Kalika Mata Temple Pavagadh in Hindi : कालिका माता मंदिर चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क से कुछ ही दूरी पर पावागढ़ पहाड़ी के शिखर पर स्थित माँ काली का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर इस क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है, जिसे 10 वीं -11 वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है। देवी काली को समर्पित कालिका माता मंदिर चंपानेर-पावागढ़ यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का एक हिस्सा और भारत में स्थापित 51 शक्तिपीठों में से एक है। समुद्र तल से 762 मीटर ऊपर स्थित इस मंदिर से आसपास के सुन्दर दृश्यों को भी देखा जा सकता है जो इसके आकर्षण में चार चाँद लगाने का कार्य करते है।
चुकी यह मंदिर पावागढ़ पहाड़ी के शिखर पर स्थित है इसीलिए यहाँ केबल कार या पैदल यात्रा द्वारा पहुचा जा सकता है। इस मंदिर से जुड़ी एक और दिलचस्प बात यह भी है की मंदिर परिसर में एक मुस्लिम धर्मस्थल मौजूद भी है जिस वजह से यहाँ हिन्दू श्र्धालुयों के साथ साथ मुस्लिम श्र्धालुयों को भी देखा जा सकता है। यदि आप भी कालिका माता मंदिर के दर्शन के लिए जाने वाले है या फिर इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
कालिका माता मंदिर गुजरात के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है यदि हम इस मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो यह मंदिर हमको लगभग 10 वीं -11 शताब्दी में ले जाता है। कालिका माता मंदिर के निर्माण का समय अभी असपष्ट है लेकिन मंदिर प्रबंधन और आर. के. त्रिवेदी के अनुसार माना जाता है की कालिका माता की पूजा शुरुआत में स्थानीय लेवा पाटीदार और राजा सरदार सदाशिव द्वारा की गई थी।
गुजरात के प्रमुख मंदिरों में से एक कालिका माता मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है जिसके कई बारे में कई दिलचस्प कहनियाँ और किंवदंतियाँ सुनने को मिलती है। लेकिन इस मंदिर से जुडी दो पौराणिक कथाएं और किंवदंतियाँ काफी चर्चा में हैं।
पहली कथा के अनुसार, भक्तो और स्थानीय लोगो का मानना है की एक बार नवरात्रि के त्योहार के दौरान, मंदिर में गरबा नामक एक पारंपरिक नृत्य का आयोजन किया था, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने एक साथ मिलकर नृत्य किया था। और इस नृत्य उत्सव में स्वयं माता काली ने भी एक महिला के रूप में हिस्सा लिया था। इस बीच, उस राज्य का राजा पात जयसिंह जो भक्तों के साथ नृत्य कर रहा था, वह देवी काली को देखकर उनकी सुंदरता पर मुग्ध हो जाता है। जिसके बाद वासना भरी दृष्टि से राजा ने उनका हाथ पकड़ कर अनुचित प्रस्ताव रखा जिस दौरान देवी ने उसे अपना हाथ छोड़ने और माफी मांगने के लिए तीन बार चेतावनी दी, लेकिन राजा कुछ भी समझने के लिए तैयार नही था।
इस प्रकार देवी ने शाप दिया कि उसका साम्राज्य जल्द ही तबाह हो जायेगा। जिसके कुछ समय पश्चात ही एक मुस्लिम आक्रमणकारी महमूद बेगड़ा ने राज्य पर आक्रमण किया जिसे पटई जयसिंह लड़ाई हार गया और महमूद बेगड़ा द्वारा मार डाला गया।
पौराणिक कथायों के दूसरी कहानी उस समय की है है जब राजा दक्ष ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया, जिसमे उन्होंने सभी देवताओं, देवताओं और ऋषियों को आमंत्रित किया, लेकिन जानबूझकर अपने दामाद शिव को अपमानित करने के लिए उनको आमंत्रित नही किया। अपने पिता के फैसले से आहत होकर, सती ने अपने पिता से मिलने का फैसला किया और उन्हें आमंत्रित न करने का कारण पूछा। लेकिन उसके विपरीत दक्ष ने शिव का अपमान किया। अपने पति के खिलाफ कुछ भी सहन करने में असमर्थ, देवी सती खुद यज्ञ की आग में कूद गयी और अपने प्राण दे दिए। जब शिव जी को अपनी पत्नी के निधन की सूचना दी, तो वह क्रोधित हो गए और उन्होंने वीरभद्र को पैदा किया। वीरभद्र ने दक्ष के महल में कहर ढाया और उनकी हत्या कर दी।
इस बीच अपनी प्रिय आत्मा की मृत्यु का शोक मनाते हुए, शिव ने सती के शरीर को कोमलता से पकड़ लिया और विनाश (तांडव) का नृत्य शुरू कर दिया। ब्रह्मांड को बचाने और शिव की पवित्रता को वापस लाने के लिए, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र का उपयोग करके सती के निर्जीव शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया। जिससे माता सती के पैर की अंगुली इस स्थान पर गिरी थी जिसके बाद यहाँ देवी शक्ति को समर्पित शक्तिपीठ की स्थापना की गयी थी।
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कालिका माता मंदिर की वास्तुकला काफी दिलचस्प और अनोखी है जी हाँ इस परिसर को दो भागों में विभाजित किया गया है, भूतल हिंदू मंदिरों से युक्त है, जबकि मंदिर के शिखर पर मुस्लिम धर्मस्थल है। मंदिर के गर्भग्रह में लाल रंग में रंगी कालिका माता की मूर्ति स्थापित है जबकि महाकाली उनके दाहिने और बाहुचरा में स्थित हैं। कहा जाता है कि यहां इस्तेमाल किया गया संगमरमर का फर्श 1850 के दशक का है।
यदि आप कालिका माता के दर्शन के लिए जाने वाले है और कालिका माता मंदिर के प्रवेश शुल्क के बारे में जानना चाहते है तो हम आपको बता दे मंदिर में प्रवेश और माता के दर्शन के लिए कोई भी शुल्क नही है लेकिन यदि आप केबल कार से पहाड़ी के उपर जाना चाहते है तो उसके लिए आपको लगभग 90 रूपये प्रति व्यक्ति के अनुसार शुल्क देना होगा।
यदि आप कालिका माता मंदिर घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो हम आपको बता दे की पावगढ़ में कालिका माता मंदिर के अलावा भी अन्य आकर्षक पर्यटक स्थल है जिन्हें आप अपनी यात्रा के दौरान घूमने जा सकते है –
वैसे तो आप साल के किसी भी कालिका माता मंदिर की यात्रा कर सकते है लेकिन यदि आप कालिका माता मंदिर के साथ साथ पावागढ़ के अन्य पर्यटक स्थलों की यात्रा भी करने वाले है तो इसके लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का माना जाता हैं। क्योंकि ठंडी के मौसम के दौरान इस क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करना सहज और काफी आरामदायक होता हैं।
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कालिका माता मंदिर और इसके आसपास के पर्यटन स्थलों पर घूमने के बाद यदि आप इसके आसपास किसी होटल की तलाश में हैं। तो हम आपको बता दें कि चंपानेर पावागढ़ के आसपास कुछ ही दूरी पर लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल्स उपलब्ध हैं। जिनको आप अपने बजट के अनुसार सिलेक्ट कर सकते है।
यदि आप कालिका माता मंदिर की यात्रा को प्लान कर रहे है और सर्च कर रहे है की हम कालिका माता मंदिर केसे पहुचें ? तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दे आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव करके कालिका माता मंदिर पावगढ़ जा सकते है।
कालिका माता मंदिर की यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि पावागढ़ के लिए फ्लाइट से कोई डायरेक्ट कनेक्टिविटी नही हैं। कालिका माता मंदिर पावागढ़ से लगभग 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वडोदरा एयरपोर्ट मंदिर का सबसे नजदीकी हवाई हैं। एयरपोर्ट पर उतरने के बाद आप यहाँ चलने वाले स्थानीय साधनों की मदद से कालिका माता मंदिर तक आसानी से पहुंच जाएंगे।
जिन पर्यटकों ने कालिका माता मंदिर की यात्रा के लिए ट्रेन से सफ़र करने के ऑप्शन को सिलेक्ट किया है हम उन्हें बता दे पावागढ़ में एक छोटा रेलवे स्टेशन हैं लेकिन यह बड़े शहरों से अच्छी तरह से संपर्क में नही हैं। इसीलिए आपको वडोदरा रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन लेनी होगी जो कालिका माता मंदिर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक बार जब आप वडोदरा रेलवे स्टेशन पहुच जाते है तो यहाँ से बस या अन्य स्थानीय साधनों की मदद से कालिका माता मंदिर पहुच जा सकते है।
कालिका माता मंदिर जाने के लिए यदि आपने सड़क मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि कालिका माता मंदिर पावागढ़ सड़क मार्ग के माध्यम से आसपास के शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। इसलिए आप बस के माध्यम से भी कालिका माता मंदिर आसानी से पहुँच सकते है। बस के अलावा आसपास के शहरों से आप सेल्फ ड्राइव या फिर एक टेक्सी किराये पर ले कर भी यहाँ आ सकते है।
इस लेख में आपने कालिका माता मंदिर की यात्रा से जुड़ी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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