Varanasi Ghat In Hindi, आमतौर पर वाराणसी को घाटों और मंदिरों का शहर कहा जाता है। इस शहर को कई अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है वाराणसी, काशी, और बनारस। वाराणसी शहर में कुल 88 घाट हैं जो सभी गंगा नदी के किनारे स्थित है। इनमें से अधिकांश घाटों का इस्तेमाल स्नान और पूजा समारोह के लिए किया जाता है। जबकि दो घाटों को विशेष रूप से श्मशान स्थलों के रूप में उपयोग किया जाता है। वैसे तो वाराणसी में छोटे बड़े लगभग 88 घाट है लेकिन हम इस लेख में वाराणसी या बनारस के प्रमुख घाटो के बारे में जानने वाले है जहाँ हर दिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक गंगा नदी में डुबकी लगाने, घूमने और नाव की सवारी के लिए आते है –
1. बनारस के घाट का इतिहास – History Of Varanashi Ghats In Hindi
वाराणसी के अधिकांश घाटों का पुनर्निर्माण 1700 ईस्वी के बाद किया गया था, जब यह शहर मराठा साम्राज्य का हिस्सा था। वर्तमान घाटों के संरक्षक मराठा, शिंदे (सिंधिया), होल्कर, भोंसले और पेशवाई (पेशवाई) हैं। यहां के कई घाट किंवदंतियों (Legends) या पौराणिक कथाओं (Mythologies) से जुड़े हैं, जबकि कई घाट निजी स्वामित्व (Privately Owned) में हैं। घाटों के किनारे बनारस की सुबह और नाव की सवारी (Boating) करने के लिए भारी संख्या में यहां पर्यटक आते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बनारस के घाटों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
2. बनारस में कुल कितने घाट है इन हिंदी – Kashi Mein Kitne Ghat Hai In Hindi
वाराणसी में कुल 88 घाट हैं।
3. बनारस के घाट – Varanashi Ghats In Hindi
3.1 अस्सी घाट वाराणसी उत्तर प्रदेश – Assi Ghat Varanasi Uttar Pradesh In Hindi
इस घाट पर विदेशी छात्र, शोधकर्ता (Researchers), कलाकार और पर्यटक भारी संख्या में आते हैं। यहां रोजाना सुबह लगभग 300 लोग जबकि त्योहारों के दौरान लगभग 2500 लोग प्रति घंटे आते हैं। इस घाट पर शिवरात्रि के दौरान एक साथ लगभग 22,500 लोग जमा होते हैं। एक मान्यता के अनुसार, देवी दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों का वध करने के बाद उनकी तलवार को यहां फेंका था। जहाँ वह तलवार गिरी थी, उस नदी को असी नदी (Asi River) के नाम से जाना जाता था। गंगा नदी और असि के संगम स्थल को अस्सी घाट के नाम से जाना जाता है।
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3.2 बनारस के फेमस अहिल्याबाई घाट – Banaras Ke Famous Ahilyabai Ghat In Hindi
1778 में केवलागिरि घाट का विस्तार करके इसे मध्य प्रदेश की रानी महारानी अहिल्याबाई होल्कर के संरक्षण में बनाया गया था। इसलिए उनके नाम पर इस घाट का नाम रखा गया। इस घाट पर महल के अलावा एक विशाल आवासीय परिसर (Residential) और हनुमान मंदिर है और दो अन्य मंदिर भी हैं।
3.3 वाराणसी में पोपुलर दरभंगा घाट – Varanasi Me Popular Darbhanga Ghat In Hindi
नागपुर के वित्त मंत्री श्रीधर नारायण मुंशी ने इस घाट का निर्माण किया था और आंशिक रूप से महलनुमा इमारत (Palatial Building) थी। उनके नाम पर ही इस घाट को मुंशी घाट कहा जाता है। 1915 में दरभंगा के ब्राह्मण राजा ने इस घाट को खरीदा और दरभंगा घाट के रूप में विकसित किया। महलनुमा इमारत बलुआ पत्थर से बनी है जिसमें एक सुंदर पोर्च (Porches) और ग्रीक खंभे (Greek Pillars) हैं।
3.4 दशाश्वमेध घाट वाराणसी, उत्तर प्रदेश – Dashashwamedh Ghat Kashi Uttar Pradesh In Hindi
दशाश्वमेध घाट को वाराणसी में मुख्य घाट के रूप में जाना जाता है। यह विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है और सबसे शानदार घाटों (Spectacular Ghat) में से एक है। माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव का स्वागत करने के लिए इसे बनाया था। यहां महाराजा जय सिंह द्वारा निर्मित एक वेधशाला है। इस घाट की गंगा आरती बहुत प्रसिद्ध है जो प्रतिदिन शाम को की जाती है। यहां भगवान शिव, गंगा, सूर्य, अग्नि और पूरे ब्रह्मांड के लिए आरती की जाती है।
3.5 काशी में मशहूर दिगपतिया घाट – Kashi Me Mashur Digpatia Ghat In Hindi
कौसट्टी घाट के निचले हिस्से को 1830 में दिगपटिया के राजा ने बनवाया था। इसलिए इसे दिगपतिया घाट के नाम से जाना जाता है। घाट पर बनाया गया महल बंगाली कला और शैली का एक उदाहरण है। महल के दोनों ओर पोर्च हैं। मंदिर के परिसर में काली, लोक देवी, शिव, गणेश और कार्तिकेय के पुराने चित्र हैं। देवी देवताओं के 64 योगिनी छवियों में से 16 वर्तमान में वाराणसी में मौजूद हैं। उनमें से दो घाट की सीढ़ियों पर हैं।
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3.6 वाराणसी में देखने लायक जगह नारद घाट – Varanasi Mein Dekhne Layak Jagah Narad Ghat In Hindi
नारद घाट का पुराना नाम कुवई घाट (Kuvai Ghat) है। इसका निर्माण 1788 में एक मठ प्रमुख दत्तात्रेय स्वामी द्वारा किया गया था। नारद घाट पर चार महत्वपूर्ण मूर्तियाँ नारदेश्वर, अत्रिश्वर, वासुकिश्वरा और दत्तात्रेयश्वर हैं।
3.7 गंगा महल घाट वाराणसी उत्तर प्रदेश – Ganga Mahal Ghat Banaras Uttar Pradesh In Hindi
गंगा महल घाट वाराणसी के प्रमुख घाटों में से एक है। इसका निर्माण 1830 ईस्वी में नारायण वंश (Narayan Dynasty) द्वारा कराया गया था। चूंकि महल को घाट पर रखा गया था, इसलिए घाट का नाम “गंगा महल घाट” रखा गया। इस महल का उपयोग अब शिक्षण संस्थानों द्वारा किया जाता है। पहली मंजिल का उपयोग “कनाडा के विश्व साक्षरता कार्यक्रम” द्वारा किया जाता है और ऊपरी मंजिलों का उपयोग कार्लस्टेड विश्वविद्यालय (Karlstad University) द्वारा आयोजित “इंडो-स्वीडिश स्टडी सेंटर” द्वारा किया जाता है।
3.8 बनारस के पर्यटन स्थल ललिता घाट – Banaras Ke Paryatan Sthal Lalita Ghat In Hindi
नेपाल के दिवंगत राजा (Nepal King) ने इस घाट का निर्माण वाराणसी के उत्तरी क्षेत्र में कराया था। यह गंगा केशव मंदिर का स्थान है, जो काठमांडू शैली में बना एक लकड़ी का मंदिर (Wooden Temple) है, मंदिर में पशुपतिेश्वर की एक मूर्ति है, जो भगवान शिव का एक रूप है। यह चित्रकारों और फोटोग्राफरों की पसंदीदा साइट है।
3.9 काशी के दर्शनीय स्थान हरिश्चंद्र घाट – Kaashi Ke Darshaniya Sthan Harishchandra Ghat In Hindi
हरिश्चंद्र घाट वाराणसी के सबसे पुराने घाटों में से एक है। इस घाट का नाम एक पौराणिक राजा (Mythological King) हरिश्चंद्र के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने कभी सत्य और दान की दृढ़ता के लिए यहां श्मशान घाट पर काम किया था। यह माना जाता है कि देवताओं ने उसे अपने संकल्प, दान और सच्चाई के लिए पुरस्कृत किया और अपने खोए हुए सिंहासन और उसके मृत बेटे को वापस कर दिया। माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर किया जाता है, तो उस व्यक्ति को मोक्ष (Salvation) की प्राप्ति होती है।
3.10 वाराणसी के धार्मिक स्थल चेत सिंह घाट – Varanasi Ke Dharmik Sthal Chet Singh Ghat In Hindi
चेत सिंह घाट एक ऐतिहासिक गढ़ घाट है। इस स्थान पर 1781 में वारेन हेस्टिंग्स और चेत सिंह की सेना के बीच युद्ध हुआ था। महाराजा प्रभु नारायण सिंह ने 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में किले और घाट को ब्रिटिशों से लिया था। इस घाट के चार भाग हैं जिन्हें चीता सिंह घाट, निरंजनी घाट, निरवानी घाट और शिवाला घाट के नाम से जाना जाता है।
3.11 बनारस में घूमने जाने वाली जगह जैन घाट – Banaras Me Ghumne Jane Wali Jagah Jain Ghat In Hindi
जैन घाट का नाम 7 वें जैन तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के नाम पर रखा गया था जिनके बारे में माना जाता था कि वे पड़ोस में पैदा हुए थे। उनकी स्मृति में 1885 में घाट के ऊपरी हिस्से में एक मंदिर बनाया गया था। 1931 से पहले यह वचराजा घाट (Vaccharaja Ghat) का हिस्सा था, लेकिन जब बाबू शेखर चंदा ने जैन भिक्षुओं की सहायता से इस हिस्से को अलग किया तब से यह जैन घाट कहलाता है।
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3.12 वाराणसी में फेमस घाट सिंधिया घाट – Varanasi Me Famous Ghat Scindia Ghat In Hindi
सिंधिया घाट मणिकर्णिका घाट के उत्तम में है और इसे शिंदे घाट की सीमा के रूप में भी जाना जाता है। यहां स्थित शिव मंदिर लगभग 150 साल पुराना है और आंशिक रूप से नदी में डूबा हुआ है।
3.13 काशी में देखने लायक जगह मणिकर्णिका घाट – Kaashi Mein Dekhne Layak Jagah Manikarnika Ghat In Hindi
कहा जाता है कि देवी सती के जलते हुए शरीर को भगवान शिव जब हिमालय लेकर जा रहे थे तब सती के शरीर के हिस्से पृथ्वी पर गिरने लगे। जहां जहां देवी सती के शरीर के टुकड़े गिरे वहां भगवान शिव ने शक्ति पीठ की स्थापना की। मणिकर्णिका घाट पर माता सती के कान का आभूषण (Ear’s Ornament) गिर गया था। यह वाराणसी में सबसे प्रसिद्ध, पवित्र और सबसे पुराने घाटों में से एक है। इस घाट पर हिंदू रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार किया जा सकता है।
3.14 काशी में घूमने राजेंद्र प्रसाद घाट – Varanashi Me Ghume Rajendraprasad Ghat In Hindi
पहले यह दशाश्वमेध घाट का हिस्सा था। 1979 में भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की स्मृति और सम्मान में इस घाट का नाम राजेंद्र प्रसाद घाट रखा गया। माना जाता है कि तीसरी शताब्दी ईस्वी में भारशिव नागा राजाओं ने यहां घोड़े की बलि दी थी। 980 के दशक की शुरुआत तक इस घाट का इस्तेमाल लकड़ी, रेत और पत्थर की प्लेटों के कारोबार के लिए किया जाता था।
3.15 बनारस के पर्यटन स्थल विजयनगरम घाट – Banaras Ke Paryatan Sthan Vijayanagaram Ghat In Hindi
इस घाट का नाम दक्षिण भारत की तत्कालीन विजयनगरम रियासत (Princely State) के नाम पर रखा गया था। विजयनगरम के महाराजा ने 1890 में इस घाट के निर्माण के लिए धनराशि प्रदान की। यह आंध्र प्रदेश का एकमात्र घाट है जहाँ भगवान शिव और निस्पापेश्वर (Nishpapeshvara) को समर्पित मंदिर हैं।
3.16 वाराणसी के मशहूर पर्यटन स्थल राजा घाट – Varanasi Ke Mashur Paryatan Sthal Raja Ghat In Hindi
इस घाट को 1720 में राजाराव बालाजी द्वारा बनवाया गया था। इस घाट के उत्तरी भाग में महल और दक्षिणी भाग में अन्नपूर्णा मठ है। 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घाट का जीर्णोद्धार किया और लाल पत्थरों से बने चरणों का निर्माण किया। इस घाट पर मां गंगा के सम्मान में तेल के दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है।
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इस लेख में आपने बनारस के प्रमुख घाटो को जाना है आपको यह लेख केसा लगा हमे कमेन्ट करके जरूर बतायें।
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4. वाराणसी का नक्शा – Varanasi Map
5. वाराणसी की फोटो गैलरी – Varanasi Images
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