Wagah Border In Hindi, वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमाओं को चिह्नित करता है जो लाहौर से 22 किमी और अमृतसर से 28 किमी की दूरी पर स्थित है। आपको बता दें कि वाघा बॉर्डर पंजाब के अमृतसर में भारत और पंजाब के लाहौर, पाकिस्तान के बीच ग्रैंड ट्रंक रोड(Grand Trunk Road) है। वाघा बॉर्डर को “अटारी बॉर्डर” के नाम से भी जाना जाता है सूर्यास्त से पहले हर दिन आयोजित होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह(Beating Retreat Ceremony) को देखने के लिए देश भर से लोग इस स्थान पर आते हैं।
बता दें कि इस समारोह में अंतरराष्ट्रीय फाटकों को बंद करना और राष्ट्रीय ध्वज को नीचे उतारना शामिल है। बीटिंग रिट्रीट समारोह एक ऐसा तमाशा है जिसे देखने के लिए हर किसी को एक बार जरुर जाना चाहिए। इस समारोह को देखने के बाद हर भारतीय का दिल गर्व और उत्साह से भर जाता है। झंडा समारोह साल 1959 से भारतीय सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा आयोजित किया जा रहा है। अगर आप बाघा बॉर्डर के बारे और जानना चाहते हैं तो इसे लेख को अवश्य पढ़ें, जिसमे हम आपको वाघा बॉर्डर की ऐसी यात्रा पर लेकर जा रहें हैं जिसमें इसके बारे में सब कुछ जान जाओगे –
वाघा बॉर्डर समारोह को लोकप्रिय रूप से बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के रूप में जाना जाता है, बता दें कि इसे 1959 में शुरू किया गया था और इसके लिए दोनों देशों की सरकार द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी। अटारी बॉर्डर समारोह दोनों राष्ट्रों के बीच प्रतिद्वंद्विताम, सहयोग और भाईचारे का प्रतीक है। बता दें कि जुलाई 2011 से BSF की महिला गार्ड भी इस समारोह का हिस्सा बनी हुई है।
यह समारोह लगभग 45 मिनट तक रहता है। आपको बता दें कि यहां हर कोई अंदर नहीं जा सकता इसलिए समारोह में कम से कम एक घंटे पहले पहुंचने की आवश्यकता है। बॉर्डर गेट सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक खुला रहता है, लेकिन आप समारोह देखने के लिए 3:00 बजे तक आ सकते हैं।
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वाघा बॉर्डर सेरेमनी एक सैन्य अभ्यास है जो भारतीय सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा किया जाता है। दोनों देशों के सैनिक इस समारोह को बहुत ही गंभीरता के साथ मानते हैं। इस कार्यक्रम में दोनों देशों की सेना द्वारा परेड के साथ शुरू किया जाता है। इस दौरान दोनों राष्ट्रों के झंडे के समन्वित निचले स्तर के साथ समाप्त होता है। जैसे ही जैसे ही सूरज डूबता है, लोहे का गेट खोला जाता है, जिसमें पैदल सेना वाले (Infantryman) गेट के दोनों खड़ा होता है। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के झंडों को एक साथ उतारा जाता है और फिर फोल्ड कर दिया जाता है। इस सेरेमनी के अंत में गेट बंद करना और दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच हाथ मिलाना शामिल है।
अगर आप वाघा बॉर्डर जाने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि कस्टम पोस्ट वाघा बॉर्डर के प्रवेश द्वार से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आप टैक्सी या बस ले सकते है, जो आपको कस्टम पोस्ट पर छोड़ देगी। इसके अलावा आप जहां पर रुकें हैं वहां से भी टैक्सी सुविधा भी ले सकते हैं। पर्यटक स्वर्ण मंदिर के दक्षिण-पूर्व द्वार पर उपलब्ध साझा टैक्सियों से यहां पहुंच सकते हैं जो 120 रूपये प्रति व्यक्ति चार्ज करती है। वाघा बॉर्डर तक पहुंचने का सबसे सस्ता विकल्प अमृतसर से अटारी के लिए चलने वाली बस है जो सिर्फ 30 रूपये चार्ज करती है। समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद कुछ स्थानीय बसें कस्टम पोस्ट से अमृतसर के लिए जाती हैं।
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इस लेख में आपने वाघा बॉर्डर घूमने जाने की पुरी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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