Renuka Lake In Hindi, रेणुका झील नाहन से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उन लोगों के यात्रा करने के लिए एकदम सही जगह है, जो प्रकृति से प्रेम करते हैं और किसी एकांत जगह की तलाश में हैं। इस क्षेत्र की अन्य झीलों से बिलकुल अलग रेणुका झील जो अपनी प्राचीन सुंदरता और परिवेश के लिए प्रसिद्ध है। रेणुका झील हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में समुद्र तल से 672 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह हिमाचल प्रदेश में इस क्षेत्र की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है और लगभग 3214 मीटर की परिधि को कवर करती है। आपको बता दें कि यह झील महिला के आकार में है इसलिए देवी रेणुका का एक आदर्श माना जाता है।
अपने सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के अलावा यह झील घने अल्पाइन जंगलों से गुजरने के बाद झील के रिज तक पहुंचने वाले पर्यटकों को बेहद लुभावने दृश्य प्रदान करती है। रेणुका झील में पर्यटक भी बोटिंग कर सकते हैं और यहां पर कई मछलियाँ और अन्य जलीय जीवों को भी देख सकते हैं। इस झील के अलावा एक अन्य लेक रेणुका के पुत्र भगवान परशुराम को समर्पित है, जो रेणुका झील के पास में ही मौजूद है। अगर आप रेणुका झील के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, यहाँ हम आपको झील के धार्मिक महत्व और इसके पास के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं।
ऐसा माना जाता है कि रेणुका झील भगवान परशुराम (भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक) की माता रेणुका देवी का अवतार है, जो ऋषि जमदागिनी की पत्नी हैं। रेणुका झील को लेकर अक्सर यहां के निवासी कई कहानी सुनाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार सहस्रार्जुन के नाम के दुष्ट राक्षस ने ऋषि जमदागिनी को मार डाला और उनकी पत्नी देवी रेणुका का अपहरण करने का प्रयास किया। रेणुका ने अपने आप को उससे बचाने के लिए रेणुका खुद झील में कूद गई। कई देवताओं द्वारा उसे बाहर लाने के प्रयासों के बाद देवी रेणुका ने हमेशा के लिए झील में रहने का फैसला किया। देवी रेणुका के निधन के बाद रेणुका झील का निर्माण हुआ।
देवी रेणुका की अमरता के रूप में रेणुका झील के पास हर साल एक त्योहार बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिवाली के त्योहार के बाद अक्टूबर या नवंबर में इस झील के किनारे एक मेला लगता है। इस मेले में शामिल होने के लिए देश भर के संत रेणुका झील में विशेष रूप से आते हैं। रेणुका झील के किनारे एक ताल स्थित है जो भगवान परशुराम को समर्पित है। इस त्योहर के दौरान परशुराम साथ अन्य देवताओं की कई मूर्तियों को सजाते हुए पालकी में रखा जाता है। इसके बाद इन मूर्तियों को पवित्र सरोवर में स्नान कराया जाता है और फिर उन्हें मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है।
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रेणुका झील, प्रकृति के शानदार उपहारों का आनंद लेने और आराम करने के लिए बहुत अच्छी जगह है। इस झील के पास पर्यटन के कई ऐसे आकर्षण है, जो आपको यहां आने के लिए मजबूर कर देंगे और आपकी यात्रा को यादगार बना देंगे।
रेणुका झील के पास कुछ होटल हैं जिन्हें आप ठहरने के लिए चुन सकते हैं। यात्रा के दौरान ठहरने का सबसे अच्छा विकल्प एचपीटीडीसी होटल है, जो भले ही बहुत खूबसूरती से नहीं बना है लेकिन यह पास के वातावरण के सुंदर मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। इसके अलावा आप यहां ठहरने के लिए राइटर हिल रिज़ॉर्ट से भी चुन सकते हैं, जो रेणुका झील से 8 किलोमीटर दूर है।
अगर आप रेणुका झील की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर है।
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अगर आप रेणुका झील घूमने की योजना बना रहें हैं तो इस झील के अलावा आप इसके पास के पर्यटन स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं, जिनकी जानकारी हमने नीचे विस्तार से दी है।
चूड़धार 3,646 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक सुंदर जगह है जो न केवल सिरमौर बल्कि हिमाचल प्रदेश में सबसे सुंदर और पवित्र स्थान है। पौराणिक कथा में ऐसा बताया गया है कि ये वही स्थान है कि जहां से भगवान हनुमान गंभीर रूप से घायल लक्ष्मण के लिए जड़ी-बूटी खोजने के लिए आए थे और बाद में पूरी पहाड़ी को रामायण में ले गए। बता दें कि इस जगह कि सुंदरता जंगलों और वन्यजीवों के कारण बढ़ जाती है जो इसमें निवास करते हैं। यह स्थान कई यात्रियों के लिए प्रसिद्ध ट्रेकिंग स्थल भी है।
रेणुका जी प्राचीन और साफ रेणुका झील के पास स्थित लोगों के बीच एक लोकप्रिय तीर्थ स्थान है। बता दें कि इस जगह पर एक गेमिंग अभयारण्य और एक वन्यजीव रिजर्व भी है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य विभिन्न प्रकार के वनस्पति और जीव पाए जाते हैं। रेणुका जी के पास कार्तिका एकादशी एक त्यौहार का आयोजन किया जाता है जिसमें आपको जरुर शामिल होना चाहिए।
हबन घाटी सिरमौर के पास स्थित एक घाटी है जो अपने बहुत सारे मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इस घाटी के नक्काशीदार मंदिर काफी आकर्षक हैं जो राजपूत शासकों की देखरेख में बनाए गए थे। हबन घाटी अपना एक समृद्ध इतिहास और संस्कृति है। अगर आप इस घाटी की यात्रा करते हैं तो यहां शिरगुल देवता मंदिर, पालु देवता मंदिर और टोकरो टिब्बा काली मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं।
हरिपुर धार ट्रैकिंग के लिए एक लोकप्रिय पहाड़ी है जो 2687 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां पहाड़ी पर एक प्राचीन और अद्भुत मंदिर मां भंगायनी को समर्पित मंदिर स्थित है जिसको माँ भंगायनी मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में भारी संख्या में प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने भक्त आते हैं। इस पहाड़ी पर एक किला स्थित है जो इस जगह के इतिहास में एक झलक देता है। हरिपुर धार सिरमौर का के प्रमुख पर्यटन स्थल है जो यह स्थान ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग के सामान है।
भूरेश्वर महादेव एक प्रमुख और पवित्र स्थान है। स्थान के बारे में कहा जाता है कि यहां से भगवान शिव और देवी पार्वती ने महाभारत के महाकाव्य में कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध युद्ध को देखा था। इस प्रसिद्ध पौराणिक कथा के चलते इस स्थान पर बहुत सारे तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं। आपको बता दें कि यह जगह हरे-भरे पेड़ों और पहाड़ियों से भरी है। यहां आने के बाद पर्यटकों को एक अदभुद शांति प्राप्त होती है।
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गुरुद्वारा पांवटा साहिब सिरमौर में एक पवित्र गुरुद्वारा है जहाँ काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। आपको बता दें कि यह गुरुद्वारा गुरु गोविंद सिंहजी को समर्पित है जिन्हें सिरमौर के एक शासक राजा मेदिनी प्रकाश ने आमंत्रित किया था। यह गुरुद्वारा सकारात्मकता को महसूस करने और आपकी आत्मा को शुद्ध करने के एक बहुत अच्छा स्थान है।
रेणुकाजी मिनी चिड़ियाघर सिरमौर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसकी शुरुआत 1957 में जानवरों को बचाने और सुरक्षित आवास प्रदान करने के लिए की गई थी। इस चिड़ियाघर सांभर, चिंकारा, होगदर और काला हिरन जैसे जानवर देखे जा सकते हैं। इस चिड़ियाघर में शेर के एक जोड़े को प्रजनन और प्रजाति को बढाने के लिए यहां लाया गया था। यह चिड़ियाघर प्रकृति की सुंदरता को देखने और इसको महसूस करने के लिए एक बहुत अच्छी जगह है।
जगन्नाथ मंदिर लगभग चार सदियों पुराना है जिसको यहां के स्थानीय लोगों के बीच बहुत पवित्र माना जाता है। इस मंदिर को और राजा बुद्ध प्रकाश द्वारा बनवाया गया था। हर साल मानसून के मौसम के अंत के रूप में यहां पर ‘सावन द्वादशी’ नाम का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को भव्यता के साथ मनाया जाता है जिसमें एक जुलूस शामिल होता है। इस जुलूस में बावन देवी-देवताओं की मूर्तियों को मंदिर से ले जाया जाता है और एक तालाब में तैराया जाता है। बता दें कि इस तालाब को बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया है। पर्यटक इस तालाब में बतक को भी देख सकते हैं।
शिवालिक फॉसिल पार्क सिरमौर ने एक दिलचस्प और आकर्षक जगह है जिसमें सबसे दुर्लभ और विलुप्त जानवरों में से कुछ के जीवाश्म पाए जाते हैं। यहां प्रदर्शित होने वाले कुछ जीवाश्मों में स्टेगोडॉन्गेनेसा (एक विलुप्त हो चुका हाथी), सिवथेरियम हेक्साप्राटडॉन, क्रोकोडाइल्स और कोलोसोफाइटिस एटलस (एक विशाल भूमि कछुआ) के नाम शामिल हैं। इस पार्क में एक संग्रहालय भी है जहाँ पर्यटक इन सभी जानवरों की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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त्रिलोकपुर मंदिर नाहन के पास स्थित देवी महामाया बाला सुंदरी को समर्पित है। इस मंदिर का का निर्माण 1573 में राजा दीप प्रकाश की देखरेख में करवाया गया था। त्रिलोकपुर मंदिर इस क्षेत्र का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसकी वजह से यहां साल भर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। इस मंदिर में प्रार्थना करने और देवी आशीर्वाद लेने के बाद लोगों को एक अदभुद शांति प्राप्त होती है। त्रिलोकपुर मंदिर में साल में दो बार मेला लगता है जो बहुत से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
धौला कुआँ एक खूबसूरत जगह है जहाँ पेड़ और बाग आड़ू और आम जैसे फलों से भरे हुए हैं। अगर आप यहां के ताजा फलों को घर ले जाना चाहते हैं तो डिब्बाबंद फल भी खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप आम से बने अचार को भी यहां से खरीद सकते हैं। अगर आप धौला कुआँ की यात्रा करने के लिए जाएं तो अवश्य यहां के स्वस्थ फलों का स्वाद चखें।
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रेणुका झील सिरमौर शहर से सिर्फ 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हिमाचल में सबसे बड़ी झील होने के चलते रेणुका झील तक पहुंचना कठिन नहीं है। झील सड़क मार्ग द्वारा कई प्रमुख शहरों से जुड़ी हुई है। झील दिल्ली से 315 किमी की दूरी पर स्थित है और यहां पर सड़क द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। झील तक पहुंचने के लिए परिवहन की सुविधा आसानी से उपलब्ध है।
अगर आप हवाई जहाज से सिरमौर की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहां का निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ में है जो 120 किमी की दूरी पर है। यह हवाई अड्डा भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चंडीगढ़ हवाई अड्डे से किराये पर कारें और टैक्सी ले सकते हैं जो आपको सिरमौर तक ले जाएंगी।
ट्रेन से सिरमौर की यात्रा करने वालों के लिए बता दें कि रेणुका झील का निकटतम रेलवे स्टेशन बरोग रेलवे स्टेशन है जो सिरमौर से 52 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से किराये की कार आसानी से उपलब्ध है जो आपको सिरमौर तक ले जाएगी।
आप सिरमौर के लिए सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं। दिल्ली और सिरमौर के बीच की दूरी 326 किमी है। आप आसानी से एक कार किराए पर ले सकते हैं या अपनी खुद की कार में सफ़र कर सकते हैं। सड़क मार्ग से यात्रा करते समय आप रास्ते में सुरम्य प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। शिमला और सिरमौर के बीच की दूरी 154 किमी है जिसे कार किराए पर लेकर आसानी से कवर किया जा सकता है। शिमला से राज्य परिवहन विभाग द्वारा एक बस चलाई जाती है जो आपको नाहन ले जाएगी, जहाँ से आपको सिरमौर के लिए टैक्सी लेनी होगी। आप सोलन से एक टैक्सी किराए पर लेकर सिरमौर पहुँच सकते हैं। नाहन से सिरमौर से लगभग 106 किमी दूर है।
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इस आर्टिकल में आपने रेणुका झील की कहानी और इसकी यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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