Fatehpur Sikri In Hindi : फतेहपुर सीकरी एक ऐसा शहर है जो मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बना है, बता दे फतेहपुर सीकरी की स्थापना 16 वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर द्वारा की गई थी। इसके बाद यह 15 सालों तक उसके साम्राज्य की राजधानी रहा। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल यह जगह अकबर की स्थापत्य कला का अच्छा उदाहरण है। फतेहपुर सीकरी यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी खूबसूरती से आश्चयचाकित कर देता है, जिसमें बुलंद दरवाजा, सलीम चिश्ती के मकबरे, जोधाबाई के महल और जामा मस्जिद मुख्य आकर्षण हैं। इंडो-इस्लामिक मास्टरपीस फतेहपुर सीकरी 11 किमी लंबी किलेबंदी दीवार से घिरा हुआ है जिसमें कई द्वार हैं। इतिहास के बारे में दिलचस्पी रखने वाले और फोटोग्राफी करने वाले लोगों के लिए यह जगह स्वर्ग के सामने हैं।
अगर आप फतेहपुर सीकरी घूमने जाने की योजना बना रहे हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, इसमें हमने फतेहपुर सीकरी का इतिहास और यहां घूमने की पूरी जानकारी दी है।
फतेहपुर सीकरी का निर्माण मुगल सम्राट अकबर द्वारा करवाया गया था जो एक सफल राजा होने के साथ एक कलाप्रेमी भी था।
फतेहपुर सीकरी की राजसी दीवारें मध्यकालीन मुगल शासनकाल की याद दिलाती हैं। बता दें कि फतेहपुर सीकरी अकबर सम्राट के समय 1571 और 1585 के बीच मुगल साम्राज्य की अल्पकालिक राजधानी थी। अकबर ने एक बार सीकरी के गांव सूफी संत शेख सलीम चिश्ती से संतान प्राप्ति की प्रार्थना के लिए आये थे, जिन्होंने मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी के जन्म के बारे में भविष्यवाणी की थी। जब उनकी भविष्यवाणी सही निकली तो अकबर ने पुत्र प्राप्ति की ख़ुशी में अपनी नई राजधानी सीकरी में बनाई। अकबर ने पहले इस जगह का नाम फतेहाबाद रखा था।
लोगों का कहना है कि अकबर इसके निर्माण में इतना लिप्त था कि उसने ही इस जगह की स्थापत्य शैली को भी निर्धारित किया था। अकबर ने अपने पूर्वज तैमूर द्वारा बनाये गए प्रसिद्ध फ़ारसी दरबार समारोह को पुनर्जीवित करने के लिए इसे फ़ारसी शैली में बनाने की योजना बनाई। इसके अलावा उन्होंने बलुआ पत्थर की उपलब्धता का फायदा उठाते हुए लाल पत्थर के साथ परिसर का निर्माण करवाया। बता दें कि इस शहर में पानी की कमी थी जिसकी वजह से अकबर की मौत के बाद इसे छोड़ दिया गया था।
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फतेहपुर सीकरी अपने तीन तरफ से दीवार और चौथी तरफ एक झील से घिरा हुआ है। इसकी इमारतों में वास्तुकला मुगल और भारतीय वास्तुकला देखने को मिलती है। भारतीय वास्तुकला में हिंदू और जैन वास्तुकला ख़ास है। यहां पर कई मस्जिदों, महलों, मकबरों की संरचनाएँ हैं, जो पर्यटकों द्वारा बेहद पसंद की जाती हैं।
नाम से ही पता चलता है, हॉल ऑफ पब्लिक ऑडियंस, इसका मतलब है कि यह वो जगह है जहां पर सार्वजनिक बैठक और सभाओं का आयोजन किया जाता था। यह जगह एक आयताकार मंडप है जिसके सामने एक बड़ा खुला स्थान है। 49 स्तंभों पर खड़े हुए दीवान-ए-आम एक झरोखा तरह का कक्ष है जिसको तख्त-ए-मुरासा के नाम से जानते हैं। इस जगह के सभी स्तंभों और दीवारों पर बहुत ही सुंदरता के साथ सजावट की गई है। इसमें एक संगमरमर से बना बैठक है, जहां मत्री बैठते थे। दो द्वार और तीन गलियारे इस हाल को बांटते हैं।
फारसी स्थापत्य शैली में बना हुआ यह भवन निजी दर्शकों का हॉल था। निजी मामलों पर चर्चा करने केवल शाही यानी अकबर द्वारा न्युक्त किये गए सदस्य यहां एकत्रित होते थे। दीवान ऐ ख़ास में बनी फूलों और ज्यामितीय डिजाइन बेस और शाफ्ट इसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं।
1575 ईस्वी में बनाई गई इबादत खाना एक सभा भवन था, जहां अकबर ने दीन-ए-इलाही की नींव रखी थी। इस जगह पर अलग-अलग धर्मों के आध्यात्मिक नेता एकत्रित होकर अपने-अपने धर्मों की शिक्षाओं की चर्चा करते थे।
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पंच महल फतेहपुर सीकरी में एक असाधारण संरचना है जिसमें बौद्ध मंदिर के डिजाइन नज़र आते हैं। यह चार मंजिला इमारत 176 खंभों पर टिकी हुई है जिसकी प्रत्येक मंजिल का कमरा नीचे वाली मंजिल के कमरे से छोटा है। यह महल दिखने में काफी आकर्षक है, जिसका इस्तेमाल शाही महिलाओं के मनोरंजन और विलास के लिए किया जाता था। पंच महल में एक पूल है जिसका नाम अनूप तालाब है, जो कभी संगीत समारोहों के लिए ख़ास जगह हुआ करती थी।
जामा मस्जिद इस शहर में खड़ी की गई पहली इमारतों में से एक थी, जिसका निर्माण 17 वीं शताब्दी में किया गया था। जाम मस्जिद अब एक विश्व विरासत स्थल है, जिसको शुक्रवार की मस्जिद के रूप में जानते हैं। यह आगरा में पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगह है, जिसको मुस्लिम भक्त तीर्थस्थल के रूप में भी मानते हैं।
सलीम चिश्ती का मकबरा मुग़ल वास्तुकला का एक बहुत ही शानदार नमूना है। बता दें कि यह वो जगह है जहाँ पर सूफी संत सलीम चिश्ती के दफ़नाया गया था। बादशाह अकबर ने सलीम चिश्ती के सम्मान के रूप में इस मकबरे का निर्माण करवाया था, जहाँ अकबर के पुत्र जहाँगीर का जन्म हुआ था। इस मकबरे की मुख्य इमारत के चारों ओर संगमरमर की स्क्रीन है और इसके मुख्य कक्ष के दरबाजे को कुरान और शिलालेख के साथ शानदार तरीके से उखेरा गया है। इसके संगमरमर के बने फर्श में कई रंगों के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। सलीम चिश्ती का मकबरा संतान प्राप्ति के कामना के लिए जाना-जाता है, इस जगह देश भर से भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की उम्मीद लेकर आते हैं। यहाँ लोग सलीम चिश्ती अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए संगमरमर की स्क्रीन धागा भी बाँधते हैं।
बुलंद दरवाजा का निर्माण अक्रबर ने गुजरात पर जीत के उपलक्ष्य में करवाया था। यह एक ऐसा भव्य द्वार है जो आगरा से फतेहपुर सीकरी की ओर जाता है। बता दें कि यह एशिया का सबसे ऊँचा दरवाजा है जिसकी उंचाई 176 फुट है। बुलंद दरवाजे को बनाने में करीब 12 साल का समय लगा था जो लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और काले रंग के पत्थर सजाया गया है। इस दरवाजे पर कुरान की आयतों को बड़ी ही खूबसूरती के साथ अरबी भाषा में उकेरा गया है।
हिरन मीनार इमारत में हिरन के सींगो की तरह लगे हुए पत्थर यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद आकर्षित करते हैं। यह एक बहुत ही अनूठा निर्माण है जिसको शुरू में अकबर ने अपने पसंदिदा हाथी की याद में बनवाया था, लेकिन बाद में अकबर के शासनकाल के समय आकाश दीप के रूप में कार्य करता था।
बीरबल दरबार में अकबर का पसंदीदा एक हिंदू मंत्री था। बीरबल का घर जोधाबाई के महल के उत्तरपश्चिम कोने पर स्थित है, जिसमे खुले द्वार के साथ चार कमरे जुड़े हैं। इसमें त्रिकोणीय छप्पड़ के साथ पिरामिड छत है।
दफ्तार खाना अकबर के शासनकाल में एक रिकॉर्ड रूम था, यहां पर उनके शासन से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलों और दस्तावेजों को रखा जाता था।
ख्वाब महल फतेहपुर सीकरी के सबसे सुंदर परिसरों में से एक है, जिसमें सम्राट के लिए अलग बैठक, कुतुब खाना, एक छोटा बाथरूम और एक बेड रूम है। इसका बेडरूम पंच महल और शाही हरम के साथ जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि इसी महल में सम्राट अकबर तानसेन और बैजूबावरा का संगीत सुनते थे। इस महल की दीवार पर बने चित्र फारसी शिलालेखों के साथ दृश्यों को दिखाते हैं जो अब फीके पड़ गए हैं।
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फतेहपुर सीकरी यहां आने वाले पर्यटकों के लिए सुबह 9 बजे से शाम 5:00 बजे तक खोला जाता है।
फतेहपुर सीकरी एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है। वैसे तो आप यहाँ किसी भी मौसम में आ सकते हैं लेकिन अगर आप इस स्थल पर जाने की योजना बना रहे हैं और जानना चाहते है कि फतेहपुर सीकरी जाने का सबसे अच्छा समय कौनसा है तो बता दें कि फतेहपुर सीकरी घूमने का सबसे अच्छा सर्दियों का है। अक्टूबर से मार्च से लेकर मार्च तक यहाँ ठंडा मौसम होता है जिसकी वजह से यह इस दर्शनीय स्थल की यात्रा के लिए एकदम सही समय है। अप्रैल से जुलाई तक यहां का तापमान काफी ज्यादा होता है और अगस्त से फतेहपुर सीकरी में मानसून की शरुआत होती है।
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फतेहपुर सीकरी आगरा प्रमुख ऐतिहासिक स्थान है। आगरा भारत के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आगरा में ख़ुद का हवाई अड्डा भी है जहां से भारत के अन्य प्रमुख शहरों के लिए दैनिक उड़ानें हैं। इसके अलावा, आगरा भारत के सभी प्रमुख शहरों के अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आगरा में मुख्य रेलवे स्टेशन में आगरा कैंट है।
अगर आप हवाई जहाज से फतेहपुर सीकरी की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहां पहुंचने के लिए आगरा में खेरिया हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट लेना होगी जो फतेहपुर सीकरी करीब 40 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है जिसकी वजह से आपको कई नियमित उड़ाने मिल जायेंगी। हवाई अड्डे के बाहर से आपको फतेहपुर सीकरी जाने के लिए मामूली शुल्क पर कैब या टैक्सी मिल उपलब्ध हो जाएगी।
सड़क मार्ग से फतेहपुर सीकरी आगरा से 37 किमी और दिल्ली से 210 किमी की दूरी पर है, जो राज्य उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की नियमित बस सेवाओं से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा अपनी यात्रा के लिए कई नियमित डीलक्स और ए सी बसें भी ले सकते हैं। सड़क द्वारा फतेहपुर सीकरी की यात्रा करना एक बहुत ही किफायती तरीका है।
आगरा कैंट फतेहपुर सीकरी का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है जो आगरा में स्थित है। यह स्टेशन शहर से केवल 40 किमी दूर है जो भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। इस स्टेशन पर हर दिन कई सुपरस्टार फ़ास्ट और एक्सप्रेस ट्रेन आती है, आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आपको स्टेशन के बाहर से कई बसें और निजी टैक्सी मिल जायेंगी जो आपको अपनी मंजिल तक ले जाएगी।
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