Pushkar Lake In Hindi : पुष्कर झील भारत के एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो भारी संख्या में भारतीयों और विदेशी पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। आपको बता दें कि यह झील राजस्थान के पुष्कर में अरावली पर्वतमाला के बीच स्थित है जो 52 स्नान घाटों और 500 से अधिक मंदिरों से घिरी हुई है। पुष्कर झील झील को हिंदू धर्म के लोगों के लिए पवित्र झील के रूप में माना जाता है, जहां पर भारी संख्या में तीर्थ यात्री स्नान करने के लिए आते हैं। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार यहाँ पाँच पवित्र झीलें हैं जिन्हें सामूहिक रूप से पंच-सरोवर कहा जाता है, जिनमें मानसरोवर, बिन्दु सरोवर, नारायण सरोवर, पंपा सरोवर और पुष्कर सरोवर के नाम शामिल हैं।
अगर आप पुष्कर झील के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम आपको पुष्कर झील के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं।
पुष्कर झील का अस्तित्व दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में भी था। एक कहानी के अनुसार, मंडोर के एक राजपूत राजा नाहर राव परिहार ने अपनी प्यास बुझाने के लिए अपना हाथ झील में डाला। जैसे ही उसने झील में अपना हाथ डाला तो वो यह देखकर हैरान था कि ल्यूकोडर्मा (सफेद दाग) का निशान उसके हाथ से गायब हो गया। पुष्कर झील की उपचारात्मक विशेषताओं से चकित लोग तभी से अपनी त्वचा संबंधी परेशानी को दूरी करने के लिए इस झील की यात्रा करने लगे। पुष्कर झील के बारे में यह भी कहा जाता है कि 10 वें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने इस झील के किनारे गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया था। मुगल शासन के दौरान, तीर्थयात्रा कर और धार्मिक जुलूसों पर प्रतिबंध लग जाने के कारण पुष्कर झील का महत्व थोड़ा फीका हो पड़।
अकबर के शासनकाल के दौरान, इसका पुनरुद्धार हुआ और इसका खोया हुआ महत्व इस से वापस मिला। अंबर, बूंदी, बीकानेर और जैसलमेर के राजपूत शासकों इस झील के और इसके आस-पास स्थित मंदिरों को बहाल करने के प्रयास किया थे। जिसमें घाटों के निर्माण, राज घाट और मान मंदिर के लिए महाराजा मान सिंह प्रथम, वराह मंदिर के लिए महा राणा प्रताप, कोट तीर्थ घाट के लिए दौलत राव सिंधिया जैसे कई अन्य शासकों का योगदान रहा। इसके अलावा कोटेश्वर महादेव मंदिर के लिए मराठा-अनाजी सिंधिया और शिव घाट के लिए गोविंद राव और अजमेर के मराठा राज्यपाल जिम्मेदार थे।
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पुष्कर झील के क्षेत्र में कई मंदिर और घाट स्थित हैं, जो इसकी पवित्रता को बढाते हैं। पुष्कर झील धार्मिक लोगों के लिए स्वर्ग के सामान है। ऐसा भी कहा जाता है की इस झील के चारों तरफ करीब 500 मंदिर बने हुए थे लेकिन इसमें से कई मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था और बाद में इन्हें फिर से बनाया गया। इन मंदिरों में सबसे प्रमुख मंदिर भगवान ब्रम्हा को समर्पित ब्रह्मा मंदिर है। झील के पास स्थित अन्य प्रमुख मंदिरों में वराह मंदिर, सावित्री मंदिर और गायत्री मंदिर के नाम भी शामिल हैं। पुष्कर झील के पास 52 घाट हैं जो इस झील का इस प्रमुख हिस्सा है। इन घाटों का इस्तेमाल धार्मिक स्नान और कई तरह के अनुष्ठानों के लिए उपयोग किया जाता है।
आपको बता दें कि इन सभी 52 घाटों में से 10 को पवित्र महत्व वाले स्मारकों के रूप में घोषित किया गया है जिसमें वरहा घाट, दाधीच घाट, सप्तऋषि घाट, गऊ घाट, याग घाट, जयपुर घाट, करणी घाट और गणगौर घाट, ग्वालियर घाट, कोटा घाट के नाम शामिल हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इन सभी घाटों के पानी के औषधीय महत्व हैं जो त्वचा संबंधी सभी समस्याओं को ठीक कर सकते हैं। इनमें से ज्यादातर घाटों का नाम उन राजाओं के नाम पर रखा गया था जिन्होंने उन्हें बनाया था। इसके अलावा कुछ घाटों का नाम कुछ विभिन्न कारणों से पड़ा है जैसे महात्मा गांधी की राख को जिस घाट पर विसर्जित किया गया था उसका नाम गौ घाट से बदलकर गांधी घाट कर दिया गया।
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पुष्कर झील की यात्रा के लिए अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। बता दें कि इस दौरान में राजस्थान में सर्दियों का मौसम होता है जिस दौरान तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है जो बहुत ज्यादा ठंडा नहीं है। गर्मी के दौरान यहां पर पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। सर्दियों में कार्तिक पूर्णिमा पर नवंबर में आयोजित होने वाले पुष्कर मेले के समय झील की यात्रा करना आपके लिए बेहद खास साबित हो सकता है।
पुष्कर में स्थित भगवान ब्रह्मा जी का एक पवित्र मंदिर हैं जोकि राजस्थान के पुष्कर शहर की प्रसिद्ध में अहम योगदान दे रहा हैं। भारत में भगवान ब्रह्मा को समर्पित यह एक मात्र मंदिर हैं। परमपिता ब्रह्मा जी का यह मंदिर हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। मूल रूप से 14वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। ब्रह्मा जी का यह मंदिर लगभग 2000 साल पुराना माना जाता है।
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वराह मंदिर पुष्कर का सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन मंदिर हैं जोकि भगवान वराह द बोअर को समर्पित है। यह भगवान विष्णु का तीसरा अवतार माना जाता है। वराह मंदिर में जंगली सूअर के रूप में अवतरित हुए भगवान विष्णु की एक प्रतिमा स्थापित है। आप जब भी पुष्कर जाएं तो भगवान विष्णु के इस अद्भुत अवतार का दर्शन करने के लिए वराह पुष्कर मंदिर जरूर जाएं।
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राजस्थान के पुष्कर शहर में पुष्कर झील के किनारे आयोजित होने वाला यह वार्षिक पांच दिवसीय ऊंट मेला है और यहां पर दुनिया के सबसे बड़े ऊँटों को देखा जा सकता हैं। पशुओ को खरीदने और बेचने के अलावा यह यह स्थान एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाने लगा हैं। क्योंकि यहां पर कुछ रोमांचित कर देने वाली प्रतियोगितायें जैसे – सबसे लंबी मूंछें, मटका फोड़, और दुल्हन प्रतियोगिता जैसी विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जो यहां आने वाले हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यह एक ऊंट दौड़ त्योहार भी मनाया जाता हैं। पुष्कर ऊंट मेला का आयोजन वर्ष 2021में 11 नवंबर से 19 नवंबर के दौरान राजस्थान के पुष्कर शहर में (अजमेर से 11 किलोमीटर उत्तर पश्चिम) आयोजित किया जायेगा।
पुष्कर में स्थित सावित्री मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित एक भव्य मंदिर है। मंदिर में लगभग डेढ़ घंटे की कठिन चढ़ाई है। इस मंदिर में परमपिता ब्रह्मा जी की पहली पत्नी सावित्री और दूसरी पत्नी गायत्री की मूर्ती स्थापित हैं। हालाकि सावित्री देवी को हमेशा पहले पूजा जाता हैं।
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पाप मोचनी मंदिर राजस्थान राज्य के सबसे प्रसिद्ध आकर्षणों में से एक है। यह मदिर देवी गायत्री को समर्पित हैं जिन्हें पाप मोचनी माना जाता है। यह भी माना जाता हैं कि यह एक शक्तिशाली देवी हैं जो भक्तजनों को पापो से मुक्ति देती हैं। यह मंदिर महाभारत की कथा से भी जुड़ा हैं जब गुरुद्रोर्ण पुत्र अश्वत्थामा ने इसी मंदिर में जाकर मोक्ष की याचना की थी।
नाग पहाड़ राजस्थान के पुष्कर झील और अजमेर के बीच स्थित है। माना जाता है कि इस स्थान पर अगस्त्य मुनि निवास करते थे। यह भी कहा जाता हैं कि नाग कुंड का अस्तित्व नागा प्रहार पर था। नाग पहाड़ को भगवान ब्रह्मा के पुत्र वातु का निवास स्थान भी माना जाता हैं जोकि शरारत करने के लिए च्यवन ऋषि द्वारा दंडित किए जाने के बाद इस पहाड़ी पर रुके थे। यह स्थान पर आकर्षण और धार्मिक महत्व को बहुत खूबसूरती के साथ देखा जा सकता है। नाग पहाड़ी ट्रेकिंग और आध्यात्मिक सैर के लिए भी प्रसिद्ध है।
पुष्कर का आत्मेश्वर मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक और आकर्षित मंदिर है जो भगवान शिव शंकर को समर्पित है। मंदिर में स्थित शिवलिंग जमीनी स्तर से कुछ फीट नीचे स्थापित हैं। एक सकरी ढलान मंदिर की ओर जाती है और शिवलिंग को तांबे से बने नाग से घिरा हुआ देखा जा सकता हैं।
पुष्कर में स्थित रोज गार्डन राजस्थान के रेगिस्तान में एक रमणीय आकर्षण है। इस खूबसूरत गार्डन में कुछ गुलाब की प्रजातियां स्थानीय किसानों द्वारा उगाई जाती हैं और कुछ विभिन्न हिस्सों से बुलाई जाती हैं। पर्यटकों को यहां पर कई प्रकार के रंगीन और सुगंधित गुलाब देखने को मिल जाते हैं।
पुष्कर में स्थित खूबसूरत मोती महल का निर्माण सिंह के शाही निवास के रूप में किया गया था। मोती महल में वास्तुकला का एक अद्भुत झलक देखने को मिलती हैं। इस भव्य मंदिर के आसपास शानदार दृश्य देखने को मिलता हैं। यह स्थान फोटोग्राफी के लिए बहुत फेमस हैं।
पुष्कर शहर में स्थित रंगजी मंदिर में मुगल की वास्तुकला की डिजाइन की झलक देखने को मिलती हैं। साथ ही साथ दक्षिण भारतीय स्थापत्य शैली का प्रतिबिंब भी नजर आता है। यह मंदिर पुष्कर के शीर्ष तीन मंदिरों में अपना स्थान बनाए हुए है। रंगजी मंदिर दक्षिण भारतीय तीर्थ-यात्रियों के लिए एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। भगवान विष्णु के एक रूप को समर्पित इस मंदिर का दर्शन करना अपने आप में एक सुखद अनुभव होता हैं।
पुष्कर में स्थित सिंह सभा गुरुद्वारा का निर्माण गुरु नानक देव की पुष्कर यात्रा के उपलक्ष्य में किया गया था। यह स्थान गुरु नानक धर्मशाला के नाम से भी प्रसिद्ध है। सिंह सभा गुरुद्वारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं और यहा आने वाले पर्यटक की लम्बी कतार वर्ष भर लगी रहती हैं।
दिगंबर जैन मंदिर की बलुआ पत्थर की वास्तुकला आपको जरूर पसंद आएगी, और जैन धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाले इस अलंकृत, जटिल “सोने से सजे मंदिर” का नजारा आपको अचंभित कर देगा। अजमेर में स्थित दिगंबर जैन मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से एक भव्य जैन मंदिर है। जो मंदिर, ऋषभ या आदिनाथ (Rishabha Or Adinatha) को समर्पित है इसे सोनीजी की नसियां (Soniji Ki Nasiyan) के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भारत में सबसे अमीर मंदिरों में गिना जाता है।
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पुष्कर एक बहुत ही छोटा शहर है, इसलिए आप आसानी से इस शहर को एक्सप्लोर कर सकते हैं और पैदल पुष्कर झील तक पहुँच सकते हैं। पुष्कर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित हैं, जोकि पर्यटन के लिहाज से एक शानदार स्थल है। आप पुष्कर जाने के लिए हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सडक मार्ग का चुनाव कर सकते हैं।
यदि आपने पुष्कर जाने के लिए हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो आपको बता दें कि पुष्कर का अपना कोई हवाई अड्डा नही हैं। लेकिन सबसे नजदीकी सांगानेर हवाई अड्डा हैं। जो कि पुष्कर से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर हैं। आप यहां से पुष्कर आसानी से पहुंच जायेंगे।
यदि आपने ट्रेन से पुष्कर जाने का मन बनाया हैं तो हम आपको बता दें कि राजस्थान का अजमेर जंक्शन पुष्कर से सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन हैं और पुष्कर इसकी दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। अजमेर रेलवे स्टेशन भारत के विभिन्न बड़े बड़े शहरों से जुड़ा हुआ हैं। स्टेशन से आप किसी भी स्थानीय या अपने पर्सनल साधन से पुष्कर शहर जा सकते हैं।
यदि आपने बस के माध्यम से राजस्थान के पर्यटक स्थल पुष्कर जाने का बिचार बना लिया हैं, तो हम आपको बता दें कि अजमेर का बस स्टैंड देश के प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। अजमेर से पुष्कर की दूरी लगभग 16 किलोमीटर हैं तो आप यहां से आसानी से पुष्कर पहुंच जायेंगे।
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इस आर्टिकल में आपने पुष्कर झील की यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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