प्यार के ऐसा अनोखा एहसास है जो हमे जीवन जीने में मदद करता है और जीवन का असली आधार माना जाता है। वैसे तो भारत पर्यटक स्थलों, महलो, किलो से भरा पड़ा है लेकिन भारत की कुछ ऐसी ऐतिहासिक इमारतें है जो प्यार करने वालो के लिए मिशाल बनी हुई है जो हमे हमेशा ऐतिहासिक महत्व की याद दिलाती हैं। जिनका निर्माण उनके प्रेम के प्रतीक के रूप में कई शताब्दियों पहले करबाया गया था, और इन्ही प्रेम गाथाओं को हम कई सौ सालों से सुनते आ रहे है, जो दुखद और शाश्वत प्रेम कहानियों (love stories) की गवाह भी हैं। जो प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, और हर साल कई हजारों भारतीय और विदेशी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है।
तो आज यहाँ हम अपने लेख में आपको को भारत के ऐसे ऐतिहासिक किलो, महलों और इमारतो के बारे में बताने जा रहे है जो प्रेम के प्रतीक के रूप में पुरे विश्व में लोकप्रिय बनी हुई है।
प्रेम के प्रतीक के रूप में विश्वविख्यात ताज महल आगरा शहर में, यमुना नदी के तट पर स्तिथ एक सफेद संगमरमर का मकबरा (Marble Mausoleum) है, जिसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है। ताजमहल का निर्माण 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज की मौत के बाद उनकी याद में करबाया था। जिनकी मृत्यु शाहजहाँ के 14 वें बच्चे को जन्म देने के बाद हो गई थी। कहा जाता है की मुमताज की मौत के बाद, शाहजहाँ दुःख में डूबे हुए थे, और यहाँ तक कि वह आत्महत्या तक करना चाहते थे। और उसके कुछ समय पश्चात शाहजहाँ ने अपने प्यार के सम्मान में इस अद्भुत सरंचना का निर्माण कराया था, जो मुमताज और शाहजहां के अमरत्व प्रेम को समेटे हुए है और प्रेमियों के लिए मिशाल बना हुआ है। जो प्रत्येक बर्ष कई हजारों पर्यटकों और प्रेमियों को अपनी और आकर्षित करता है।
आपको बता दे ताजमहल में शाहजहां की कब्र भी मौजूद है जिसे शाहजहां की मृत्यु के बाद मुमताज के मकबरे के साथ ही बनाया गया था। मकबरा 17-हेक्टेयर (42 एकड़) परिसर के क्षेत्र में फैला है, जिसमें एक मस्जिद और एक गेस्ट हाउस शामिल है, और इसे औपचारिक उद्यान में तीन तरफ की दीवार (Crenelated wall) के बीच स्थापित किया गया है।
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चित्तौड़गढ़ किला उत्तर भारत में ऐतिहासिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक है, जो कई वीरता और बलिदान की कहानियों के साथ–साथ प्रेम के अतीत को अपने अन्दर समेटे हुए है, और राजपूत संस्कृति और मूल्यों को भी प्रदर्शित करता है। चित्तौड़गढ़ किले में स्थित ‘पद्मिनी महल’ (Padmini Palace) रानी पद्मिनी और राजा रतन रावल सिंह (Ratan Rawal Singh) की ऐतिहासिक प्रेम कहानी का प्रतीक है। जहाँ आज भी उनकी कई सौ साल पुरानी प्रेम गाथायें सुनी जा सकती है।
कहा जाता है की राजा रतन रावल सिंह ने रानी पद्मिनी को एक स्वयंबर में कठिन परीक्षा देने के बाद अपनी रानी बना कर अपने महल में लाये थे। और उन्होंने अपनी रानी के समान में चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में रानी पद्मिनी महल का निर्माण करबाया था। जहाँ आज भी रानी पद्मिनी और राजा रतन रावल सिंह की ऐतिहासिक प्रेम गाथाएं गूंजती हैं। जो प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जहाँ हर साल कई हजार भारतीय और विदेशी पर्यटक, रानी पद्मिनी और राजा रतन रावल सिंह की ऐतिहासिक प्रेम कहानी के प्रतीक पद्मिनी महल घूमने जाते है।
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रूपमती महल रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी है, जो एक बड़े बलुआ पत्थर की संरचना के रूप में बनाया गया था। जिसे आज रूपमती के मंडप के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि बादशाह बाज बहादुर को रूपमती की मधुर आवाज से प्यार हो गया था, और बाज बहादुर ने रूपमती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन रानी रूपमती नर्मदा नदी की इस कदर दीवानी थी, कि वह तब तक पानी भी नहीं पीती थी जब तक वह नर्मदा नदी को नहीं देख लेती और इसी कारण रूपमती ने राजा बाज बहादुर के सामने शर्त रखी की वह ऐसे महल का निर्माण करबाये जहा से वह नर्मदा जी को देख सके, उसके बाद ही वह विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार करेगी।
इस प्रकार राजाबाज बहादुर ने शर्त को स्वीकार करते हुए रूपमती मंडप का निर्माण करबाया था। जो आज रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के प्रेम के प्रतीक के रूप में खड़ा हुआ है।
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सन 1734 में निर्मित मस्तानी महल बाजीराव पेशवा और मस्तानी के प्रेम का साक्षी है साथ ही यह कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। कहा जाता है की बाजीराव पेशवा ब्राम्हण थे, इसीलिए बाजीराव की पहली पत्नी और उनके परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा मस्तानी को स्वीकार नही किया गया, लेकिन बाजीराव भी मस्तानी को छोड़ने के लिए तैयार नही थे। और उन्होंने परिवार के विरोध को देखते हुए रानी मस्तानी के लिए अलग महल बनबाने का निर्णय लिया, और शनिवारवाडा किला के सामने दर्पण महल का निर्माण करबाया जिसे मस्तानी महल के नाम से जाना गया।
कहा जाता है की यह महल उस समय का सबसे सुंदर और शानदार महल था, जो कुछ समय पश्चात बाजीराव पेशवा और मस्तानी के प्रेम की निशानी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। लेकिन माना जाता है की यह शानदार महल एक भीषण आग में जलकर राख हो गया था। जिसके कुछ अबशेष राजा केलकर संग्रहालय में देखे जा सकते है। मस्तानी महल नष्ट होने के बाबजूद आज भी बाजीराव पेशवा और मस्तानी के प्रेम के किस्से जीवित है और प्रेमियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शक बने हुए है।
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