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महाबोधि मंदिर बोधगया की पूरी जानकारी – Complete information of Mahabodhi Temple in Hindi

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Mahabodhi Temple in Hindi : महाबोधि मंदिर बिहार के बोधगया में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है जिसकी गिनती भारत के 10 सबसे प्रसिद्ध मंदिर में की जाती है। महाबोधि मंदिर एक बौद्ध मंदिर है, जिसे “महान जागृति मंदिर” भी कहा जाता है। बता दे यह मंदिर जो उस स्थान को चिन्हित करता है जहाँ भगवान बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त किया था। भगवान बुद्ध भारत के धार्मिक इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि उन्हें माना जाता है कि वे 9 वें और भगवान विष्णु के सबसे हाल के अवतार हैं जिन्होंने धरती पर कदम रखा था। मंदिर 4.8 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला है और 55 मीटर लंबा है। पवित्र बोधि वृक्ष मंदिर के बाईं ओर स्थित है और माना जाता है कि यह वास्तविक वृक्ष का प्रत्यक्ष वंशज है, जिसके नीचे बैठकर भगवान गौतम बुद्ध ने ध्यान किया और आत्मज्ञान प्राप्त किया।

आप इस प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर की यात्रा को प्लान कर रहे है या फिर इसके बारे में और अधिक जानने के लिए उत्साहित है तो आपको हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढना जिसमे हम महाबोधि मंदिर के बारे में विस्तार से बात करने वाले है –

Table of Contents

महाबोधि मंदिर का इतिहास – History of Mahabodhi Temple in Hindi

image Credit : MR Trawat Ritd

महाबोधि मंदिर के निर्माण स्पष्ट तिथि अज्ञात है लेकिन यह मंदिर लगभग 2000 हजार बर्षो से हिंदुओं और बौद्धों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। यह सबसे प्राचीन बौद्ध मंदिरों में से एक हैइस मंदिर में अशोक के काल के कुछ शिलालेख भी मौजूद है जो 232 ईसा पूर्व के हैं। मंदिर की मूल संरचना जाड्या मजबूत नही थी क्योंकि यह ज्यादातर ईंटों से बनी हुई थी, जो पत्थर की तुलना में बहुत कम टिकाऊ होती है। इसीलिए मंदिर के जाड्यातर हिस्सों का पुनिनिर्माण  किया गया है जिनमे कुछ 7 वीं शताब्दी सीई, या शायद कुछ उससे भी पहले जबकि अंतिम बार 19 वीं शताब्दी के बाद किया गया था।

महाबोधि मंदिर का महत्व – Importance of Mahabodhi Temple in Hindi

बता दे महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म के लोगो के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। महाबोधि मंदिर भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित चार पवित्र स्थलों में से एक है, और विशेष रूप से ज्ञान की प्राप्ति के लिए। कथायों और तथ्यों के अनुसार यह वही पवित्र स्थल है जहाँ भगवान गौतम बुद्ध को आत्म ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और सभी मोहमाया को त्याग कर कर अपने जीवन को जन कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। इस प्रकार यह मंदिर बौद्ध धर्म के लोगो के साथ साथ सभी धर्म के लोगो और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जहाँ हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते है।

बोधि वृक्ष – Mahabodhi Tree in Hindi

Image Credit : Mr. Rungsun Klinkaeo.

बोधि वृक्ष महाबोधि मंदिर और बोधगया का महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक वृक्ष या स्थान है जो सिद्धार्थ गौतम के जीवन से सीधे जुड़ा हुआ है। युवा राजकुमार सिद्धार्थ गौतम ने दुनिया के कष्टों को देखा और इसे सहन नहीं कर सके। दुनिया के सभी कष्टों और पीड़ाओं को समाप्त करने की तलाश में, वह गया में फल्गु नदी के वनों में पहुँचे। जिसके बाद वह एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान की अवस्था में बैठे और तीन रात और तीन दिन तक गहन ध्यान अवस्था में रहने के बाद; सिद्धार्थ गौतम ने आत्मज्ञान प्राप्त किया जिसके बाद पिपल वृक्ष को बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाने लगा। और सिद्धार्थ गौतम को गौतम बुद्ध ने नाम से। यहीं पर सम्राट अशोक ने एक मंदिर बनवाया था, जो महान गौतम बुद्ध की स्मृति में समर्पित था।

महाबोधि मंदिर की वास्तुकला – Architecture of Mahabodhi Temple in Hindi

 

महाबोधि मंदिर का निर्माण ईटों से किया गया था जो पूर्वी भारत में सबसे पुरानी ईंट संरचनाओं में से एक है। इसे भारतीय ईंटवर्क का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है, जो बाद की वास्तु परंपराओं के विकास में अत्यधिक प्रभावशाली था। यूनेस्को के अनुसार, “वर्तमान मंदिर गुप्त काल से पूरी तरह से ईंटों में निर्मित सबसे प्रारंभिक और सबसे भव्य संरचनाओं में से एक है। महाबोधि मंदिर का केंद्रीय टॉवर चार छोटे टॉवरों से घिरा हुआ है, जो एक ही शैली में निर्मित हैं।

महाबोधि मंदिर पत्थर की दो अलग-अलग प्रकार की रेलिंगों से घिरा हुआ है,बलुआ पत्थर से बनी रेलिंग लगभग 150 ईसा पूर्व के हैं, जिनमे से कुछ रेलिंग अनगढ़े मोटे ग्रेनाइट से निर्मित हैं, गुप्त काल के माने जाते हैं। पुरानी रेलिंग में लक्ष्मी, हिंदू / बौद्ध धन की देवी, हाथी द्वारा स्नान किए जाने जैसे दृश्य हैं। जबकि नई रेलिंग में स्तूपों के अवशेष (अवशेषी मंदिर) और गरुड़ (चील) हैं।
प्राचीन मंदिर के गर्भगृह में बुद्ध की एक सोने की चित्रित मूर्ति रखी गई है और यह काले पत्थर से बनी है। इसे बंगाल के पाल राजाओं ने बनवाया था। बुद्ध को भूमिपुत्र मुद्रा आसन या ‘पृथ्वी स्पर्श मुद्रा’ में बैठा हुआ भी देखा जाता है।

और पढ़े : भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर और बौद्ध स्थल

महाबोधि मंदिर के दर्शन के लिए टिप्स – Tips For Visiting Mahabodhi Temple in Hindi

यदि आप महाबोधि मंदिर पर जाने वाले है या जाने को प्लान कर रहे हैं अपनी यात्रा पर जाने से पहले कुछ इम्पोर्टेन्ट टिप्स को अवश्य जान लें

  • जब भिक्षु और भक्त एक साथ बोधि वृक्ष के चारों ओर पूजा करते हैं तो उस दृश्य को अवश्य देखें।
  • आप जब महाबोधि मंदिर की यात्रा पर आयें तो ध्यान रखें मंदिर के मंदिर फोटोग्राफी और मोबाइल फ़ोन ले जाने की अनुमति नही है इसीलिए इस सब चीजों को बाहर अपनी गाडी में छोड़कर जाएँ।
  • ध्यान दे मंदिर की पूर्ण एवं विस्तृत यात्रा के लिए 2 – 3 घंटे का समय जरूर व्यतीत करें।

महाबोधि मंदिर खुलने का समय – Timings of Mahabodhi Temple in Hindi

image Credit : Manas Chakraborty

यदि आप महाबोधि मंदिर की यात्रा पर जाने वाले है और मंदिर की टाइमिंग सर्च कर रहे है तो हम आपको बता दे महाबोधि मंदिर प्रतिदिन सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे, शाम 4:00 बजे तक खुला रहता है।

महाबोधि मंदिर की एंट्री फीस – Entry Fee of Mahabodhi Temple in Hindi

महाबोधि मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुयों को बता दे मंदिर में प्रवेश और दर्शन के लिए कोई भी शुल्क नही है।

महाबोधि मंदिर के आसपास घूमने की जगहें – Places to visit around Mahabodhi Temple in Hindi

यदि आप बोधगया में महाबोधि मंदिर घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो क्या आप जानते है बोधगया में महाबोधि मंदिर के साथ साथ अन्य कई पर्यटन स्थल मौजूद है जिन्हें आप महाबोधि मंदिर की यात्रा में घूमने जा सकते है –

  • थाई मठ
  • रॉयल भूटानी मठ
  • बुद्ध की ऊंची प्रतिमा
  • जापानी मंदिर
  • आर्कियोलॉजिक म्यूजियम
  • तिब्बती बाजार
  • मुचलिंडा झील
  • चीनी मंदिर
  • विष्णुपद मंदिर, गया
  • वियतनामी मंदिर
  • डूंगेश्वरी हिल्स

महाबोधि मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Mahabodhi Temple in Hindi

Image Credit : Surendra Gaware

चूंकि बौद्ध पूर्णिमा(Buddha Purnima) गर्मी के महीने में पड़ती है इसलिए बेहद गर्मी होने के कारण दुनिया के कोने कोने से पर्यटक बुद्ध जयंती मनाने के लिए यहां आते हैं। अगर आप मई के महीने में बोध गया आते हैं तो सूती कपड़े पहनकर आएं। अप्रैल से जून के बीच यहां गर्मी पड़ती है इसलिए पैदल चलकर बोधगया के सभी स्थल देखना संभव नहीं हो पाता है इसलिए इस महीने में कम पर्यटक आते हैं। मार्च से अक्टूबर के बीच का महीना बोधगया आने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान पर्यटक(Tourist) बिना अधिक गर्मी या बारिश के बेहद आराम से बोध गया घूम सकते हैं।

और पढ़े : बोधगया के दर्शनीय स्थल और उनकी यात्रा

बोधगया में रुकने के लिए होटल्स – Hotels to stay in Bodh Gaya in Hindi

यदि महाबोधि मंदिर और बोधगया के अन्य पर्यटक स्थलों की यात्रा में रुकने के लिए होटल्स को सर्च कर रहे है तो हम आपको बता दे में बोधगया सभी बजट की होटल्स उपलब्ध है जिन्हें आप अपने बजट और चॉइस के अनुसार सिलेक्ट कर सकते है।

  • होटल बोद्ध विलास (Hotel Bodh Vilas)
  • बोधगया होटल स्कूल (The Bodhgaya Hotel School)
  • सकुरा हाउस (Sakura House)
  • कुंदनबाजार गेस्ट हाउस Kundanbazar Guest House
  • बोधि रेजीडेंसी (Bodhi Residency)

महाबोधि मंदिर बोधगया केसे पहुचें – How to Reach Mahabodhi Temple Bodh Gaya in Hindi

भगवान बुद्ध से संबंधित मंदिर और पर्यटन स्थल होने के कारण बोधगया सड़क मार्ग, ट्रेन और फ्लाइट सभी के द्वारा काफी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जिनसे यात्रा करके कोई भी आसानी से महाबोधि मंदिर पहुच सकते है।

तो आइये हम डिटेल में जानते है की हम फ्लाइट, ट्रेन और सड़क मार्ग से महाबोधि मंदिर जायें –

फ्लाइट से महाबोधि मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Mahabodhi Temple By Flight In Hindi

महाबोधि मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा(Airport) गया है जो बोधगया शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर है। हालांकि यहां कम ही फ्लाइटें आती हैं लेकिन यह कोलकाता से हवाई मार्ग द्वारा अच्छी तरह से कनेक्ट है। थाई एयरवेज की गया के लिए नियमित उड़ानें हैं जबकि बैंकॉक से ड्रुक एयर हफ्ते में एक दिन गया के लिए उड़ान भरती है।

इसके अलावा पटना एयरपोर्ट(Patna Airport) कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, रांची, लखनऊ सहित भारत के अन्य शहरों से इंडियन एयरलाइंस और अन्य घरेलू वाहकों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पटना से बोधगया 135 किमी दूर है। एयरपोर्ट के बाहर से आप टैक्सी बुक करके महाबोधि मंदिर पहुंच सकते हैं।

ट्रेन से महाबोधि मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Mahabodhi Temple By Train In Hindi

बोधगया का निकटतम रेलवे स्टेशन(Nearest Junction) गया जंक्शन है जो यहां से 13 किमी दूर है। इस स्टेशन से कई राज्यों से ट्रेनें गुजरती हैं। आप गया रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सी लेकर महाबोधि मंदिर पहुंच सकते हैं। गया स्टेशन पर सियालदह(Sealdah) नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस, हावड़ा नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस और कोलकाता मेल जैसी ट्रेनें पहुंचती हैं। पटना जंक्शन से बोधगया 110 किमी दूर है। पटना पहुंचने के लिए बंगलौर, दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और पुणे से कई ट्रेनें हैं।

बस से महाबोधि मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Mahabodhi Temple By Bus In Hindi

गया से एक मुख्य सड़क बोधगया शहर को जोड़ती(Connect) है। पटना से बोधगया के लिए  बिहार राज्य पर्यटन निगम की बसें प्रतिदिन दो बार चलती हैं। इसके अलावा डीलक्स बसें भी चलती हैं। पटना के अलावा, नालंदा, राजगीर, वाराणसी और काठमांडू से भी बस सेवाएं उपलब्ध हैं। अब लक्जरी वातानुकूलित वोल्वो बसें भी शुरू हो गई हैं जो आसपास के शहरों से बोधगया को जाती हैं। बस के अलावा आप टेक्सी, कैब या अपनी निजी कार से यात्रा करके भी महाबोधि मंदिर पहुच सकते है।

और पढ़े : भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर 

महाबोधि मंदिर का मेप – Map of Mahabodhi Temple in Hindi

इस आर्टिकल में आपने महाबोधि मंदिर की यात्रा और इससे जुडी अन्य जानकारी के बारे में जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।

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