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पचमढ़ी के प्रसिद्ध चोरागढ़ मंदिर की यात्रा और मंदिर से जुड़ी कहानी  – Chauragarh Temple Pachmarhi in Hindi

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Chauragarh Temple Pachmarhi in Hindi : मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में बरामदा घाटी और अविरल जंगलों के बीच चौरागढ़ के शिखर पर स्थित “चौरागढ़ मंदिर”  पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान भोले नाथ को समर्पित है जिसे महादेव मंदिर के नाम से भी जाना है। यह मंदिर लगभग 4200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है जिस वजह से यहाँ से आसपास के जंगलों की घाटियों और सूर्योदय का मनमोहक दृश्य भी देखा जा सकता है। इसी वजह से अक्सर पचमढ़ी की यात्रा पर आने वाले पर्यटक यहाँ घूमने आते है, साथ ही महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ एक मेले और महाअभिषेक का आयोजन किया जाता है जो श्र्धालुयों की विशाल भीड़ को एकत्रित करता है।

चौरागढ़ मंदिर यहाँ मौजूद हजारों त्रिशूलों के लिए जाना जाता है, जो वर्षों से भक्तों द्वारा चढ़ाये जाते आ रहे है जिनकी पीछे भी एक मान्यता जुडी हुई है। मंदिर तक पहुंचने के लिए शैव भक्तों को लगभग 1300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं जो इसके आकर्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्योंकि अक्सर पर्यटक और श्रद्धालु भगवान भोले का नाम लेते हुए इस चढ़ाई को एन्जॉय करते हुए जाते है।

यदि आप भी चौरागढ़ मंदिर के दर्शन के लिए जाने वाले है या इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानने के लिए उत्साहित है तो आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े –

Table of Contents

चौरागढ़ मंदिर का इतिहास और किवदंती – History and legend of Chauragarh temple in Hindi

Image Credit : Noirrit Kiran Chandra

चौरागढ़ मंदिर का इतिहास कई बर्षो नही बल्कि कई युगों पुराना है जिससे दो किवदंतीया जुडी हुई है। एक प्रचलित कथा के अनुसार माना जाता है की भगवान् शिव जी ने भस्मासुर से बचने के लिए इन पहाड़ियों में शरण ली थी। एक समय की बात है जब भस्मासुर ने भगवान् शिव को प्रश्न्न करने के लिए घोर तपस्या की थी और आखिरकार भगवान शिव भस्मासुर की तपस्या से प्रश्न्न हो गये और उससे मनचाहा वर मागने को कहा, जिसके बाद भस्मासुर ने अमरता का वरदान मांगा लेकिन भगवान शिव जी ने अस्वीकार कर दिया और दूसरा वर मागने को कहा। उसके बाद भस्मासुर ने एक बहुत अजीब वरदान मांगा की वह जिसके सिर के उपर साथ रख दे वह भस्म हो जाये और इस वर को भगवान् शिव ने तथास्तु कर उसे वर प्रदान कर दिया।

लेकिन इसके बाद भस्मासुर ने अपने वर को परीक्षण करने के लिए भगवान् शिव को छूने का प्रयास करने लगा हालाँकि, भगवान को इस बात का अहसास नहीं था कि भस्मासुर प्रभु को छूना चाहता है। इस बात का एहसास होने के बाद भगवान् शिव ने भस्मासुर से भागना शुरू कर दिया और छिपने के लिए उन्होंने इसी पर्वत पर शरण ली थी। भगवान् शिव को संकट में देखकर भगवान विष्णु एक सुन्दर युवती का रूप धारण करके यही आये और भस्मासुर का ध्यान भंग कर दिया। जिसके बाद भस्मासुर उस युवती का दिल जितना चाह और नृत्य प्रतियोगिता को स्वीकार कर लिया और नृत्य करते हुए गलती से अपने सर पर हाथ रख लिया और खुद भस्म हो गया।

एक अन्य किवदंती के अनुसार माना जाता है इस पहाड़ी पर चोरा बाबा ने कई बर्षो तक तपस्या की थी जिसके बाद भगवान शिव उन्हें दर्शन दिए और कहा की इस पहाड़ी को आज से चोरागढ़ के नाम से जाना जायेगा। तभी से इस पहाड़ी को चोरागढ़ के नाम से जाना गया और भोलेनाथ के इस मंदिर का निर्माण किया गया।

चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल का महत्व – Importance of trishul in Chauragarh temple in Hindi

Image Credit : Gaurav Bhalerao

पचमढ़ी के प्रसिद्ध चोरागढ़ मंदिर में त्रिशूल का काफी महत्व है जिस वजह हर साल हजारों भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए त्रिशूल चढाते है। दरसल बात उस समय की है जब यहाँ चोरा बाबा ने तपस्या की थी जिससे प्रश्न्न होकर भगवान् शिव ने उन्हें दर्शन दिए और अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गये थे ठीक उसी समय के बाद से चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढाने की परम्परा शुरू हुई थी।

महाशिवरात्रि मेला – Mahashivratri Fair in Hindi

पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर और आस्था केंद्र में से एक चौरागढ़ मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि या भगवान् शिव के जमोत्सव को बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मंदिर में एक विशाल त्रिशूल भी चढ़ाया जाता है जिसे श्रद्धालु अपने कंधो पर उठाकर मंदिर तक ले जाते है। माना जाता है महाशिवरात्रि मेला में यहाँ हर साल लगभग 50,000 श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए आते है।

चौरागढ़ मंदिर के दर्शन का समय – Timings of Chauragarh Temple in Hindi

Image Credit : Hemant Saini

यदि आप अपने फ्रेंड्स या फैमली के साथ चौरागढ़ मंदिर के दर्शन लिए जाने का प्लान कर रहे है लेकिन अपनी यात्रा पर जाने से पहले चौरागढ़ मंदिर के दर्शन के समय के बारे में जानना चाहते है तो हम आपको बता दे चौरागढ़ मंदिर सुबह 6.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक खुला रहता है। यह मंदिर पहाड़ियों के बीच बहुत ऊंचाई पर स्थित है इसीलिए बेहतर होगा आप दिन ढलने से पहले ही मंदिर की यात्रा कर लें।

चौरागढ़ मंदिर का प्रवेश शुल्क – Entry fees of Chauragarh temple in Hindi

चौरागढ़ मंदिर की यात्रा पर जाने वाले श्र्धालुयों को बता दे मंदिर में प्रवेश और भगवान शिव के दर्शन के लिए कोई शुल्क नही है यहाँ बिना किसी शुल्क का भुगतान किये घूम सकते है।

और पढ़े : हनुवंतिया टापू घूमने की जानकारी 

चौरागढ़ मंदिर के आसपास घूमने की जगहें – Places to visit around Chauragarh temple in Hindi

पचमढ़ी मध्यप्रदेश का बेहद खूबसूरत हिल्स स्टेशन और पर्यटक स्थल है जो चौरागढ़ मंदिर के साथ साथ नीचे दिए गये अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर और सुन्दर पर्यटक स्थलों से भरा हुआ है जिन्हें आपको अपनी चौरागढ़ मंदिर की यात्रा में घूमने जा सकते है –

  • जटा शंकर गुफाएं
  • बी वाटरफॉल
  • सतपुड़ा नेशनल पार्क
  • पांडव गुफा पचमढ़ी
  • धूपगढ़
  • हांडी खोह पचमढ़ी
  • महादेव हिल्स पचमढ़ी
  • डचस झरना पचमढ़ी
  • प्रियदर्शिनी प्वाइंट पचमढ़ी

चौरागढ़ मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Chauragarh Temple in Hindi

Image Credit : Upendra Herwadkar

चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी हिल्स स्टेशन के अन्दर स्थित है और  यहां का मौसम पूरे वर्ष अच्छा रहता है इसीलिए आप बर्ष के किसी भी समय चौरागढ़ मंदिर घूमने आ सकते है। हालांकि पचमढ़ी हिल स्टेशन जाने का सबसे सही समय अक्टूबर और जून के महीनों के बीच में होता है।

गर्मियों के मौसम में यहां का मौसम सुहावना होता है जबकि मॉनसून के दौरान, इस हिल स्टेशन में आप मध्यम वर्षा का अनुभव कर सकते हैं। जबकि यदि आप चौरागढ़ मंदिर को उसके सबसे भव्य रूप में देखना चाहते है तो आप महाशिवरात्रि के दौरान यहाँ आ सकते है।

चौरागढ़ मंदिर की यात्रा में रुकने के लिए होटल्स – Hotels in Pachmarhi in Hindi

जो भी श्रद्धालु और पर्यटक चौरागढ़ मंदिर की यात्रा में रुकने के लिए होटल्स सर्च कर रहे है हम उन्हें बता दे चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी के काफी करीब स्थित है। इसीलिए आप अपनी चौरागढ़ मंदिर की यात्रा में पचमढ़ी में स्थित सभी बजट की होटल्स में से किसी को भी चुन सकते है।

चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी केसे पहुचें – How to reach Chauragarh Temple Pachmarhi in Hindi

चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी बस स्टेंड से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं जहाँ से आप एक जिप्सी या टेक्सी बुक करके चौरागढ़ मंदिर जा सकते है। लेकिन पचमढ़ी के लिए कोई सीधी रेल या फ्लाइट कनेक्टविटी नही है लेकिन उसके बाबजूद भी आप ट्रेन या फ्लाइट से पचमढ़ी आने वाले है तो आप नीचे दिये इन विकल्पों को सिलेक्ट कर सकते है –

फ्लाइट से पचमढ़ी केसे पहुचें – How to reach Pachmarhi by flight in Hindi

पचमढ़ी हिल स्टेशन की यात्रा के लिए भोपाल और जबलपुर हवाई अड्डा पचमढ़ी के सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। पर्यटक दिल्ली और इंदौर से इन शहरों के लिए सीधे उड़ानें भर सकते हैं। इसके अलावा रायपुर, हैदराबाद और अमहाबाद सहित अन्य शहरों से भी भोपाल या जबलपुर के लिए फ्लाइट पकड़ी जा सकती हैं।

सड़क मार्ग से पचमढ़ी कैसे पहुंचे – How To Reach Pachmarhi By Road In Hindi

भोपाल, जबलपुर, नागपुर, इंदौर और कान्हा नेशनल पार्क और पेंच नेशनल पार्क से पचमढ़ी जाने के लिए बसों की बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। एक छावनी शहर होने के कारण, यहां सड़कों की स्थिति काफी अच्छी है। यात्रिओं को ध्यान रखना चाहिए कि भले ही वे ट्रेन या प्लेन से यात्रा कर रहे हों, फिर भी पचमढ़ी की यात्रा सड़क से ही पूरी की जाती है।

ट्रेन से पचमढ़ी कैसे पहुंचे – How To Reach Pachmarhi By Train In Hindi

यदि चोरागढ़ मंदिर पचमढ़ी की यात्रा के लिए ट्रेन से ट्रेवल करना चाहते है तो आपको पिपरिया रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन लेनी होगी, जो कि पचमढ़ी का एक निकटतम रेलवे स्टेशन है। कई ट्रेनें पिपरिया को कोलकाता, जबलपुर, आगरा, ग्वालियर, दिल्ली, अहमदाबाद, वाराणसी, नागपुर इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ती हैं। अगर आपको पिपरिया तक सीधी ट्रेन नहीं मिलती है, तो आप इटारसी रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन ले सकते हैं।

और पढ़े : पचमढ़ी हिल स्टेशन की यात्रा और अन्य जानकारी

इस आर्टिकल में अपने चोरागढ़ मंदिर का इतिहास, कहानी और मंदिर की यात्रा से जुड़ी जानकारी को विस्तार से जाना है आपको यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।

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चोरागढ़ मंदिर पचमढ़ी का मेप – Map of Choragarh Temple Pachmarhi

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Featured Image Credit : Shubham Saxena

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