Vrindavan Dham Tour In Hindi : वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यह ब्रज भूमि क्षेत्र के प्रमुख स्थानों में से एक है। हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के दिन यहीं बिताए थे। यह शहर मथुरा से लगभग 10 किमी दूर है, आगरा-दिल्ली राजमार्ग (Nh 2) पर कृष्ण की जन्मस्थली है। वृंदावन धाम राधा और कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है और कई मंदिरों की मेजबानी करता है। वृंदावन को वैष्णववाद द्वारा पवित्र माना जाता है। वैसे तो वृंदावन धाम में पूरे वर्ष भर पर्यटक आते हैं, लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी के समय कृष्ण की बाल लीलाओं और झांकियों को देखने के लिए यहां भारी भीड़ जुटती है।
इस लेख में हम आपको वृंदावन धाम की यात्रा और वृंदावन धाम घूमने के बारे में पूरी जानकारी देगें।
वृंदावन धाम का प्राचीन अतीत हिंदू संस्कृति और इतिहास से जुड़ा है। माना जाता है कि वल्लभाचार्य 11 वर्ष की उम्र में वृंदावन आये थे। बाद में उन्होंने भारत में तीन तीर्थस्थानों का प्रचार किया और नंगे पांव जाकर 84 स्थानों पर भगवद गीता का प्रवचन दिया। वह प्रत्येक वर्ष चार महीनें वृंदावन में रुकते थे। इस प्रकार वृंदावन में उनके पुष्टिमार्ग ने लोगों को बहुत प्रभावित किया।
वृंदावन का सार 16 वीं शताब्दी तक विलुप्त होने लगा था, जब इसे चैतन्य महाप्रभु द्वारा फिर से खोजा गया था। 1515 में, चैतन्य महाप्रभु ने भगवान श्रीकृष्ण के पारलौकिक अतीत से जुड़े खोए हुए पवित्र स्थानों का पता लगाने के उद्देश्य से वृंदावन की यात्रा की। यह माना जाता था कि उनकी दिव्य आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा, वे कृष्ण के अतीत के सभी महत्वपूर्ण स्थानों का वृंदावन में और आसपास का पता लगाने में सफल हुए। इसके बाद मीराबाई भी मेवाड़ राज्य छोड़कर वृंदावन आ गई थीं। इस प्रकार वृंदावन धाम अपने प्राचीन इतिहास के कारण ही प्रसिद्ध है।
यह एक ऐसा शहर है जहां छोटे और बड़े हजारों मंदिर स्थित हैं। यहां पूरे साल पर्यटक आते जाते रहते हैं। आइये जानते हैं वृंदावन में घूमने की जगहें कौन कौन सी हैं।
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन में स्थित है भगवान कृष्ण को समर्पित देश के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। यह मंदिर राजस्थानी शैली में बना है और मंदिर में भगवान कृष्ण की छवि एक बच्चे के रूप में दिखाई देती है। जब भी आप वृन्दावन में घूमने जाएं तो बांके बिहारी मंदिर को देखना ना भूलें।
वृंदावन में स्थित यह भव्य प्रेम मंदिर राधा कृष्ण और सीता राम को समर्पित है। सफेद संगमरमर से निर्मित और बहुत जटिल नक्काशी से सजी, यह मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है। जब भी आप वृन्दावन में घूमने जाएं तो प्रेम मंदिर को देखना ना भूलें।
इस्कॉन मंदिर श्री कृष्ण बलराम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर को 1975 में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के निर्देश पर बनाया गया था। वृंदावन में स्थित यह भव्य मंदिर देखने लायक है। जब भी आप वृन्दावन धाम की यात्रा पर जाएं तो इस्कॉन मंदिर को देखना ना भूलें।
यह मंदिर गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा 1542 में बनवाया गया था। इस मंदिर में राधा की मूर्ति मौजूद नहीं है, भगवान कृष्ण के पास रखा एक मुकुट ही राधा को दर्शाता है। वृन्दावन धाम की यात्रा करते समय श्री राधा रमण मंदिर को देखना ना भूलें।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और भगवान को एक गोपी के रूप में दर्शाया गया है। भक्त यहाँ शिव लिंग पर यमुना का पवित्र जल डालते हैं। वृंदावन धाम के मंदिरों में यह मंदिर देखने लायक है।
शाहजी मंदिर का निर्माण वर्ष 1876 में शाह कुंदन लाल ने करवाया था। यह भगवान कृष्ण को समर्पित है। संगमरमर से बने इस मंदिर के मुख्य देवता को छोटा राधा रमण के नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी को समर्पित है। यह वृंदावन के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है और यह ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है।
कात्यायनी पीठ मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है और इसे उमा शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है। यह वृंदावन में भूतेश्वर महादेव मंदिर के भीतर स्थित है। वृंदावन धाम के मंदिर में यह मंदिर देखने लायक है।
इसके अलावा भी वृंदावन में देखने लायक बहुत से स्थान हैं। जैसे श्री राधा दामोदर मंदिर,मदन मोहन मंदिर,पागल बाबा मंदिर,कुसुम सरोवर, बरसाना, सेवा कुंज, केसी घाट, जयपुर मंदिर,यमुना नदी,श्री वृंदा कुंड आदि स्थान देखे जा सकते हैं। यदि आप पूजा पाठ के शौकीन हैं तो वृंदावन में इन स्थानों को देखना काफी सुखमय हो सकता है।
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वृंदावन को हिंदुओं के सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थ स्थानों में से एक है। यहां का मौसम उत्तर भारत के बाकी हिस्सों की तरह ही रहता है। वृंदावन जनवरी से मार्च और अक्टूबर से दिसंबर के दौरान आने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। इन महीनों के दौरान मौसम सौम्य और सुखद रहता है और वृंदावन के दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए आदर्श समय होता है।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वृंदावन पहुंचने के लिए सीधे कोई सुविधा नहीं है। पहले आपको इसके आसपास के स्टेशनों, हवाई अड्डों और बस स्टैंडों पर पहुंचना पड़ता है। आइये जानते हैं वृंदावन पहुंचने के लिए क्या विकल्प मौजूद हैं।
वृंदावन का निकटतम हवाई अड्डा आगरा में खेरिया एयरपोर्ट (Kheria Airport) है जो वृंदावन से 53 किमी की दूरी पर स्थित है। यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां पहुंचने के बाद आप बस या टैक्सी के माध्यम से वृंदावन पहुंच सकते हैं।
वृंदावन में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा में है जो वृंदावन से 10 किमी दूर स्थित है। मथुरा कैंट और मथुरा जंक्शन के लिए नियमित ट्रेनें चलती हैं। स्टेशन पहुंचने के बाद आप टैक्सी या मोटर रिक्शा से वृंदावन धाम पहुंच सकते हैं।
देश के प्रमुख शहरों से सीधे वृंदावन के लिए कोई बस मार्ग नहीं है। यहां का निकटतम बस स्टैंड मथुरा है, जो वृंदावन से 10 किमी दूर है। यहां आप दिल्ली से बस द्वारा आ सकते हैं। इसके अलावा भरतपुर और राजस्थान मथुरा से 45 किमी दूर है जहां से नियमित बसें आती हैं। इसके माध्यम से भी मथुरा बस स्टैंड पहुंचा जा सकता है। फिर ऑटो रिक्शा या टैक्सी से वृंदावन जाया जा सकता है।
चूंकि ब्रज भूमि होने के कारण वृंदावन में हमेशा पर्यटकों की भीड़ रहती है इसलिए यहां रुकने के लिए बहुत से विकल्प मौजूद हैं। यहां होटलों के साथ ही गेस्टहाउस भी उपलब्ध है जहां पर्यटक और तीर्थयात्री आराम से रुक सकते हैं। वृंदावन में क्रिधा रेजीडेंसी द बुटीक होटल, होटल संतोष धाम, वृंदा पैलेस सेवा धाम, होटल बसेरा वृंदावन, होटल गीत गोविंद, होटल देव रेजीडेंसी आदि मौजूद हैं। इन होटलों में हर तरह की सुविधाएं मौजूद है। इसके अलावा यहां प्री बुकिंग भी होती है। आप अपनी सुविधा के अनुसार बुकिंग करवा सकते हैं।
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