Dwarkadhish Temple Dwarka In Hindi : द्वारकाधीश मंदिर गुजरात राज्य की पवित्र नगरी द्वारका में गोमती नदी के तट पर स्थित है। जिसे जगत मंदिर के नाम भी जाना जाता है। भगवान् कृष्ण जी को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर द्वारका भारत के सबसे प्रमुख और भव्य मंदिर में से एक है जिसे रामेश्वरम, बद्रीनाथ और पुरी के बाद हिंदुओं के बीच चार धाम पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। जहाँ प्र्तिबर्ष लाखो की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन के लिए आते है।
माना जाता है द्वारकाधीश मंदिर लगभग 2200 साल पुराना है जिसका निर्माण वज्रनाभ द्वारा किया गया था। इस भव्य मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के साथ साथ सुभद्रा, बलराम और रेवती, वासुदेव, रुक्मिणी और कई अन्य देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर भी हैं। अक्सर द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु गोमती नदी में स्नान करते है उसके बाद ही मंदिर में प्रवेश करते है। जन्माष्टमी का दिन मंदिर का सबसे विशेष और खास अवसर होता है इस दौरान मंदिर को बिलकुल दुल्हन की तरह सजाया जाता है और कई कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता है जिसमे हिस्सा लेने भारत के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक हजारों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। यदि आप अभी तक द्वारकाधीश मंदिर नही गये है तो आपको अपने जीवन में एक बार यहाँ जरूर आना चाहिये
तो आइये इस आर्टिकल में हम द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास, मंदिर के दर्शन का समय और यात्रा से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जानते है –
द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास – History of Dwarkadhish Temple In Hindi
द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास रोचक और कई हजारों साल पुराना है जिसने समय समय पर कई स्थितियों का सामना किया है। जी हाँ पौराणिक कथायों के अनुसार द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण लगभग 2200 साल पहले कृष्ण के पौत्र वज्रनाभ द्वारा हरि-गृह के ऊपर करबाया था। लेकिन इस मंदिर की मूल संरचना 1472 में महमूद बेगड़ा द्वारा नष्ट कर दी गई थी, और बाद में 15 वीं -16 वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
8 वीं शताब्दी के हिंदू धर्मशास्त्री और दार्शनिक आदि शंकराचार्य द्वारा भी इस स्थान पर एक शारदा पीठ की स्थापना की गयी थी। द्वारकाधीश मंदिर विश्व में श्री विष्णु का 108 वाँ दिव्य देश है जो दिव्यप्रभात ग्रंथों में महिमा मंडित है।
द्वारकाधीश मंदिर की कहानी और पौराणिक कथाएं – Story of Dwarkadhish Temple In Hindi
हिंदू कथा के अनुसार, द्वारका नगरी को कृष्ण द्वारा समुद्र से प्राप्त भूमि के एक टुकड़े पर बनाया गया था। ऋषि दुर्वासा एक बार कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी से मिलने गए। ऋषि की इच्छा थी कि श्री कृष्ण और रुक्मणी दोनों उन्हें उनके महल में ले जाए। यह जोड़ा आसानी से सहमत हो गया और ऋषि के साथ उनके महल में जाने लगा। कुछ दूर जाने के बाद रुक्मिणी थक गईं और उन्होंने कृष्ण से कुछ पानी मांगा। कृष्णा ने एक पौराणिक छेद खोदा जो गंगा नदी में लाया गया था। और इससे ऋषि दुर्वासा उग्र हो गए और रुक्मिणी को उसी जगह में रहने के लिए शाप दिया। माना जाता है आज वह मंदिर ठीक उसी स्थान पर स्थित है जहाँ रुक्मणी जी खड़ी थी।
द्वारकाधीश मंदिर की वास्तुकला – Architecture of Dwarkadhish Temple In Hindi
“द्वारका के जगत मंदिर ” के नाम से प्रसिद्ध भव्य द्वारकाधीश मंदिर पांच मंजिला मंदिर संरचना है जिसे चालुक्य शैली में निर्मित किया गया था। यह करामाती मंदिर चूना पत्थर और रेत से बना है। इस मंदिर की पांच मंजिला इमारते 72 स्तंभों और एक 78.3 मीटर ऊंचे जटिल नक्काशीदार शिखर द्वारा समर्थित है । इसमें उत्तम रूप से नक्काशीदार शिखर है जो 52 गज ऊंचे कपड़े से बने ध्वज के साथ 42 मीटर ऊंचा है। इस ध्वज में सूर्य और चंद्रमा के प्रतीक हैं, जो भगवान कृष्ण के मंदिर पर शासन करते हैं, जब तक कि सूर्य और चंद्रमा मौजूद हैं।
मंदिर की भव्यता दो द्वार स्वर्गारोहण (जहाँ तीर्थयात्री प्रवेश करते हैं) और मोक्ष द्वार (जहाँ तीर्थयात्री बाहर निकलते हैं) है इसके दोनों ओर पोर्च के साथ एक चबूतरा, गर्भगृह और एक आयताकार हॉल शामिल हैं। एडीफिस के दक्षिण द्वार के बाहर, 56 सीढ़ियाँ है जो गोमती नदी के किनारे तक जाती हैं।
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द्वारकाधीश मंदिर का जन्माष्टमी उत्सव – Janmashtami Festival of Dwarkadhish Temple In Hindi
जन्माष्टमी या भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव द्वारकाधीश मंदिर और पूरे शहर में उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान द्वारकाधीश मंदिर और द्वारका नगरी को बिलकुल दुल्हन की तरह सजाया जाता है। जबकि मंदिर में भगवान् श्री कृष्णा जी की मूर्ति को पानी, दूध और दही से नहलाया जाता है उनका श्रृंगार किया जाता है और अंत में उनके पालने में विराजमान किया जाता है। इस पवित्र उत्सव के दौरान कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमे देश के बिभिन्न कोनो से हजारों श्रद्धालु शामिल होते है।
द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन का समय – Timings of Dwarkadhish Temple In Hindi
यदि आप अपनी फैमली या फ्रेंड्स के साथ द्वारकाधीश मंदिर घूमने जाने का प्लान बना रहे है और अपनी यात्रा पर जाने से पहले द्वारकाधीश मंदिर की टाइमिंग समय सर्च कर कर रहे हैं, तो हम आपको बता दे द्वारकाधीश मंदिर दर्शन के लिए सुबह 6.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक और शाम 5.00 बजे से रात 9.30 बजे तक खुलता है। आप जब ही द्वारकाधीश मंदिर मंदिर दर्शन के लिए आयें तो कम से कम 2-3 घंटे का समय अपनी यात्रा को जरूर दें।
द्वारकाधीश मंदिर द्वारका में होने वाली आरतियाँ – Aartis Timings at Dwarkadhish Temple Dwarka In Hindi
सुबह होने वाली आरतियाँ भोग और श्रृंगार
- मंगला आरती : सुबह 6.30
- मंगला दर्शन ; 7.00 से 8.00
- अभिषेक : 8.00 से 9.00
- श्रृंगार दर्शन : 9.00 से 9.30
- स्ननभोग : 9.30 से 9.45
- श्रृंगार दर्शन : 9.45 से 10.15
- श्रृंगारभोग : 10.15 से 10.30
- श्रृंगार आरती : 10.30 से 10.45
- ग्वाल भोग: 05 से 11.20
- दर्शन : 11.20 से 12.00
- राजभोग : 12.00 से 12.20
- दर्शन बंद : 1.00
शाम के समय होने वाली आरती और भोग
- उथप्पन प्रथम दर्शन : 5.00 बजे
- उथप्पन भोग : 5.30 से 5.45
- दर्शन : 5.45 से 7.15
- संध्या भोग : 7.15 से 7.30
- संध्या आरती : 7.30 से 7.45
- शयनभोग : 8.00 से 8.10
- दर्शन : 8.10 से 8.30
- शयन आरती : 8.30 से 8.35
- दर्शन : 8.35 से 9.00
- बंटभोग और शयन : 9.00 से 9.20
- मंदिर बंद : 9.30 बजे
द्वारकाधीश मंदिर का प्रवेश शुल्क – Entrance fee of Dwarkadhish Temple In Hindi
बता दे द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन और प्रवेश के लिए कोई भी शुल्क नही है मंदिर में पर्यटक और श्रद्धालु दोनों ही बिना किसी प्रवेश शुल्क का भुगतान किये द्वारका के राजा श्री कृष्ण के दर्शन कर सकते है।
द्वारकाधीश मंदिर के आसपास घूमने जगहें – Places to visit around Dwarkadhish Temple In Hindi
गुजरात में स्थित द्वारका हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान और चार धामों में से एक है, जहाँ द्वारकाधीश मंदिर के साथ साथ नीचे दिए गये अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर और पर्यटक स्थल मौजूद है। जिन्हें आपको अपनी द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा में घूमने अवश्य जाना चाहिये।
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
- बेट द्वारका आइलैंड
- द्वारका बीच
- रुक्मणीदेवी मंदिर
- लाइटहाउस
- गोमती घाट
- गोपी तालाब
- भड़केश्वर महादेव मंदिर
- गीता मंदिर
- सुदामा सेतु
- इस्कॉन
- स्वामी नारायण मंदिर
- डनी पॉइंट
द्वारकाधीश मंदिर घूमने जाने का आदर्श समय – Ideal time to visit Dwarkadhish Temple In Hindi
वैसे तो पर्यटक बर्ष के किसी भी समय द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा कर सकते है लेकिन द्वारका जाने का आदर्श समय नवंबर से फरवरी के आखिरी तक है जब शहर में ठंडा मौसम रहता है। बहरहाल, यदि आप विशेष रूप से द्वारकाधीश मंदिर में भव्य रूप से मनाए जाने वाले जन्माष्टमी महोत्सव के उत्सव में भाग लेना चाहते हैं, तो अगस्त और सितंबर के दौरान शहर की यात्रा करना अच्छा होगा। इसलिए, सितंबर से मार्च, द्वारका जाने के लिए सबसे अच्छा महीने हैं।
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द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा में कहाँ ठहरें – Where to stay for a visit to Dwarkadhish Temple In Hindi
गुजरात राज्य में स्थित द्वारका भारत के सबसे पवित्र शहरों और तीर्थ स्थलों में से एक है जिस वजह से यहाँ तीर्थयात्रीयों और पर्यटकों के रुकने लिए पर्याप्त विकल्प मौजूद है। द्वारकाधीश मंदिर या जगत मंदिर की यात्रा में आपको सभी बजट की होटल्स और धर्मशाला मिल जायेंगी जिनको आप अपने बजट और सुविधानुसार सिलेक्ट कर सकते है।
- फ़र्न सटवा रिज़ॉर्ट, द्वारका (The Fern Sattva Resort, Dwarka)
- होटल रोमा क्रिस्टो (Hotel Roma Kristo)
- स्वाति होटल द्वारका (Swati Hotel Dwarka)
- होटल सिटी पैलेस (Hotel City Palace)
द्वारकाधीश मंदिर द्वारका केसे जाएँ – How To Reach Dwarkadhish Temple Dwarka in Hindi
अगर आप हिंदू भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं और द्वारकाधीश मंदिर द्वारका पहुँचने का आसान तरीका जानना चाहते है,
तो हम आपको बता दें कि द्वारका भारत के गुजरात राज्य में स्थित है, जहां आप परिवहन के विभिन्न साधनों से पहुंच सकते हैं –
फ्लाइट से द्वारकाधीश मंदिर केसे पहुचें – How To Reach Dwarkadhish Temple By Flight In Hindi
द्वारका का निकटतम हवाई अड्डा जामनगर में लगभग 145 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के बाद, आप या तो टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या द्वारका पहुंचने के लिए बस ले सकते हैं। भारत की वायु सेना के स्वामित्व में, जामनगर हवाई अड्डे पर प्रतिदिन 800 यात्रियों की आवाजाही है और यह एक-दो हवाई जहाज पार्क कर सकता है। यह हवाई अड्डा मुंबई हवाई अड्डे और अन्य उड़ानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और आप एयर इंडिया की उड़ान ले सकते हैं जो कि एकमात्र उड़ान उपलब्ध है। हवाई यात्रा के माध्यम से पहुंचने का एक और तरीका आप अहमदाबाद के लिए एक उड़ान ले सकते हैं जो पूरे देश से बेहतर कनेक्टिविटी और लगातार उड़ानें प्रदान करता है। अहमदाबाद पहुंचने के बाद जो लगभग 463 किमी है, आप बाद में बस या टैक्सी ले सकते हैं।
ट्रेन से द्वारकाधीश मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Dwarkadhish Temple By Train In Hindi
यदी आपने द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा के लिए ट्रेन से ट्रेवल करने के ऑप्शन को सिलेक्ट किया है तो हम आपको द्वारका में खुद का रेलवे जंक्शन मौजूद है जो भारत के सभी प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। इसीलिए भारत के किसी भी प्रमुख शहर से ट्रेन द्वरा द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा करना काफी आसान है।
सड़क मार्ग द्वारा द्वारकाधीश मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Dwarkadhish Temple By Road In Hindi
राज्य परिवहन गुजरात के विभिन्न शहरों से द्वारका के लिए बसों की उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करता है। आप सूरत, राजकोट या अहमदाबाद से बस ले सकते हैं। निजी बस ऑपरेटर भी हैं जो एसी बसों, स्लीपर बसों और डबल डेकर बसों की पेशकश करते हैं। गुजरात की सड़क यात्रा सुंदर और आरामदायक हैं। आप या तो बस बुक कर सकते हैं या किराए पर टैक्सी ले सकते हैं।
और पढ़े : गुजरात के प्रमुख धार्मिक स्थल और प्रसिद्ध मंदिर
इस लेख में आपने द्वारकाधीश मंदिर द्वारका का इतिहास, द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन का समय, और यात्रा से जुडी पूरी जानकारी को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेन्ट करके जरूर बतायें।
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द्वारकाधीश मंदिर द्वारका का मेप – Dwarkadhish Temple Dwarka Mep in Hindi
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