प्रयागराज इलाहाबाद कुंभ मेला 2019 प्रयागराज (इलाहाबाद) में जनवरी से अर्धकुंभ मेला शुरू हो रहा है। प्रयागराज अर्ध कुंभ मेला, 2019 जनवरी से मार्च 2019 तक प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत में त्रिवेणी संगम में आयोजित होने वाला अर्ध कुंभ मेला है। चूंकि अर्ध कुंभ मेले को दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है, इसलिए इस मेले में दुनियाभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम में डुबकी लगाते हैं। प्रत्येक 12 वर्ष पर प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार इन चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। लेकिन इनमें से सिर्फ हरिद्वार और प्रयागराज में ही प्रत्येक 6 साल पर अर्धकुंभ मेला आयोजित किया जाता है। इस बार छह वर्षों के बाद प्रयागराज में जनवरी से यही अर्धकुंभ मेला शुरू होने जा रहा है।
अगर आप अर्धकुंभ मेले में जाना चाहते हैं और मेले की विशेषता एवं संगम क्षेत्र में घूमने लायक रमणीय स्थलों एवं अर्धकुंभ के दौरान होने वाले शाही स्नानों के बारे में जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल में हम आपको वह सबकुछ बताने जा रहे हैं।
प्रयागराज अर्ध कुंभ मेला, 2019 जनवरी से मार्च 2019 तक प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत में त्रिवेणी संगम में आयोजित होने वाला है। संगम तट प्रयागराज पर कुंभ 2019 का आयोजन 14 जनवरी से 4 मार्च तक होगा। यह मेला डेढ़ महीनों से भी अधिक समय यानि लगभग 50 दिन तक चलेगा।
प्रयागराज अर्धकुंभ मेला 15 जनवरी दिन सोमवार वर्ष 2019 से शुरू हो रहा है। यह मेला डेढ़ महीनों से भी अधिक समय यानि लगभग 50 दिन तक चलेगा। पहला स्नान 15 जनवरी से शुरू होगा जबकि अंतिम स्नान 4 मार्च को होगा। इसी स्नान के साथ अर्धकुंभ मेले का समापन भी हो जाएगा। आइये जानते हैं इन डेढ़ महीनों में अर्धकुंभ का मुख्य स्नान किन तिथियों को पड़ेगा।
आपको बता दें कि प्रयागराज अर्धकुंभ में तीन शाही स्नान पड़ रहा है।
वैसे तो अर्धकुंभ मेला अपनी विशेषताओं के कारण ही दुनियाभर में प्रसिद्ध है लेकिन चूंकि हर बार की अपेक्षा इस बार के अर्धकुंभ मेले के आयोजन पर कई करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं ताकि श्रद्धालुओं को हर तरह की सुविधा प्रदान की जा सके। आइये जानते हैं अर्धकुंभ मेला 2019 की क्या है खासियत।
इस वर्ष का अर्ध कुंभ मेला हर बार की अपेक्षा अधिक ऐतिहासिक और बेहद खास होगा। पहली बार श्रद्धालु न सिर्फ गंगा, यमुना संगम में स्नान कर सकेंगे, बल्कि वे अदृश्य सरस्वती नदी को भी महसूस कर पाएंगे।
इससे पहले अर्ध कुंभ मेले का आयोजन 20 किमी क्षेत्र में किया जाता था लेकिन इस वर्ष मेला क्षेत्र को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। यानि अबकी बार लगभग 45 किलोमीटर क्षेत्र में अर्धकुंभ मेले का आयोजन होगा। इसके आधार पर कुंभ मेले की विशेषता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रयागराज के अर्धकुंभ मेले में विशेषरूप से युवाओं के लिए सेल्फी प्वाइंट बनायी गई है जहां वे खड़े होकर मेले की सेल्फी आसानी से ले सकते हैं।
श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने के लिए मेला क्षेत्र में एक लाख बाइस हजार पांच सौ शौचालयों का निर्माण किया गया है।
इसके अलावा संपूर्ण मेला परिसर में चालीस हजार से अधिक एलईडी लाइटें लगायी गई हैं।
इसके अलावा वाटर एम्बुलेंस की भी व्यवस्था की गई है। नदी में स्नान के दौरान किसी तरह की दुर्घटना होने पर श्रद्धालुओं को तत्काल इसकी सुविधा प्रदान की जाएगी।
मेले में जगह जगह रामलीला का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकार भा ले सकते हैं।
अर्धकुंभ मेले में श्रद्धालुओं के भोजन की भी उचित व्यवस्था है। पूरे मेला परिसर में कई जगहों पर दिन और रात में भंडारे और लंगर का आयोजन किया जाता है जिसमें साधु संतों सहित आम लोगों को भी भोजन कराया जाता है। आप यहां भोजन प्राप्त कर सकते हैं।
प्रयागराज में कुंभ मेले के इतिहास में पहली बार श्रद्धालुओं के लिए लग्जरी टेंट में ठहरने की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालु अपने बजट के हिसाब से इसकी प्री बुकिंग करा सकते हैं। हालांकि लग्जरी टेंट अन्य टेंट की अपेक्षा काफी महंगा होगा।
इस बार मेले में लोगों को हेलिकॉप्टर व्यू और लेजर शो भी देखने को मिलेगा। इसकी तैयारियां जोरों पर हैं।
चूंकि अर्धकुंभ मेले में शाही स्नान सबसे पहले अखाड़े के साधु संत करते हैं और इनके बाद ही श्रद्धालु पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती का स्नान कर सकते हैं। इसलिए खास बात यह है कि आप अर्धकुंभ में दुनियाभर के साधुओं का दर्शन एक साथ कर सकते हैं।
अर्धकुंभ मेला परिसर में साधुओं को अलग अलग अखाड़े आवंटित किये गए हैं। इसलिए पूरे मेला क्षेत्र में आपको कई सारे अखाड़े देखने को मिलेंगे। नागा और अघोरी साधु और महिला सन्यासिनी मेले का मुख्य आकर्षण होते हैं। इन्हें देखने के लिए भारी भीड़ होती है।
संपूर्ण मेला परिसर में जगह जगह दिन और रात में सत्संग, भक्ति संगीत और प्रवचन का आयोजन होता है। श्रद्धालुओं को सत्संग और प्रवचन सुनाने मोरारी जी बापू सहित कई प्रसिद्ध संत आते हैं। इस मेले में लोग लोकप्रिय और आंचलिक भजन गायकों के भजनों का भी आनंद उठा सकते हैं। इसके अलावा अर्धकुंभ मेले में कई योग गुरु भी सम्मिलित होते हैं।
इलाहाबाद में संगम क्षेत्र में अर्धकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। यह क्षेत्र काफी विस्तृत है और पूरे क्षेत्र में जगह जगह घूमने लायक कई रमणीय स्थल हैं जो हमेशा से मेले में आने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। आप अगर इलाहाबाद अर्धकुंभ 2019 में आने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पवित्र संगम में डुबकी लगाने के बाद आप इन स्थानों के भी दर्शन कर सकते हैं।
मेला परिसर यानि संगम क्षेत्र में ही सरस्वती कूप स्थित है। इस बार अर्धकुंभ मेले में सरस्वती कूप का भी दर्शन संभव हो पाएगा। सरस्वती कूप को धरती का सबसे पवित्र कुआं माना जाता है। माना जाता है कि संगम की अदृश्य नदी सरस्वती का वास इसी कूप में है। पौराणिक होने के कारण अर्धकुंभ मेले में जाने वाले श्रद्धालु इस कूप का दर्शन कर सकते हैं।
अकबर के किले में पवित्र अक्षय वट स्थित है। अर्धकुंभ मेले के दौरान इसे आम जनता के दर्शन के लिए खोलने की मांग चल रही थी। अभी हाल ही में सरकार ने दर्शन की अनुमति प्रदान की है। मेला शुरू होने पर अब श्रद्धालु अक्षयवट का दर्शन कर सकेंगे। इस वृक्ष को अमर वृक्ष माना जाता है और प्राचीन ग्रंथों में इस वृक्ष का उल्लेख होने के कारण हिंदू इस वृक्ष की पूजा करते हैं। इसलिए आप प्रयागराज अर्धकुंभ मेले में आयें तो अक्षयवट वृक्ष का दर्शन जरूर करें।
यह मंदिर संगम क्षेत्र में ही स्थित है और उत्तर भारत में हनुमान जी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यहां हनुमान जी की एक बड़ी मूर्ति लेटे हुए मुद्रा में है इसलिए इस मंदिर को बड़े हनुमान जी या लेटे हनुमान जी का मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि बरसात के दिनों में जब गंगा नदी में बाढ़ आती है तो मां गंगा अपने निर्मल जल से हनुमान जी को स्नान कराती हैं।
यह मंडप भी देखने में किसी मंदिर की भांति ही लगता है। लेकिन संगम क्षेत्र में स्थित होने के कारण लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। शंकर विमान मंडपम 130 फुट ऊंचा है और यहां कुमारिल भट्ट, जगतगुरु शंकराचार्य, कामाक्षी देवी, भगवान शंकर सहित अन्य देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।
ज्यादातर लोगों को मालूम है कि अकबर का किला, जिसे इलाहाबाद का किला के नाम से जाना जाता है, संगम क्षेत्र में ही स्थित है। यह किला सम्राट अकबर ने बनवाया था। लेकिन वर्तमान में सेना द्वारा इस किले का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप इस किले को देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अनुमति लेनी पड़ेगी।
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