Jallianwala Bagh in Hindi : अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर के पास स्थित जलियांवाला बाग एक सार्वजनिक पार्क है जिसमें अंग्रेजो द्वारा नरसंहार की याद में बना एक स्मारक है। इस दुखद घटना ने देश पर एक बहुत बुरा असर छोड़ा था और इसके बाद इस घटना में अपनी जान गंवाने वाले मासूमों लोगो की याद स्वतंत्रता के बाद एक स्मारक बनाया गया था। जलियांवाला बाग में 1951 में भारत सरकार द्वारा स्थापित नरसंहार स्मारक का उद्घाटन डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा 13 अप्रैल 1961 में किया गया था। जिस जगह अंग्रेजो द्वारा हत्या की घटना हुई थी उस जगह को अब एक सुंदर पार्क में बदल दिया गया है।
अमृतसर घुमने आने वाले लोग इस पार्क को देखने जरुर आते हैं और इस जगह की दुखद कहानी हर किसी के रोंगटे खड़े कर देती है। जलियांवाला बाग 6.5 एकड़ भूमि में फैला हुआ है जो भारत के इतिहास के सबसे बुरे दिनों की याद दिलाता है, बता दें कि रौलेट एक्ट के विरोध में इस पार्क में एक सभा हो रही थी तब जब जनरल डायर के आदेश उस भीड़ में गोलियां चलवा दी गई थी जिसमे कई निर्दोष लोग मारे गए थे। अगर आप अमृतसर घूमने आते हैं तो यहां के जलियांवाला बाग को देखने के लिए एक बार जरुर जायें।
जलियाँवाला बाग का नाम सुनने के बाद किसी भी आम इंसान को ऐसा लगेगा जैसे यह कोई साधारण सा पार्क है लेकिन जो इस पार्क से जुड़ी दुखद घटना के बारे में जानते हैं तो इस पार्क का नाम सुनकर उनकी रह काँप उठेगी। जलियाँवाला बाग पार्क भारत के इतिहास की एक बहुत ही दुखद घटना की याद दिलाता है। आपको बता दें कि 1919 के अप्रैल में जब गेडियर जनरल आर.ई.एच डायर ने एक विद्रोह के संदेह के चलते किसी भी सभा और सम्मेलनों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। बताया जाता है कि यह जानकारी सही तरह से लोगों को पता नहीं चली थी जिसके बाद 13 अप्रैल, 1919 को बैशाखी का त्योहार मनाने के लिए जलियांवाला बाग में लोगों की एक शांतिपूर्ण सभा हो रही थी। इस सभा के बारे में जानकारी मिलते ही जनरल डायर 90 ब्रिटिश सैनिकों के साथ मिलकर वहां पहुँच गया। इसके बाद सैनिकों द्वारा बाग़ को घर लिया गया और बिना कोई चेतावनी दिए वहां मौजूद निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी गई। 10 मिनिट की गोलीबारी में करीब 1650 राउंड गोलियां चली। उस समय जलियांवाला बाग वहां बने मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था और वहां से बाहर निकलने के लिए एक बहुत ही संकरा रास्ता था। गोलीबारी होने के बाद लोग बाहर नहीं भाग पाए और वही बाग़ में मौजूद एक एकमात्र कुएं में कूद गए और कुछ ही मिनटों में कुआं भी लाशों से भरा गया। बता दें कि यह जलियांवाला बाग कभी जलली नाम के आदमी की जगह थी।
अंग्रेजों द्वारा जलियांवाला बाग में जो घाव दिए गए थे वो आज भी इस पार्क में दिखाई देते हैं बता दें कि इस एक पार्क के अंत में एक दीवार है, जिसे अभी भी 36 गोलियों के निशान है। पार्क के प्रवेश द्वार के पास एक कुआँ स्थित है जिसमें कई लोग गोलियों की आवाज़ सुनते ही डर के मारे कूद गए थे। गोलीबारी रुक जाने के बाद सैकड़ों शवों को इस कुएं से निकाला गया था। यह संरचनाएँ हमारे स्वतंत्रता संग्राम और हमारे पूर्ववर्तियों द्वारा स्वतंत्र भारत के निर्माण में दिए गए अपने बलिदान की याद दिलाई है।
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स्वर्ण मंदिर भारत का सबसे अध्यात्मिक स्थान है जिसे श्री हरमिंदर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह सिख धर्म का सबसे पवित्र मंदिर है, जो धार्मिक उत्साह और पवित्रता के साथ जीवित है। स्वर्ण मंदिर एक ऐसी जगह है जिसका केवल अनुभव किया जा सकता है लेकिन इसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। भाईचारे और समानता के प्रतीक के रूप में काम करने वाले इस मंदिर में दुनिया भर से लोग देखने के लिए आते हैं।
वाघा बॉर्डर अमृतसर के बीच ग्रैंड ट्रंक रोड से लाहौर पाकिस्तान के बीच स्थित एक गाँव है जहां से दोनों देखो की सीमा लगती है। यह स्थान अमृतसर से 22 किलोमीटर और लाहौर से 22 किलोमीटर है। सूर्यास्त से पहले हर दिन आयोजित होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह को देखने के लिए देश भर से लोग इस स्थान पर आते हैं। शाम के समय वाघा बॉर्डर वाले परेड को देखने के लिए पर्यटक भारी संख्या में आते हैं। साथ ही परेड के समय होने वाला यह समारोह लोगों को बेहद आनंदित करता है। इस परेड में आप भारत और पाकिस्तान के सैनिक को आक्रमण की मुद्रा में देख सकते हैं। झंडा समारोह 1959 से भारतीय सीमा सुरक्षा के जवान और पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा आयोजित होता है।
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साहिब और उनके गुरुओं के आवास के लिए गुरु के महल की स्थापना 1573 में गुरु राम दास ने एक छोटी सी कुटिया के रूप में की थी जो सिखों के महान गुरुओं की शरण में गई थी।
महाराजा रणजीत सिंह संग्रहालय एक बेहद सुंदर इमारत है, जहाँ पर महाराजा रणजीत सिंह की शाही विरासत जैसे कि हथियार, कवच, उत्कृष्ट पेंटिंग, पुराने सिक्के और पांडुलिपियों का संग्रह है। बता दें कि यह महल रामबाग गार्डन से घिरा हुआ है, जिसमे घोड़े के महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति है।
अगर आप जालियांवाला बाग घूमने के लिए के लिए जा रहे हैं तो इसके साथ आप यहां के प्रसिद्ध हाल बाजार भी घूम सकते हैं। इस बाजार में आपको कई इलेक्ट्रॉनिक आइटम, आभूषण, किताबें, हस्तशिल्प और कई तरह के रेडी मेड कपड़ें मिलते हैं। अमृतसर का यह हाल बाजार अपने मुगल शैली के द्वार “अमृतसर – सिफ्टी दा घर” के साथ पूरा होता है।
अगर आपके मन में यह सवाल है कि जालियांवाला बाग़ अमृतसर की यात्रा करने का अच्छा समय कौनसा है तो आपको बता दें कि यहां सर्दियों और गर्मियों दोनों में तापमान ज्यादा होता है। लेकिन जनवरी में तापमान नीचे गिर जाता है। गर्मी के मौसम में यहां मई और जून के महीनों में तापमान 40 ° C तक पहुँच जाता है, इसलिए अमृतसर जाने के लिए सितंबर से दिसंबर और फरवरी से मार्च का समय सबसे अच्छा है। जुलाई और अगस्त चरम मानसून के महीने होते हैं, इसलिए इन महीनो में अमृतसर की यात्रा करने में आपको थोड़ी असुविधा हो सकती है।
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अमृतसर में देश की कुछ सबसे अच्छी अरु स्वादिष्ट खाने की चीज़ें मिलती हैं। इस शहर का खाना उतना ही लोकप्रिय और खास है जितना कि क्षेत्र के अन्य पर्यटन स्थलों का होता है। इस शहर में अमृतसरी कुलचा, लस्सी, गर्म गुलाब जामुन, अमृतसरी मछली, चिकन टिक्का और तंदूरी चिकन बेहद खास है। इस शहर में बेहतरीन रेस्तरां के साथ-साथ सबसे कई एकच ढाबे भी हैं। यहाँ के अन्य स्थानीय पंजाबी खाने में चन्ना बटुरा, छोले बतूरा, राजमा चवाल, पराठे, दाल मखनी, पनीर से बनी चीज़ें, राजमा, सरसों दा साग के साथ मकाई की रोटी बहुत प्रसिद्ध है।
जलियांवाला बाग अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास केवल 1.3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप यहां मंदिर से जलियांवाला बाग के लिए पैदल यात्रा भी कर सकते हैं। अमृतसर शहर के कई हिस्सों से उपलब्ध ऑटो रिक्शा, टैक्सी या कैब आसानी से पार्क तक पहुँच सकते हैं।
अगर आप हवाई जहाज से जालियांवाला बाग अमृतसर की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको बता दें कि अमृतसर शहर के केंद्र से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित गुरु राम दास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, जम्मू, से आपको अमृतसर के लिए कई उड़ाने मिल जायेंगी।
जलियांवाला बाग़ अमृतसर सड़क मार्ग द्वारा देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है, अमृतसर के लिए दिल्ली, देहरादून, शिमला, जम्मू और उत्तर भारत के बड़े शहरों से कई सरकारी और निजी बसें संचालित हैं।
जालियांवाला बाग़ का निकटतम रेलवे स्टेशन अमृतसर में है। अमृतसर के लिए आपको देश के लगभग सभी प्रमुख शहर अहमदाबाद, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद से आसानी से ट्रेन मिल जाएगी। दिल्ली से अमृतसर तक की ट्रेन से जाने में 6 घंटे का समय लगता है।
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