Jahar Veer Gogaji Temple In Hindi : गोगाजी का मंदिर राजस्थान के प्रमुख मंदिर में से एक है जो हनुमानगढ़ में गोगामेड़ी शहर में स्थित है। आपको बता दें कि यह मंदिर गोगाजी महाराज को समर्पित है जिन्हें जाहरवीर गोगाजी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर की यात्रा सभी धर्मों के लोग करते हैं। हर साल भादव शुक्लपक्ष की नवमी के मौके पर यहां पर एक मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसे ‘गोगाजी मेला’ के नाम से जाना जाता है।
मेले के दौरान भक्तों को मंदिर में गोगाजी महाराज के दर्शन करने के लिए लंबी लाइनों में लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई कथाओं के अनुसार गोगा जी को सापों का देवता भी कहा जाता है और आज भी यह माना जाता है कि अगर किसी सांप के द्वारा काटे गए व्यक्ति को यहां लाया जाता है तो वह सांप के जहर से मुक्त हो जाता है। बता दें कि लोग गोगा जी को जाहर पीर, गोगाजी चौहान, गुग्गा और जाहिर वीर के नाम से भी जानते हैं।
अगर आप गोगा जी मंदिर के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम आपको गोगाजी मंदिर और इसके पास के पर्यटन स्थलों के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
श्री गोगाजी के बारे में ऐसा कहा जाता था कि वे गोरखनाथ जी के परम शिष्य थे। नाथ पंथ में नौ सिद्ध पंथ हैं, उनमें से सबसे प्रमुख श्री गोरख नाथ हैं जो एक कुशल योगी थे। इस स्थान पर श्री गोरखनाथ की पूजा की जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि श्री गोगाजी इस स्थान पर श्री गोरखनाथ जी से मिले से और उनके शिष्य बन गए। गोरख नाथ जी ने उन्हें यहाँ आध्यात्मिक शिक्षा दी थी। श्री गोरख नाथ मंदिर इस स्थान से पश्चिम की ओर केवल 3 किलोमीटर दूर है।
गोगाजी का जन्म राजस्थान के चुरू जिले में चौहान राजा ज़ेवर और रानी बाछल के घर हुआ था। माना जाता है कि गोगाजी का जन्म समय लगभग 900 ईस्वी का है। उन्होंने अपना बचपन अपने जन्म स्थल पर ही बिताया था। पौराणिक कथाओं की माने तो रानी बाछल ने अपने गुरु गोरखनाथ से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना मांगी थी, गुरु तब तपस्या कर रहे थे तो उन्होंने रानी बाछल से कहा कि वे अपनी तपस्या पूरी होते ही उसे संतान प्राप्ति के लिए प्रसाद देंगे। जब गुरु गोरखनाथ रानी बाछल के यहां आये थे तो उसी जुड़वाँ बहन जो उससे ईर्ष्या करती थी उसने गुरु जी से आशीर्वाद ले लिया और प्रसाद ग्रहण कर लिया।
बाछल देवी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने गुरूजी से कहा कि उसकी बहन ने उसे धोखा दिया है। गुरु गोरखनाथ ने कहा कि चिंता न करने मेरा आशीर्वाद खाली नहीं जायेगा। गुरु ने रानी को गुगल नामक फल दिया और इस फल को खाने के बाद वे गर्भवती हो गई। गुरु के आशीर्वाद के अनुसार उनका जो पुत्र हुआ वो बेहद शक्तिशाली था और गुगल नामक फल के नाम पर ही उनका नाम गोगाजी रखा गया था। गोगाजी राजस्थान के लोगों के लिए एक प्रसिद्ध स्थानीय देवता हैं। उनका एक मंदिर भी है जिसे ‘थान’ के नाम से जाना जाता है।
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वैसे तो हर रोज गोगाजी मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन भाद्र मास (अगस्त-सितंबर) के 9 वें दिन लोग गोगाजी श्रद्धांजलि देने के लिए यहां आते हैं। मंदिर में रिवाज के रूप में डीअर पर काला सांप बनाया जाता है और गोगाजी को प्रसन्न करने के लिए मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं और उसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। मंदिर में प्रसाद के रूप में चूरमा भी शामिल है। गोगाजी के सम्मान में हर साल एक विशाल मेला आयोजित किया जाता है जिसमें भारी संख्या में भक्त शामिल होते हैं।
यह मेला मंदिर समिति द्वारा आयोजित किया जाता है जो 9 वें दिन शुरू होता है 11 वें दिन तक यानि 3 दिनों तक चलता है। मेले में राजस्थान के भोजन और स्थानीय कलाकृतियों को बेचने वाले कई प्रकार के स्टॉल लगते हैं। यहां पर लोग गोगाजी के भजन गाते और ढोल बजाकर नाचते हैं। इस मेले के दौरान लोग गोगाजी के जन्म स्थान पर जश्न मानते हैं और अपने गले में सांप डालते हुए नाचते हैं।
अगर आप हनुमानगढ़ में स्थित गोगाजी मंदिर की यात्रा करने के लिए जा रहें हैं तो आपको बता दें कि कुछ प्रमुख पर्यटक और ऐतिहासिक आकर्षण भी स्थित हिं जहां की यात्रा आपको एक बार जरुर करना चाहिए।
भटनेर किले को हनुमानगढ़ किले के रूप में जाना जाता है। आपको बता दें कि यह किला हनुमानगढ़ के केंद्र में गग्गर नदी के तट पर स्थित है। अगर आप हनुमानगढ़ की यात्रा करने जा रहें हैं तो इस किले को देखने के लिए जरुर जाना चाहिए। आपको बता दें कि यह किला लगभग 1700 वर्ष से अधिक पुराना है और इसे भारत के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाता है।
सिला पीर मंदिर हनुमानगढ़ शहर के बस स्टैंड के करीब स्थित एक प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में मूर्ति की पूजा हिंदू, मुस्लिम और सिख करते हैं। यहां मुसलमान लोग सिला पीर के रूप में पूजा करते हैं और हिंदू इसे सिला माता के रूप में पूजते हैं। ऐसा माना जाता है यहां पर जो दूध और जल चढ़ाया जाता है वो सभी तरह के त्वचा रोगों को ठीक करने में सक्षम है। आपको बता दें कि हर गुरुवार के दिन यहां पर एक मेले का आयोजन किया जाता है।
कालीबंगन पुरातत्व संग्रहालय हनुमानगढ़ का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और पुरातत्व में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक बहुत अच्छी जगह है। आपको बता दें कि यह संग्रहालय हनुमानगढ़ और सूरतगढ़ जिलों के बीच तहसील पीलीबंगा में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना साल 1983 में 1961 और 1969 के बीच पुरातत्व स्थल कालीबंगन से उत्खनन की गई सामग्रियों को संग्रहीत करने के लिए की गई थी। इस संग्रहालय में हड़प्पा की कलाकृतियों को भी देखा जा सकता है। अगर आप एक इतिहासप्रेमी हैं तो आपको इस संग्रहालय की यात्रा जरुर करना चाहिए।
ब्राह्मणी माता मंदिर हनुमानगढ़ शहर से लगभग 100 किमी की दूरी पर हनुमानगढ़ – किशनगढ़ मेगा हाईवे पर स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। आपको बता दें कि यह मंदिर पुराने कल्लोर किले के अवशेषों पर टिका है। हर साल नवरात्री के दौरान यहां पर माता ब्राह्मणी मेले का आयोजन किया जाता है।
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श्री गोरख नाथजी का मंदिर भगवान शिव के साथ-साथ उनके परिवार, देवी काली, श्री भैरूजी और श्री गोरख नाथजी की धूना को समर्पित है। आपको बता दें कि यह मंदिर गोगामेड़ी के रेलवे स्टेशन से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मत्स्येंद्रनाथ के शिष्य, श्री गोरख नाथ जी एक प्रतिभाशाली योगी थे। इस धार्मिक स्थल पर श्री गोरखा नाथ की धूना या चिमनी देखी जा सकती है। इस मंदिर में ईंटों, चूने, सीमेंट और मोर्टार से बनी देवी काली की एक खड़ी हुई मूर्ति है जो लगभग 3 फीट ऊँची है। इसके अलावा इस मंदिर में श्री भैरूजी की भी मूर्ति है। आपको बता दें कि इन मूर्तियों के पास शिव के पूरे परिवार की मूर्ति विराजमान हैं। यह मंदिर पूरे साल भक्तों के लिए खुला रहता है। अगर आप हनुमानगढ़ की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने के लिए भी जाना चाहिए।
कालीबंगन पुरातात्विक स्थल हनुमानगढ़ का एक ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है। बता दें कि यह साइट प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का एक हिस्सा है जिसका इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है। इस दिलचस्प साइट पर 3500 ईसा पूर्व – 2500 ईसा पूर्व से पूर्व-हड़प्पा बस्तियां भी हैं जिससे यह साबित होता है कि भारत में हड़प्पा सभ्यता से पहले एक अच्छी तरह से स्थापित जीवन शैली मौजूद थी। कालीबंगन में हुई खुदाई में हड़प्पा की मुहरें, मानवों के कंकाल, तांबे की चूड़ियां, कुए, स्नानगृह, सड़कें और एक किले के अलावा और भी चीजों का पता चला है। अगर आप पुरातत्व और इतिहास में रूचि रखने वाले हैं तो आपको कालीबंगन पुरातात्विक स्थल एक बार जरुर जाना चाहिए।
माता भद्रकाली का मंदिर हनुमानगढ़ शहर से सात किलोमीटर की दूरी पर घग्गर नदी के किनारे पर स्थित एक धार्मिक स्थल है। आपको बता दें यह मंदिर माता भद्रकाली हैं जो देवी दुर्गा के कई अवतारों में से एक है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख मंदिर है, जिसकों बीकानेर के 6 वें शासक, महाराजा राम सिंह ने अकबर की इच्छा को पूरा करने के लिए निर्माण किया और बाद में बीकानेर के राजा, महाराजा धीरी गंगा सिंहजी ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया। इस मंदिर में माता की लाल पत्थर से निर्मित मूर्ति है जो जो 2. 6 फीट ऊंचा है और गहनों से ढकी हुई है। यह मंदिर भक्तों के लिए हर दिन खुला रहता है। चैत्र के महीने में 8 वें और 9 वें दिन यहां पर भक्तों की काफी भीड़ हो जाती है। अगर आप हनुमानगढ़ की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको भद्रकाली का मंदिर के दर्शन करने के लिए जरुर जाना चाहिए।
श्री कबूतार साहिब गुरुद्वारा नोहर शहर में हनुमानगढ़ से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित है। बता दें कि इस गुरूद्वारे का निर्माण गुरु गोविंद सिंह की ऐतिहासिक यात्रा को मनाने के लिए नवंबर, 1706 के महीने में किया गया था। गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु और खालसा पंथ के संस्थापक थे। आप अपनी हनुमानगढ़ यात्रा के दौरान इस गुरुद्वारे की यात्रा कर सकते हैं।
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गोगा जी मंदिर हनुमानगढ़ में स्थित है जहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा सर्दियों का मौसम होता है, क्योंकि गर्मियों के मौसम में राजस्थान में बहुत तेज गर्मी पड़ती है जिसकी वजह से यह मौसम पर्यटन स्थलों की यात्रा के लिए सही नहीं है। फरवरी, मार्च और सितंबर से दिसंबर के महीने हनुमानगढ़ में घूमने के लिए अच्छा समय है। भाद्र मास (अगस्त-सितंबर) के 9 वें दिन गोगा जी मंदिर में 3 दिन के मेले का आयोजन होता है, अगर आप इस मेले में शामिल होना चाहते हैं तो अगस्त-सितंबर के दौरान मंदिर की यात्रा कर सकते हैं।
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अगर आप हनुमानगढ़ या गोगा जी मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि देश के कई प्रमुख शहरों से हनुमानगढ़ के लिए आसानी से नियमित ट्रेन प्राप्त कर सकते हैं। देश के अन्य प्रमुख शहरों से हनुमानगढ़ के लिए नियमित बसें हैं। श्री गोगाजी का मंदिर, हनुमानगढ़ शहर से लगभग 120 किमी और गोगामेड़ी के रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अगर आप हनुमानगढ़ की यात्रा हवाई जहाज से करना चाहते है तो बता दें कि हनुमानगढ़ में अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है। इसका निकटतम हवाई अड्डा लुधियाना हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अगर आप रेल द्वारा गोगा जी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि गोगामेड़ी के रेलवे स्टेशन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन हैं जो मंदिर से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अगर आप हनुमानगढ़ की यात्रा सड़क मार्ग द्वारा करना चाहते हैं तो बता दें कि हनुमानगढ़ सूरतगढ़, गंगानगर, अबोहर से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है जो इससे क्रमशः 29 किमी, 35 किमी, 37 किमी दूर हैं। इन शहरों से आप हनुमानगढ़ की यात्रा बिना किसी परेशानी के कर सकते हैं।
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इस लेख में आपने गोगा जी मंदिर की यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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