Mathura Tourist Places In Hindi : दिल्ली से लगभग 150 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित मथुरा को भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है। मथुरा युमना नदी के किनारे बसा भारत का एक प्रमुख प्राचीन शहर है, जिसका वर्णन प्राचीन हिंदू महाकाव्य रामायण में भी मिलता है। इसके साथ ही इस पवित्र जगह के अपने कई ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी हैं। मथुरा भारत में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के सबसे पसंदिदा धार्मिक स्थलों में से एक है जहां पर कई धार्मिक मंदिर और तीर्थस्थल भी हैं। मथुरा भारत में सबसे पुराने शहरों में से एक है जो अपनी प्राचीन संस्कृति और परंपरा के चलते पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
अगर आप मथुरा जाना चाहते हैं और जाने के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को अच्छी तरह पढ़ें, जिसमें हमनें मथुरा जाने के बारे में पूरी जानकारी दी है।
मथुरा का इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। इस शहर को बृज भूमि के रूप में भी जाना जाता है, मथुरा वो जगह है जहाँ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। मथुरा इतना प्राचीन शहर है कि इसका उल्लेख हिंदू महाकाव्य रामायण में और अलेक्जेंड्रियन खगोलशास्त्री टॉलेमी के लेखों में भी मिलता है। यह एक हिंदू धार्मिक स्थल होने के साथ ही बौद्धों और जैनों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
लगभग 400 ईस्वी में कुषाण राजवंश के शासन के समय चीनी राजदूत फा ह्यन ने मधुरा शहर में बड़ी संख्या में बौद्ध मठों के होने का उल्लेख किया था। इसके कुछ समय बाद यह शहर मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया था इस दौरान महमूद गजनवी ने यहां के ज्यादातर मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था। गजनवी का पालन करते हुए बाद में औरंगजेब ने भी इस पवित्र शहर में तोड़फोड़ की। इसके कुछ समय बाद अंग्रेजो ने इस शहर पर अपना कब्ज़ा कर किया।
जब बाद में ह्वेन त्सांग एक यात्री ने मथुरा का दौरा किया तब यहां महन्त की संख्या 2000 से 3000 तक गिर गिया थी इसके बाद पंथ के पुनरुत्थानवादी हिंदू आंदोलन ने इस धार्मिक स्थल को राख से वापस उठाया और यहां के मंदिरों को पुनर्जीवित किया।
कृष्ण जन्म भूमि मंदिर” को हिंदू देवता भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है। भगवान कृष्ण विष्णु के 8 वें अवतार थे, जो मथुरा में एक जेल की कोठरी में पैदा हुए थे। अब उस जेल की कोठरी वाले स्थान पर एक मंदिर है, जहाँ पर हर साल लाखों पर्यटक और श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। कृष्ण जन्म भूमि मंदिर मथुरा के सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं यहाँ पर हर साल जन्माष्टमी और होली के त्योहार के समय भारी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर मथुरा का एक नया मंदिर है जिसका निर्माण लगभग 150 साल पहले भगवान कृष्ण के एक भक्त ने करवाया था। मानसून की शुरुआत में यह मंदिर अपने अद्भुत झूले उत्सव के लिए जाना-जाता है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति को “द्वारका के राजा” रूप में सजाया गया है और उन्हें यहाँ बिना मोर के पंख और बांसुरी के साथ दिखाया गया है।
राधा कुंड मथुरा का एक बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जिसको भारत में वैष्णवों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थान माना जाता है। यह शहर मथुरा के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। राधा कुंड का इतिहास राधा और कृष्ण के दिनों का है जो उनके प्रेम के बारे में बताता है। यहाँ पर हर साल हजारों पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।
कंस किला मथुरा में स्थित एक बहुत प्राचीन किला है, जो भगवान कृष्ण के मामा को कंस समर्पित है। यह किला एक मथुरा का एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटक स्थल है इस किले का निर्माण अकबर के नवरत्नों में से एक राजा मानसिंह प्रथम ने करवाया था। यमुना नदी के किनारे स्थित यह किला एक अद्वितीय हिंदू और मुगल शैली की वास्तुकला का अनूठा नमूना है। बता दें कि किला लापरवाही की वजह आज जीर्ण-शीर्ण हो चुका है लेकिन आज भी यह किला मथुरा आने वाले पर्यटकों को रोमांचित करता है।
गोवर्धन हिल मथुरा से 22 किमी दूर वृंदावन के पास स्थित है जो यहां आने वाले पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। इस पहाड़ी का उल्लेख हिंदू धर्म के कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है और इसे वैष्णवों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इतिहास की माने तो एक बार मथुरा के अपने गांव को भयंकर बारिश और आंधी से बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पहाड़ी को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था। इस पर्वत को बेहद पवित्र माना जाता है और गुरु पूर्णिमा के मौके पर गोवर्धन पूजा में भक्तों द्वारा इस पर्वत 23 किलोमीटर नंगे पैर पैदल चलकर चक्कर लगाते हुए भक्ति यात्रा की जाती है। भगवान कृष्ण ने अपने गाँव को बचाने के बाद सभी लोगों से इस पहाड़ी की पूजा करने के लिए कहा था, यही कारण है कि आज भी दिवाली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा जरुर की जाती है।
मथुरा संग्रहालय मथुरा शहर में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक हैं। इस संग्रहालय का निर्माण वर्ष 1874 में किया गया जो अपनी अनूठी वास्तुकला और महत्वपूर्ण कलाकृतियों के लिए जाना जाता है जिसकी वजह से यह भारत सरकार द्वारा जारी किए गए डाक टिकटों पर भी दिखाई दिया है। इस संग्रहालय में कुषाण और गुप्त साम्राज्य के प्राचीन पुरातत्व निष्कर्ष हैं।
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कुसुम सरोवर मथुरा में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक हैं जो गोवर्धन और राधा कुंड के बीच स्थित है। बता दें कि सरोवर एक सुंदर जलाशय है जिसका निर्माण राजसी बलुआ पत्थर से किया गया है। इसके जलाशय में सीढ़ियां लगी हुई है जिसका इस्तेमाल तालाब में उतरने के लिए किया जा सकता है। मथुरा आने वाले पर्यटक कुसुम सरोवर में तैराकी और डुबकी भी लगाते हैं। इस सरोवर के पास कई मंदिर भी है जो मथुरा यात्रा के समय देखे जा सकते हैं।
रंगजी मंदिर वृंदावन में मथुरा मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर भगवान श्री गोदा रणगामणार को समर्पित है जो कि भगवान विष्णु के एक अवतार है। रंगजी मंदिर की वास्तुशिल्प दक्षिण भारतीय पैटर्न का पालन करता है। लेकिन इसका बाहरी डिजाइन उत्तर भारतीय पैटर्न का है।
बरसाना उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में एक ऐतिहासिक शहर और एक नगर पंचायत है। बरसाना माता राधा का जन्म स्थान है, यह ब्रज भूमि का क्षेत्र है बरसाना में श्री राधा रानी मंदिर स्थित है जिसे देखने लाखों भक्त यहां आते हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा एक ऐसी जगह है जहां पुराने समय में कई घाट हुआ करते थे लेकिन वर्तमान में यमुना नदी के तट पर स्थित मथुरा में आज कुल 25 घाट स्थित है। इन घाटों का संबंध भगवान कृष्ण के समय से बताया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से भक्तों के पुराने पाप धुल जाते हैं। मथुरा आने वाले तीर्थयात्री यहां के घाट पर पवित्र नदी यमुना में स्नान करना अपना सौभाग्य मानते हैं।
घाटों में विश्राम घाट सहित चक्रतीर्थ घाट, कृष्ण गंगा घाट, गौ घाट, असकुण्डा घाट, प्रयाग घाट, बंगाली घाट, स्वामी घाट, सूरज घाट और ध्रुव घाट आदि के नाम हैं।
मथुरा अपने मिठाइयों और दुग्ध उत्पादों के लिए जाना-जाता है। बता दें कि पेड़े यहां की खास चीज़ है। इसके अलावा मथुरा में आपको खाने में कचौरी, जलेबी, पानीपुरी, समोसा, चाट, आलू टिक्की और लस्सी का स्वाद जरुर लेना चाहिए। इसके अलावा आप यहां के स्थानीय भोजनालय में उत्तर भारतीय भोजन भी ले सकते हैं।
जो भी लोग मथुरा जानने की योजना बना रहे हैं और यह जानना चाहते हैं कि मथुरा जाने का सबसे अच्छा समय कौनसा है तो बता दें कि यहां आप अक्टूबर से मार्च के महीनों में जा सकते हैं। इन महीनों में मथुरा का मौसम सुहावना होता है। हालाँकि होली के समय और जन्माष्टमी, कृष्ण के जन्मदिन पर यहां उत्सव मनाया जाता है। अगर आप इन उत्सव में शामिल होना चाहते हैं तो होली और जन्माष्टमी का समय एक खास अनुभव करने के लिए मथुरा जाना बहुत अच्छा है।
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अगर आप हिंदू भगवान कृष्ण के जन्मस्थान मथुरा की यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं और यह जानना चाहते हैं कि मथुरा पहुँचने का आसान तरीका किया है तो हम आपको बता दें कि मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है, जहां आप परिवहन के विभिन्न साधनों से पहुंच सकते हैं।
अगर आप हवाई या वायु मार्ग से मथुरा की यात्रा करने का विचार बना रहे हैं तो बता दें कि मथुरा का निकटतम हवाई अड्डा आगरा में है। हालांकि आगरा के लिए देशभर से बहुत ही कम उड़ाने संचालित होती है। आगरा से मथुरा की दूरी करीब 58 किलोमीटर है जिसमें आपको सडक मार्ग से लगभग 1-2 घंटे का समय लगेगा। मथुरा का प्रमुख निकटतम इंटरनेशनल हवाई अड्डा दिल्ली में स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। दिल्ली के लिए पर्यटक किसी भी भारतीय शहर या अंतरराष्ट्रीय शहर से फ्लाइट ले सकते हैं। इसके बाद दिल्ली से मथुरा आप बस, टैक्सी या ट्रेन की मदद से पहुंच सकते हैं।
मथुरा जंक्शन मध्य और पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो देश के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। इसलिए मथुरा जाने वाले पर्यटक दिल्ली, मुंबई, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, आगरा, वाराणसी, लखनऊ और कोलकाता से ट्रेन पकड़ सकते हैं।
मथुरा जाने के अपने कार या किसी निजी वाहन से सड़क मार्ग यात्रा करते करना एक अच्छा विकल्प है। अगर आपके पास अपना निजी वाहन है तो आप आराम से मथुरा की यात्रा कर सकते हैं। क्योंकि मथुरा में सड़कों का एक अच्छा नेटवर्क है जो इसके दिल्ली, जयपुर, बीकानेर, आगरा, इंदौर, भोपाल, मुरादाबाद, कोलकाता जैसे शहरों से जोड़ता है। मथुरा जाने वाले पर्यटक आगरा, अलवर, जयपुर, उदयपुर, अजमेर, चंडीगढ़, लखनऊ, अलीगढ़, ग्वालियर, जबलपुर, कानपुर, मेरठ, हरिद्वार जैसे शहरों से अपनी कार से सड़क मार्ग द्वारा जा सकते हैं।
बस से मथुरा के लिए यात्रा करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है, बता दें कि आप देश के कई प्रमुख शहरों से मथुरा के लिए सीधी बसों का लाभ उठा सकते हैं।
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