तालाबों के बीच बना हुआ है जोकि पानी में तैरते हुए जहाज के जैसा दिखाई देता है। जहाज महल को शिप पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। इसकी अद्भुत संरचना के कारण जहाज महल मांडू के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक बन गया है जहां हर साल पर्यटक घूमने आते है।
जामा मस्जिद को होशंगशाह गौरी के मकबरे के नाम से भी जाना जाता है। जामा मस्जिद का निर्माण होशंगशाह गौरी द्वारा शुरू किया गया था जोकि मांडू का प्रथम इस्लामिक सुलतान था। परन्तु इस मस्जिद के निर्माण कार्य को पूरा करने का श्रेय मोहम्मद खिलजी को जाता है। खूबसूरत लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद आज भी मांडू के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
हिंडोला महल मांडू का बहुत ही आकर्षक और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जिसका निर्माण बलुआ पत्थरों द्वारा किया गया था। हिंडोला महल का निर्माण होशंगशाह के शासन के समय शुरू हुआ था और गियास-अल-उद-दीन के शासन काल में समाप्त किया गया था। हिंडोला महल की टेढ़ी दीवारों के कारण इस महल को हिंडोला महल या झूला महल कहा जाता है। महल के चारों और कई देखने लायक आकृतियाँ बनी हुई है।
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रीवा कुण्ड मांडू का वह कुण्ड है जो पर्यटकों को आश्चर्य में डाल सकता है। राजा बाज बहादुर द्वारा बनबाया गया रीवा कुण्ड रानी रूपमती महल के नीचे स्थित है। रीवा कुण्ड से ही रानी रूपमती मंडप महल में जल की पूर्ती होती थी।
अशर्फी महल मांडू के उन लोकप्रिय स्थानों में से एक है जिसे महमूद शाह खिलजी द्वारा बनाया गया था। अशर्फी महल शिक्षा को बढ़ाबा देने के उद्देश्य से बनाया गया था ताकि मांडू की जनता में शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो सके। इस महल की वास्तुकला देखने लायक थी लेकिन अब यह महल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। खंडहरों के रूप में दिखने वाला यह महल आज भी लोकप्रिय स्थानों में गिना जाता है।
जैन मंदिर मांडू के प्राचीन जैन तीर्थों में गिना जाने वाला आकर्षक पर्यटन स्थल है। जैन मंदिर में प्रसिद्ध जैन तीर्थकरों की सोने, चांदी और संगमरमर की मूर्तियाँ स्थापित है। जैन मंदिर में एक ऐतिहासिक संग्रहालय भी स्थित है जिसका नाम थीम पार्क ऐस्क जैन संग्रहालय है। जैन मंदिर पहाड़ों के ऊपर स्थित होने के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
श्री चतुर्भुज राम मंदिर मांडू में स्थित है जोकि दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमे राम भगवान की चार भुजाओं वाली प्रतिमा स्थापित है। यही कारण है कि यह दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में शामिल है। श्री चतुर्भुज राम मंदिर का निर्माण मधुकर शाह ने 17वी शताब्दी में करवाया था।
होशंगशाह का मकबरा मांडू का बहुत ही आकर्षक स्थान है जहां प्रसिद्ध सुल्तान होशंगशाह की समाधि है। इसी मकबरे से प्रेरित होकर शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण करवाया था। होशंगशाह मकबरा संगमरमर से बना हुआ है। इसमें कब्र के सबसे ऊपर आधे चन्द्रमा के मुकुट के समान संरचना है जोकि अफगानी शैली में बनी हुई है।
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अगर आप मांडू का किला घूमने जाने का सही समय जानना चाहते है तो हम आपको बता दे कि मांडू का किला घूमने जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च महीने के बीच का माना जाता है। क्योंकि समय के दौरान मौसम सुखद और अनुकूल रहता हैं जिसमे आप मांडू की यात्रा आसानी से सुखद माहौल में कर सकते है ।
मांडू के प्रसिद्ध भोजन में मुख्य रूप से पोहा, दाल-बाफले, दाल-बाटी और मीठे पकवानों में मालपुआ बहुत लोकप्रिय व्यंजन है। मांडू में पर्यटकों को शाकाहारी व्यंजन ज्यादा देखने को मिलेगा।
मांडू का किला और यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल घूमने के बाद यदि आप यहाँ किसी आवास स्थान की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि मांडू में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल आसानी से मिल जाएंगे है। आप अपने बजट के अनुसार गेस्ट हाउस और लक्जरी होटलों में रुक सकते हैं।
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मांडू का किला घूमने जाने के लिए पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते है। तो आइये जानते है की हम फ्लाइट, ट्रेन और सड़क मार्ग से मांडू केसे पहुचें –
अगर आपने मांडू का किला जाने के लिए हवाई मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि मांडू का सबसे निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डा (Devi Ahilya Bai Holkar Airport) है जोकि इंदौर शहर में स्थित है। मांडू से देवी अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डे की दूरी लगभग 96 किलोमीटर हैं। आप इस हवाई अड्डे से किसी स्थानीय साधन के माध्यम से मांडू आसानी से पहुँच सकते है।
अगर आपने मांडू का किला जाने के लिए रेलवे मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि मांडू का अपना कोई रेलवे स्टेशन नही है। परन्तु मांडू के सबसे नजदीक रतलाम रेलवे स्टेशन है जोकि मांडू से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। रतलाम से आप किसी बस या टैक्सी के माध्यम से मांडू आसानी से पहुँच सकते है।
मांडू सड़क मार्ग द्वारा भारत के सभी प्रमुख शहरों अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है आप बस या किसी अन्य साधन से सड़क मार्ग के माध्यम से आसानी से मांडू पहुँच सकते है।
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इस आर्टिकल में आपने मांडू किला का इतिहास और इसकी यात्रा से जुड़ी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट करके जरूर बतायें।
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