Maa Bala Sundari Trilokpur Temple In Hindi : त्रिलोकपुर मंदिर नाहन के पास स्थित देवी महामाया बाला सुंदरी को समर्पित है। इस मंदिर का का निर्माण 1573 में राजा दीप प्रकाश की देखरेख में करवाया गया था। त्रिलोकपुर मंदिर इस क्षेत्र का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसकी वजह से यहां साल भर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। इस मंदिर में प्रार्थना करने और देवी आशीर्वाद लेने के बाद लोगों को एक अदभुद शांति प्राप्त होती है। त्रिलोकपुर मंदिर में साल में दो बार मेला लगता है जो बहुत से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
त्रिलोकपुर हिमाचल प्रदेश में नाहन से लगभग 23 किमी दूर पश्चिम में स्थित है। इसका नाम यहां के तीन शक्ती मंदिरों से निकला है जो भगवती ललिता देवी, बाला सुंदरी और त्रिपुर भैरवी को समर्पित हैं। इनमें से बाला सुंदरी का मंदिर यात्रियों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है और त्रिलोकपुर मंदिर के रूप में लोकप्रिय है। यह वास्तुकला की इंडो-फारसी शैली को दर्शाता है। अगर आप त्रिलोकपुर मंदिर के अलावा यहां के अन्य पर्यटन स्थलों की यात्रा करना चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम आपको त्रिलोकपुर मंदिर के बारे में और इसके पास के पर्यटन स्थलों के बारे में पूरी जानकारी दे रहें हैं –
त्रिलोकपुर मंदिर की स्थापना राजा दीप प्रकाश ने वर्ष 1573 में की थी। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में बाला सुंदरी देवी प्रमुख हैं। त्रिलोकपुर मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां दो नवरात्र मेलों के दौरान हजारों भक्त इस मंदिर में आते हैं। यहाँ पर चैत्र मेला मार्च या अप्रैल के महीने में आयोजित किया जाता है और आश्विन मेला सितंबर में मनाया जाता है। त्योहार के महीनों के दौरान न केवल देश से बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक भी त्रिलोकपुर आते हैं।
अगर आप त्रिलोकपुर मंदिर घूमने की योजना बना रहें हैं और इस मंदिर के साथ इसके पास के पर्यटन स्थलों की यात्रा भी करना चाहते हैं नीचे दी गई जानकारी को जरुर पढ़ें, जिसमें हमने त्रिलोकपुर मंदिर के पास के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताया है।
चूड़धार 3,646 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक सुंदर जगह है जो न केवल सिरमौर बल्कि हिमाचल प्रदेश में सबसे सुंदर और पवित्र स्थान है। पौराणिक कथा में ऐसा बताया गया है कि ये वही स्थान है कि जहां से भगवान हनुमान गंभीर रूप से घायल लक्ष्मण के लिए जड़ी-बूटी खोजने के लिए आए थे और बाद में पूरी पहाड़ी को रामायण में ले गए। बता दें कि इस जगह कि सुंदरता जंगलों और वन्यजीवों के कारण बढ़ जाती है जो इसमें निवास करते हैं। यह स्थान कई यात्रियों के लिए प्रसिद्ध ट्रेकिंग स्थल भी है।
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रेणुका झील सिरमौर में 672 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पानी की एक पानी से भरी एक जादुई झील है, जो हरे पेड़ों और पहाड़ियों से घिरी हुई है। अगर आप एक प्रकृति प्रेमी हैं तो यहाँ से शानदार दृश्यों को देख सकते हैं। इसके साथ ही आप सूर्योदय या सूर्यास्त के दृश्यों को भी देख सकते हैं। अगर रेणुका झील की यात्रा करते हैं तो निश्चित ही आप इसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।
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रेणुका जी प्राचीन और साफ रेणुका झील के पास स्थित लोगों के बीच एक लोकप्रिय तीर्थ स्थान है। बता दें कि इस जगह पर एक गेमिंग अभयारण्य और एक वन्यजीव रिजर्व भी है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य विभिन्न प्रकार के वनस्पति और जीव पाए जाते हैं। रेणुका जी के पास कार्तिका एकादशी एक त्यौहार का आयोजन किया जाता है जिसमें आपको जरुर शामिल होना चाहिए।
हबन घाटी सिरमौर के पास स्थित एक घाटी है जो अपने बहुत सारे मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इस घाटी के नक्काशीदार मंदिर काफी आकर्षक हैं जो राजपूत शासकों की देखरेख में बनाए गए थे। हबन घाटी अपना एक समृद्ध इतिहास और संस्कृति है। अगर आप इस घाटी की यात्रा करते हैं तो यहाँ शिरगुल देवता मंदिर, पालु देवता मंदिर और टोकरो टिब्बा काली मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं।
हरिपुर धार ट्रैकिंग के लिए एक लोकप्रिय पहाड़ी है जो 2687 मीटर की ऊंचाई पर है। यहाँ पहाड़ी पर एक प्राचीन और अद्भुत मंदिर मां भंगायनी को समर्पित मंदिर स्थित है जिसको माँ भंगायनी मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में भारी संख्या में प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने भक्त आते हैं। इस पहाड़ी पर एक किला स्थित है जो इस जगह के इतिहास में एक झलक देता है। हरिपुर धार सिरमौर का के प्रमुख पर्यटन स्थल है जो यह स्थान ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग के सामान है।
भूरेश्वर महादेव एक प्रमुख और पवित्र स्थान है। स्थान के बारे में कहा जाता है कि यहाँ से भगवान शिव और देवी पार्वती ने महाभारत के महाकाव्य में कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध युद्ध को देखा था। इस प्रसिद्ध पौराणिक कथा के चलते इस स्थान पर बहुत सारे तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं। आपको बता दें कि यह जगह हरे-भरे पेड़ों और पहाड़ियों से भरी है। यहाँ आने के बाद पर्यटकों को एक अदभुद शांति प्राप्त होती है।
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गुरुद्वारा पांवटा साहिब सिरमौर में एक पवित्र गुरुद्वारा है जहाँ काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। आपको बता दें कि यह गुरुद्वारा गुरु गोविंद सिंहजी को समर्पित है जिन्हें सिरमौर के एक शासक राजा मेदिनी प्रकाश ने आमंत्रित किया था। यह गुरुद्वारा सकारात्मकता को महसूस करने और आपकी आत्मा को शुद्ध करने के एक बहुत अच्छा स्थान है।
रेणुकाजी मिनी चिड़ियाघर सिरमौर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसकी शुरुआत 1957 में जानवरों को बचाने और सुरक्षित आवास प्रदान करने के लिए की गई थी। इस चिड़ियाघर सांभर, चिंकारा, होगदर और काला हिरन जैसे जानवर देखे जा सकते हैं। इस चिड़ियाघर में शेर के एक जोड़े को प्रजनन और प्रजाति को बढाने के लिए यहाँ लाया गया था। यह चिड़ियाघर प्रकृति की सुंदरता को देखने और इसको महसूस करने के लिए एक बहुत अच्छी जगह है।
जगन्नाथ मंदिर लगभग चार सदियों पुराना है जिसको यहाँ के स्थानीय लोगों के बीच बहुत पवित्र माना जाता है। इस मंदिर को और राजा बुद्ध प्रकाश द्वारा बनवाया गया था। हर साल मानसून के मौसम के अंत के रूप में यहाँ पर ‘सावन द्वादशी’ नाम का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को भव्यता के साथ मनाया जाता है जिसमें एक जुलूस शामिल होता है। इस जुलूस में बावन देवी-देवताओं की मूर्तियों को मंदिर से ले जाया जाता है और एक तालाब में तैराया जाता है। बता दें कि इस तालाब को बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया है। पर्यटक इस तालाब में बतक को भी देख सकते हैं।
शिवालिक फॉसिल पार्क सिरमौर की एक दिलचस्प और आकर्षक जगह है जिसमें सबसे दुर्लभ और विलुप्त जानवरों में से कुछ के जीवाश्म पाए जाते हैं। यहां प्रदर्शित होने वाले कुछ जीवाश्मों में स्टेगोडॉन्गेनेसा (एक विलुप्त हो चुका हाथी), सिवथेरियम हेक्साप्राटडॉन, क्रोकोडाइल्स और कोलोसोफाइटिस एटलस (एक विशाल भूमि कछुआ) के नाम शामिल हैं। इस पार्क में एक संग्रहालय भी है जहाँ पर्यटक इन सभी जानवरों की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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धौला कुआँ एक खूबसूरत जगह है जहाँ पेड़ और बाग आड़ू और आम जैसे फलों से भरे हुए हैं। अगर आप यहाँ के ताजा फलों को घर ले जाना चाहते हैं तो डिब्बाबंद फल भी खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप आम से बने अचार को भी यहाँ से खरीद सकते हैं। अगर आप धौला कुआँ की यात्रा करने के लिए जाएं तो अवश्य यहां के स्वस्थ फलों का स्वाद चखें।
यह मंदिर नाहन से लगभग 23 किमी दूर है। आप त्रिलोकपुर पहुँचने के लिए नाहन से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। मंदिर तक नरिंगगढ़, शिमला और अंबाला से जाना भी काफी सुविधाजनक है। त्रिलोकपुर से शिमला 158 किमी, अंबाला 57 किमी और नरिंगगढ़ 15 किमी दूर है।
अगर आप नाहन के लिए हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि इसका निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ हवाई अड्डा है जो नाहन से लगभग 50 किमी दूर स्थित है। आप देहरादून और शिमला हवाई अड्डे को भी चुन सकते हैं। आप नाहन की यात्रा के लिए इन सभी शहरों से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। अगर आप टैक्सी से यात्रा नहीं करना चाहते तो बता दें कि इस मार्ग पर नियमित रूप से बसें चलती हैं।
आप सड़क मार्ग से कई रास्तों से नाहन की यात्रा कर सकते हैं। एक मार्ग पर देहरादून से गुजरने वाले मार्ग से पोंटा साहिब, शिमला से सोलन और हरियाणा से काला-अंब के माध्यम से होकर जाता है। हालांकि, दिल्ली से यात्रा करते समय सबसे छोटा रास्ता साहा से होकर जाएगा। सड़क मार्ग से यात्रा करते समय आप नियमित बस सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं जो पड़ोसी शहरों और राज्यों को नाहन से जोडती हैं।
ट्रेन से यात्रा करने वालों के लिए बता दें कि नाहन के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन कालका, बरारा, चंडीगढ़ और अंबाला हैं। आप यमुनानगर स्टेशन के लिए भी ट्रेन ले सकते हैं। राज्य की नियमित बस सेवा इन स्टेशनों को नाहन से जोड़ती है।
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इस लेख में आपने माँ बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर हिमाचल प्रदेश के दर्शन की जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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