Bhubaneswar In Hindi : भुवनेश्वर भारत के पूर्वी राज्य उड़ीसा कि राजधानी है। भुवनेश्वर ऐतिहासिक मंदिरों से भरा एक प्राचीन शहर है, जो देश भर के तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। भुवनेश्वर शहर के नाम का शाब्दिक अर्थ है- ब्रह्मांड का भगवान है, जो यहां मंदिरों की संख्या और इसके स्थानीय लोगों के धार्मिक उत्साह को दर्शाता है। भुवनेश्वर अपने मंदिरों के कारण उड़ीसा में ही नही बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है। जिसमे लिंगराज मंदिर यहाँ का सबसे लोकप्रिय मंदिर है। भुवनेश्वर अपनी वास्तुकला और भव्य मंदिरों के लिए जाना जाता है। भुवनेश्वर उड़ीसा का सबसे बड़ा शहर तथा पूर्वी भारत का सांस्कृतिक व आर्थिक केंद्र है।
भुवनेश्वर इतिहास में कलिंग राजवंश की राजधानी थी, जो आज से लगभग 2000 वर्ष पहले की मानी जाती है। जर्मन वास्तुकार ओटो कोनिग्सबर्गर द्वारा डिजाइन किए गए 3 शहरों चंडीगढ़ और जमशेदपुर के साथ भुवनेश्वर भी उनमें से एक था। तो अगर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ कही घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े जिसमे यहाँ हम आपको भुवनेश्वर के 10 लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे है –
अगर आप भुवनेश्वर घूमने जा रहे है तो आपको यहाँ मंदिरों के साथ –साथ अनेक आकर्षक स्थल देखने को मिलेगे है जिसमे भुवनेश्वर के कुछ प्रसिद्ध मंदिर व पर्यटन स्थल शामिल हैं, जिसके बारे में हम आपको यहाँ बताने जा रहे है।
नागरा शैली में बना परशुरामेश्वर मंदिर भारत में सबसे पुराने मौजूदा मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर उड़ीसा शैली की वास्तुकला का एक अनूठा नमूना है। इस मंदिर के उत्तर-पश्चिम कोने में एक हजार लिंगों की मौजूदगी इस जगह को और अधिक आकर्षक बनाती है। परशुरामेश्वर मंदिर का निर्माण 7 वीं और 8 वीं शताब्दी ईस्वी के बीच किया गया था। यह मंदिर हिंदू देवता भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में कारीगरों की पत्थर से मुर्तिया बनाने की अद्भुद कला देखने को मिलती है, और इस मंदिर को विभिन्न हिंदू देवताओं की सबसे विभूषित नक्काशीदार मूर्तियों से सजाया गया है,जो उस युग की महिमा को दर्शाता है।
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मुक्तेश्वर मंदिर भुवनेश्वर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। मुक्तेश्वर मंदिर को मुक्तेश्वर देउला के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव को समर्पित मुक्तेश्वर मंदिर 10 वीं शताब्दी का तीर्थ मंदिर माना जाता है जो वास्तुकला शैली की दीर्घायु का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
मंदिर में प्रसिद्ध धनुषाकार प्रवेश द्वार के कारण मुक्तेश्वर मंदिर उड़ीसा के अन्य प्रमुख मंदिरों से अधिक लोकप्रिय माना जाता है। इस मंदिर का शिकरा (गुंबद) 10.5 मीटर ऊंचा है और जो पत्थर की नक्काशी से सजाया गया है। जो इस मंदिर को ओर आकर्षक बनाता है। मुक्तेश्वर मंदिर में पंचतंत्र भगवान शिव जी के साथ ब्रम्हा ,बिष्णु ,पार्वती, हनुमान और नंदी जी बिराजमान है।
लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर के सबसे प्राचीन व लोकप्रिय मंदिरों में से एक है,जहा भगवान् शिव को उनके हरिहर रूप में पूजा जाता है।। लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का सबसे बड़ा आकर्षक केंद्र माना जाता है। 11 वीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित लिंगराज मंदिर कलिंग शैली की स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण है जिसे 7 वीं शताब्दी में राजा जाजति केशरी द्वारा बनाया गया था। मंदिर में विष्णु जी की कई छवियां भी हैं। लिंगराज मंदिर में देवी भगवती को समर्पित एक छोटा मंदिर, प्रांगण के उत्तर-पश्चिम कोने में स्थित है। लिंगराज मंदिर अपने महाशिवरात्रि समारोहों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जब पूरे मंदिर को फूलों, लालटेन और रोशनी से सजाया जाता है। लिंगराज मंदिर में महाशिवरात्रि के समय यहाँ श्रधालुयो की ओर अधिक संख्या देखने को मिलती है।
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9 वीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित, ब्रह्मेश्वर मंदिर भुवनेश्वर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित ब्रह्मेश्वर मंदिर कलिंग शैली की वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। ब्रह्मेश्वर मंदिर परिसर में 4 छोटे मंदिरों से घिरा एक मुख्य मंदिर है। ब्रह्मेश्वर मंदिर पत्थर की नक्काशीदार आकृतियों और भारतीय ज्योतिष में 9 ग्रहों के साथ सजा हुआ हैं। मंदिर को टावर और विभिन्न पौराणिक देवताओं की आकृतियों से भी सजाया गया है। ब्रह्मेश्वर मंदिर में सर्दियों और प्रमुख हिंदू त्योहारों के दौरान आपको यहाँ एक अद्भुद नजारा देखने को मिलता है।
11 वीं शताब्दी में निर्मित राजारानी मंदिर भुवनेश्वर के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। राजारानी मंदिर को स्थानीय रूप से ‘प्रेम मंदिर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसमें महिलाओं और जोड़ों की कुछ भावमय नक्काशी की गई है। मंदिर के अन्दर कोई चित्र नही मिलते है इसलिए यह मंदिर हिंदू धर्म के किसी विशेष संप्रदाय से जुड़ा हुआ नही माना जाता है। यह मंदिर सभी के लिए खुला है वो किसी भी देबता कि पूजा कर सकते हैं। इस मंदिर का निर्माण सुस्त लाल और पीले बलुआ पत्थर से किया गया था। राजरानी मंदिर वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में है। इसलिए पर्यटकों को मंदिर में प्रवेश करने के लिए टिकट खरीदने की आवश्यकता होती है।
10 वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर चौसठ योगिनी मंदिर भुवनेश्वर के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। इसे कलचुरी साम्राज्य के दौरान बनाया गया था। जिसमे बिराजमान देवता देवी दुर्गा हैं। चौसठ योगिनी मंदिर भारत में योगिनी संस्कृति का अनुसरण करता है और इस मंदिर में लगभग 70 योगिनी निवास करते हैं।
भास्करेश्वर मंदिर 7 वीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर है जिसमें नौ फीट लंबा शिवलिंग स्थापित है। मंदिर की एक अनूठी विशेषता, शिवलिंग के आकार के अलावा मंदिर की वास्तुकला भी है, जो बौद्ध स्तूप जैसा दिखता है। यह माना जाता है कि स्तूप को नष्ट करने के बाद भास्करेश्वर मंदिर को बनाया गया है। धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण, भास्करेश्वर मंदिर का उल्लेख वृहलिंगम के पवित्र ग्रंथों में भी किया गया है.
उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं भुवनेश्वर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। उडीसा राज्य में स्थित खंडगिरि गुफाएं 2 शताब्दी पूर्व की मानी जाती है,जिन्हें कटक गुफाओं के रूप में भी जाना जाता है। यह जगह एक महान ऐतिहासिक महत्व रखती है, उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं में आपको सुंदर नक्काशीदार शिलालेखों और आकृतियों के साथ-साथ काफी दर्शनीय जगहे भी देखने को मिलती है। इनके आस पास आपको कई लोकप्रिय जैन मंन्दिर भी बने हुए है। यदि आप प्रकृति के बीच कुछ शांत समय बिताना चाहते हैं, तो खंडगिरि गुफाएं के पास आपको हरे भरे पार्क भी देखने को मिलते हैं।
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दया नदी के तट पर स्थित धौली हिल भुवनेश्वर के प्रसिद्ध आकर्षक स्थलों में से एक है। धौली हिल बही पहाड़ी है जहा प्रचीन कलिंग युद्ध हुआ था। ओर युद्ध के बाद दया नदी रक्त से लाल हो गई थी, ओर अशोक ने इस रक्तपात से प्रभावित होकर हिंसा को छोड़कर बौद्ध धर्म और अहिंसा की शिक्षाओं को अपनाया था। धौली हिल में एक शांति स्तूप नाम का एक शांति शिवालय भी स्थित है,जो 1970 के दशक में जापानी बुद्ध संघ और कलिंग निप्पन बुद्ध संघ द्वारा बनाया गया था। यहाँ शिलालेखो के उपरी हिस्सा को काटकर हाथी भी बनाया गया है जो उड़ीसा के पुराने बुद्ध मूर्तियों में से एक मानी जाती है।
नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क भुवनेश्वर में सबसे अधिक घूमे जाने वाली जगहों में से एक है। 990 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैले हुए नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क में एक चिड़ियाघर, एक वनस्पति पार्क, चंडका वन और कंजिया झील भी शामिल है। इसका निर्माण 1979 में किया गया था। इस पार्क में आपको कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां जेसे कि व्हाइट टाइगर्स, एशियाई शेर, मगरमच्छ, भारतीय छिपकली ( पैंगोलिन) और 34 मछलीघर जिसमें मछली की कई प्रजातियां देखने को मिलती हैं। अगर आप भुवनेश्वर में नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो सर्दियों का समय यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।
ओडिशा राज्य संग्रहालय 1938 में स्थापित भुवनेश्वर का एक लोकप्रिय आकर्षण केंद्र माना जाता है। इतिहास प्रेमियों के लिए यह संग्रहालय बहुत लोकप्रिय बना हुआ है। इस संग्रहालय की 10 सखायें है, जिनमे हस्तशिल्प , उपकरण, हथियार और शस्त्रागार, वैज्ञानिक उपकरण और प्राकृतिक इतिहास आदि जैसे विभिन्न पुरावशेष शामिल हैं आप यहाँ संग्रहालय जा कर उड़ीसा और भुवनेश्वर के इतिहास और कई राजवंशों और राज्यों के बारे में जान सकतें है,जिन्होंने प्राचीन काल से उड़ीसा पर शासन किया है।
भुवनेश्वर से 65 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित रामचंडी बीच, भारत के सबसे खूबसूरत समुद्र तटों में गिना जाता है। जो बंगाल की खाड़ी और जीवंत नदी कुशाभद्र के संगम पर स्थित है। पिकनिक और सैर के लिए हर साल हजारों पर्यटकों के लिए यह एक आदर्श स्थान है, यह जगह हनीमून मनाने वालों के लिए भी पसंदीदा जगहों में से एक मानी जाती है।बंगाल की खाड़ी में स्थित, रामचंडी बीच के समुद्र तट पर सूर्योदय और सूर्यास्त का शानदार नजारा देखने को मिलता है। यहाँ आप में समुद्र में तैर सकता है, रेतीले समुद्र तट पर टहल सकता है, या किसी अन्य गतिविधियो का आनंद उठा सकते है। ओर समुद्र तट की सुरम्य वादियों का आनंद भी ले सकते है।
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अगर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ भुवनेश्वर घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो हम हमको बता दे कि अक्टूबर से फरवरी का समय भुवनेश्वर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। क्योंकि इस समय आपको गर्मी से राहत होती है, जिससे आप अपनी यात्रा को ओर अधिक एन्जॉय कर सकते हैं।
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भारतीय राज्य ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर, पूर्वी भारत में आर्थिक और धार्मिक महत्व का केंद्र है। कोणार्क और पुरी के साथ, शहर स्वर्ण त्रिभुजा (स्वर्ण त्रिभुज) बनाता है, जो पूर्वी भारत के सबसे अधिक यात्रा स्थलों में से एक है। शहर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में लिंगराज मंदिर, उदयगिरी गुफाएं, राजा रानी मंदिर, बीजू पटनायक पार्क और वैताल देउल मंदिर शामिल हैं। जब कनेक्टिविटी की बात आती है, तो भुवनेश्वर हवाई, सड़क और रेल द्वारा अन्य सभी प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
शहर के केंद्र से लगभग 6 किमी दूर स्थित, भुवनेश्वर हवाई अड्डा या बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शहर को देश के अन्य हवाई मार्ग से जोड़ता है। नई दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बैंगलोर और विशाखापत्तनम जैसे शहरों से भुवनेश्वर के लिए दैनिक उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से, शहर के किसी भी हिस्से तक पहुंचने के लिए टैक्सी / बस सेवाएं उपलब्ध हैं। बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा उड़ीसा राज्य का एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो भुवनेश्वर में स्थित है। जिससे आप फ्लाइट से यात्रा करके भुवनेश्वर पहुच सकतें है।
भुवनेश्वर जाने के लिए डीलक्स बसें, एसी कोच और सरकारी बसें हैं जो अधिकांश प्रमुख शहरों से उपलब्ध हैं। शहर के केंद्र से लगभग 5 किमी दूर स्थित बारामुंडा बस स्टैंड, भुवनेश्वर को सड़क मार्ग से भारत के अन्य सभी प्रमुख शहरों से जोड़ता है। कोणार्क, पुरी, हैदराबाद, रायपुर, रांची और कोलकाता जैसे शहरों से भुवनेश्वर जाने के लिए लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। आप बस से यात्रा कर सकते हैं और आप नेशनल हाईवे – 5 और नेशनल हाईवे -203 पर कार से यात्रा करके भी भुवनेश्वर पहुच सकते हैं।
भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन देश के पूर्वी भाग के महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है और यह अधिकांश प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन कई भारतीय शहरों के साथ खुद को जोड़ने वाला मुख्य रेलवे स्टेशन है। ट्रेन से भुवनेश्वर आने के लिए कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर आदि से नियमित सुपरफ़ास्ट ट्रेन उपलब्ध हैं। स्टेशन से, आप शहर में कहीं भी पहुँचने के लिए निजी टैक्सी या कैब ले सकते हैं।
भुवनेश्वर शहर के अन्दर यात्रा करना बहुत ही आसान है। शहर में सभी प्रकार की बसें, ऑटो और कैब उपलब्ध हैं। जिनसे आप यात्रा कर सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने भुवनेश्वर में घूमने के सबसे अच्छी जगहें को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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