Triund In Hindi : त्रिउन्द हिमाचल प्रद्रेश में धर्मशाला से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक बहुत ही सुंदर जगह है जो 2828 मीटर की ऊंचाई पर पूरी कांगड़ा घाटी के सुंदर दृश्य पेश करने वाले अद्भुत ट्रेल्स के साथ ट्रेकिंग के लिए एकदम सही जगह है। त्रिउन्द के लिए ट्रेक बेहद सुंदर और छोटा है जहाँ आप या तो मैक्लॉडगंज या धर्मकोट से जा सकते हैं। त्रिउन्द में शाम को आकाश का दृश्य अपने आप में बेहद आकर्षक होता है, रात आपके लिए यहाँ डेरा डालना बेहद खास साबित हो सकता है।
ट्रेक धर्मकोट के गालू मंदिर से शुरू होता है और त्रिउन्द तक पहुंचने के लिए लगभग 7-8 किमी तक की ट्रेकिंग करना पड़ता है। त्रिउन्द ट्रेक रूट है जो भागसू फॉल और शिव कैफे से होकर जाता है जिसे सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण ट्रेक में से एक माना जाता है। अगर आप त्रिउन्द के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो आर्टिकल को पूरा पढ़ें, इसमें हम आपको त्रिउन्द घूमने और इसके आसपास घूमने की खास जगहों के बारे में बताने जा रहें हैं।
अगर आप त्रिउन्द की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहाँ की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मई-जून और सितंबर-अक्टूबर के महीने का होता है। क्योंकि इन महीनों में यहाँ का मौसम बहुत सुखद होता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ काफी ठंडक मिलती है इसलिए देश के शहरों की चिलचिलाती गर्मी से बचने के लिए यहाँ आना एक अच्छा विकल्प है। यदि आप बर्फ में ट्रेकिंग करना चाहते हैं, तो आप जनवरी-मार्च में ट्रेकिंग के बारे में सोच सकते हैं।
त्रिउन्द ट्रेक पर खाने के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं क्योंकि यह एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय ट्रेक है। मैजिक व्यू, सीनिक व्यू और स्नोलाइन कैफे जैसे कैफे चाय के स्टालों के अलावा कुछ विकल्प हैं जो बुनियादी जलपान प्रदान करते हैं।
वन विभाग के विश्राम गृह और ट्रायंड गेस्ट हाउस केवल दो रात भर रहने की सुविधा देते हैं। इन्हें आप जाने से पहले धर्मशाला से बुक कर सकते हैं। यहाँ डबल और ट्रिपल शेयर कॉटेज लगभग 700 रूपये में उपलब्ध है।
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त्रिउन्द धर्मशाला में ट्रेकिंग के लिए सबसे अच्छी जगहों में से हैं अगर आप इसके अलावा त्रिउन्द के पास के पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहते हैं तो इस लेख को आगे पढ़ें।
सुंदर तालाब और हरे-भरे हरियाली से घिरा भागसुनाग मंदिर मैकलोडगंज से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह भागसुनाथ मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है जो स्थानीय गोरखा और हिंदू समुदाय द्वारा अत्यधिक पूजनीय है। इस मंदिर के पास के दो कुंड को बेहद पवित्र माना जाता है और कहा जाता है कि इनमें उपचार की चमत्कारिक शक्तियाँ हैं। बता दें कि भागसूनाथ मंदिर प्रसिद्ध भागसू झरनों की यात्रा के दौरान रस्ते में पड़ता है और पर्यटक इस मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए रुकते हैं और इसके बाद आगे की यात्रा करते हैं।
त्रिउन्द से भागसुनाग मंदिर की सिर्फ 1 किलोमीटर है।
अघंजर महादेव मंदिर धौलाधार की तलहटी में खनियारा में धर्मशाला शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। माना जाता है कि लगभग इस मंदिर को 500 साल पहले बनाया गया था, जो वनों के बीच पहाड़ की चोटियों के बीच बसा है। इस मंदिर के अलावा यहाँ पर एक छोटा झरना है जो इस पवित्र स्थल की सुंदरता को बढाता है। मंदिर के पास एक छोटी गुफा में एक शिवलिंग है और इस जगह को भी एक पवित्र स्थल माना जाता है। अघंजर महादेव मंदिर तीर्थयात्रियों के अलावा पर्यटकों भी अपने शांत वातावरण की वजह से आकर्षित करता है। मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता इसे शिव भक्तों के अलावा प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए भी एक खास जगह बनाती है।
त्रिउन्द से अघंजर महादेव मंदिर की दूरी 13 किलोमीटर है।
धर्मशाला की राजसी हिमालय पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा एक छोटा सा क्रिकेट स्टेडियम है जो समुद्र तल से 1,457 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। आपको बता दें कि यह क्रिकेट मैदान दुनिया के सबसे ऊंचे खेल मैदानों में से एक है। धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम का दौरा करते समय आपको कुछ अजीब महसूस हो सकता है, लेकिन शानदार प्राकृतिक पृष्ठभूमि और ठंडी हवाएं लगातार मैदान में बहती हैं, जो एचपीसीए स्टेडियम की यात्रा को खास बनती है।
धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम त्रिउन्द से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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वॉर मेमोरियल, त्रिउन्द 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और धर्मशाला में देखने की खास जगहों में से एक है। यह स्मारक शहर के पास देवदार के जंगलों में स्थित है और यह जगह यात्रा करने के लायक है। यहां एक सुंदर जीपीजी कॉलेज है जिसका निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान किया गया था।यह स्मारक है जो धर्मशाला के प्रवेश बिंदु पर उन लोगों की याद में बनाया गया है जिन्होंने हमारी मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी।
डल झील निचली धर्मशाला से 11 किमी दूर है और पहाड़ियों के पास देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है। यह स्थान ट्रेकिंग और भ्रमण के लिए एक शुरूआती बिंदु है जो वाक के लिए झील के चारों ओर कवर किया गया है। इस झील के किनारे छोटा शिव मंदिर भी स्थित है जहाँ पर हर साल एक शानदार मेला लगता है।
त्रिउन्द से डल झील की दूरी 5 किलोमीटर है।
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ज्वालामुखी देवी मंदिर के बारे में बताया जाता है कि जब बहुत बुरी आत्माए यहाँ पर आती थी और देवताओं को परेशान करती थी तो भागवान शिव के कहने पर देवताओं ने उन्हें नष्ट करने का फैसला लिया और कई देवताओं ने अपनी शक्ति केद्रित की और वहां पृथ्वी से एक विशाल ज्वाला उत्पन्न हुई। इस ज्वाला से एक लड़की ने जन्म लिया, जिसे अब सीता या पार्वती के नाम से जाना जाता है। सती की जीभ समुद्र तल से लगभग 610 मीटर ऊपर ज्वालाजी में गिरी थी और देवी उस छोटी ज्वाला के रूप में प्रकट हुई थी। माना जाता है कि पांडवों भी इस पवित्र स्थान पर आये थे।
त्रिउन्द से ज्वालामुखी देवी मंदिर की दूरी 60 किलोमीटर है।
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त्रिउन्द से भाग्सू फॉल्स जो धर्मशाला में घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। भाग्सू फॉल्स हरियाली और प्रकृति के बीच अपने सबसे प्राचीन रूप में स्थापित है जो राजसी और बेहद भव्य है। धर्मशाला की यात्रा करने वाले सभी पर्यटकों को इस जगह जरुर आना चाहिए।
त्रिउन्द से भाग्सू फॉल्स की दूरी 1 किलोमीटर है।
नामग्याल मठ, त्सुगलाखंग परिसर के स्थित है जो यहां धर्मशाला के पास पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक है। यह परिसर दलाई लामा के निवास स्थान होने के साथ यहाँ पर मंदिर, किताबों की दुकानों, कई दूसरी दुकानें स्थित हैं। नामग्याल मठ, त्रिउन्द से 3 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है।
तिब्बती संस्कृति से परिपूर्ण दलाई लामा मंदिर परिसर जिसे त्सुगलाखंग मंदिर भी कहा जाता है, यह धर्मशाला में एक राजनीतिक-धार्मिक केंद्र है। शांतिपूर्ण ध्यान और धार्मिक प्रार्थना के लिए मंदिर में पहियों या माला मौजूद हैं। दलाई लामा मंदिर परिसर बौद्धों के लिए श्रद्धेय तीर्थ स्थल बन गया है। इसके अलावा यहां का शांतिपूर्ण वातावरण दुनिया भर के पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है।
दलाई लामा मंदिर परिसर, त्रिउन्द से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कांगड़ा संग्रहालय तिब्बती और बौद्ध कलाकृति के शानदार चमत्कार और उनके समृद्ध इतिहास को बताता है। यह धर्मशाला के बस स्टेशन के पास स्थित है। इस संग्रहालय में आप कई पुराने गहने, दुर्लभ सिक्के यादगार, पेंटिंग, मूर्तियां और मिट्टी के बर्तन जैसी चीज़ें देख सकते हैं।
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धर्मशाला में कांगड़ा से 32 किलोमीटर की दूरी पर मसरूर रॉक कट मंदिर स्थित है जो कि एक पुरातात्विक स्थल है जो वर्तमान में एक खंडहर है। यहां परिसर में इंडो- आर्यन शैली की वास्तुकला में डिज़ाइन किए गए 15 रॉक कट मंदिरों का एक संयोजन है। बताया जाता है कि इन्हे कि इसे 8 वीं शताब्दी में बनाया गया था जो हिंदू देवता शिव, विष्णु, देवी और सौरा को समर्पित हैं। इतिहास प्रेमी और पर्यटकों के लिए यह जगह किस्सी जन्नत से कम नहीं है।
मसरूर रॉक कट मंदिर त्रिउन्द से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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त्रिउन्द में ट्रेक गालू के बेस कैंप से शुरू होता है यहाँ पर मैक्लोडगंज से टैक्सी या बस द्वारा पहुँचा जा सकता है। आप मैकलोडगंज या भागसू नाग से ट्रेकिंग शुरू कर सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना चलना चाहते हैं। त्रिउन्द धर्मशाला से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ से ट्रेक लगभग 1,100 मीटर लंबा है और अपेक्षाकृत खड़ी चढ़ाई है। यदि आप ट्रेकिंग नहीं करना चाहते हैं, तो यहाँ पर टट्टू और घोड़े उपलब्ध हैं।
त्रिउन्द जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा या धर्मशाला हवाई अड्डा है, जो आधार शिविर से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। दिल्ली और कुल्लू से उड़ानें अक्सर दोनों स्थानों को जोड़ती हैं। त्रिउन्द के लिए मार्ग धर्मकोट से 7 किमी दूर है और यह गलु देवी मंदिर से गुजरता है। धर्मकोट से त्रिउन्द पहुँचने में 3-4 घंटे लगते हैं।
त्रिउन्द धर्मशाला पहुंचने के लिए रात भर की ट्रेन यात्रा एक अच्छा विकल्प है। निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन 85 किलोमीटर दूर पठानकोट में है। जम्मू-कश्मीर जाने वाली कई ट्रेनें पठानकोट में रुकती हैं। धर्मशाला पहुँचने के लिए आप पठानकोट से टैक्सी या बस ले सकते हैं। धर्मशाला से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा रेलवे स्टेशन, कांगड़ा मंदिर भी है, लेकिन कोई भी महत्वपूर्ण ट्रेन यहाँ नहीं रुकती है।
त्रिउन्द या धर्मशाला के लिए गागल हवाई अड्डे और पठानकोट रेलवे स्टेशन पर टैक्सी उपलब्ध हैं। पठानकोट से धर्मशाला पहुंचने में लगभग 3 घंटे का समय लगता है। दिल्ली से चंडीगढ़, कीरतपुर और बिलासपुर से लगभग 12-13 घंटे लग सकते हैं। दिल्ली और शिमला से कई लक्जरी बसें धर्मशाला जाती हैं।
बस से धर्मशाला के लिए यात्रा करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता। राज्य संचालित बसों के साथ-साथ निजी बस ऑपरेटर नेटवर्क के माध्यम से धर्मशाला दिल्ली और उत्तर भारत के कई शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से धर्मशाला लगभग 520 किलोमीटर की दूरी पर है।
अगर आप त्रिउन्द के लिए हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें निकटतम हवाई अड्डा धर्मशाला से लगभग 13 किलोमीटर दूर गग्गल में स्थित है। गग्गल हवाई अड्डा धर्मशाला को एयर इंडिया और स्पाइस जेट की उड़ानों की मदद से दिल्ली से जोड़ता है। अगर आप भारत के अन्य किसी हिस्से आ रहे हैं तो चंडीगढ़ तक उड़ान भरना और धर्मशाला के लिए अपनी यात्रा के लिए टैक्सी बुक करना सबसे अच्छा विकल्प होगा, जो लगभग 275 किलोमीटर दूर है।
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