Prithviraj Chauhan In Hindi, पृथ्वीराज तृतीय, पृथ्वीराज चौहान के नाम से प्रसिद्ध भारत के सबसे महान राजपूत शासकों में से एक था। जिन्होंने अपने जीवनकाल के दोरान राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों पर शासन किया था। अपनी वीरता के लिए जाने जाने वाले, पृथ्वीराज चौहान की अक्सर एक बहादुर भारतीय राजा के रूप में प्रशंसा की जाती है, जो मुस्लिम शासकों के आक्रमण के खिलाफ खड़े थे। उन्हें व्यापक रूप से एक योद्धा राजा के रूप में जाना जाता है और उन्हें अपनी पूरी ताकत से मुस्लिम आक्रमणकारियों का विरोध करने का श्रेय दिया जाता है।
पृथ्वीराज चौहान के बारे में संक्षिप्त विवरण – Prithviraj Chauhan Summary in Hindi
- पृथ्वीराज चौहान का जन्म कब हुआ था – 1166
- जन्म स्थान – गुजरात
- पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु – 1192
- पृथ्वीराज चौहान के पिता – सोमेश्वर चौहान
- पृथ्वीराज चौहान की माता – कपूरा देवी
- पृथ्वीराज चौहान की पत्नी – संयोगिता
- पृथ्वीराज चौहान की संतान – पुत्र गोविन्द चोहान
- जीवनकाल – 26 बर्ष
- पराजय – मुहम्मद गोरी
- पृथ्वीराज चौहान की तलवार की लम्बाई और वजन –38 इंच लम्बी और 60 किलो वजनी
- पृथ्वीराज चौहान के घोड़े का नाम – बादल
- पृथ्वीराज चौहान के भाले का वजन – 80 किलो
- पृथ्वीराज चौहान के कवच का वजन – 72 किलो
पृथ्वीराज चौहान के वंशज – Prithviraj Chauhan Ke Vansaj
पृथ्वी राज चौहान (मूल रूप से पृथ्वी राज तृतीय) चौहानों के वंश में अंतिम शासक था। पृथ्वी राज चौहान के पिता सोमेश्वर चौहान और उनके दादा अंगम सिंह चोहान हुए। जिन्होंने 12 वीं शताब्दी में दिल्ली और अजमेर की राजधानियों पर शासन किया था।
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास – Prithviraj Chauhan History In Hindi
पृथ्वी राज चौहान (मूल रूप से पृथ्वी राज तृतीय) चौहानों के वंश में अंतिम शासक था। जिन्होंने 12 वीं शताब्दी में दिल्ली और अजमेर की जुड़वां राजधानियों पर शासन किया था। और पृथ्वी राज चौहान को 1192 में तराइन की दूसरी लड़ाई में हारने के बाद मोहम्मद गोरी की घुरिद सेना द्वारा मार दिया गया था। और उन्हें वीर गति की प्राप्ति हुई थी।
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पृथ्वीराज चौहान का जन्म – Prithviraj Chauhan Birth In Hindi
दिल्ली के सिंहासन पर बैठने के लिए चौहान वंश के अंतिम शासक पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 में अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान और कपूरा देवी के पुत्र के रूप में हुआ था। माना जाता है की राजा सोमेश्वर चौहान ने अपने पुत्र के भविष्य को जानने के लिये विद्वान पंडितो को बुलाया था जहाँ पंडितो ने भविष्य देखते हुए उनका नाम पृथ्वीराज चौहान रखा था। वह बचपन से ही एक प्रतिभाशाली बच्चा था जो सैन्य कौशल सीखने में बहुत तेज था।
पृथ्वीराज चौहान की शिक्षा व शस्त्र विधा – Weapon Training Of Prithviraj Chauhan In Hindi
पृथ्वीराज चौहान ने 5 बर्ष की उम्र से उन्होंने सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ” से वर्तमान में जो (अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ नामक एक ‘मस्जिद’ है) शिक्षा प्राप्त की थी। जहाँ उन्होंने अपने गुरु श्री राम जी से शिक्षा के अलावा शस्त्र विधा भी प्राप्त थी। उन्होंने संस्कृत, प्राकृत, मागधी, पैशाची, शौरसेनी और अपभ्रंश भाषा सहित छह भाषाओँ और मीमांसा, वेदान्त, गणित, पुराण, इतिहास, सैन्य विज्ञान और चिकित्सा शास्त्र का ज्ञान भी प्राप्त किया था साथ ही पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चलाने, अश्व व हाथी नियंत्रण विद्या में भी निपुण थे।
पृथ्वीराज चौहान का राज्य सिंहासन – Kingdom Of Prithviraj Chauhan In Hindi
1179 में पृथ्वीराज चौहान के पिता की एक लड़ाई में मृत्यु हो जाने के कारण तेरह वर्ष की आयु में वह अजमेर के सिंहासन पर विराजमान हुए। और उन्होंने एक बार बिना किसी हथियार के एक शेर को मार दिया था। तब से उन्हें एक वीर योद्धा राजा के रूप में जाना जाने लगा था। उन्होंने केवल तेरह वर्ष की आयु में ही गुजरात के राजा भीमदेव को हराया था। दिल्ली के शासक और उनके दादा अंगम ने उनके साहस और बहादुरी के बारे में सुनकर उन्हें दिल्ली के सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित किया। जहाँ उन्होंने एक मजबूत राजपूत साम्राज्य का निर्माण किया और उनके साम्राज्य का विस्तार मुख्य रूप से भारत के उत्तर-पश्चिम में हुआ। जहाँ उनके साम्राज्य में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश भी शामिल थे।
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पृथ्वीराज चौहान का प्रेम प्रसंग – Prithviraj Chauhan And Sanyogita Ki Prem Kahani
जब पृथ्वीराज के वीरता का वर्णन पुरे देश में चारो और फैला हुआ था जिनके बारे में सुनकर पृथ्वीराज चौहान के शत्रु जयचंद की बेटी संयोगिता उनसे मन ही मन स्नेह करने लगी थी। और दूसरी और राजा जयचंद ने स्वयंवर के माध्यम से अपनी बेटी संयोगिता के विवाह करने की घोषणा कर दी थी। परन्तु जयचंद पृथ्वीराज चौहान का विरोध करता था इसीलिए उन्हें स्वयंवर में आमंत्रित नही किया गया था। तो स्वयंवरकाल के समय हाथ में बरमाला लिए संयोगिता जब सभी राजायो की तरफ देख रही थी तो तभी उनकी दृष्टि पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति पर पड़ती है और संयोगिता ने वह बरमाला जाकर पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति को पहना देती है। और उन्हें अपना पति चुन लेती है जिसके बाद पृथ्वीराज चौहान उसी समय घोड़े पे सबार होकर राजमहल में प्रवेश करते है और सभी राजायो को युद्ध के लिए ललकारते हुए राजकुमारी संयोगिता को लेकर अपने महल की और निकल पड़ते है।
पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी का युद्ध – Moinuddin Chishti And Prithviraj Chauhan Battle In Hindi
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच पहेला युद्ध (तराइन का प्रथम युद्ध)
पृथ्वीराज चौहान के द्वारा अपने साम्राज्य का विस्तार करने के बाद, मुहम्मद गोरी ने 1191 में भारत पर हमला किया और जिस दोरान मुहम्मद गोरी तराइन की पहली लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा। मुहम्मद गोरी की सेना को हराने के बाद उसे पीछे हटने वाली सेना पर हमला करने के लिए कहा गया था, लेकिन सही राजपूत परंपरा में पृथ्वीराज चौहान ने ऐसा करने से इनकार कर दिया क्योंकि यह उचित युद्ध नियमों के अनुरूप नहीं था। और पृथ्वीराज चौहान उसे क्षमा करके छोड़ दिया था।
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी की आखिरी लड़ाई (तराइन का द्वितीय युद्ध)
1191 में तराइन की पहली लड़ाई में हार का सामना करने के बाद मुहम्मद गोरी ने 1192 में फिर से पृथ्वीराज चौहान पर फिर से हमला कर दिया और वीरता के साथ कठोर संघर्ष करने के बाद भी पृथ्वीराज चौहान को हार का सामना करना पड़ा, और उन्हें मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया जिसके दोरान उन्हें अत्यंत यातनाएं दी गई और लाल गर्म लोहे की राड़ो से उनकी आखों को जलाया गया जिस कारण बह अंधे हो गये थे।
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु – Prithviraj Chauhan Death Story In Hindi
पृथ्वीराज चौहान को मुहम्मद गोरी के 1192 में तराइन के द्वितीय युद्ध के दोरान पृथ्वीराज चौहान को हार का सामना करना पड़ा, और उन्हें मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया जिसके दोरान उन्हें अत्यंत यातनाएं दी गी गई और जहाँ लाल गर्म लोहे की राड़ो से उनकी आखों को जलाया गया जिस कारण बह अंधे हो गये थे। तो उस दोरान मुहम्मद गोरी के आदेश पर प्रताप सिंह ने पृथ्वीराज चौहान को इस्लाम धर्म स्वीकार करने का कहा गया परन्तु पृथ्वीराज चौहान ने कहा में मुहम्मद गोरी को मारना चाहता हूँ और में शब्द-भेदी बाण चला सकता हूँ तुम मुहम्मद गोरी को मेरे कला देखने के लिए तैयार करो में उस दोरान मुहम्मद गोरी का वध कर दूंगा।
लेकिन प्रतापसिंह ने इस बात की सूचना मुहम्मद गोरी को दे दी और मुहम्मद गोरी क्रोधित हो गया लेकिन मंत्री के बार-बार कहने पर मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान की विद्या देखने के लिए बुलाया ओर अपने स्थान पर लोहे की मूर्ति रख ली और बाण चलाने का आदेश दिया, और मुहम्मद गोरी की आवाज सुनकर पृथ्वीराज चौहान बाण चलाया जो मुहम्मद गोरी के स्थान पर लोहे की मूर्ति पर लगा जिसे मूर्ति के दो हिस्से हो गये। और पृथ्वीराज चौहान की इसी कला को देखकर मुहम्मद गोरी क्रोधित हो गया और उसने पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु का आदेश दे दिया और फिर अंत में सैनको द्वारा पृथ्वीराज चौहान को मार दिया गया और वह वीरगति को प्राप्त हो गये।
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