Sanwaliya Seth Temple in Hindi : सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ शहर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर मंडफिया में स्थित भगवान् कृष्ण को समर्पित एक भव्य मंदिर है जो देश भर के श्र्धालुयों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। बता दे यह मंदिर चित्तौड़गढ़-उदयपुर राजमार्ग पर पड़ता है यही एक और वजह है की हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए आते है। यह मंदिर उन व्यापारियों के लिए अत्यधिक महत्व का माना जाता है जो अपने व्यवसायों में सफलता और धन पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। इस मंदिर से एक दिलचस्प पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है जो श्र्धालुयों को एक इस मंदिर की यात्रा और इसके बारे में और अधिक जानने के लिए उत्साहित करती है।
यदि आप भी सांवलिया सेठ के दर्शन या इस मंदिर के बारे में जानना चाहते है तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
सेठ सांवलिया मंदिर का इतिहास आज से लगभग 150 साल से अधिक पुराना माना जाता है। इस मंदिर के निर्माण से एक प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुई है जिसके अनुसार माना जाता है मंदिर में स्थापित सेठ सांवलिया की अलोकिक मूर्ति जमीन के अन्दर से निकाली गई थी।
सांवरियाजी मंदिर परिसर एक भव्य सुंदर संरचना है जो गुलाबी बलुआ पत्थर में निर्मित है। मंदिर के गर्भगृह में सेठ सांवलिया जी की काले पत्थर की बनी एक मूर्ति स्थापित है जो भगवान कृष्ण के रंग को दर्शाती है। सांवलिया सेठ मंदिर की वास्तुकला प्राचीन हिंदू मंदिरों से प्रेरित है मंदिर की दीवारों और खम्भों पर सुंदर नक्काशी की गयी है जबकि, फर्श गुलाबी, शुद्ध सफेद और पीले रंग के बेदाग रंगों से बना है।
भगवान विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित सांवलिया सेठ मंदिर इस क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर से आज से लगभग 200 साल पहले की एक दिलचस्प किवदन्ती जुड़ी हुई है जिसके बारे में जानने के लिए श्रद्धालु काफी उत्साहित होते है। माना जाता है बर्ष 1840 में, भोलाराम गुर्जर नाम के एक दूधवाले को भदसोड़ा-बागुंड के छपार गांव में भूमिगत दफन तीन दिव्य मूर्तियों को छिपे होने का सपना आया था। जिसके बाद स्थानीय लोगो की मदद से उन स्थानों की खुदाई की गई और उन दिव्य मूर्तियों को निकला गया। माना जाता है इन तीनो मूर्तियों में से एक मूर्ति को मंडपिया में ले जाया गया, एक को भादसोडा और तीसरी मूर्ति को उसी स्थान पर विराजित किया गया जहाँ से इन अलोकिक मूर्तियों को निकाला गया था। उसके बाद से सांवलिया जी के ये तीन मंदिर बेहद प्रसिद्ध हुए और तब से बड़ी संख्या में भक्त उनके दर्शन करते हैं। इन तीन मंदिरों में, मंडफिया मंदिर को सांवलिया जी धाम (सांवलिया का निवास) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
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यदि आप सांवलिया सेठ मंदिर की यात्रा पर जाने वाले है लेकिन अपनी यात्रा पर जाने से पहले सांवलिया सेठ के दर्शन टाइम के बारे में जानना चाहते है तो हम आपको बता दे सेठ सांवलिया जी का मंदिर प्रतिदिन सुबह 5.00 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक और दोपहर 2.30 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है। इस दौरान आप कभी सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए जा सकते है।
जो भी पर्यटक सांवलिया सेठ मंदिर के प्रवेश शुल्क के बारे में जानना चाहते है हम उन्हें बता दे मंदिर में प्रवेश और सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए कोई भी शुल्क नही है।
अगर आप सांवलिया सेठ मंदिर घूमने योजना बना रहे है तो हम आपको बता दे चित्तौड़गढ़ में सांवलिया सेठ मंदिर के साथ साथ नीचे दिए गये अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर और पर्यटक स्थल भी मौजूद है जिन्हें आप सांवलिया सेठ मंदिर की यात्रा दौरान घूमने जा सकते है –
वैसे तो साल के किसी भी समय सांवलिया सेठ मंदिर घूमने जा सकते है लेकिन यदि आप सांवलिया सेठ मंदिर के साथ साथ के अन्य पर्यटक स्थलों की यात्रा के बारे में भी प्लान बना रहे है तो इसके लिए आपको अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच यात्रा करनी चाहिए। क्योंकि यह समय चित्तौड़गढ़ घूमने जाने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।
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चित्तौड़गढ़ के भोजन के बहुत ही कम स्टैंडआउट हैं। लेकिन यहाँ आप स्थनीय सड़क के किनारे कई तरह के फास्ट फूड का स्वाद ले सकते हैं और इसके साथ-साथ रेस्तरां में भी जा सकते हैं। इसके साथ ही यहाँ पर आप मुगल व्यंजन, स्थानीय राजस्थानी भोजन के अलावा विशिष्ट शाकाहारी भारतीय भोजन का मजा भी ले सकते हैं।
जो भी श्रद्धालु और पर्यटक सांवलिया सेठ मंदिर की यात्रा में रुकने के लिए होटल्स को सर्च कर रहे है हम उन्हें बता दे मंदिर के आसपास और खासकर चित्तौड़गढ़ में पर्यटकों के रुकने के लिए सभी बजट की होटल्स उपलब्ध है जिनको आप अपनी चॉइस और बजट के अनुसार सिलेक्ट कर सकते है।
यदि आप अपनी फैमली या फ्रेंड्स के साथ सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए जाने वाले है तो हम आपको बता दे सांवरियाजी मंदिर सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। पर्यटक मंदिर तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक परिवहन का सहारा ले सकते हैं। आकर्षण तक पहुँचने के लिए बसें, किराए की टैक्सी या टैक्सी सबसे अच्छे तरीके हैं। निजी वाहनों से यात्रा करने वाले लोग NH 27 / चित्तौड़गढ़ – उदयपुर राजमार्ग से होकर सांवरियाजी मंदिर तक जा सकते हैं।
सांवलिया सेठ मंदिर का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर में डबोक हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यदि आप फ्लाइट से सांवलिया सेठ मंदिर की यात्रा करना चाहते है तो पहले आपको डबोक हवाई अड्डा के लिए फ्लाइट लेनि होगी। एक बार जब आप हवाई अड्डा पर पहुचं जाते है तो अप यहाँ से बस या अन्य स्थानीय साधनों की मदद से सांवलिया सेठ मंदिर जा सकते है।
जो पर्यटक और श्रद्धालु ट्रेन से यात्रा करके सांवलिया सेठ मंदिर जाने वाले है बो चित्तौड़गढ़ जंक्शन के लिए ट्रेन ले सकते है जो मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। ब्रॉड गेज लाइन पर स्थित यह रेलवे स्टेशन दक्षिणी राजस्थान के सबसे बड़े रेलवे जंक्शनों में से एक है। जिसके लिए आपको भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन मिल जायेगी।
चित्तौड़गढ़-उदयपुर राजमार्ग पर स्थित सेठ सांवलिया मंदिर की यात्रा करना सड़क मार्ग से करना काफी आसान से सुविधाजनक है। आप मंदिर तक पहुचने के लिय बस, टेक्सी या फिर अपनी निजी कार किसी से भी यात्रा कर सकते है।
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Featured Image Credit : Praveen Khemka
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