माता वैष्णो देवी की यात्रा - Yatra Of Maa Vaishno Devi Temple In Hindi

माता वैष्णो देवी की यात्रा की जानकारी – Vaishno Devi Yatra Trip In Hindi

Vaishno Devi Yatra Trip In Hindi : चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है। माता वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान चाहे छोटे बच्चे हो या वृद्ध, गरीब हो या अमीर हर किसी ने इस जाप (chanting) को सुना है। यह वैष्णो देवी का गुणगान है जो भारत में सदियों से बोला जा रहा है। इसे श्रद्धालु सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माँ वैष्णो देवी का मंदिर के दर्शन करते समय बोलते हैं। एक बड़ी प्रसिद्ध मान्यता है कि जब आप वैष्णो देवी माता के नाम की आवाज़ सुनते हैं तभी आप उन के दर्शन करने के लिए कठिन से कठिन यात्रा को भी को पूरा करने में सक्षम होते हैं।

माँ वैष्णों देवी जहाँ शायद हम मे से कई सारे लोग या तो जाना चाहते हैं या फिर ऑलरेडी जा चुके हैं या आपके दोस्त या रिश्तेदार वहां से आपके लिए प्रसाद लायें हैं। हम सब ने माता वैष्णों देवी के दर्शन के बारे में अपने जान पहचान वालों से सुना है जैसे की वहां जाने में कितनी कठिनाई होती है, या हेल्थ टेस्ट पर कितने लोगो को जाने से रोक दया जाता है या फिर कभी किसी को गुफा के अन्दर सांस लेने में दिक्कत हुई हो या फिर कन्जेस्टेड महसूस हुआ हो। कोई भी तकलीफ हो, बस एक बार माता के दर्शन हो जाने पर हम इसे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि से कम नहीं मानते।

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केदारनाथ का इतिहास, जाने से पहले जरूर जान लें ये बातें - Kedarnath In Hindi

केदारनाथ यात्रा के बारे में जानकारी – Kedarnath Ki Yatra In Hindi

Kedarnath In Hindi, केदारानाथ मंदिर चार धामों में से एक है, उत्तराखंड के हिमालय पर्वत की गोद में बसे केदारानाथ मंदिर की बहुत मान्यता है। केदारनाथ माउंटेन रेंज के बीच स्थित एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जहां भगवान शिव की ज्योर्तिलिंग स्थापित है। 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारानाथ मंदिर का ये ज्योर्तिलिंग सभी 12 ज्योर्तिलिंगों में सबसे महत्वपूर्ण है। केदारानाथ मंदिर की खास बात है कि यह मंदिर सिर्फ अप्रैल से नवंबर महीने के बीच ही दर्शन के लिए खुलता है और सालभर लोग केदारानाथ मंदिर में आने के लिए इंतजार करते हैं। यहां की प्रतिकूल वायु के कारण सर्दी के दिनों में केदारघाटी बर्फ से पूरी तरह ढंक जाती है। खास बात यह है कि इसके बाद इसके खुलने और बंद होने का मुहूर्त भी निकाला जाता है, लेकिन फिर भी ये सामान्यतौर पर नवंबर महीने की 15 तारीख से पहले बंद हो जाता है और 6 महीने बाद अप्रैल में फिर से खुलता है। इस स्थिति में केदारानाथ मंदिर की पंचमुखी प्रतिमा को उखीमठ में लाया जाता है, जहां इसकी पूजा अर्चना रावलजी करते हैं। कहा जाता है कि जो बद्रीनाथ गया और केदारनाथ के दर्शन नहीं किए, उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।

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