Kaza In Hindi : काजा हिमाचल प्रदेश के कोने में स्पीति नदी के मैदानों पर एक शांत जगह है, जो पर्यटकों को अपने आकर्षण से बेहद प्रभावित करती है। बर्फ से ढंके राजसी पहाड़ों, छिटपुट बस्तियों के साथ बहती नदियों, धाराओं और सुरम्य बंजर परिदृश्यों से घिरा काजा एक सपने के सामान है। आपको बता दें कि काजा को दो भागों में विभाजित किया गया है जिसमें से एक को पुराने काजा और दूसरे को नए काजा कहा जाता है। प्रत्येक में क्रमशः सरकारी कार्यालय और राजा का महल है। मठ, गोम्पा और अन्य ऐतिहासिक स्थल इस शहर के पुराने जादुई आकर्षण है। काजा आज आधुनिकता और अनूठी प्राचीन संस्कृति का अद्भुत मिश्रण है जो अपने रहस्य से किसी को भी मुग्ध कर देगा। काजा अपने रंगीन त्योहारों और शहर से 14 किमी दूर एक साइड घाटी में प्राचीन शाक्य तंगयूड मठ के लिए भी प्रसिद्ध है।
अगर आप काजा और इसके पास के अन्य पर्यटन स्थलों के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को जरुर पढ़े, जिसमे हम आपको काजा के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहें हैं।
काजा स्पीति नदी के पास हिमाचल प्रदेश की एक शांत जगह है जो भगदड़ वाले क्षेत्रों से बिलकुल अलग है। यहाँ के बर्फ से ढंके पहाड़, बुदबुदाती नदियाँऔर हरे-भरे मैदानों के साथ सुरम्य बंजर परिदृश्य बैकपैकर्स के लिए एक स्वप्निल गंतव्य है। काजा की यात्रा करने वाले पर्यटकों को यह जगह सपने के सामान लगती है, जो कोई भी एक बार यहाँ आता है वो इस जगह को भूल नहीं पाता है।
हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से शहर में स्थित होने की वजह से काजा खाने के विकल्प सीमित है। हालाँकि, आप शहर में और उसके आस-पास भारतीय और तिब्बती व्यंजन प्राप्त कर सकते हैं। काजा के सबसे प्रसिद्ध व्यंजनों में ग्रेवी के साथ ताजा मटर और आलू शामिल हैं। थुकपा भी यहाँ का एक प्रमुख व्यंजन है जो सॉस के साथ नूडल और उबली हुई सब्जियों के साथ सूप बनाया जाता है। पर्यटक यहाँ पर विभिन्न प्रकार के मोमोज का स्वाद भी ले सकते हैं। इस शहर में तिब्बती रोटी, जौ या अन्य बाजरा के आटे से बनी रोटी भी उपलब्ध है जिसको मक्खन, आमलेट या जैम के साथ खाया जाता है।
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ठंड के रेगिस्तान के रूप से प्रसिद्ध काजा का तापमान सर्दियों के दौरान काफी गिर जाता है और यहाँ बर्फ जमने लगी है। यहाँ के प्रमुख प्रवेश मार्ग रोहतांग दर्रा और कुंजम दर्रा, दोनों ही भारी बर्फबारी के कारण अक्टूबर के अंत से जून तक बंद रहते हैं। यहाँ पर -37 डिग्री के औसत के साथ जनवरी वर्ष का सबसे ठंडा महीना दर्ज किया गया है। काजा को भारत की सबसे ठंडी जगहों में से एक के रूप में जाना जाता है। गर्मियों के दौरान काजा का मौसम काफी सुखद होता है। अगर आप काजा की यात्रा करना चाहते हैं तो यहाँ की सुंदरता को महसूस करने के लिए मई से अक्टूबर तक का महीना एक आदर्श समय होगा।
अगर आप काजा के अलावा इसके आसपास के पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी को जरुर पढ़ें, यहाँ हम आपको काजा के पास प्रमुख के पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं।
चंद्रताल झील टूरिस्ट और ट्रेकर का स्वर्ग है। यह झील शक्तिशाली हिमालय में लगभग 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है। “चंद्र ताल” (चंद्रमा की झील) नाम इसके अर्धचंद्राकार की वजह से पड़ा है। यह झील भारत की दो उच्च ऊंचाई वाली आर्द्रभूमि में से एक है जिसे रामसर स्थलों के रूप में नामित किया गया है। यह झील तिब्बती व्यापारियों के लिए स्पीति और कुल्लू घाटी की यात्रा के दौरान एक अस्थायी निवास के रूप में काम करती है। यह झील दुनिया भर से एडवेंचर्स को पसंद करने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस पवित्र झील के पानी का रंग दिन ढलने के साथ लाल से नारंगी और नीले से हरे रंग में बदलता रहता है। काजा से चंद्रताल झील की दूरी 55 किलोमीटर है।
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काजा से कुंजुम दर्रा की दूरी 75 किलोमीटर है। कुंजुम दर्रा को स्थानीय लोगों द्वारा Kunzum La भी कहा जाता है। यह भारत के सबसे ऊँचे भारत के सबसे ऊँचे मोटरेबल माउंटेन पासों में से एक है, जो समुद्र तल से 4,551 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह सुंदर पास कुल्लू और लाहौल से स्पीति घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता और मनाली से करीब 122 किमी की दूरी पर है। कुंजुम पास से प्रसिद्ध चंद्रताल झील (चाँद झील) के लिए 15 किमी की ट्रेक है। ऐसा माना जाता है कि पर्यटकों को देवी कुंजुम देवी के मंदिर के पास रास्ते में उनके सम्मान के रूप में बीहड़ इलाके से सुरक्षित रूप से यात्रा करने का आशीर्वाद लेने के लिए रुकना पड़ता है। यहाँ की मान्यता यह है कि यात्रियों को अपने वाहन से मंदिर का पूरा चक्कर लगाना होता है।
पिन वैली नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल और स्पीति जिले में स्थित कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व में स्थित है। यह काजा से 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस नेशनल पार्क की उंचाई लगभग 3,500 मीटर से लेकर इसके शिखर तक 6,000 मीटर से अधिक है। पिन वैली नेशनल पार्क प्रसिद्ध हिमालयी हिम तेंदुओं और उनके शिकार, इबेक्स की दुर्लभ प्रजातियों का घर है। पिन वैली नेशनल पार्क अपने अविश्वसनीय ट्रेक के लिए सबसे प्रसिद्ध है जो अपने सभी पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है। इस ट्रेक पर साल में ज्यादातर समय बर्फ रहती है। पिन वैली पार्क का कोर ज़ोन 675 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और इसका बफर ज़ोन लगभग 1150 वर्ग किमी में विस्तारित है। आज यह लुप्तप्राय हिम तेंदुए सहित वनस्पतियों और जीवों की लगभग 20 से अधिक प्रजातियों का घर है।
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धनकर मठ से 5 किमी की दूरी पर खतरनाक चट्टानों के पास पहाड़ के दूसरी तरफ धनकर झील स्थित है। धनकर मठ से झील तक जाने में लगभग एक घंटे का समय लगता है। आप इस झील के किनारे शांति भरा समय बिता सकते हैं और आकाश के बदलते रंगों को देख सकते हैं। काजा से धनकर झील की दूरी 32 किलोमीटर है।
धनकर मठ भारत के हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में स्थित है, जिसको 100 सबसे लुप्तप्राय स्मारकों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 12,774 फीट की ऊंचाई पर, मठ एक चट्टान के किनारे पर अविश्वसनीय रूप से झुका हुआ है और स्पीति घाटी के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। 1000 फीट ऊंचे पहाड़ पर एक हजार साल पहले निर्मित इस मठ से स्पीति और पिन नदियों के संगम के छू लेने वाले दृश्यों को देखा जा सकता है। धनकर मठ बौद्ध कला और संस्कृति के मुख्य केंद्रों में से एक होने की वजह से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया है। काजा से धनकर झील की दूरी 33 किलोमीटर है।
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ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण स्पीति क्षेत्र माउंटेन बाइकिंग के लिए सबसे अनुकूल है और किसी भी माउंटेन बाइकर की सबसे पहली पसंद है। यहाँ आप ऊँची सड़कों से बाइक पर यात्रा कर सकते हैं। स्पीति में माउंटेन बाइकिंग का मजा लेने का सबसे अच्छा समय जून से सितम्बर के महीनों के दौरान होता है।
शशूर मठ हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में स्थित ड्रग्पा संप्रदाय का एक बौद्ध मठ है। यह मठ एक तीन मंजिला संरचना है जो मनाली से 35-40 किमी की दूरी पर स्थित है। स्थानीय भाषा में “शशूर” का शाब्दिक अर्थ नीला चीड़ है, क्योंकि शशूर मठ के चारों ओर नीले देवदार के पेड़ पाए जा सकते हैं। शशूर मठ घाटी से 600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहाँ से पहाड़ों और कीलोंग शहर का मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं। शशूर मठ को 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था। जो भी इस मठ को देखने के लिए आता है वो इसके इंटीरियर्स और वास्तुकला की तारीफ जरुर करता है। यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय जुलाई में होता है जब यहाँ वार्षिक छम नृत्य उत्सव के दौरान होता है।
किब्बर को जिसे किब्बर के नाम से भी जाना जाता है और यह हिमाचल प्रदेश में 4270 मीटर की ऊँचाई पर स्पीति घाटी में स्थित एक छोटा सा गाँव है। सुरम्य पहाड़ों और बंजर परिदृश्यों से घिरा किब्बर एक मोटर योग्य सड़क के साथ उच्चतम गांव होने का दावा करता है। किब्बर को अपने स्थानीय मठ और किब्बर वन्यजीव अभयारण्य के लिए जाना जाता है। इसकी उंचाई और प्रदूषण मुक्त वातावरण इसको फोटोग्राफरों के लिए एक परफेक्ट जगह बनाते हैं। किब्बर की दूरी काजा से 18 किलोमीटर है।
बारलाचा ला दर्रा बारलाचा पास के नाम से भी जाना जाता है, एक उच्च पर्वत दर्रा है जो समुद्र तल से 16,040 फीट की ऊंचाई पर ज़ांस्कर श्रेणी में स्थित है। यह 8 किलोमीटर लंबा दर्रा हिमाचल प्रदेश में लाहौल जिले को जम्मू और कश्मीर के लद्दाख से जोड़ता है और यह लेह-मानगढ़ राजमार्ग के साथ स्थित है। इस पास से कुछ किलोमीटर की दूरी पर आपको भगा नहीं मिलेगी जो चेनाब नहीं की सहायक नहीं है और सूर्य ताल झील से निकलती है। बारालाचा दर्रा कई खूबसूरत स्थलों से घिरा हुआ है, जो कि लोगों को बेहद आकर्षित करते हैं।
काई मठ (Key Monastery) भारत के लाहौल और स्पीति जिले में एक प्रसिद्ध तिब्बती बौद्ध मठ है। काई मठ समुद्र तल से 4,166 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी में स्पीति नदी के बहुत करीब है। काई मठ और की मठ के रूप में भी जाना जाता है, यह माना जाता है कि ड्रोमटन द्वारा स्थापित किया गया था, जो 11 वीं शताब्दी में प्रसिद्ध शिक्षक आतिशा के छात्र थे। काजा से काई मठ की दूरी 15 किलोमीटर है।
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त्रिलोकीनाथ मंदिर को श्री त्रिलोकीनाथजी मंदिर भी कहा जाता है, जो भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल और स्पीति जिले के त्रिलोकीनाथ गाँव में स्थित है। त्रिलोकीनाथ मंदिर यहाँ उदयपुर गाँव से लगभग 9 किमी दूर स्थित है। यह मंदिर दुनिया में एक मात्र ऐसा मंदिर है यहाँ पर हिंदू और बौद्ध दोनों पूजा करते हैं। हिन्दुओं द्वारा इस मंदिर में ‘भगवान शिव’ की पूजा की जाती है और बौद्ध इसे आर्य अवलोकितेश्वर के रूप में देखते हैं। हालांकि, यह माना जाता है कि त्रिलोकीनाथ मंदिर मूल रूप से एक बौद्ध मठ था।
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काजा सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। काजा शहर के लिए नियमित रूप निजी और सरकारी बसें संचालित हैं। काजा के लिए कोई सीधी उड़ान या रेल उपलब्ध नहीं है। अगर कोई पर्यटक हवाई यात्रा करना चाहता है तो इसके लिए 250 किमी दूर कुल्लू के पास भुंतर हवाई अड्डा है, जो निकटतम हवाई अड्डा है जो काजा को भारत के कई प्रमुख स्थलों से जोड़ता है। काजा का निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर में है, जो 365 किमी दूर है।
काजा जाने के लिए यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डे भुंतर हैं जो 250 किलोमीटर दूर हैं इसके अलावा एक शिमला में 445 किलोमीटर की दूरी पर है। काजा आप शिमला (मई से अक्टूबर) और मनाली (जून से अक्टूबर) से कैब किराए पर लेकर सड़क मार्ग पहुंच सकते हैं।
एचआरटीसी (हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन) मनाली होते हुए कुल्लू से काजा के लिए बस चलाता है। यह बस लगभग 4:45 बजे मनाली पहुंचती है और सड़क की स्थिति के आधार पर दोपहर या शाम तक काजा के 5:00 बजे रवाना होती है।
काजा जाने के लिए कोई सीधी रेल कनेक्टिविटी नहीं है। जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो क़ज़ा से 365 किमी दूर है। जोगिंदर नगर और काजा के बीच नियमित बसें उपलब्ध हैं। अगर आप बस से सफर नहीं करना चाहते तो आप जोगिंदर नगर से एक टैक्सी कराए पर ले सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने काजा घूमने की जानकारी और पर्यटन स्थल को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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