Patnitop In Hindi : पटनीटॉप या पटनी टॉप जम्मू कश्मीर घाटी का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो जम्मू से 112 किमी की दूरी पर बसा हुआ है। बर्फ और घाटियों को देखने के शौकीन लोगों के लिए पटनीटॉप लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टीनेशन है। जम्मू और कश्मीर के उधमपुर जिले में स्थित पटनीटॉप 2024 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है, जिसके पास से चेनाब नदी बहती है। माना जाता है कि आप जम्मू गए और पटनीटॉप नहीं देखा, तो कुछ नहीं देखा। सुंदर पठार और घने जंगलों से घिरा हुआ पटनीटॉप सर्दियों में बर्फ की चादर ओड़ लेता है।
स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग, पैरासिलिंग जैसे स्नो गेम्स सर्दियों में इस पहाड़ी स्थल के आकर्षण को और बढ़ा देते हैं। पटनीटॉप कश्मीर घाटी में सबसे अच्छे विकसित पयर्टन स्थलों में गिना जाता है। इस हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौंदर्य, घने देवदार के जंगल और फलते-फूलते हरे-भरे परिदृश्य पटनीटॉप को एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाते हैं।
पटनीटॉप में ठंडे बर्फ के पानी के तीन झरने हैं, जिनमें औषधीय गुण होने का दावा किया जाता है। एडवेंचर स्पोट्र्स को पसंद करने वाले लोगों के लिए पटनीटॉप के पास ट्रेकिंग का विकल्प भी है। वहीं गर्मियों में 9 छेद वाले गोल्फ कोर्स पयर्टकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पटनीटॉप में आप अन्य गतिविधियों जैसे गोल्फ, एरो स्पोट्र्स, फोटोग्राफी और हॉर्स राइडिंग का भी आनंद ले सकते हैं। कुल मिलाकर अगर जम्मू जा रहे हैं तो पटनीटॉप की यात्रा किए बगैर बिल्कुल न लौटें। खासतौर से सर्दियों में यहां का नजारा देखने लायक होता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं जम्मू के एक खूबसूरत ट्रेवल डेस्टीनेशन पटनीटॉप के बारे में।
पटनीटॉप कश्मीर के पास उधमपुर जिले में स्थित एक सुंदर हिल रिसॉर्ट है। यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यही वजह है कि हर साल 6 लाख से ज्यादा पयर्टक पटनीटॉप के मनमोहक नजारों को देखने के लिए पहुंचते हैं। कई साल पहले इस जगह को “पाटन दा तालाब” कहा जाता था। जिसका अर्थ है “राजकुमारी का तालाब”। बताया जाता है कि सत्तारूढ़ राज्य की राजकुमारी प्रत्येक दिन इस तालाब में स्नान करने आया करती थीं। ऐसा कहा जाता है कि आधुनिक तालाब पटनीटॉप में इस तालाब की अफवाह अभी भी बनी हुई है।
इतिहास में यह है कि 1730 ई में पटनीटॉप, डोगरा राजा ध्रुव ने शहर पर अपना शासन शुरू किया। इस राज्य के प्रभाव ने क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को बहुत बढ़ावा दिया,जो आधुनिक समय में भी बना हुआ है। 600 साल पुराना नाग मंदिर इलाके में प्राचीन आबादियों का एक और प्रमाण है। हालांकि समय के साथ इसका नाम बदलकर पटनीटॉप कर दिया गया,तब से लोग इसे पटनीटॉप नाम से ही जानते हैं। यहां अगर आप जाएं तो आपको देवदार के घने जंगल,घुमावदार पहाडिय़ां देखने को मिलेंगे। पिकनिक मनाने और छुट्टियां बिताने के लिए जम्मू की यह जगह पयर्टकों के लिए सबसे अच्छा विकल्प मानी जाती है।
पटनीटॉप उन लोगों के लिए सबसे अच्छी जगह है तो स्कीइंग और पैराग्लाइडिंग के शौकीन हैं। खासतौर में सर्दियों में पर्यटक यहां स्कीइंग का मजा लेने ज्यादा पहुंचते हैं। आज आलम यह है कि पटनीटॉप को स्कीइंग स्थल के रूप में अच्छी खासी पहचान मिल चुकी है। स्कीइंग के लिए पटनीटॉप की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बनी छोटी हो या बड़ी सभी स्लोपों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वहीं पैराग्लाइडिंग के लिए पटनीटॉप से सटे नत्था टॉप और सनासर क्षेत्र का प्रयोग किया जा रहा है। पयर्टन विभाग की ओर से स्कीइंग और पैराग्लाइडिंग करने के शौकीन लोगों के लिए साल में तीन से चार कोर्स करवाए जाते हैं, लेकिन स्कीइंग के लिए जनवरी-फरवरी और पैराग्लाइडिंग के लिए अक्टूबर के महीने का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि इसी समय यहां स्कीइंग और पैराग्लाइडिंग का लुत्फ लिया जा सकता है। इतना ही नहीं रॉक क्लाइंबिंग करने के शौकीन लोगों के लिए यहां सप्ताहभर के कोर्स कराए जाते हैं।
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धार्मिक मान्यताओं और संस्कृतियों में अंतर के बावजूद पटनीटॉप के लोगों की जीवनशैली काफी धीमी है। यह भारत-आर्यन समय से समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इस शहर में धर्मों के मिश्रण के परिणामस्वरूप नाग पंचमी, लोहड़ी, ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा जैसे कई त्योहार मनाए जाते हैं। यहाँ परोसे जाने वाले व्यंजन अपने समृद्ध स्वाद और केसर के सार के लिए लोकप्रिय हैं। पटनीटॉप में ठंड के मौसम की स्थिति में उनके व्यंजनों में मांस का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है। मसालेदार भावपूर्ण प्रसन्नता इस शहर की पाक पहचान है। लोक नृत्य संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जहां पुरुष और महिलाएं दोनों जीवंत, पारंपरिक पोशाक और बीट्स पर नृत्य करते हैं।
पटनीटॉप के लोग मिलनसार और मेहमाननवाज हैं। यहां निवास करने वाले ज्यादातर लोग या तो जम्मू या कश्मीर के हैं। हिंदू और मुसलमानों का एक अच्छा मिश्रण यहाँ देखा जा सकता है। पटनीटॉप में लोग जो पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, वह फेरन है। पुरुष और महिला दोनों ही फेरन को फ्लॉंट करते हैं, जो आरामदायक दिखता है और उन्हें गर्म रखता है। वहां के मुस्लिम पुरुषों के लिए पगड़ी पहनना जरूरी है। हेडगियर्स हिंदू पुरुषों की पोशाक का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस शहर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन और यहां के लोगों पर आधारित है, जो किसी न किसी तरह से, इससे अपनी रोजी रोटी कमाते हैं।
कहने को पटनीटॉप एक हिल स्टेशन है, लेकिन अन्य हिल स्टेशनों के मुकाबले यहां का मौसम गर्म होता है। यहां दिन का तापमान अक्सर 40 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। जबकि शाम का समय सुखद होता है। यहां गर्मी का मौसम मई से जुलाई तक रहता है, लेकिन साथ में होने वाली हल्की बारिश गर्मी से थोड़ी राहत देती है। यहां की सर्दी काफी सर्द होती है, साथ ही बर्फबारी के साथ तापमान माइनस 14 डिग्री तक गिर जाता है। साल के इस समय के दौरान पयर्टकों की समझो बाढ़ आ जाती है, क्योंकि इस समय यहां बर्फ जमा होने के कारण स्कीइंग शुरू हो जाती है, जो पर्यटकों के लिए सबसे आकर्षक एक्टिविटी है।
अगर आपको बर्फबारी का मजा लेने का शौक है तो आप खुले दिल से पटनीटॉप की सैर पर जा सकते हैं। सर्दी के दिनों में यहां जमकर बर्फबारी होती है। बर्फबारी के कारण यहां के कई रास्ते जाम हो जाते हैं, तो वहीं यातायात भी बाधित होता है। कई बार तो बर्फबारी के कारण जम्मू कश्मीर नेशनल हाईवे बंद हो जाता है, जिस कारण बाहर से आने वाली गाड़ियों को बर्फ पिघलने तक का इंतजार करना पड़ता है।
अगर आप मई में पटनीटॉप जाएंगे, तो आपको वहां बर्फ नहीं मिलेगी। वहां का मौसम हल्की बारिश के साथ गर्म रहेगा, लेकिन फिर भी इस मौसम में यहां ऊनी कपड़े साथ ले जाने की सलाह दी जाती है।
7000 फीट की ऊँचाई पर स्थित, नाथ टॉप पटनीटॉप में सबसे ऊँचा स्थान है। इसकी ऊंचाई को देखते हुए यह स्थान शिवालिक और किश्तवाड़ पर्वत, आसपास की घाटियों और देवदार के जंगलों के बर्फ से ढके पहाड़ों के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। सर्दियों के दौरान, नाथ टॉप का दृश्य विशेष रूप से बहुत सुंदर दिखता है।
पटनीटॉप में आप पैराग्लाइडिंग का आनंद ले सकते हैं। नाथटॉप सबसे ऊंचाई पर होने के कारण यहां पैराग्लाइडिंग करने का मजा बहुत आता है। सर्दियों के दौरान यहां का नजारा ऐसा होता है जैसे ठंडी पहाड़ी हवा में सफेद बर्फीली घाटियों से गुजर रहे हों।
हिमालय पर्वत और क्षेत्र के बीहड़ इलाके में लोगों के लिए ट्रेकिंग करने का विकल्प दिया गया है। ट्रेकिंग और लंबी पैदल यात्रा करने वाले लोगों के लिए ये जगह बेहद रोमांचकारी साबित होती है। सुध महादेव और शिवगढ़ ये दो ट्रैक हैं, जिसमें से किसी एक विकल्प को लोग चुन सकते हैं।
माधोटॉप पटनीटॉप से करीब 5 किमी की दूरी पर स्थित है। माधाटोप अपने स्कीइंग मैदानों के लिए पर्यटकों के बीच ज्यादा प्रसिद्ध है। पहाड़ों की कोमल ढलानों के बीच बसे हुए और सर्दियों के दौरान बर्फ से ढंके हुए माधोटॉप
स्कीइंग करने वाले लोगों के लिए आकर्षक का केंद्र होता है।
सनासर झील पटनीटॉप से 20 किमी की दूरी पर स्थित है, लेकिन आज भी यह जगह पिछड़ी हुई है। राज्य के सुदूर भाग में स्थित 2050 मीटर की ऊंचाई पर सना और सार नाम के दो गांव हैं। इन दो गांवों के नाम से मिलकर ही सनासर का नाम पड़ा। यह जगह पहाड़ों और आसपास के सुंदर परिदृश्य को दर्शाता है। यहां पर्यटक रॉक क्लाइबिंग, पैरासेलिंग, पैराग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलून राइड्स आदि जैसे एडवेंचर एक्टिविटीज का मजा ले सकते हैं।
नाग मंदिर को पटनीटॉप के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। बताया जाता है कि यह मंदिर 600 साल पुराना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वह जगह है जहां भगवान शिव और देवी पार्वती गुप्त बंधन में बंधे थे। एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित नाग मंदिर से आप दूर तक सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
पटनीटॉप से 3 किमी की दूरी पर स्थित बैटोट एक छोटा सा शहर है। ये शहर राजमा की अच्छी क्वालिटी के लिए काफी मशहूर है।
भगवान शिव को समर्पित बुद्ध अमरनाथ मंदिर पटनीटॉप का प्रमुख आकर्षण है। प्राकृतिक संगमरमर के पत्थर से बने हुए इस मंदिर के पास पुलत्स्य नदी बहती है। जिसके बारे में एक पौराणिक कथा कही जाती है। कथा के अनुसार इस नदी का नाम रावण के दादाजी पुलत्स्य ऋषि के नाम पर रखा गया है। बताया जाता है कि पुलत्स्य ऋषि ने उस समय नदी के पास घोर तपस्या की थी। रक्षाबंधन त्योहार पर बुद्ध अमरनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है। पटनीटॉप कभी जाएं तो बुद्ध अमरनाथ मंदिर की यात्रा जरूर करें।
भारत की सबसे लंबी सुंरग पटनीटॉप है, जिसे चेनानी नाशरी सुरंग और पाटनीटॉप सुरंग भी कहा जाता है। कुछ समय पहले ही भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस 9 किमी लंबी सुरंग का उद्घाटन किया था। यह सुरंग जम्मू व श्रीनगर के बीच नेशनल हाईवे 44 पर बनी हुई है। सुरंग बनाने के लिए अनुमानित लागत 2.520 करोड़ आई थी, लेकिन अंत में इसके बनने पर 3.720 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। सुरंग बनने का काम 2011 में शुरू हुआ था, जिसे अंतिम रूप 2017 में मिला। मुख्य सुरंग का व्यास 13 मीटर है, जबकि सामांतर निकासी सुरंग का व्यास 6 मीटर है। दोनों सुरंगों में 29 जगहों पर मार्ग बनाए गए हैं, जो हर 300 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। खास बात है सुरंग के भीतर लगे कैमरों में। इन कैमरों की मदद से 360 डिग्री तक फोटो लिए जा सकते हैं। इस सुरंग के बनने के बाद जम्मू और श्रीनगर की दूरी मात्र 30.11 किमी रह गई है।
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वैसे तो पत्नीटॉप में सालभर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन यात्रा करने के लिए सबसे उपयुक्त समय मई से जून और सितंबर से अक्टूबर है।
दिसंबर से फरवरी के बीच यहां स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग और ट्रेकिंग जैसे एडवेंचर्स स्पोट्र्स आयोजित होते हैं। तब यहां ज्यादा संख्या में पयर्टक आते हैं। बर्फ के बीच स्कीइंग और पैराग्लाइडिंग का अनुभव बहुत ही खास होता है।
जम्मू हवाई अड्डा उधमपुर के माध्यम से पटनीटॉप पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा है। जम्मू हवाई अड्डा लगभग 110 किमी दूर स्थित है और पटनीटॉप से वहाँ तक पहुँचने में लगभग 3-4 घंटे का समय लगता है। एक अन्य विकल्प श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 188 किमी की दूरी पर है। जो लोग सड़क मार्ग से यात्रा करना चुनते हैं उनके लिए बसें उपलब्ध हैं। कैब को दिल्ली,चंडीगढ़ आदि से भी किराए पर लिया जा सकता है और सेल्फ-ड्राइव एक और विकल्प है। ड्राइव पूरी तरह से सुखद है और यह देश के कुछ सबसे खूबसूरत हिस्सों से गुजरता है। पटनीटॉप तक पहुंचने के लिए निकटतम रेलहेड 47 किमी पर उधमपुर रेलवे स्टेशन है। पटनीटॉप तक आसानी से पहुंचने के लिए यहां से टैक्सी किराए पर ली जा सकती है।
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