Nakki Lake In Hindi, राजस्थान के माउंट आबू में स्तिथ “नक्की झील” हरी भरी अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित एक सुंदर और चमकदार झील है। यह लेक पहाड़, उद्यान और चट्टानों से घिरा हुआ है। मॉनसून सीजन में आप अपने प्रियजनों के साथ इस झील की मन मोहक हवाओं का आनंद लेने आ सकते हैं। यह एकमात्र भारतीय कृत्रिम झील है जो समुद्र तल से 1200 किमी की ऊंचाई पर बनाई गई है।
इस झील से कई पुरानी कहानियां जुड़ी हुई हैं। इन्ही के अनुसार, यह झील नखों या नाखूनों का उपयोग करके देवताओं द्वारा बनाई गई थी। यही कारण है कि यह नक्की झील के नाम से प्रसिद्ध है। इस झील पर नौकायन करने के लिए जरुर जाएँ, और खुशहाल यादों के साथ वापस आयें जिन्हें आप अपने पूरे जीवन भर याद रखेगें।
नक्की झील माउंट आबू में अरवली पर्वत में स्थित है, जिसे स्थानीय रूप से नक्की लेक के नाम से जाना जाता है। यह झील प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है।
अद्भुत प्राकृतिक चमत्कारों से घिरी हुई, यह झील वास्तव में माउंट आबू में लगी एक मणि के सामान है। यह भारत में पहली मानव निर्मित झील है जिसमें लगभग 114 फीट या 35 मीटर की गहराई और चौड़ाई एक चौथाई मील जितनी है।
नक्की झील कई मान्यताओं से जुड़ी हुई है। यहाँ मरणोपरांत महात्मा गांधी की राख का विसर्जन 12 फरवरी 1948 को हुआ था और गांधी घाट का निर्माण किया गया था।
ऐसा कहा जाता है कि नक्की झील उन देवताओं द्वारा बनाई गई थी जिन्होंने राक्षसों से बचने के लिए इस झील को अपने नाखूनों से खोदा था। इसलिए, इसे नक्की झील कहा जाता था। इसका नाम धीरे-धीरे ‘नख की’ झील से नक्की झील पड़ गया।
एक और मान्यता के अनुसार, एक स्थानीय निवासी रसिया बलाम यहाँ के राजा की बेटी से शादी करना चाहता था लेकिन शादी के लिए एक शर्त थी, की जो व्यक्ति एक रात में झील खोदेगा, राजा उसके साथ अपनी राजकुमारी का ब्याह कर देगा। रसिया बलाम ने उस शर्त को पूरा कर किया और रात भर में नाखूनों से झील खोद दी, लेकिन राजकुमारी की माँ ने धोका दिया और रसिया बलाम ने राजकुमारी से विवाह न होने पर अपनी जान दे दी।
राजकुमारी का और रसिया बलाम का मंदिर नक्की झील के पास जैन मंदिर के पीछे स्थित है।
माउंट आबू की यात्रा नक्की झील के बिना अधूरी है। जैसे ही आप झील में बोटिंग करते हैं, आप झील के आस-पास की राजसी पहाड़ियों, प्रकृति और अजीब आकार की चट्टानों के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। यहाँ दो प्रकार की नौकाएं उपलब्ध हैं, पेडल नौकाएं और शिकारा। नौकायन का ताजगी से भरा अनुभव तीस मिनट का होता है जिसमें आप पूरी नक्की झील का दौरा करते हैं।
नककी झील में कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। झील सुबह 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुली होती है।
रसिया बालम और कुंवारी कन्या (राजा की बेटी) का मंदिर दिलवाड़ा जैन मंदिर के पीछे स्थित है। नक्की झील के चारों ओर एक बहुत ही शांत और रोमांटिक वातावरण है। माउंट आबू में श्री रघुनाथजी मंदिर, टॉड रॉक और महाराजा जयपुर पैलेस झील के बहुत करीब हैं। इसके अलावा बैंडिट्स लव, सनसेट पॉइंट इसके पास स्थित है। झील के साथ गांधी घाट भी बनाया गया है।
नक्की झील से लगी एक पहाड़ी पर प्रसिद्ध टॉड रॉक है। यह मेंडक के आकर की पहाड़ी है जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई मेंडक झील में कूदने वाला हो। अंत में, यात्रा झील में एक शांतिपूर्ण नाव की सवारी के बिना अधूरी है। यह प्रकृति का आनंद लेने के लिए एक परफेक्ट जगह है, नक्की झील आना आपके यादगार लम्हों में शामिल हो जायेगा।
नक्की झील की सैर करने के लिए आप पूरे साल कभी भी जा सकते है। हालांकि, यंहा जाने का सबसे अच्छा समय मानसून और सर्दियों के दौरान होता है। मानसून में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, और यह सर्दियों में 12 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरता है। मानसून में अद्भुद हरियाली के कारण झील की सुंदरता देखते ही बनती है। माउंट आबू में ग्रीष्म ऋतु अपेक्षाकृत गर्म है क्योंकि पारा 39 डिग्री तक पहुँच जाता है। इसलिए आपको नक्की झील माउंट आबू राजस्थान में मार्च-जून के बीच आने से बचना चाहिये। आपको जुलाई से जनवरी तक नक्की झील आने की प्लानिंग करनी चाहिए। और जब दिन के सबसे अच्छे समय की बात की जाए, तो झील में सुबह जाना बेहतर है। क्योंकि शाम में पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है।
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित जैनियों का सबसे लोकप्रिय और सुंदर तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच वास्तुपाल और तेजपाल ने किया था। दिलवाड़ा मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और हर से संगमरमर की संरचना होने की वजह से प्रसिद्ध है। यह मंदिर बाहर से बहुत ही साधारण दिखाई देता है लेकिन जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी हुई डिजाइनों को देखते ही आकर्षित हो जायेंगे। जैनियों का तीर्थ स्थल होने के साथ ही यह मंदिर एक संगमरमर से बनी एक ऐसी जादुई संरचना है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
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माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य एक समृद्ध जैव विविधता वाली ऐसी जगह है, जो इसे एक छोटे और अच्छे पर्यटक स्थलों की सूची में शामिल करता है। यह अभयारण्य माउंट आबू पर्वत श्रृंखलाओं की सबसे पुरानी जगहों में से एक है और यहां के कई उत्तम दृश्यों के साथ आपको कई दर्शनीय स्थल भी देखने को मिलते हैं। इस पूरे क्षेत्र को वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करने के लिए एक वन्यजीव अभयारण्य बनाया गया था। यह अभयारण्य एक ऐसी जगह है, जिसमे सदाबहार जंगलों की जीवंत वनस्पति पाई जाती है। अगर आप राजस्थान की यात्रा के समय कुछ अच्छे वन्यजीवों को देखना और प्राकृतिक जगह का अनुभव लेना चाहते हैं तो यह इसके लिए बहुत अच्छा स्थान है।
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अर्बुदा देवी मंदिर को माउंट आबू का सबसे पवित्र तीर्थ बिंदु माना जाता है। इस मंदिर को 51 में से छठा शक्तिपीठ माना जाता है। अर्बुदा देवी को कात्यायनी देवी का अवतार कहा जाता है। नवरात्र के मौके पर माउंट आबू का पर्यटन स्थान एक आध्यात्मिक नगरी के रूप में बदल जाता है। यहाँ पर दूर से लोग अर्बुदा देवी मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है जिसके दर्शन के लिए आपको 365 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है। बताया जाता है कि मंदिर के पास दूध के रंग के पानी से बना पवित्र कुआँ है। यहाँ के स्थाई निवासी इस कुएं को कामधेनु (पवित्र गाय) के रूप में मानते हैं। यह पवित्र कुआँ मंदिर के लिए पानी का मुख्य स्रोत भी है। विशाल ठोस चट्टानों से निर्मित यह मंदिर भारत के चट्टानों पर बने मंदिरों के सर्वश्रेष्ठ नमूनों में से एक है।
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माउंट आबू से 5 किमी दूर स्थित ट्रेवर्स टैंक प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहद लोकप्रिय जगह है। इसका नाम एक ट्रेवर नामक एक इंजीनियर के नाम पर रखा गया है जिसने इसे डिजाइन किया था। मगरमच्छ, पक्षी और अन्य वन्यजीवों को देखने के लिए लोकप्रिय एकांत जंगल में जलाशय बना हुआ है। वर्तमान में यह स्थानीय और यहां हर साल आने वाले पर्यटकों दोनों के लिए एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। यह जगह आपको प्रकृति का शानदार नजारा दिखाती है।
अगर आप शहर के तेज और व्यस्त जीवन से बोर हो गए है तो गुरु शिखर आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। गुरु शिखर अरावली रेंज की सबसे ऊँची चोटी है जो माउंट आबू से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस शिखर की समुद्र तल से ऊँचाई 1722 मीटर है जिसकी वजह से यहाँ से अरावली रेंज और माउंट आबू के हिल स्टेशन का बहुत ही आकर्षक दृश्य देखने को मिलता है। इस जगह पर आबू वेधशाला और गुरु दत्तात्रेय का गुफा मंदिर जो भगवान विष्णु को समर्पित है। ऑब्जर्वेटरी में 1।2 मीटर का इंफ्रारेड टेलीस्कोप है। 15 किलोमीटर की ड्राइव के बाद आपको गुरु शिखर पर जाने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी होंगी। अगर आप अक्टूबर और नवंबर के समय इस जगह पर जाते हैं तो यहाँ पर बहुत अधिक बादल और धुंध हो जाती है। यहां आने वाले पर्यटकों को इस समय ऐसा महसूस होता है जैसे वो बादलों की मदद से गुरु शिखर पर जा रहे हैं क्योंकि चारों ओर धुंध दिखाई देती है। यह जगह यहां आने वाले पर्यटकों के मन को आनंदित कर देती है।
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भगवान विष्णु के पुनर्जन्म को समर्पित श्री रघुनाथ जी मंदिर नक्की झील के तट पर एक 650 साल पुराना मंदिर। जो मुख्य रूप से वैष्णवों द्वारा देखा गया ऐसा मंदिर है जिसे पृथ्वी पर सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। श्री रघुनाथ जी के बारे में माना जाता है कि वे अपने अनुयायियों को सभी प्राकृतिक आपदाओं से बचाते हैं। इसके साथ ही उनके भक्तों का यह भी मानना है कि वे उन्हें जीवन के दर्द और सभी समस्याओं से मुक्त करेंगे। इस मंदिर की दीवारों पर मेवाड़ की स्थापत्य विरासत को शिलालेखों की मदद से देखा जा सकता हैं। इस मंदिर में नाजुक पेंटिंग और नक्काशी भी देखने को मिलती है। श्री रघुनाथ जी की उत्कृष्ट नक्काशीदार मूर्ति माउंट आबू का सबसे मुख्य आकर्षण है।
माउंट आबू में शहर से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित गौमुख मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको 700 सीढ़ियों की पवित्र चढ़ाई करके जाना होता है। यह मंदिर अपने आस-पास की घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। गौमुख मंदिर में पूरे साल पर्यटकों और भक्तों की भीड़ होती है। घने जंगल के बीच स्थित इस मंदिर में गौमुख (गाय काप्मुख) भगवान कृष्ण, भगवान राम और ऋषि वशिष्ठ की मूर्तियों के साथ नंदी की मूर्ति आपका स्वागत करता है। इस मंदिर में संगमरमर के बैल की मूर्ति (मुंह से पानी गिरने वाली) हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान शिव के बैल नंदी को समर्पित है। यहाँ आकर आप प्रकृति की सुंदरता देखने के साथ ट्रेकिंग का भी भरपूर आनंद ले सकते हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर संत वशिष्ठ के समर्पण में बनाया गया था जिन्होंने चार प्रमुख राजपूत वंशों के निर्माण के लिए एक यज्ञ किया था। जिस अग्नि कुंड में यज्ञ किया गया था वो इस मंदिर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। रामायण की कथा से यह ज्ञात हुआ है कि राम वनवास के समय राम और लक्ष्मण ज्ञान की प्राप्ति के लिए इस जगह पर आये थे और उन्होंने यहां रहने वाले ऋषि वशिष्ठ से आशीर्वाद लिया था।
यूनिवर्सल शांति हॉल जो कि ब्रह्म कुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का मुख्य सभा हॉल है जिसको ओम शांति भवन भी कहा जाता है। इस भवन का निर्माण 1983 में किया गया था। शांति से भरपूर सफेद संरचना के इस हाल में लगभग 5,000 लोग बैठ सकते हैं। इस हाल में किसी भी आयोजन के दौरान 16 बिभिन्न भाषाओं में अनुवाद की सुविधा है। जब से इस हाल को सार्वजनिक पर्यटन स्थल घोषित किया गया है तब से करीब 8,000 से अधिक लोग रोज यहां आते हैं। जब आप यूनिवर्सल पीस हॉल में आते हैं तो यहाँ पर ब्रह्मा कुमारियों का एक सदस्य आपको एक परस्पर संवादात्मक समूह में ले जायेगा जहां किसी भी इंसान की रोज की परेशानी और तनाव को दूर किया जाता है
अगर आप माउंट आबू घूमने के लिए आ रहे हैं तो आपकी यात्रा यहां के सन सेट पॉइंट पर्यटन के खास स्थल के बिना पूरी नहीं होगी। इस जगह पर आपको ऐसा नजारा देखने को मिलता है जो अपने कभी सोचा नहीं होगा। सूर्यास्त के समय बीहड़ अरावली पर्वतमाला के बाहर सूर्य की किरणों दृश्य पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। इस जगह पूरे साल एक सुखद जलवायु होती है। यह जगह किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए बेहद खास है क्योंकि जब सूर्य डूबता है तो इसकी किरणे लाल और नारंगी रंग के रंगों में अरावली की समृद्ध हरियाली में बहुत खूबसूरत दिखाई देती हैं। जो भी पर्यटक शहर के भीड़-भाड़ वाले माहोल से दूर रह कर शांति से सूर्यास्त का आनंद लेना चाहते हैं, उनके लिए माउंट आबू की यह जगह बहुत अच्छी है।
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अगर आप नक्की झील माउन्ट आबू घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो यहाँ आप फ्लाइट, ट्रेन या सड़क मार्ग से पहुच सकते हैं।
अगर आप नक्की झील माउंट आबू घूमने के लिए हवाई जहाज से जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको बता दें नक्की झील माउंट आबू के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टविटी नही है। इसका निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर राजस्थान में है। उदयपुर हवाई अड्डे से नक्की झील माउंट आबू की दूरी 177 किमी है, जिसमें सड़क मार्ग द्वारा आपको 3 घंटे का समय लग जायेगा। अगर आप किसी और देश से आ रहे हैं तो आपको अहमदाबाद हवाई अड्डा उतरना बेहतर होगा, जो एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इसके अलावा आप दिल्ली, मुंबई, जयपुर से उदयपुर के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट ले सकते हैं। इसके बाद आप माउंट आबू पहुँचने के लिए टैक्सी या कैब ले सकते हैं।
अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो आपको जयपुर और अहमदाबाद से माउंट आबू के लिए कई ट्रेन मिल जाएँगी। लेकिन अगर आप जयपुर और अहमदाबाद के अलावा किसी दूसरे शहर से माउंट आबू की यात्रा कर रहे हैं तो हम आपको बता दें कि यहां पहुंचने के लिए आप टैक्सी को प्राथमिकता दें, क्योंकि ट्रेन से आने में आपको काफी दिक्कत हो सकती है। ट्रेन से माउंट आबू तक पहुँचने के लिए लंबे मार्ग से जाना होगा।
नक्की झील माउंट आबू जाने के लिए आपको राज्य परिवहन की बस मिल जाएँगी। अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए माउंट आबू पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका दिल्ली से उदयपुर के लिए फ्लाइट पकड़ना है। इसके बाद वो उदयपुर से सड़क मार्ग द्वारा निजी कार या टैक्सी की मदद से माउंट आबू पहुंच सकते हैं। नक्की झील माउंट आबू के मुख्य बाजार के पास गणेश रोड पर स्थित है। यहाँ आसानी से टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। आप एक ऑटोरिक्शा भी किराए पर ले सकते हैं। नक्की झील का पूरा पता है – नक्की झील, माउंट आबू, राजस्थान, 307501, भारत।
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