Famous Chausath Yogini Temple in India in Hindi : भारत के चौसठ योगिनी मंदिर एक हाईपेथ्रल मंदिर है, जिसमें कोई छत नहीं है। इन मंदिरों को 64 योगिनी मंदिर या चौसठ योगिनी मंदिर दोनों नामो से जाना जाता है। भारत में वर्तमान में लगभग आठ या 9 मदिर चौसठ योगिनी मंदिर का उल्लेख मिलता है जो मुरैना, जबलपुर, खुजराहो, उड़ीसा, रानीपुर जैसे भारत के अलग हिस्सों में फैले हुए है।
इस मंदिरों को हिंदू तंत्र में योग करने वाली महिलायों के लिए देवी पार्वती के साथ समान रूप से पवित्र स्त्री शक्ति के अवतार के रूप में प्रतिष्ठित किया गया हैं। कुछ ग्रंथ देवी पार्वती के एक विशेष पहलू के अवतार के रूप में पवित्र स्त्री बल का उल्लेख करते हैं। योगिनियों के साथ स्कंद पुराण में वर्णित अन्य प्रतिरूप हैं शक्ति, भैरव, आदि। जबकि चंडी पुराण में, योगिनी शब्द का अर्थ देवी या देवी के रूप से है, और प्रत्येक योगिनी को देवी के शरीर के एक अलग हिस्से के रूप में देखा गया था।
यदि आप भारत के प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिर के बारे में जानने में दिलचस्पी रखते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े जिसमे हम सभी 64 योगिनीयों के नाम और भारत के प्रसिद्ध 64 योगिनी मंदिर के बारे में बताने बाले है –
चौसठ योगिनी मंदिर का इतिहास और किंवदंती – History of Chausath Yogini Temple in Hindi
चौसठ योगिनी मंदिर की उत्त्पति के पीछे एक दिलचस्प कहानी जुडी हुई है एक प्रचलित किंवदंती के अनुसार कहा गया है कि देवी दुर्गा ने एक दानव को हराने के लिए 64 देवी देवताओं का रूप धारण किया था। जिसके बाद से इन जोगिनियों या चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण किया गया था। लेकिन यदि हम आधुनिक काल की बात करें तो योगिनियों का शैव संप्रदाय लगभग 700 से 1200 शताब्दी के बीच फला-फूला है जिसे ब्रह्मल्यात्रा शास्त्र में प्रलेखित भी किया गया है। और 10 वीं से लेकर शायद 13 वीं शताब्दी तक पूरे भारत में कई चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
64 योगिनीयों के नाम – 64 names of yogis in Hindi
भारत के प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिर के बारे में जानने से पहले हम 64 योगिनीयों का नाम को जानते है माना जाता है देवी दुर्गा ने एक दानव को हराने के लिए 64 देवी देवताओं या 64 योगिनीयों का रूप धारण किया था।
- बहुरूपा
- तारा
- नर्मदा
- यमुना
- शांति
- वारुणी
- क्षेमकरी
- ऐन्द्री
- वाराही
- रणवीरा
- वानरमुखी
- वैष्णवी
- कालरात्रि
- वैद्यरूपा
- चर्चिका
- बेताली
- छिन्नमस्तिका
- वृषवाहन
- ज्वाला कामिनी
- घटवारा
- करकाली
- सरस्वती
- बिरूपा
- कौवेरी
- भालुका
- नारसिंही
- बिराजा
- विकटानन
- महालक्ष्मी
- कौमारी
- महामाया
- रति
- करकरी
- सर्पश्या
- यक्षिणी
- विनायकी
- विंध्यवासिनी
- वीरकुमारी
- माहेश्वरी
- अम्बिका
- कामायनी
- घटाबरी
- स्तुति
- काली
- उमा
- नारायणी
- समुद्रा
- ब्राह्मी
- ज्वालामुखी
- आग्नेयी
- अदिति
- चन्द्रकान्ति
- वायुवेगा
- चामुण्डा
- मूर्ति
- गंगा
- धूमावती
- गांधारी
- सर्व मंगला
- अजिता
- सूर्यपुत्री
- वायु वीणा
- अघोर
- भद्रकाली।
भारत के प्रमुख 64 योगिनी मंदिर – Famous 64 Yogini Temples of India in Hindi
चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना – Chausath Yogini Temple Morena in Hindi
यह मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित है जिसे एकट्टारो मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह विशेष मंदिर अभी भी बहुत अच्छे आकार में है।
मुरैना जिले के मितौली या मितावली गाँव में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के केंद्र में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित हैं, और 64 मंडलों के साथ एक गोलाकार दीवार है। व्यापक रूप से माना जाता है कि दिल्ली में संसद भवन या संसद भवन भी मुरैना के चौसठ योगिनी मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। धार्मिक और स्थापत्य प्रतिभा के अलावा, इस मंदिर को ‘तांत्रिक विश्वविद्याला’ के नाम से जाना जाता है। यहां तक कि विदेशी भी दिव्य पूजा के साधन के रूप में तंत्र का अध्ययन करने के लिए आते थे, केवल पुण्य अध्ययन द्वारा दिव्य प्राप्ति का प्रचार करते थे। आज भी साधकों को यहां अभ्यास करते देखा जा सकता है।
मुरैना के 64 योगिनी मंदिर का इतिहास – 64 Yogini Temple History of Morena in Hindi
विक्रम संवत 1383 मिले एक शिलालेख के अनुसार, चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना का निर्माण कच्छपघाट के राजा देवपाल द्वारा किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था।
चौसठ योगिनी मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मंदिर को 1951 के अधिनियम संख्या LXXI, dt.28 / 11/1951 के तहत एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित भी किया जा चूका है।
चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना केसे पहुचें – How to reach Chausath Yogini Temple Morena
बता दे मुरैना जिले के पडोली के पास, मितौली गाँव में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर ग्वालियर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यदि आप ग्वालियर के माध्यम से यहाँ आ रहे है तो ग्वालियर से एक बस या टेक्सी बुक कर सकते है। चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना का निकटतम एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन दोनों ग्वालियर में है जो ट्रेन और फ्लाइटस के माध्यम से भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़े हुए है।
और पढ़े : ग्वालियर का किला घूमने की जानकारी और इतिहास
चौसठ योगिनी मंदिर खजुराहो – Chausath Yogini Temple Khujraho in Hindi
भारत के प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिर में से एक यह मंदिर खजुराहो में शिव-सागर तालाब के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह चौसठ योगिनी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित चौसठ योगिनी मंदिर खजुराहो का सबसे प्राचीन मंदिर है, जिस वजह से मंदिर के अधिकांश हिस्से खंडहर में है। भारत के अन्य योगिनी मंदिरो के विपरीत, यह मंदिर आयताकार आकार में स्थित है। बता दे यह मंदिर 65 छोटे छोटे मंदिर या धर्मस्थलों से मिलकर बना था जिनमे से वर्तमान में सिर्फ 35 बचे हुए है। यदि आप अपनी यात्रा के लिए भारत के प्रसिद्ध 64 योगिनी मंदिर सर्च कर रहे है तो खुजराहो के चौसठ योगिनी मंदिर भी आपके लिए अच्छा विकल्प है क्योंकि यदि आप यहाँ आते है तो चौसठ योगिनी मंदिर के साथ साथ खुजराहो के अन्य मंदिर और ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा भी कर सकते है।
खजुराहो के चौसठ योगिनी मंदिर का इतिहास – History of Chausath Yogini Temple of Khujaraho in Hindi
खुजराहो का चौसठ योगिनी मंदिर चंदेलो की राजधानी, खजुराहो का सबसे पुराना मंदिर है, जिसका निर्माण लगभग 885 ईस्वी पूर्व के आसपास का माना जाता है। मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है। योगिनी मंदिरों के अवशेष पूर्व में चंदेलों या उनके सामंतों द्वारा शासित क्षेत्र के आसपास पाए गये है इससे पता चलता है कि योगिनियों का पंथ चंदेला क्षेत्र में अच्छी तरह से स्थापित था।
चौसठ योगिनी मंदिर खजुराहो केसे पहुचें – How to reach Chausath Yogini temple in Khujraho in Hindi
चौसठ योगिनी मंदिर के सबसे नजदीकी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन दोनों ही खजुराहो में स्थित है। इनके अलावा मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो सड़क मार्ग द्वारा भी मध्यप्रदेश और भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है इसीलिए फ्लाइट, ट्रेन और सड़क मार्ग द्वारा बड़े आसानी से चौसठ योगिनी मंदिर खुजराहो पहुचा जा सकता है।
और पढ़े : खजुराहो दर्शनीय स्थल, मंदिर और घूमने की जगह
चौसठ योगिनी मंदिर हीरापुर उड़ीसा – Chausath Yogini Temple Hirapur Orissa in Hindi
हीरापुर का प्रसिद्ध 64 योगिनी मंदिर उड़ीसा राज्य के भुवनेश्वर में हीरापुर नामक छोटे गाँव में स्थित है। यह मंदिर भी मुरैना में मंदिर के समान है, जो गोलाकार दीवार में 64 योगिनियों के साथ बनाया गया है। इस मंदिर में महामाया की पूजा की जाती है जो एक राक्षस के सिर पर खड़े हुए रूप में विराजमान है इसके पास में एक चंडी मडप है, जिसके चारों तरफ आठ देवी-देवता हैं। यदि चौसठ योगिनी मंदिर हीरापुर मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो यह मंदिर भूरे बलुए पत्थर से निर्मित है जबकि मंदिर में स्थापित 64 योगिनीयों में कुछ को छोड़कर सभी योगिनीयों को काले ग्रेनाइट पत्थर में उकेरा गया है।
हीरापुर के चौसठ योगिनी मंदिर का इतिहास – History of Chausath Yogini Temple of Hirapur in Hindi
इतिहासकार और शोधकर्ताओं के अनुसार हीरापुर के चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी के दौरान ब्रम्हा राजवंश की रानी हीरादेवी द्वारा बनाया गया था। माना जाता है कि 16 वीं ईस्वी की एक परिवर्तित मुस्लिम सेनापति कालापहाड़ ने इस मंदिर पर भी हमला किया था और मुर्तियों को को तोड़ दिया था। चौसठ योगिनी मंदिर के ऐतिहासिक महत्व के कारण इसे भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया है।
चौसठ योगिनी मंदिर हीरापुर केसे पहुचें – How to reach Chausath Yogini Temple Hirapur in Hindi
चौसठ योगिनी मंदिर हीरापुर भुवनेश्वर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भुवनेश्वर का अपना एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन है जो सभी भारतीय शहरों से अच्छी तरह से कनेक्ट है।
इस प्रकार आप पहले फ्लाइट, ट्रेन या सड़क मार्ग से भुवनेश्वर आ सकते है और यहाँ आने के बाद बस या एक टेक्सी बुक करके आसनी से चौसठ योगिनी मंदिर हीरापुर पहुच सकते है।
और पढ़े : उड़ीसा में घूमने लायक 10 खूबसूरत जगहों की जानकारी
चौसठ योगिनी मंदिर रानीपुर झारल उड़ीसा – Chausath Yogini Temple, Ranipur Jharial in Hindi
उड़ीसा के बलांगीर जिले में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर भारत के प्रसिद्ध चौसठ योगिनी मंदिर में से एक है। इस मंदिर को “’रानीपुर झारल मंदिर” या “सोमा तीर्थ” के नाम से भी जाना जाता है। 64 योगिनियों को समर्पित यह मंदिर उड़ीसा राज्य में स्थित दूसरा मंदिर है। इस मंदिर में देवी पार्वती के साथ भगवान शिव के तीन मुख वाले देवता हैं, जो 64 योगिनियों से घिरे हुए हैं। यह मंदिर मुख्य रूप से एक पुण्य शैव तीर्थ के रूप में माना जाता है। यह मंदिर एक अन्य कृत्रिम संरचना है, जो मध्ययुगीन मनोगत प्रथाओं को एक अंतर्दृष्टि देता है, उनमें से कुछ अभी भी आदिवासी परंपराओं के साथ उड़ीसा के कुछ जिलों में प्रचलित हैं।
रानीपुर झारल मंदिर का इतिहास – History of Ranipur Jharal Temple in Hindi
रानीपुर झारल मंदिर का इतिहास भी अन्य चौसठ योगिनी मंदिर की तरह 8 – 9वी शताब्दी के आसपास का है। मंदिर से शिलालेखो के अनुसार माना जाता है रानीपुर झारल मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में सोमवंशी केशरी राजाओं के शासनकाल में किया गया था। यह मंदिर भी 15 वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा किये गये पतन का हिस्सा था जिसे मुस्लिममो द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था।
चौसठ योगिनी मंदिर रानीपुर केसे पहुचें – How to reach Chausath Yogini Temple Ranipur in Hindi
बता दे चौसठ योगिनी मंदिर रानीपुर के लिए कोई सीधी फ्लाइट और रेल कनेक्टविटी नही है। रानीपुर के सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर और रायपुर में है जो 248 और 201 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। जबकि कांटाबांजी रेलवे स्टेशन रानीपुर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो रानीपुर से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसीलिए बेहतर होगा की आप सड़क मार्ग या ट्रेन से यात्रा करके चौसठ योगिनी मंदिर रानीपुर आयें।
और पढ़े : भारत के प्रमुख सेक्स मंदिर, जिनसे आप अनुमान लगा सकते है, की हमारे पूर्वज सेक्स को लेकर कितने सहज थे
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर – Chausath Yogini Temple Jabalpur in Hindi
भारत के प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिर में से एक यह मंदिर जबलपुर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भेड़ाघाट में नर्मदा नदी के ऊपर एक पहाड़ी की चोटी पर है। चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट को गोलकी मठ (“गोलाकार लॉज”) भी कहा जाता है। भारत के अन्य योगिनी मंदिरों की अपेक्षा इस मंदिर में 64 योगिनियों के बजाय 81 के लिए तीर्थ है। चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ आपको हिंदू पौराणिक कथाओं के सबसे भव्य युगल भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती प्रतीकात्मक नंदी बैल की सवारी करते हुए देखने को मिलेंगे। शिव-पार्वती की मूर्तियां केंद्र में गौरी-शंकर मंदिर में खड़ी हैं, जो माना जाता है कि योगिनियों के साथ मूल मंदिर की तुलना में बाद में बनाया गया था।
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर का इतिहास – History of Chausath Yogini Temple in Hindi
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर भारत के सबसे प्राचीन मंदिर में से एक है। पुरातात्विक विभाग द्वारा किये गये उल्लेख के अनुसार चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर का निर्माण 10 वीं शताब्दी ईस्वी में कलचुरी राजवंश द्वारा किया गया था, जिसने भारत के पश्चिम-मध्य क्षेत्रों, महाराष्ट्र और गुजरात और मध्य प्रदेश में अपने राज्य को फैलाकर लोकप्रियता प्राप्त की थी।
जबकि मंदिर में स्थापित भगवान शिव का केंद्रीय तीर्थस्थल और उनका संघ लगभग दो साल बाद बनाया गया था। ईरान, अफगान और अन्य देशों के इस्लामी शासकों के आगमन के साथ, भारत के कई अन्य हिंदू मंदिरों की तरह, चौसठ योगिनी मंदिर भी मूर्तियों के निर्माण और विघटन के आंशिक विनाश से गुजरा है।
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर केसे पहुचें – How to reach Chausath Yogini Temple Jabalpur in Hindi
चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट जबलपुर से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित है जहाँ जबलपुर से बस, टेक्सी या मेट्रो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
और पढ़े : जबलपुर पर्यटन स्थल और घूमने की जानकारी
इस आर्टिकल में आपने भारत के प्रसिद्ध चौसठ योगिनी मंदिर के बारे में विस्तार से जाना है आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
और पढ़े :
- विरुपाक्ष मंदिर का इतिहास और यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी
- भारत के 8 सबसे रहस्यमयी और डरावने किले जिनके बारे में जानकार में रोंगटे खड़े हो जायेंगे
- भारत के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर जहाँ जाने से होती है, भक्तो की सभी मनोकामनायें पूर्ण
- भारत के ऐसे 7 मंदिर और धार्मिक स्थल जहाँ महिलाओं का प्रवेश वर्जित है!
- भारत के 11 प्रसिद्ध गुरुद्वारे