Atal Tunnel In Hindi : भारत में हिमालय के पूर्वी पीर पंजाल रेंज पर स्थित, अटल सुरंग 3,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है जिसकी लम्बाई 9.02 किलोमीटर है। बता दे इस सुरंग को रोहतांग सुरंग या अटल टनल रोहतांग के रूप में भी जाना जाता है। अटल टनल सुरंग का नाम पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। यह चुनौतीपूर्ण सुरंग 479 किमी लम्बी लेह-मनाली राजमार्ग का हिस्सा है। अटल टनल मनाली और लेह के बीच यात्रा के समय और दूरी को कम करती है। इस सुरंग के खुल जाने के बाद मनाली से लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गयी थी।
यदि आप अटल टनल सुरंग के बारे में और अधिक जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े जिसमे हमने आपके लिए अटल टनल सुरंग से जुडी सभी महत्वपूर्ण जानकारी तैयार की है –
अटल टनल क्या है ? – What is Atal Tunnel in Hindi
बहुत से लोगो के मन में अभी तक सवाल है की अटल टनल क्या है और कहा स्थित है ? जिन लोगो के मन में ये सवाल है हम उन्हें बता दे वास्तव में अटल टनल 9.02 किलोमीटर लम्बी एक सुरंग का नाम है या यह भी कह सकते है की यह एक सुरंग वाला रास्ता है जो जम्मू और कश्मीर में लेह-मनाली राजमार्ग में पड़ता है।
अटल टनल का इतिहास – History of Atal Tunnel in Hindi
अटल टनल का इतिहास लगभग स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का है जब प्रधानमंत्री नेहरू ने पहली बार 1960 में स्थानीय जनजातियों के साथ रोहतांग दर्रे के लिए एक रस्सी के रास्ते पर चर्चा की। लगभग 39 साल बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने जून 2000 में अटल टनल के निर्माण की घोषणा की। लेकिन अटल टनल के निर्माण की मुख्य आधाशिला 26 मई 2002 को रखी गयी थी जिसकी लागत 500 करोड़ रूपये थी। हालांकि यह परियोजना मई 2003 तक पेड़ की कटाई के चरण से आगे नहीं बढ़ी। उसके बाद लगभग 4 साल बाद मनमोहन सिंह की सरकार ने SMEC (स्नो माउंटेन इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन) इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी को अटल टनल के निर्माण को कांट्रेक्ट दे दिया और इसके पूरा होने की तारीख 2014 तक बढ़ा दी गयी थी। लेकिन इसके बाबजूद भी अगले तीन वर्षों तक कोई प्रगति नहीं हुई।
सितंबर 2009 में, एएफसीओएनएस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, शापूरजी पल्लोनजी समूह की एक भारतीय निर्माण कंपनी और एसटीआरएएबीएजी एजी, ऑस्ट्रिया दोनों को संयुक्त रूप से इस परियोजना पर काम करने के लिए चुना गया। इसके बाद भी इसके निर्माण में कई चुनोतियों का सामना करना पड़ा लेकिन उसके बाबजूद भी 15 अक्टूबर 2017 को दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित अटल टनल सुरंग का निर्माण पूरा हो गया। और 25 दिसंबर 2019 को वाजपेयी के जन्मदिन पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखा और 3 अक्टूबर 2020 को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा अटल टनल का उद्घाटन किया गया।
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अटल टनल योजना – Atal Tunnel Yojana In Hindi
अटल टनल योजना का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के लेह और लाहौल और स्पीति घाटियों के लिए सभी मौसम का मार्ग बनाना था। अटल टनल योजना का सपना अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था और प्रधान मंत्री बनते ही उन्होंने इस परियोजना पर जोर दिया और आखिरकार 26 मई 2002 को अटल टनल योजना की नीव रख दी गयी थी।
अटल टनल की लंबाई – length of Atal Tunnel in Hindi
सुरंग समुद्र तल से 3,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित अटल टनल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है जिसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है।
अटल टनल का उद्घाटन – Atal Tunnel inaugurated in Hindi
अटल टनल सुरंग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गयी थी जबकि इसका निर्माण 15 अक्टूबर 2017 को पूरा हुआ था और इसका उद्घाटन 3 अक्टूबर 2020 को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।
अटल टनल सुरंग से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी और रोचक तथ्य –Important Information And Interesting Facts Related To The Atal Tunnel in Hindi
- यह सुरंग 479 लम्बे लेह-मनाली राजमार्ग का हिस्सा है।
- अटल टनल सुरंग 9.02 किमी लम्बी है और 10.5 मीटर चौड़ी है, जिसमें दोनों तरफ 1-मीटर फुटपाथ शामिल है।
- बता दे इस सुरंग में हर 60 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है और सुरंग के अंदर हर 500 मीटर पर आपातकालीन निकास सुरंग भी हैं।
- अटल टनल योजना की लागत 3,200 करोड़ (US $ 438 मिलियन) है।
- सुरंग का नाम पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है।
- इस सुरंग से प्रतिदिन 3000 कारें और 1500 ट्रक निकल सकते है जिनकी सुरंग से निकलने के लिए अधिकतम गति 80 किलोमीटर और न्यूनतम गति 30 किलोमीटर प्रति घटा निर्धारित की गयी है।
अटल टनल सुरंग के निर्माण में आने वाली चुनौतियों – Challenges faced in construction of Atal Tunnel Tunnel in Hindi
समुद्र तल से 3,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित अटल टनल सुरंग के निर्माण ने कई चुनौतियों का सामना किया है। सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य सर्दियों में भारी बर्फबारी के दौरान खुदाई जारी रखना था जब श्रमिकों को ठंड के मौसम, बार-बार बाढ़ और पतली हवा का सामना करना पड़ता था। इसके अलावा, निर्माण श्रमिकों को साइट पर जीवित और निर्माण सामग्री के परिवहन की असुविधा का सामना भी करना पड़ता था। 8 अगस्त 2003 को बादल फटने और बाढ़ की वजह से अस्थायी पहुँच मार्ग का निर्माण करने वाले 42 मजदूरों की मौत भी हो गई थी। प्राकृतिक आपदायों के साथ साथ अटल टनल सुरंग के निर्माण में पेड़ों को काटने पर उठाये गये सवालों का भी सामना करना पड़ा था। रोहतांग दर्रे पर चढ़ने, बातचीत करने और उतरने में 4 से 6 घंटे लगते थे, अब सुरंग से यात्रा करने में केवल 30 मिनट लगते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने अटल टनल सुरंग से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी को जाना है आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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