Prashar Lake Trek In Hindi : प्रसार झील हिमाचल प्रदेश के सबसे ऑफबीट जगहों में से एक है जो मंडी से लगभग 50 किमी दूर उत्तर में स्थित है। यह एक क्रिस्टल क्लियर वाटर बॉडी है, जिसमें तीन मंजिला शिवालय भी स्थित है, जो ऋषि प्रहार को समर्पित है। यह गहरे नीले पानी वाली झील समुद्र तल से 2730 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कुल्लू घाटी में शक्तिशाली धौलाधार पर्वतमाला से घिरी यह झील रहस्यवादी आकर्षण से भरी हुई है। आपको बता दें कि यह स्थान बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा हुआ है और नीचे तेज बहती हुई ब्यास नदी का दृश्य दिखाई देता है। अगर आप अपनी यात्रा में कुछ यादगार लम्हें शामिल करना चाहते हैं तो आपको प्रसार झील की यात्रा जरुर करना चाहिए।
हालांकि यह झील साल भर जमी रहती है लेकिन यहाँ हम्रेशा चकाचौंध रहती है। अपनी सुंदरता के अलावा यह झील यहाँ स्थित अपने तीन मंजिला मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। अगर आप प्रसार झील घूमने जाने की योजना बना रहें हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम आपको प्रसार झील और इसके आस-पास के पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहें हैं।
प्रसार झील के पास ट्रेकिंग करना और कैम्पिंग पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। झील के बगल में एक शिविर स्थापित करके आप प्रकृति की गोद में अपना सिर रख सकते हैं। प्रसार झील के पास ट्रेकिंग और कैम्पिंग अपनी यात्रा को यादगार बना सकती है। यहाँ ट्रेकिंग के लिए विभिन्न पैकज हैं जिन्हें आप पहले ही ऑनलाइन या फिर पहुँच कर बुक कर सकते हैं। यहाँ हरे- भरे जंगल में घूमने और झील की नीली सुंदरता को देखना आपको एक खास अनुभव देता है। आपको बता दें कि प्रसार झील हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख गहना है और यह अपने पर्यटकों को कभी निराश नहीं करता।
प्रसार लेक के लिए ट्रेकिंग गर्मी के मौसम में काफी आसानी होगी है लेकिन सर्दियों और मानसून के मौसम में यहाँ कठनाई का स्तर बढ़ जाता है।
जब आप ट्रेकिंग के लिए जाएँ तो अपने साथ पीने का पानी भर कर ले जाएं। हालांकि, आपके पास ट्रेक के दौरान बहते पानी से अपने पानी के स्टॉक को फिर से भर सकते हैं।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ट्रेकिंग के दौरान खाने के लिए कोई जगह नहीं मिलेगी। ट्रेकिंग के लिए जाते समय हमेशा अपना खाना ले जाना सही रहेगा।
प्रसार झील ट्रेकर्स के लिए कोई भी उचित आवास प्रदान नहीं करती है। अधिकांश पर्यटक अपने स्लीपिंग बैग और टेंट लेकर ही जाते हैं।
अगर आप बर्फ का आनंद लेना चाहते हैं तो सर्दियां (दिसंबर – फरवरी) यात्रा के लिए अच्छी रहेंगी। सर्दियों के दौरान बर्फ की मोटी चादर के नीचे कवर के बीचे यह स्थान लगभग जम जाता है। आप दिसंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर मार्च के मध्य तक यहाँ बर्फ देख सकते हैं। ग्रीष्मकाल (मध्य अप्रैल से मई) यात्रा करने के लिए एक हरा- भरा और सुंदर समय है। आपको मानसून में इस क्षेत्र की यात्रा करने से बचना चाहिए।
अगर आप प्रसार झील के अलावा इसके आसपास के पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी को जरुर पढ़ें, यहाँ हम आपको प्रसार झील के पास के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं।
भूतनाथ मंदिर मंडी में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जिसकी आध्यात्मिकता 1520 के दशक की है। यह मंदिर उतना ही पुराना है जितना पुराना यह शहर है। भूतनाथ मंदिर मंडी शहर के केंद्र में स्थित है और यह भगवान् शिव को समर्पित है। यहाँ आने वाले पर्यटक और तीर्थ यात्री भगवान शिव के बैल नंदी को देखेंगे जो परिसर के बाहर स्थित है। मार्च के महीने में यहाँ पर शिव रात्रि का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। यह इस कस्बे और मंदिर का प्रमुख त्यौहार है।
रिवालसर झील मंडी की प्रमुख झील है जिसको त्सो पेमा लोटस झील के नाम से भी जाना जाता है। यह झील मंडी जिले के दक्षिण में लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर मंडी जिले में एक पहाड़ी स्पर पर माध्यम उंचाई पर स्थित है। यह झील चौकोर आकर की है और समुद्र तल से 1,360 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बता दें कि यह पहाड़ी विभिन्न प्रकार की घनी वनस्पतियों और पौधों द्वारा संरक्षित है। यह स्थान पर्यटकों द्वारा इसकी शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता की वजह से पसंद किया जाता है। रिवालसर झील हिमाचल प्रदेश की सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक है जहाँ पर्यटकों को एक बार जरुर जाना चाहिए।
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हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले की शांत घाटियों में स्थित बड़ौत एक खूबसूरत गाँव है। यह एक नया पाया गया पर्यटन स्थल है और मंडी से लगभग 67 किलोमीटर दूर स्थित है। अगर आप एक या दो दिन घूमने की कोई जगह तलाश रहे हैं तो यह जगह आपके लिए बहुत अच्छी है। यहाँ के मनोरम दृश्य और अनपेक्षित हवा दुनिया भर के यात्रियों को यहाँ दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए आकर्षित करती है। यह जगह ट्रेकर्स के लिए स्वर्ग के सामान है। क्योंकि यह स्थान अपने कई ट्रेकिंग ट्रेल्स के लिए गाँव से होकर गुजरता है और इसलिए यह एक पसंदीदा ट्रेकिंग स्थल भी है।
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कामरू नाग झील मंडी-करसोग मार्ग पर 3334 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है पर्यटकों और ट्रेकिंग के लिए एक खास जगह है। बर्फ से ढके धौलाधार और बाहु घाटी से घिरी झील बेहद आकर्षक नज़र आती है। कामरू नाग झील मंदिर हरे भरे जंगल के घने आवरण से घिरा हुआ है। झील के निकट एक कामरू नाग मंदिर हरे भरे जंगल के घने आवरण से घिरा हुआ है। पंचवक्त्र मंदिर से कामरू नाग झील 104 किलोमीटर है।
पंचवक्त्र मंदिर मंडी का एक प्रमुख मंदिर है जो सुकेती और ब्यास नदी के संगम पर स्थित है और अपनी आकर्षक सुंदरता से बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह मंदिर एक विशाल मंच पर खड़ा है और अच्छी तरह से सुसज्जित है। पंचवक्त्र मंदिर एक बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो भगवान् शिव को समर्पित है। इस मंदिर को मंदिर विशिष्ट शिखर वास्तुकला शैली में बनाया गया है जो आश्चर्यजनक लगता है। मंदिर को भगवान शिव की पांच मुखी प्रतिमा से नाम मिला है, जिसमें से केवल तीन को सामने से देखा जा सकता है। यह मंदिर ऐसे संरक्षित स्मारकों में से एक है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आता है और इसको राष्ट्रीय स्थल घोषित किया गया है।
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शिकारी देवी मंदिर मंडी से 15 किमी दूर स्थित, समुद्र तल से 3332 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक प्रसिद्ध स्थल है जो ट्रैकिंग के लिए काफी रोमांचक है। अगर आप आप सूर्योदय या सूर्यास्त के देखना पसंद करते हैं तो यह जगह आपके लिए बहुत खास साबित हो सकती है।
चिंदी शहर की भीड़ भाड़ से दूर छोटा सा गाँव है जो प्रकृति की गोद में चुपचाप बैठा है। यहाँ गाँव में प्राकृतिक सुंदरता और यहाँ स्थित कई छोटे मंदिरों के लिए जाना जाता है। मंडी से 107 किलोमीटर दूर स्थित, यह स्थान तत्तापानी के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
जंझली ट्रेकिंग जैसी गतिविधियों के लिए एक आदर्श जगह है। 3300 मीटर तक की पगडंडी के साथ यह स्थान मंडी से लगभग 67 किमी दूर है। जंझली जाने के लिए आप गोहर तक वाहन से 32 किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं और इसके बाद पैदल यात्रा कर सकते हैं।
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कमलाह फोर्ट मंडी शहर से लगभग 80 किमी दूर स्थित सिकंदर धार पर्वतमाला पर खड़ा हुआ है। इस किले का निर्माण 1625 में राजा सूरज सेन द्वारा किया गया था जो 4772 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। किले के प्रवेश द्वार के आसपास के हरे-भरे परिदृश्य देखने लायक है।
भीमा काली मंदिर देवी भीमा काली को समर्पित मंडी शहर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ब्यास नदी के तट पर स्थित, यह मंदिर एक संग्रहालय में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी प्रदर्शित करता है। बता दें कि यह वही स्थल है जहाँ पर भगवान् कृष्ण ने बाणासुर नाम के राक्षस से युद्ध किया था।
तत्तापानी हिमाचल प्रदेश में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। बता दें कि यह एक विचित्र क्षेत्र है, जो किसी वंडरलैंड से कम नहीं है। तत्तापानी पर्यटन शिमला शहर से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है जो कई आकर्षणों को को संग्रहीत करता है। पहाड़ों के बीच बसे इस खूबसूरत पर्यटन स्थल को आप कभी मिस नहीं करना चाहेंगे। तत्तापानी में मंदिर, गुफाएं, घास के मैदान, गर्म पानी के झरने जैसे आकर्षण के अलावा ट्रेकिंग, रिवर राफ्टिंग और रॉक क्लाइम्बिंग जैसे एडवेंचर खेल भी शामिल हैं। सतलुज नदी और हरी भरी घाटी के साथ शांत वातावरण में पैदल चलता आपके थके हुए दिमाग को शांति प्रदान करता है।
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सुंदर नगर शहर पूर्व में स्थित एक रियासत थी जिसको सुकेत के नाम से जाना जाता था। इस छोटे से शहर का प्रमुख आकर्षण ब्यास-सतलज परियोजना के पानी द्वारा निर्मित मानव निर्मित झील है। आपको बता दें कि यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी हाइडल परियोजना है। सुंदर नगर की प्राकृतिक सुंदरता छायादार और ऊंचे ऊंचे पेड़ पर्यटकों को बेहद आकर्षित करते है। सर्दियों में यहाँ एक दम हरियाली हो जाती है। भले ही सुंदरनगर एक छोटा शहर है लेकिन यह मन और आत्मा को सुकून प्रदान करता है।
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प्रसार झील मंडी से 45 किमी उत्तर में स्थित है और बसों या निजी टैक्सियों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
अगर आप प्रसार झील के लिए हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि भुंतर इस ट्रेक के लिए निकटतम हवाई अड्डा है।
चंडीगढ़ प्रशार झील के लिए निकटतम रेलहेड के रूप में कार्य करता है। चंडीगढ़ से बस से मंडी तक जाने में लगभग 6-7 का समय लगता है। वहां से बग्गी गांव के लिए एक जीप किराए पर लें। चंडीगढ़ और बिलासपुर के बीच पैच को छोड़कर मनाली तक सड़क काफी चिकनी है।
मंडी के लिए शहर का निकटतम ब्रॉड गेज रेलहेड पठानकोट (210 किमी) है जो जोगिंदर नगर रेलहेड से जुड़ा हुआ है। जोगिंदर नगर स्टेशन मंडी से 55 किमी दूर है। बस या कैब से आप रेलवे स्टेशन से अपने पर्यटन स्थल तक पहुँच सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने प्रसार झील घूमने की जानकारी को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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