Barmer Tourism In Hindi : बाड़मेर, राजस्थान के सबसे बड़े जिलों में से एक है। यह जिला राज्य के पश्चिम में स्थित होने की वजह से इसमें थार रेगिस्तान का एक हिस्सा भी शामिल है। यह पश्चिम में पाकिस्तान के साथ एक सीमा भी साझा करता है। आपको बता दें कि बाड़मेर राजस्थान के मजबूत इतिहास वाले क्षेत्रों में से एक है और इसके साथ ही यह अपने पर्यटन स्थलों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। बारमेर जिले का कुल क्षेत्रफल 28,387 वर्ग किलोमीटर (10,960 वर्ग मील) है। जो जैसलमेर जिले और बीकानेर जिले के बाद राजस्थान राज्य का तीसरा सबसे बड़ा जिला है। यह भारत पांचवा सबसे बड़ा जिला भी है।
अगर आप बाड़मेर के बारे में अन्य जानकारी जैसे इतिहास, त्यौहार और पर्यटन स्थलों के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम आपको बाड़मेर के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
बाड़मेर को पुराने समय में मालाणी के नाम से जाना जाता था। यह शहर अपनी जीवंतता से पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। जो बाड़मेर की यात्रा करता है वो राजस्थान के ग्रामीण जीवन को यहां देख पाता है। बारमेर की यात्रा के दौरान यहां रास्ते में पड़ने वाले गाँव और लोगों की राजस्थानी पोशाकें पर्यटकों को बेहद भाती है। मार्च के महीने के समय पूरा शहर रंगों से भर जाता है क्योंकि यहां पर इस दौरान बाड़मेर महोत्सव का आयोजन होता है। बाड़मेर अपने पर्यटन स्थलों के अलावा अपने इस महोत्सव के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।
आपको बता दें कि 12 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र को मल्लानी के नाम से जाना जाता था। वर्तमान शहर का संस्थापक बहादा राव द्वारा किया गया था, जो एक परमार शासक हैं। उनके द्वारा एक छोटा शहर का निर्माण भी किया गया था जिसे जूना कहा जाता है। आपको बता दें कि जूना बाड़मेर शहर से 25 किलोमीटर दूर है। परमारों के बाद रावल लुका, मल्लीनाथ के बड़े पुत्र ने अपने भाई रावल मंडलाकार की मदद से जूना बाड़मेर में अपना राज्य स्थापित किए था। उन्होंने जूना के परमारों को हराया और इसे अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद में उनके वंशज, रावत भीम जो कि एक महान योद्धा थे उन्होंने ने 1552 ई में बाड़मेर के वर्तमान शहर की स्थापना की और अपनी राजधानी को जूना से बाड़मेर स्थानांतरित कर दिया।
बाड़मेर अपने ऐतिहासिक स्मारकों और मंदिरों के लिए जाना जाता है जो इस क्षेत्र में स्थित हैं। बाड़मेर शहर में ऐसे मंदिर स्थित हैं, जो पूरे देश के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बाड़मेर अपने जगदम्बे देवी के मंदिर के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर 500 साल पुराना है। यह मंदिर मैदान से लगभग 140 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
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बाड़मेर की संस्कृति ऐसी है कि इस छोटे से शहर में पूरे साल कई मेलों और त्यौहारों का आयोजन होता है। यहां के लोग अपने जिले और धर्म के विभिन्न रंगों को दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। यहां हर लोग बेहद उल्लास और उत्साह के साथ मनाते हैं। बाड़मेर में आयोजित कुछ प्रमुख मेले और त्योहार इस प्रकार हैं।
बाड़मेर राजस्थान का एक जिला होने के साथ प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। अगर आप बाड़मेर की यात्रा करने के लिए जा रहें हैं तो यहां के कई पर्यटन स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं। बाड़मेर के प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी हमने नीचे दी है।
किराडू मंदिर बाड़मेर से 35 किमी,थार रेगिस्तान के पास एक शहर में 5 मंदिर के पास स्थित हैं जिन्हें किराडू मंदिर कहा जाता है। यह सभी मंदिर वास्तुकला की अपनी सोलंकी शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में उल्लेखनीय और शानदार मूर्तियां हैं। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं और इन सभी पांच मंदिरों में से सोमेश्वर मंदिर सबसे अद्भुत है।
बाड़मेर का किला एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जिसको रावत भीम ने 1552 ई में बाड़मेर के वर्तमान शहर में पहाड़ी पर बनवाया था। इस किले का निर्माण उन्होंने तब करवाया था जब उन्होंने पुराने बाड़मेर को वर्तमान शहर में स्थानांतरित कर दिया था। इसक इले को बाड़मेर गढ़ के नाम से भी जाना जाता है। बाड़मेर किले की पहाड़ी 1383 फीट उंची है लेकिन रावत भीम ने 676 फीट की ऊंचाई पर किले का निर्माण करवाया है जो पहाड़ी की चोटी से भी ज्यादा सुरक्षित है।
बाड़मेर का किला शहर में आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। फोर्ट का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा की ओर है। बता दें कि इस किले के सुरक्षा द्वार पूर्व और पश्चिम दिशा की तरफ बने हैं। पहाड़ी की प्राकृतिक सुंदरता की वजह से इस किले की चारदीवारी साधारण बनाई गई थी। इस किले की सबसे खास बात यह है कि यह अपनी चारों तरफ से मंदिरों से घिरा हुआ है।
बाड़मेर किले की पहाड़ी पर दो महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान हैं। जिनमें से एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित जोगमाया मंदिर है जिसे गढ़ मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर 1383 की ऊँचाई पर स्थित है और 500 फीट की ऊँचाई पर नागणेची माता मंदिर है। यह दोनों मंदिर बेहद प्रसिद्ध हैं। नवरात्र के पवित्र पर्व के दौरान यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है।
श्री नाकोड़ा जैन मंदिर तीसरी शताब्दी में निर्मित एक प्राचीन मंदिर है जिसका कई बार जीर्णोद्धार किया गया है। 13 वीं शताब्दी में अलमशाह ने इस मंदिर पर आक्रमण किया और लूट लिया। लेकिन वो मंदिर की मूर्ति चोरी नहीं कर पाया क्योंकि वो यहां कुछ मील दूर गांव में छिपा दी गई थी। इसके बाद मूर्ति को वापस लाया गया और 15 वीं शताब्दी में मंदिर को पुनर्निर्मित किया गया।
देव-सूर्य मंदिर का निर्माण 12 वीं या 13 वीं शताब्दी में किया गया था। बाड़मेर-जैसलमेर रोड के किनारे बाड़मेर से लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर देवका में स्थित इस मंदिर को अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यहां गाँव में दो अन्य मंदिरों और हैं जो कि खंडहर हैं। बता दें कि इन मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्तियां हैं।
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विष्णु मंदिर बाड़मेर में सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थानों में से एक है। यह मंदिर एक वास्तुकला चमत्कार है और इसके चारों तरफ भव्य आभा है। आपको बता दें कि इस मंदिर के आस-पास का बाजार पूरे बाड़मेर में खरीदारी के लिए प्रसिद्ध हैं।
रानी भटियानी मंदिर जसोल में स्थित है। यह मंदिर खास रूप से मंगियार बार्ड समुदाय द्वारा पूजा जाता है। क्योंकि इसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर ने एक मंगनियार को दिव्य दृष्टि दी है। कई लोग इस मंदिर की देवी को मजीसा या माँ के दर्भित करते हैं और उनके सम्मान में गीत भी गाते हैं। पौराणिक कथा की माने तो मंदिर की देवी एक राजपूत राजकुमारी थीं जिन्हें देवी बनने से पहले स्वरूप कहा जाता था।
जूना किला पुराना बाड़मेर है जो राव द्वारा निर्मित मुख्य शहर था लेकिन रावत भीम के शासन के दौरान उन्होंने बाड़मेर को नए स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जहां अभी वर्तमान बाड़मेर शहर स्थित हैं। पुराना बाड़मेर यानि जूना शहर से 25 किलोमीटर दूर है। बता दें कि यह अपने जैन मंदिर और पुराने किले के लिए प्रसिद्ध है। जूना अपने अतीत के गौरव और पुरानी विरासत के खंडहर के रूप में आज भी बना हुआ है। मंदिर के पास एक पत्थर के खंभे पर शिलालेख है जो यह बताता है कि यह 12 वीं या 13 वीं शताब्दी में बनाया गया था। जूना पहाड़ियों से घिरा हुआ है और इसके पास एक छोटी झील भी स्थित है। अगर आप बाड़मेर जिले की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको जूना किले को अपनी सूचि में जरुर शामिल करना चाहिए।
चेतामणि पारसनाथ जैन मंदिर को अपनी शानदार मूर्तियों और सजावटी चित्रों के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के आंतरिक भाग में कांच के साथ कलमकारी की गई है। आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण 16 वीं शताब्दी में श्री नेमाजी जीवाजी बोहरा ने किया था। यह मंदिर बाड़मेर शहर के पश्चिमी भाग में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। अगर आप बाड़मेर शहर की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं। तो आपको इस चेतामणि पारसनाथ जैन मंदिर को अपनी सूचि में जरुर शामिल करना चाहिए।
सफ़ेद अखाड़ा महाबार रेत टिब्बा के रास्ते पर स्थित है जिसे सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक मंदिर है जो एक बगीचे के साथ स्थित है। मंदिर परिसर के अंदर भगवान शिव, राधा- कृष्ण और हनुमान को समर्पित मंदिर स्थित है। मंदिर परिसर में बड़े बगीचे हैं जो दिखने में बेहद सुंदर है। मंदिर के बगीचों में पर्यटक मोरों को घूमते हुए भी देख सकते हैं। सफ़ेद अखाड़ा उन पर्यटन स्थलों में से एक है जिसे अक्सर पर्यटकों द्वारा अनदेखा किया जाता है। अगर आप बाड़मेर की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको सफेद अखाडा की सैर जरुर करना चाहिए। अगर आप शहर की हलचल से शांति के कुछ पल बिताना चाहते हैं तो यह बगीचे के शांत वातावरण का आनंद लेने एक बहुत अच्छी जगह है।
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अगर आप बाड़मेर की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो आपको बता दें कि राजस्थान के इस खूबसूरत शहर को देखने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मार्च के महीनों के बीच है। क्योंकि इन महीनों के दौरान रेतीले क्षेत्र में साल के इस हिस्से के दौरान मौसम सुहावना और सुखद रहता है। लेकिन अगर आप गर्मियों के दौरान शहर का दौरा कर रहे हैं तो हल्के सूती कपड़ों के साथ यात्रा करना सही रहेगा। रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण गर्मियों के मौसम में यहां भीषण गर्मी पड़ती है और तापमान 50 डिग्री से ऊपर पहुंच जाता है। बरसात के मौसम में बाड़मेर की यात्रा करने से बचें।
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बाड़मेर राजस्थान का एक प्रमुख जिला और पर्यटन स्थल है। सड़क मार्ग से ये शहर और जोधपुर जैसे प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बाड़मेर अपना हवाई कोई अड्डा नहीं है लेकिन जोधपुर से सड़क और रेल मार्ग से इसकी अच्छी कनेक्टिविटी है। आप देश के प्रमुख शहरों से सड़क, हवाई और ट्रेन मार्ग से बाड़मेर की यात्रा कर सकते हैं।
अगर आप हवाई मार्ग से बाड़मेर की यात्रा करना चाहते हैं तो बा दें कि इसा निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर में बाड़मेर से लगभग 220 किमी दूर है। दिल्ली, मुंबई, जयपुर और उदयपुर से लगातार उड़ानें हैं। हवाई अड्डे से बाड़मेर जाने के लिए टैक्सी उपलब्ध हैं। विकल्प के रूप में बाड़मेर से लगभग 320 किमी दूर जयपुर में निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है।
जो भी पर्यटक ट्रेन द्वारा बाड़मेर की यात्रा करना चाहते हैं उनके लिए बता दें कि बाड़मेर रेलवे स्टेशन जोधपुर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जोधपुर के लिए भारत के प्रमुख शहरों से कई ट्रेन उपलब्ध हैं। बाड़मेर पहुँचने के लिए रेलगाड़ी एक सस्ता साधन है।
अगर आप सड़क मार्ग से बाड़मेर की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि बाड़मेर बस टर्मिनस रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। बाड़मेर के लिए आपको जोधपुर, जयपुर, उदयपुर सहित राज्य के अधिकांश शहरों से बसें मिल जायेंगी।
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इस आर्टिकल में आपने बाड़मेर के प्रमुख पर्यटक स्थल को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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