Ancient Universities of India In Hindi, शिक्षा के झेत्र में भारत का वैदिक कल से ही अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। 8 वी शताब्दी से 12 वी शताब्दी के बीच भारत पूरे विश्व में शिक्षा का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध केंद्र था। जहाँ हम देखते है की शिक्षा का सफ़र गुरुकुल और आश्रमों के माध्यम से शुरू होकर आज विश्वविद्यालयों तक जा पहुचा है। जिनमे आज भी नवीनतम शिक्षा के साथ साथ प्राचीन शिक्षा, संस्क्रती, बेद, पुराण को महत्व दिया जाता है। वैदिक काल के बाद जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया। भारत की शिक्षा प्रणाली भी उतनी ही विकसित होती गयी। प्राचीन समय से ही भारत में नालंदा विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय,विक्रमशीला विश्वविद्यालय जैसे कई प्राचीन शिक्षण संस्थानों की स्थापना की गयी थी। जहाँ बिभिन्न देशो के छात्रों ने इन प्राचीन विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का गौरव हासिल किया है।
लेकिन आज हम और अधिकतर लोग सिर्फ नालंदा और दूसरी तक्षशिला विश्वविद्यालय के बारे में जाड्या जानते है। लेकिन क्या आप जानते है इन प्राचीन विश्वविद्यालयों के अलावा भी अन्य कई ऐसे विश्वविद्यालय और महाविहार थे जो उस समय शिक्षा के मंदिर थे। तो आइये आज हम यहाँ अपने लेख भारत के सभी प्रमुख प्राचीन विश्वविद्यालयों के बारे में जानते हैं –
नालंदा विश्वविद्यालय भारत शिक्षा के सबसे प्राचीन और सबसे प्रमुख शिक्षा केन्द्रों में से एक है। जिसे नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में भी जाना जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय और शोध-गहन वर्ग है जो भारत के ऐतिहासिक शहर विहार में स्थित है। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था जिसने प्रमुख रूप से 5 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच संस्थान के रूप में कार्य किया था। और उसके कुछ समय बाद नालंदा विश्वविद्यालय खंडहर के रूप में परिवर्तित होना लगा। और नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के विचार को 2007 में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में समर्थन दिया गया था। और 1 सितंबर 2014 को नालंदा विश्वविद्यालय ने अपना पहला शैक्षणिक सत्र शुरू किया।
विश्वविद्यालय के पहले चांसलर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन थे, उनके बाद सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज येओ थे। नालंदा विशेष रूप से एक स्नातक विद्यालय है, जो वर्तमान में केवल मास्टर पाठ्यक्रम की पेशकश कर रहा है, जिसमें 2020 से क्रमिक चरणों में पीएचडी कार्यक्रम शुरू हो रहे हैं।
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पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रावलपिण्डी जिले स्थित तक्षशिला विश्वविद्यालय प्राचीन काल के सबसे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थानों में से एक है। शोधकर्ताओं के अनुसार माना जाता है तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना लगभग 2700 साल पहले की गयी थी। और इस विश्वविद्यालय में भारतीय छात्रों के साथ-साथ चीन, बेबीलोन, सीरिया और ग्रीस के 10,000 से भी अधिक छात्र पढ़ते थे। तक्षशिला विश्वविद्यालय विशेष रूप से विज्ञान, चिकित्सा और कलाओं के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन यहाँ धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष दोनों विषयों को भी पढ़ाया जाता था।और यहां तक कि तीरंदाजी और ज्योतिष जैसे विषयों के अध्ययन के लिए भी भारत के बिभिन्न हिस्सों से छात्र आते थे।
दूसरी और तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक मौर्य साम्राज्य और यूनानी शासन (इंडो-ग्रीक्स) के तहत ज्ञान के केंद्र के रूप में तक्षशिला विश्वविद्यालय की भूमिका जारी रही। लेकिन 5 वीं शताब्दी ईस्वी में तोरमाण के विनाश ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर विराम लगा दिया।
पाल वंश के राजा धर्म पाल के शासनकाल में निर्मित विक्रमशिला विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय के बाद दूसरा सबसे प्रमुख शिक्षण केंद्र था। जो वर्तमान में बिहार के भागलपुर शहर में स्थित है। विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के सबसे बड़े बौद्ध विश्वविद्यालयों में से एक था और भारतीय उपमहाद्वीप में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र भी था। और यह विश्वविद्यालय बौद्ध, शास्त्र और वेदों की पढाई के लिए जाना जाता था। इतिहासकारों की माने तो विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने 8 वी शताब्दी से 12 वी शताब्दी के अंत तक भारत के प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में कार्य किया था।
ओडिशा के जाजपुर जिले में स्थित पुष्पगिरी विश्वविद्यालय की स्थपाना तीसरी शताब्दी में कलिंग राजाओं द्वारा की गयी थी। और यह नालंदा, तशक्षिला और विक्रमशीला विश्वविद्यालय के बाद भारत के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था। जिसने 11 वी शताब्दी तक विश्वविद्यालय के रूप में कार्य किया था। पुष्पगिरी विश्वविद्यालय भी अब प्राचीन बौद्ध स्तूप, प्राचीन महाविहार की तरह एक महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल के खंडहर में परिवर्तित हो गया हैं।
रत्नागिरी विश्वविद्यालय ललितगिरि और उदयगिरि क्षेत्र में स्थित अन्य बौद्ध स्थलों के साथ बौद्ध पर्यटन स्थलों का एक अहम् हिस्सा है। यह तीर्थयात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल था और ओडिशा में बंगाल और पूर्वोत्तर भारत में बौद्ध धर्म का प्रमुख गढ़ है। उदयगिरि और ललितगिरि ओडिशा राज्य में दो बड़े बौद्ध परिसर हैं। जो पुस्पगिरी विश्वविद्यालय का एक हिस्सा है, जिसे ओडिशा के डायमंड त्रिभुज के रूप में जाना जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए उत्खनन से पता चलता है कि यह एक बड़ा बौद्ध परिसर था। जिसमें बुद्ध, पत्थर के कुएँ और कई टेराकोटा मंदिरों की मूर्तियाँ थीं।
वल्लभी विश्वविद्यालय बौद्ध शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, जो गुजरात के भावनगर जिले में स्थित था। यह विश्वविद्यालय बौद्ध शिक्षा के साथ साथ धर्म निरपेक्ष विषयों की शिक्षा के लिए भी प्रसिद्ध था। यही कारण था कि पूरी दुनिया से विद्यार्थी वल्लभी विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे। और इस विश्वविद्यालय ने शिक्षा के झेत्र में मुख्य रूप से छठी शताब्दी से लेकर 12 वी शताब्दी तक लगभग 600 साल तक प्रसिद्धि हासिल की थी। और इसे प्राचीन विश्वविद्यालय नालंदा का प्रतिद्वंद्वी भी माना जाता था।
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उदांत पुरी विश्वविद्यालय भारत के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है। उदांत पुरी विश्वविद्यालय का निर्माण पाल बंश के शासनकाल में किया गया था। इतिहासकारों की माने तो उदांत पुरी विश्वविद्यालय ने आठवी शताब्दी से 12 वी शताब्दी तक शिक्षा के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप कार्य किया था। और इस विश्वविद्यालय में लगभग 12000 विद्यार्थीयों ने शिक्षा प्राप्त की थी।
बांग्लादेश के नौगांव जिले में स्थित सोमपुरा विश्वविद्यालय भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध विहारों में से एक है। जो प्राचीन समय में बौद्ध धर्म की शिक्षा देने वाला सबसे अच्छा शिक्षा केंद्र था। जिसकी स्थापना भी पाल वंश के के राजायों द्वारा की गयी थी। यह केंद्र में पारंपरिक बौद्ध स्तूप की मेजबानी करता था। और यह महाविहारों में सबसे बड़ा था, जो लगभग 27 एकड़ में फैला था।
बांग्लादेश में स्थित बिक्रमपुर विहार प्राचीन भारत का सबसे प्रसिद्ध विहार था, जो आज मुंशीगंज जिले का हिस्सा है। पुरा साम्राज्य के दौरान बिक्रमपुर विश्वविद्यालय प्राचीन बौद्ध शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था।
जगद्दल विश्वविद्यालय प्रमुख रूप से एक बौद्ध मठ था। जो वर्तमान में बांग्लादेश के उत्तर बंगाल में स्थित है। और इसकी स्थापना का श्रेय भी पाल वंश के शासको को जाता है, जिन्होंने के इसका निर्माण करबाया था। जगद्दल महाविहार को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों के लिए अस्थायी स्थल के रूप में सूचीबद्ध है और जगद्दल विश्वविद्यालय विक्रमशिला, नालंदा, सोमपुरा और ओदंतपुरा सहित भारत के पांच महान महाविहारों में से एक है।
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