Hazrat Nizamuddin Auliya Dargah In Hindi : चिश्ती संप्रदाय के लोकप्रिय सूफी संत शेख निजामउद्दीन औलिया का दरगाह दिल्ली में हुमायूं के मकबरे (Humayun’s Tomb) के नजदीक है। यह दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन के पश्चिम में स्थित है और हर सप्ताह यहां हजारों तीर्थयात्री (Pilgrims) आते हैं। निजामुद्दीन औलिया का मकबरा या दरगाह 1325 में उनकी मृत्यु के बाद बनवाया गया था। हालांकि इस समय मौजूद दरगाह का काफी नवीनीकरण (Renovation) किया गया है। इस दरगाह पर सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि हिंदू, ईसाई और अन्य धर्मों के लोग भी आते हैं। निजामुद्दीन औलिया के वंशज (Descendants) दरगाह की पूरी देखभाल (Management ) करते हैं। तो आइये जानते है हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह का इतिहास, रोचक तथ्य और इसकी यात्रा से जुडी पूरी जानकारी –
हजरत निजामुद्दीन औलिया का जन्म 1238 में उत्तर प्रदेश के बदायूं नामक एक छोटे से स्थान पर हुआ था। उन्होंने चिश्ती संप्रदाय (Chishti Order) का प्रचार और प्रसार करने के लिए दिल्ली की यात्रा की थी। वहां वह गियासपुर में बस गए और लोगों को प्रेम, शांति और मानवता (Humanity) का पाठ पढ़ाया।
निजामुद्दीन औलिया ने हमेशा यह प्रचार किया कि सभी धर्मों के लोगों को अपनी जाति, पंथ (Creed) या धर्म से बेपरवाह होना चाहिए। उनके जीवनकाल के दौरान, हजरत नसीरुद्दीन महमूद चिराग देहलवी और अमीर खुसरो सहित कई लोग उनके अनुयायी (Followers) बन गए।
निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु 3 अप्रैल, 1325 को हो गयी। इसके बाद तुगलक वंश के प्रसिद्ध शासक मुहम्मद बिन तुगलक ने हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह का निर्माण किया। मुहम्मद बिन तुगलक भी हजरत निजामुद्दीन का बहुत बड़ा अनुयायी (Followers) था। हजरत निजामुद्दीन के वंशज आज भी इस दरगाह की देखभाल करते हैं।
वैसे तो पूरे साल निजामुद्दीन औलिया के दरगाह पर लोगों की भीड़ होती हैं। लेकिन यदि आप पहली बार जा रहे हैं तो विशेष रुप से आपको किसी भी हफ्ते के गुरुवार (Thursday ) को दरगाह जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि गुरुवार को शाम सात बजे के आसपास मगरीब (Magrib) के बाद कव्वाली शुरू होती है जो दो से तीन घंटे तक चलती है। गुरुवार को दरगाह में होने वाली कव्वाली (Qawwali) पूरे देश में प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए दुनिया के विभिन्न कोने से लोग आते हैं। इसके अलावा आप दरगाह की खुबसूरती देखना चाहते हैं तो आपको आपको सूफी संत अमीर खुसरो के उर्स (Urs ) यानि उनकी पुण्यतिथि (Death Anniversary) के दौरान यहां आना चाहिए।
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चूंकि निजामुद्दीन औलिया की दरगाह बहुत प्रसिद्ध है इसलिए दिल्ली घूमने आने वाले पर्यटक इस दरगाह पर मत्था टेकने के लिए जरूर आते हैं। दरगाह के आसपास एक से बढ़कर एक होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। इसके अलावा आपको सस्ते कीमत पर भी होटलों में कमरे उपलब्ध हो सकते हैं। निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के आसपास आप द ओबेरॉय होटल, बत्रा हॉलीडे होम,कृष्णा इन, फजर रेजीडेंसी, अल रहमान होम्स (Alrahman Homes) होटल, राजधानी इन, अजहान रेजीडेंसी गेस्ट हाउस, जे आरडी प्राइड आदि होटलों में रुक सकते हैं। इसके अलावा पांच सितारा और लक्जरी होटलों में भी आप अपने बजट और सुविधा के अनुसार रुक सकते हैं। इन होटलों में कमरों की बुकिंग आप घर बैठे ही कर सकते हैं।
अगर आप दिल्ली घूमने आते हैं तो निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के अलावा आप हुमांयू का मकबरा नेशनल जूलॉजिकल पार्क, मिलेनियम पार्क और पुराना किला घूम सकते हैं।
निजामुद्दीन दरगाह का समय सुबह 5:00 बजे से रात के 10:30 बजे तक है। इसके अलावा निजामुद्दीन दरगाह में कव्वाली का समय गुरुवार सुबह 6:00 बजे से शाम 7.30 बजे और रात 9:00 बजे से 10.30 बजे तक है। आप सुबह पांच बजे से रात साढ़े दस बजे के बीच किसी भी समय दरगाह जा सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दरगाह जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगता है।
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चूंकि निजामुद्दीन औलिया का दरगाह भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है इसलिए यहां देश के किसी भी कोने से आसानी से आया जा सकता है। एक बार दिल्ली आने के बाद आप स्थानीय साधन (Local Transport) से दरगाह पहुंच सकते हैं।
देश के प्रमुख शहरों से नई दिल्ली के लिए नियमित रुप से राज्य परिवहन की बसें चलती हैं। दिल्ली के सभी प्रमुख बस टर्मिनलों और रेलवे स्टेशनों से दरगाह जाने के लिए ऑटो या बस या कैब आसानी से उपलब्ध हो जाती है। आप दिल्ली पहुंचने के बाद निकटतम मेट्रो स्टेशन इंद्रप्रस्थ (ब्लू लाइन) और जंगपुरा (वायलेट लाइन) से भी निजामुद्दीन औलिया के दरगाह पहुंच सकते हैं।
भारत के सभी राज्यों से नई दिल्ली के लिए ट्रेनें आसानी से उपलब्ध हैं। दिल्ली के किसी भी रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद आप टैक्सी या ऑटो लेकर दरगाह पहुंच सकते हैं।
दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी हवाई अड्डा दरगाह तक पहुँचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा (Nearest Airport ) है। हवाई अड्डे से आप कोई भी बस या टैक्सी लेकर निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि दिल्ली के हवाई अड्डे की भी मेट्रो से अच्छी कनेक्टिविटी है। इसलिए आप एयरपोर्ट के बाहर से मेट्रो द्वारा भी दरगाह पहुंच सकते हैं।
निजामुद्दीन औलिया का दरगाह एक धार्मिक स्थान है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को पूरे शरीर (Full Body) को कपड़े से ढक कर जाना चाहिए। ज्यादातर तीर्थयात्री यहां सलवार कमीज और शेरवानी जैसे पारंपरिक भारतीय परिधान पहनकर जाते हैं। हालांकि पूरी बांह का टी शर्ट्स और पतलून पहन कर भी जा सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने निजामुद्दीन औलिया का दरगाह की यात्रा से जुड़ी को विस्तार से जाना है आपको यहाँ आर्टिकल केसा लगा हमे कमेन्ट करके जरूर बतायें।
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