Badrinath Temple In Hindi : बद्रीनाथ मंदिर या बद्रीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित हिंदू धर्म का प्रमुख मंदिर है जो उत्तराखंड में गढ़वाल पहाड़ी पर, अलकनंदा नदी के पास स्थित है। यह मंदिर चार धाम और छोटा चार धाम तीर्थ यात्रा का एक प्रमुख हिस्सा है, जो 10,279 फीट की ऊंचाई पर स्थित हिमालय से घिरा हुआ है। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित इस मंदिर में भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति 1 मीटर लंबी है, जिसे विष्णु के 8 स्वयंभू मूर्तियों में से एक माना जाता है। भारत में भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्य देसमों में भी इसका उल्लेख करता है। बद्रीनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व और पवित्रता भक्तों को बेहद आकर्षित करती है और यहां पर हर साल लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री और पर्यटक आते हैं।
मंदिर का मुख्य द्वार कई रंगों से सजा हुआ है और इसमें भगवान विष्णु के अलावा कई देवताओं की मूर्ति है। बद्रीनाथ मंदिर में एक तप्त कुंड एक गर्म पानी का झरना है जिसे औषधीय रूप से महवपूर्ण माना जाता है। बता दें कि अलकनंदा नदी की उत्पत्ति यहीं से हुई है। अपनी पवित्रता और निर्मल सुंदरता के साथ यह मंदिर भक्तों और पर्यटकों को एक अलग दुनिया में ले जाता है। अगर आप अपने पापों से मुक्त होना चाहते हैं और अपने मन को एक अदभुद शांति देना चाहते हैं तो इस मंदिर की यात्रा जरुर करें।
मंदिर खुलने का समय का समय सुबह 4:30 बजे से शाम 9:00 बजे तक है। दोपहर 1:00 बजे से शाम 4:00 बजे के बीच का अल्प विराम है। नवंबर से अप्रैल अंत तक मौसम की चरम स्थितियों के कारण मंदिर बंद रहता है। भक्तों के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।
बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास अस्पष्ट सा है। एक मान्यता के अनुसार यह मंदिर 8 वीं शताब्दी तक एक बौद्ध मंदिर था जिसे बाद में आदि शंकराचार्य ने हिंदू मंदिर में बदल दिया। एक और मान्यता यह है कि मंदिर की स्थापना 9 वीं शताब्दी में मूल रूप से आदि शंकराचार्य ने की थी। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अलकनंदा नदी में भगवान बद्रीनाथ की एक मूर्ति की खोज की और तप्त कुंड के पास उसे विस्थापित किया। उन्होंने इस क्षेत्र में रहने वाले बौद्धों को भी खदेड़ा। 16 वीं शताब्दी में, गढ़वाल के राजा ने मूर्ति को वर्तमान मंदिर में स्थानांतरित कर दिया। गढ़वाल राज्य के विभाजन के बाद बद्रीनाथ मंदिर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया था। आपको बता दें कि बद्रीनाथ मंदिर कई जीर्णोद्धार से गुजरा है। बाद में 17 वीं शताब्दी में गढ़वाल के राजाओं ने इस मंदिर का विस्तार किया था। 1803 में यह मंदिर एक बड़े भूकंप की वजह से नष्ट हो गया था और इसके बाद जयपुर के राजा द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
बद्रीनाथ मंदिर से जुड़े कई किस्से हैं। एक कथा के अनुसार इस जगह पर पहले बद्री यानि बेर के घने पेड़ हुआ करते थे, इसलिए इस जगह का नाम बद्रीनाथ पड़ा। वहीं दूसरी कथा इस तरह प्रचलित है। एक बार नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु के पैर दबाते देखा, जब नारद मुनि ने भगवान से इस संदर्भ में बात की, तो उन्हें बड़ा अपराधबोध महसूस हुआ और वे इस जगह को छोड़कर हिमालय पर्वत पर तपस्या करने चले गए। वहां हिमपात होने के कारण भगवान विष्णु पूरी तरह से ढंक गए थे, तब माता लक्ष्मी ने उन्हें इस हिमपात से बचाने के लिए बद्री के पेड़ का रूप धारण कर लिया। जब विष्णु जी ने देखा तो उनसे कहा कि हे देवी तुमने भी मेरे बराबर घोर तपस्या की है। बद्री के वृक्ष के रूप में मेरी रक्षा की है, इसलिए आज से मुझे बद्री के नाथ यानि बद्रीनाथ के नाम से पहचाना जाएगा।
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बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है, जो बाहर से रंगीन मुख्य द्वार के साथ बेहद आकर्षित नजर आता है। इसे सिंहद्वार कहा जाता है जो शीर्ष पर एक छोटे कपोला के साथ लगभग 50 मीटर लंबा है। बद्रीनाथ मंदिर की संरचना तीन भागों में विभाजित है गर्भगृह, अनुष्ठानों के लिए दर्शन मंडप और भक्तों के लिए सभा मंडप। मंदिर के गर्भगृह में शंक्वाकार आकार की छत है जो सोने की चादरों से ढकी है और 15 मीटर लम्बी है।
विस्तृत सीढ़ियों की एक श्रृंखला भक्तों को मुख्य प्रवेश द्वार तक ले जाती है। अंदर एक मंडप है जिसमें दीवारों पर जटिल डिजाइन है। मुख्य मंदिर में बद्रीनारायण की मूर्ति है जो 1 मीटर लंबी है और काले पत्थर की है। इस मूर्ति ने अपने हाथ में चक्र और शंख लिए हैं। गर्भगृह में नर और नारायण, लक्ष्मी और आदि शंकराचार्य, वेदांत देसिका और रामानुजाचार्य जैसे कई अन्य देवताओं की मूर्ति भी स्थित हैं।
बद्रीनाथ मंदिर में सभी भक्तों के लिए नियमित दर्शन मुफ्त है, लेकिन विशेष पूजा या अभिषेक करने के लिए अलग-अलग शुल्क लिया जाता है। जिनकी कीमतें इस प्रकार हैं-
महा अभिषेक (1 व्यक्ति) – 4300 रूपये
अभिषेक पूजा (1 व्यक्ति) – 4101 रूपये
वेद पथ (1 व्यक्ति) – 2100 रूपये
गीता पथ (1 व्यक्ति) – 2500 रूपये
श्रीमद् भागवत सप्त मार्ग- 35101 रूपये
एक दिन का पूरा पूजन (1 व्यक्ति) – 11700 रूपये
स्वर्ण आरती (1 व्यक्ति) – 376 रूपये
विष्णुसुशरणम पथ (1 व्यक्ति) – 456 रूपये
कपूर आरती (1 व्यक्ति) – 51 रूपये
शयन आरती (1 व्यक्ति) – 3100 रूपये
अखंड ज्योति वार्षिक- 4951 रूपये
अखंड ज्योति एक दिन- 1451 रूपये
भगवान नर-नारायण जन्मोत्सव (श्रावण मास) – 4951 रूपये
श्रावणी अभिषेक (श्रावण मास) – 11701 रूपये
श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव- 10551 रूपये
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मई से जून माह के बीच बद्रीनाथ की यात्रा पर जाना अच्छा माना जाता है। इसके अलावा पर्यटक सितंबर से अक्टूबर के बीच भी इस मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। गर्मियों में बद्रीनाथ धाम का तापतान 18 डिग्री रहता है वहीं सालभर यहां न्यूनतम तापमान 8 डिग्री तक रहता है। मानसून के दौरान मंदिर बंद रहता है क्योंकि भूस्खलन तीर्थयात्रियों की यात्रा में बाधा उत्पन्न करता है।
बद्रीनाथ के व्यंजनों में कोई भी लजीज व्यंजन नहीं है जो इस क्षेत्र में खास हो। इनके अलावा यहां बाहर खाने के विकल्प भी सीमित हैं। पर्यटक यहां पर खाने के स्टालों पर मिलने वाले भोजन को खा सकते हैं जो कि भारतीय भोजन और लोकप्रिय चीनी व्यंजन बेचते हैं। यह स्थान हिंदुओं के लिए बहुत अधिक धार्मिक महत्व रखता है, इसलिए यहां मांसाहारी भोजन और शराब पर प्रतिबंध है।
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उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ मंदिर पहुचने के लिए आप के पास सड़क मार्ग, ट्रेन मार्ग और हवाई मार्ग उपलब्ध है।
बद्रीनाथ उत्तराखंड में चमोली जनपद के पास स्थित है। बद्रीनाथ की यात्रा पर जाने के लिए पहले आपको ऋषिकेश जाना पड़ेगा। यहां से ब्रदीनाथ की दूरी 294 किमी है। ऋषिकेश के लिए सीधी बस मिलती हैं। ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक पूरा रास्ता पहाड़ी से घिरा है। ऋषिकेश से अगर आप अपने वाहन से या बस से बद्रीनाथ जाते हैं, तो सुबह चलकर शाम तक यहां पहुंच जाएंगे। बता दें कि बद्रीनाथ जाने के लिए परमिट मिलते हैं, जिसे जोशीमठ के एमडी बनाते हैं। मंदिर में एंट्री के लिए आपके पास अपना पहचान पत्र होना जरूरी है।
बता दें कि बद्रीनाथ में कोई स्टेशन नहीं है, इसके पास हरिद्वार स्टेशन है। हरिद्वार से बद्रीनाथ की दूरी 154 किमी है।
अगर आप हवाई जहाज से जा रहे हैं, जो जॉली ग्रांट एयरपोर्ट ब्रदीनाथ से 311 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से बद्रीनाथ धाम जाने के लिए आप टैक्सी हायर कर सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने बद्रीनाथ धाम की यात्रा और बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन से जुड़ी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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