Siddivinayak Temple In Hindi : मुंबई में स्थित सिद्दिविनायक मंदिर भारत में श्री गणेश के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान है जिसकी वजह से देश-विदेश से लोग श्री गणेश भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश की एक मूर्ति स्थापित है जिसके पीछे एक बहुत खास कहानी है। इस मंदिर का नाम सिद्दिविनायक इसलिए पड़ा क्योंकि इस मंदिर में गणेश जी की मूर्ति की सूड दाई ओर मुड़ी होती हैं और सिद्धि पीठ से जुड़ी है। भगवान के शरीर से ही इस मंदिर का नाम सिद्दिविनायक हुआ है। इस मंदिर में आने वाले भक्तों को गणेश के ऊपर अटूट विश्वास होता है उनका मानना है कि भगवान उनकी मनोकामना पूरी करेंगे। बता दें कि यह मंदिर मुंबई के सबसे धनी मंदिरों में से एक है, जहां पर प्रतिदिन भारी संख्या में लोग आते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है।
सिद्धिविनायक मंदिर में श्री गणेश जी की जो मूर्ति है वो ढाई फीट चौड़ी है और काले रंग के पत्थरों के टुकड़ों से बनी हुई है। बता दें कि मंदिर में श्री गणेश की मूर्ति की सूंड दाईं ओर झुकती है और उनकी चार भुजाएँ हैं और जिसकी वजह से उन्हें ‘चतुर्भुज’ भी कहा जाता है। श्री गणेश जी की मूर्ति के ऊपरी दाहिने हाथ में एक कमल, अपने ऊपरी बाएं हाथ में एक छोटी कुल्हाड़ी और नीचे वाले बाएं हाथ में एक माला और अपने पसंदीदा ‘मोदक’ से भरा एक कटोरा है।
अगर आप भी सिद्दिविनायक मंदिर के दर्शन करने के बारे में विचार बना रहे हैं तो यहां जाने की पूरी जानकारी हमने इस लेख में दी है।
सिद्धिविनायक मंदिर भारत का एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान गणेश को समर्पित है। महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर के प्रभादेवी में सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त मंदिर है, जिसका निर्माण वर्ष 1801 में लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल ने करवाया था। कहा जाता है कि इस दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी और उन्होंने फिर द्धिविनायक मंदिर बनाने का फैसला किया ताकि यहां बांझ महिलाओं की इच्छा पूरी हो सके।
सिद्धिविनायक मंदिर को बनवाने के पीछे एक कहानी है जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। बता दें कि लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने साल 1801 में भगवान गणेश का एक मंदिर बनाने का फैसला लिया ताकि उस मंदिर में आकर निःसंतान दंपतियों की इच्छायें पूरी हो सके और उन्हें आर्शीर्वाद के रूप में बच्चा प्राप्त हो।
इस मंदिर की मूल संरचना चौकोर नुकीला एक गुंबद के आकार के शिखर से सजी है। बता दें कि एक बार रामकृष्ण जम्भेकर महाराज ने हिंदू संत अक्कलकोट स्वामी समर्थ के एक शिष्य अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए मंदिर के इष्टदेव के सामने दो दिव्य मूर्तियों को गढ़ा दिया था। स्वामी समर्थ की भविष्यवाणी के अनुसार 21 वर्षों की अवधि के बाद दफन मूर्तियों से एक मंदार का पेड़ उग आया जिसकी इसकी शाखाओं में स्वयंभू गणेश की छवि सामने आई।
सिद्धिविनायक मंदिर की भव्य संरचना में एक प्राथमिक ‘कलश’ शामिल है, जो 12 फीट की ऊँचाई तक, तीन 5 फीट तक और 33 अन्य जो 3.5 फीट की ऊंचाई पर खड़े हैं। इस तरह यह 37 गुंबद मुख्य मंदिर परिसर को आकर्षित करते हैं। सिद्धिविनायक मंदिर के पुराने भाग में एक हॉल, मुख्य गर्भगृह, एक बरामदा और एक पानी की टंकी है। इस मंदिर की भव्यता को बढाने के लिए एक नया मंदिर परिसर बनाया गया है जिससे कि इस मंदिर की भव्यता को बढाया जा सके।
वास्तुकार शरद अथले ने मंदिर के डिजाइन को अंतिम रूप देने से पहले राजस्थान और तमिलनाडु में मंदिरों का अध्ययन किया। सारी जरुरी व्यवस्था करने के बाद वर्ष 1990 में सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण शुरू किया गया था। भगवान की पुरानी मूर्ति को बहु कोणीय छः मंजिला रखा गया था, जो सोने की परत वाले गुंबदों के ऊपर बनी थी। अंदर जाने के लिए तीन मुख्य प्रवेश द्वारों को बनाया गया और इस मंदिर के मुकुट को भी एक नया रूप दिया। तीन साल तक काम चलने के बाद सिद्धिविनायक मंदिर एक आकर्षक मंदिर के रूप में हम सभी के सामने आया।
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सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान् गणेश जी की आरती बेहद खास होती है। यहाँ हम आपको इस मंदिर की आरती के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं जो आपको सिद्धिविनायक में यहां मनाए जा रहे खास उत्सव् और त्योहार के अनुसार अपनी यात्रा की योजना बनाने में मदद करेगा
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बता दें कि मुंबई जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक है। मुंबई में मानसून के दौरान अच्छी बारिश होती है। गर्मियों में मुंबई की यात्रा करना अच्छा समय नहीं है क्योंकि यह बेहद गर्म और आर्द्र है। सर्दियों का मौसम मुंबई में बहुत सुखद होता है। अगर मंदिर की बात करें तो बता दें कि दोपहर का समय सिद्धिविनायक मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है क्योंकि इस समय मंदिर में कम भीड़ रहती है। इसके अलावा, आप विनायकी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, माघी श्री गणेश जयंती और भाद्रपद श्री गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों के दौरान मंदिर जा सकते हैं, जिसमें विशेष प्रार्थना सेवाएं हैं।
अगर आप सिद्धिविनायक मंदिर जाना चाहते हैं तो आपको दादर से प्रभादेवी तक पहुंचने के लिए मुंबई शहर के किसी भी कोने से बीईएसटी द्वारा संचालित बस मिल जायेंगी। दादर पहुंचने के लिए आप लोकल ट्रेन की मदद भी ले सकते हैं, इसके साथ ही दादर से प्रभादेवी तक के लिए कैब सेवाएं भी उपलब्ध हो जाती है। आप कैब की मदद से शहर के किसी भी हिस्से से प्रभादेवी तक पहुंच सकते हैं। अगर आप देश या विदेश से सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन करने के लिए मुंबई आ रहे हैं तो मुंबई कैसी पहुंचे इसकी जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं।
अगर आप मुंबई हवाई जहाज से सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन करने आ रहे हैं तो बता दें कि मुंबई देश के साथ-साथ दुनिया से हवाई मार्ग की मदद से अच्छी तरह कनेक्टेड है। छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शहर से लगभग 30 किलोमीटर उत्तर में स्थित है यहां पहुंचने के बाद आप किसी कैब या बस की मदद से प्रभादेवी पहुंच सकते हैं।
मुंबई शहर भारत से रेलगाड़ियों द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मध्य, पूर्व और पश्चिम भारत से आने वाली ट्रेनें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, या वीटी पर आती है। और उत्तर भारत से ट्रेनें मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर आती हैं।
भारत के कई राज्यों और शहरों से बसें मुंबई सेंट्रल बस स्टेशन पर आती हैं। ज्यादातर अंतर-महाराष्ट्र बसें इस स्टेशन पर आती हैं। लेकिन पुणे और नासिक से चलने वाले लोग दादर रेलवे स्टेशन के पास एएसआईएडी बस स्टैंड पर पहुंच सकते हैं।
यह मंदिर प्रभादेवी में स्थित है और यहां जाने वाले व्यक्ति के लिए यह जानना अवश्य है। मंदिर में दो लाइनें हैं, एक पूजा के लिए और दूसरी दर्शन के लिए। जूते, मोबाइल और कैमरे को मंदिर के अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है।
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