Vajreshwari Temple In Hindi ; वज्रेश्वरी मंदिर हिमाचल प्रदेश के चंबा में जनसाली बाजार के अंत में स्थित बिजली की देवी “देवी वज्रेश्वरी” को समर्पित है। आपको बता दें कि यह मंदिर कम से एक हजार साल पुराना बताया जाता है। देवी वज्रेश्वरी को देवी पार्वती का रूप माना जाता है और उनकी पूजा यहां उनके उग्र रूप में की जाती है। यह मंदिर शिखर शैली की वास्तुकला में निर्मित है जो शानदार नक्काशियों, जटिल वुड वर्क और स्टोन वर्क के साथ सजा हुआ है। इस भव्य मंदिर की आंतरिक दीवारों पर विभिन्न हिंदू देवताओं और मूर्तियों की नक्काशी है। यह मंदिर बजरेश्वरी मंदिर के रूप में भी लोकप्रिय है और इसकी दीवारों पर अठारह छोटे शिलालेख हैं।
मंदिर में देवी दुर्गा की एक आकर्षक मूर्ति भी है जो भगवान विष्णु के साथ शेर पर बैठी हुई हैं। भगवान विष्णु की मूर्ति के तीन मुख है जो मानव, सूअर और सिंह रूप में हैं। इस मंदिर में सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला त्यौहार अमावस्या है, जब देवी वज्रेश्वरी के सम्मान में विशाल मेला आयोजित किया जाता है। इस मंदिर का अगला प्रमख त्योहार नवरात्री है जिसे मार्च के महीने में भी मनाया जाता है। अगर आप वज्रेश्वरी मंदिर के बारे में अन्य जानकारी चाहते है तो इस लेख को जरुर पढ़े, जहाँ हमने वज्रेश्वरी मंदिर के इतिहास, पौराणिक कथा और इसके पास के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी दी है।
1. वज्रेश्वरी मंदिर की पौराणिक कथा – Story Of Vajreshwari Temple In Hindi
वज्रेश्वरी मंदिर के बारे में कई बातें कही जाती हैं जिसमें से सबसे प्रमुख पौराणिक कथा यह बताती है कि जब देवी सती ने अपने पिता के यज्ञ के दौरान खुद को बलिदान किया था तो भगवान शिव ने तांडव शुरू कर दिया था। भगवान शिव के प्रकोप से दुनिया को नष्ट होने से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती शरीर को नष्ट कर दिया और अपने चक्र के साथ 52 भागों में विभाजित कर दिया।
देवी सती के अंग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में गिरे थे, उसमें से इस स्थान पर देवी का बायां वक्षस्थल गिरे थे, जिसकी वजह से यह माता का शक्ति पीठ बन गया। बाद में देवी पार्वती पांडवों के सपनों में दिखाई दीं और उन्हें खुद को विनाश से बचाने के लिए इस जगह एक मंदिर बनाने का आदेश दिया। इस तरह से देवी सती की स्मृति में यहाँ एक मंदिर का निर्माण किया गया और उस मंदिर का नाम वज्रेश्वरी मंदिर रखा गया।
2. वज्रेश्वरी मंदिर का इतिहास – History Of Vajreshwari Temple In Hindi
वज्रेश्वरी देवी मंदिर के इतिहास से पता चलता है कि इस मंदिर में अकूत संपत्ति हुआ करती थी, मंदिर की मूर्ति को भारी आभूषण और महंगे गहनों से सजाया जाता था। हालांकि इस मंदिर को कई बार लूटा गया। महमूद गजनी ने 1009 ईस्वी में यहाँ पर जगह बनाई और उसने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था और इस स्थान पर एक मज्जिद का निर्माण किया। लगभग पैंतीस वर्षों के बाद, क्षेत्र के राजा ने अपना आधिपत्य जमा लिया और इस जगह पर फिर से मंदिर का निर्माण किया और नए मंदिर को सोने, चांदी और हीरे में जवाहरात से सजाया।
हालांकि, लंबे समय के बाद, 1360 में फिरोज शाह तुगलक द्वारा इसे फिर से लूटा गया लेकिन कुछ समय बाद सम्राट अकबर ने इस स्थल का दौरा किया और इसकी भव्यता को बहाल करने का फैसला लिया। 1905 में, एक गंभीर भूकंप ने मंदिर का नष्ट कर दिया, लेकिन इस मंदिर को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। आज भी यह मंदिर पहले की तरह मजबूती से खड़ा है और चंबा में पर्यटन का एक लोकप्रिय स्थान है।
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3. वज्रेश्वरी मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Vajreshwari Temple In Hindi
अगर आप वज्रेश्वरी मंदिर की यात्रा करना चाहते है तो बता दें कि यहाँ जाने का आदर्श समय मार्च के महीने (अमावस्या पर) के दौरान वार्षिक मेले के दौरान होता है, जब उत्सव पूरे जोरों पर होते हैं। इसके साथ ही साल के इस समय मौसम काफी सुखद होता है।
4. वज्रेश्वरी मंदिर के आसपास के प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल – Vajreshwari Temple Ke Pass Aakarshan Sthal In Hindi
वज्रेश्वरी मंदिर चंबा का एक प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थल है, अगर आप इस मंदिर के अलावा चंबा के अन्य पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी जरुर पढ़ें, क्योंकि यहाँ हमने वज्रेश्वरी मंदिर के नजदीक के सभी पर्यटन स्थलों की जानकारी दी है।
4.1 मणिमहेश झील – Manimahesh Lake In Hindi
मणिमहेश झील हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के भरमौर उपखंड में 4,080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। झील मणिमहेश कैलाश पर्वत की वर्जिन चोटी के निकट स्थित है, जिसे भगवान शिव का पवित्र निवास माना जाता है। यह झील पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को अपने आकर्षण से बेहद प्रभावित करती है। यह स्थान ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए बहतु खास है क्योंकि यहाँ पर 13 किलोमीटर का ट्रेकिंग मार्ग शामिल है। इस झील की यात्रा करने वाले पर्यटक यहाँ की मनमोहक पहाड़ियों और हरियाली को देखने के बाद पर्यटक थकान महसूस नहीं करते।
4.2 चमेरा झील – Chamera Lake In Hindi
चमेरा झील डलहौजी के पास चंबा जिले में सबसे खूबसूरत और समृद्ध प्राकृतिक झील है, जो अपने आकर्षण से पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। आपको बता दें कि चमेरा झील डलहौजी से 25 किमी की दूरी पर स्थित है जो वास्तव में चमेरा बांध द्वारा निर्मित एक जलाशय है और 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिमाचल प्रदेश का यह लोकप्रिय पर्यटन स्थल यहाँ की यात्रा करने वाले सभी पर्यटकों को बेहद पसंद आता है। चमेरा झील यहाँ के ग्रामीणों के लिए आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है और यह रावी नदी द्वारा भरा जाता है।
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4.3 लक्ष्मी नारायण मंदिर – Lakshmi Narayan Temple In Hindi
लक्ष्मी नारायण मंदिर चंबा के प्रमुख मंदिरों में से एक है। अगर आप चंबा की सैर के लिए आते हैं तो आप इस मंदिर की यात्रा भी कर सकते हैं। आपको बता दें कि लक्ष्मी नारायण मंदिर चंबा में सबसे पुराना और सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर को शिखर के आकार में बनाया गया है और इसमें भगवान विष्णु और शिव की छह मूर्तियाँ स्थित हैं। केंद्र में स्थित भगवान् विष्णु की मूर्ति को संगमरमर से उकेरा गया है।
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4.4 चामुंडा देवी मंदिर – Chamunda Devi Temple In Hindi
चामुंडा देवी मंदिर शाह मदार रेंज के शीर्ष पर स्थित है। इस मंदिर से पर्यटक चंबा शहर के शानदार दृश्य को देख सकते हैं। चामुंडा देवी मंदिर को राजा उम्मेद सिंह द्वारा वर्ष 1762 में बनाया गया था। पाटीदार और लाहला के जंगल के बीच यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से बना है, जिसकी विशाल छतें हैं। बानेर नदी के तट पर स्थित यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जिन्हें युद्ध की देवी के रूप में भी जाना जाता है। पहले इस मंदिर तक जाने के लिए पत्थरों से काटी गई 400 सीढियां चढ़ कर जाना पड़ता था लेकिन अब चंबा से 3 किलोमीटर लंबी कंक्रीट सड़क के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। सात सौ साल पुराने मंदिर में पीछे की ओर एक गुफा जैसी संरचना है जिसको भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।
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4.5 हरि राइ मंदिर – Hari Rai Temple In Hindi
हरि रिया मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित चंबा का के प्रमुख मंदिर है जिसमें भगवान विष्णु अपने तीन अवतारों मानव, सूअर और शेर के रूप में विराजमान हैं। मंदिर में भगवान की मूर्ति को अंगूठियों, बाजुओं, मुकुट (सिर वाले गियर), मनके हार और कुंडल के साथ उत्कृष्ट रूप से सजाया गया है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक और आकर्षक मूर्ति है जिसमें वे छह घोड़ों के रथ पर सवार हैं।
यह मंदिर की सबसे उत्कृष्ट मूर्ति है जो कि एक शिकारा शैली में वास्तुकला है और माना जाता है कि यह भगवा रंग में लिपटी एकमात्र मूर्ति है। इस मंदिर का का प्रवेश द्वार गंगा और यमुना की सुंदर मूर्तियों से सुसज्जित है। इसके अलावा मंदिर में भगवान शिव सूर्य, अरुणा, देवी उमा और नंदी की भी मूर्ति हैं।
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4.6 सुई माता मंदिर – Sui Mata Temple In Hindi
सुई माता मंदिर चंबा में साहो जिले में स्थित एक प्रमुख मंदिर है जिसको राजा वर्मन ने अपनी पत्नी रानी सुई की याद में बनवाया था जिसने अपने लोगों के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था। शाह दरबार पहाड़ी के ऊपर स्थित इस मंदिर से नीचे की छोटी बस्तियों का शानदार दृश्य नजर आता है। सुई माता मंदिर परिसर को तीन भागों में विभाजित किया गया है जिसमें मुख्य मंदिर, एक चैनल और रानी सुई माता को समर्पित एक स्मारक भी शामिल है, जिसको उनके बलिदान के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यात्री सुई माता मंदिर तक नीचे से एक मार्ग के साथ पक्की सीढ़ियों की मदद से पहुँच सकते हैं।
यह मंदिर यहाँ के स्थानीय लोगों का एक पूजा स्थल है। अप्रैल और मई के महीने में यहाँ आयोजित होने वाले वार्षिक मेले के समय बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। उत्सव के दौरान महिलाएं और छोटी लड़कियां रानी सुई के बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए असाधारण रूप से तैयार होती हैं। इस वार्षिक त्योहार को बहुत उत्साह और धूम-धाम से मनाया जाता है।
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4.7 अखंड चंडी महल – Akhand Chandi Palace In Hindi
18 वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित चंबा पैलेस या अखंड चंडी पैलेस चंबा में स्थित सफेद रंग की इमारत है। टिबीगोन कला और वास्तुकला का एक शानदार प्रतिबिंब, इस शाही महल को मूल रूप से एक आवासीय भवन के रूप में राजा उम्मेद सिंह के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इस महल को टिश और मुगल बादशाहों द्वारा काफी बार पुनर्निर्मित और संशोधित किया गया था। इस महल में उन्होंने दरबार हॉल (जिसे मार्शल हॉल भी कहा जाता है) जेनाना महल और मुगल वास्तुकला के कई नमूने जोड़े हैं। अखंड चंडी महल में एक अलग हरे रंग की छत भी है, जो चंबा के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों से रीगल भवन को दर्शाती है। यह पूरा भवन तीन भाग में विभाजित है, जिसमें बर्फ की आसान छाँव के लिए ढलानदार छतें हैं।
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5. कैसे पहुंचे वज्रेश्वरी मंदिर- How To Reach Vajreshwari Temple In Hindi
चंबा हिमाचल प्रदेश का एक छोटा शहर है जो राज्य द्वारा संचालित बसों, टैक्सी, ऑटो और स्थानीय रिक्शा के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वज्रेश्वरी मंदिर शहर में जनसाली बाजार में स्थित है और उपरोक्त परिवहन विकल्पों में से किसी के माध्यम से मंदिर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
5.1 फ्लाइट से वज्रेश्वरी मंदिर कैसे पहुंचे- How To Reach Vajreshwari Temple By Flight in Hindi
अगर आप चबा के लिए हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहाँ के निकटतम हवाई अड्डों में पठानकोट (120 किलोमीटर), अमृतसर (220 किलोमीटर), कांगड़ा (172 किलोमीटर) और चंडीगढ़ (400 किलोमीटर) के नाम शामिल हैं। आपको इन सभी हवाई अड्डों से चंबा जाने के लिए बसें और कैब आसानी से उपलब्ध हैं।
5.2 सड़क मार्ग से वज्रेश्वरी मंदिर कैसे पहुंचे- How To Reach Vajreshwari Temple By Road in Hindi
HRTC (हिमाचल सड़क परिवहन निगम) पड़ोसी राज्यों दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से नियमित बसें चलाता है। जो राज्य के प्रमुख शहरों पठानकोट, शिमला, कांगड़ा, सोलन और धर्मशाला शहरों से होकर आती जाती है।
5.3 ट्रेन से वज्रेश्वरी मंदिर कैसे पहुंचे- How To Reach Vajreshwari Temple By Train in Hindi
निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट में है, जो चंबा से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। पठानकोट से चंबा के लिए बस और टैक्सी बहुत आसानी से उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप चंडीगढ़ तक या नई दिल्ली के लिए भी ट्रेन ले सकते हैं और फिर बस या कैब से यात्रा कर सकते हैं।
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इस लेख में आपने वज्रेश्वरी मंदिर के दर्शन की जानकारी और आसपास घूमने की जगहों के बारे में जाना है आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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6. वज्रेश्वरी मंदिर का नक्शा – Vajreshwari Temple Map
7. वज्रेश्वरी मंदिर की फोटो गैलरी – Vajreshwari Temple Images
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