Gurudwara Bangla Sahib In Hindi, गुरुद्वारा बंगला साहिब सिख धर्म का एक धार्मिक स्थल है जो दिल्ली में कनॉट प्लेस के पास बाबा खड़क सिंह मार्ग पर स्थित है। आपको बता दें कि यह गुरुद्वारा अपनी आकर्षक वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए दिल्ली की सबसे लोकप्रिय संरचनाओं में से एक है। गुरुद्वारा बंगला साहिब को पहले जय सिंहपुरा पैलेस के रूप में जाना जाता था, क्योंकि यह कभी राजा जय सिंह का बंगला था, जिसे बाद में गुरुद्वारे के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
इस गुरुद्वारा का नाम आठवें सिख गुरु, गुरु हरकिशन साहिब के नाम पर रखा गया है। इसके साथ ही यह भारत में सिख समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण पूजा स्थल में से एक है। गुरुद्वारा बंगला साहिब एक बड़ा ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग इसके दर्शन करने के लिए आते हैं। अगर आप दिल्ली के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने के लिए सूची तैयार कर रहें हैं तो आपको बंगला साहिब को अवश्य शामिल करना चाहिए।
इस गुरूद्वारे के दर्शन करना यात्रियों को एक शानदार अनुभव देता है क्योंकि यहां परिसर में सुरक्षा और सफाई का बेहद ध्यान रखा जाता है, जिसकी वजह से यहां की यात्रा पर्यटकों के लिए भेद सुखद साबित होती है। यहां की सबसे खास बात यह है कि गुरुद्वारा के रखरखाव के बहुत सारे कार्य स्वयंसेवकों और भक्तों द्वारा किए जाते हैं। इसके अलावा यहां पर वंचित वर्गों के लोग यहां भोजन और आश्रय भी प्रदान किया जाता है।
अगर आप गुरुद्वारा बंगला साहिब के बारे में और जानना चाहते हैं तो इस लेख को अवश्य पढ़ें, जिसमे हम आपको इस गुरूद्वारे के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
सत्रहवीं शताब्दी के दौरान गुरुद्वारा बंगला साहिब को जयसिंहपुरा पैलेस के रूप में जाना जाता था और इस संरचना का स्वामित्व जयपुर के भारतीय शासक राजा जय सिंह के पास था। राजा जय सिंह ने मुगल सम्राट औरंगज़ेब के दरबार में एक प्रभावशाली पद संभाला था। जिस क्षेत्र में गुरुद्वार स्थित है वह पहले जयसिंह पुरा के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब यह कनॉट प्लेस के रूप में जाना जाता है जो खरीदारी करने, खाने और कार्यक्रमों के लिए एक लोकप्रिय क्षेत्र है।
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जब सिख धर्म के आठवें गुरु, गुरु हर कृष्ण ने 1664 में दिल्ली का दौरा किया, तो वह इसी महल में रहे थे। उस समय दिल्ली में हैजा और चेचक की भयानक महामारी फैल गई थी, जो तेजी से पूरे शहर में फैल रही थी। उस समय गुरु ने कुएं से पानी ले जाकर गरीबों और रोगग्रस्तों की मदद की और उनकी इस मदद से प्रभावित लोगों के दिलों को बहुत सुकून मिला। लेकिन दुर्भाग्य से इस बीमारी से गुरु हर कृष्ण भी संक्रमित हो गए और वह भी बीमार पड़ गए। इस बीमारी के चलते 30 मार्च, 1664 को गुरु हर कृष्ण का निधन हो गया।
इसके बाद राजा जय सिंह ने बाद में कुँए के ऊपर एक टैंक बनवाया, जहाँ से गुरु ने पानी निकाला था और आज तक टैंक के पानी को बहुत ही फायदेमंद माना जाता है और कहा जाता है कि यह बीमारी से मुक्ति दिलाता है। इस टैंक के पानी को “अमृत” के समान माना जाता है। हजारों सिखों और यहां आने वाले यात्री इस पानी को अपने साथ घर भी लेकर जाते हैं।
गुरुद्वारा बंगला साहिब एक प्रमुख पूजा स्था है जहां दुनिया भर यात्री आते हैं। इस गुरूद्वारे की संरचना बेहद आकर्षक है और यह दुनिया के सबसे सुंदर धार्मिक स्थलों में से एक है। यह गुरुद्वारा सिर्फ सिख धर्म ही नहीं बल्कि सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के आगंतुकों को आकर्षित करता है। बता दें यह शानदार इमारत एक क्लासिक सिख शैली में बनाई गई है, जिसमें मुगल और राजपूत शैलियों का भारी प्रभाव है। इस संरचना को दिल्ली के मौसम की स्थिति के लिए उपयुक्त और अनुकूल बनाया गया है। यह संरचना ज्यादातर सफेद संगमरमर से बनी है, यह एक शांत और सुखदायक वाइब प्रदान करती है। इस गुरूद्वारे का केंद्रीय स्वर्ण गुंबद सूर्य के प्रकाश में चमकता है और यह इसका प्रमुख आकर्षण भी है।
यहां पर एक लंबा पोल सिख ध्वज थामे हुए है जो हवा में शान से लहराता रहता है। इस ध्वज पर सिख धर्म का प्रतीक बना हुआ है जिसे साहिब के रूप में जाना जाता है। संरचना के सामने की दीवारों पर आकर्षक नक्काशी उकेरी गई है जिसे देख हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है।
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बंगला साहिब एक ऐसा पवित्र धर्मिक स्थल है जहां पर कोई भी भूखा नहीं सोता है। गुरुद्वारे में एक लंगर हॉल है, जहाँ सभी को जाति, लिंग या धर्म के लोगों को बिना किसी शुल्क के भोजन उपलब्ध कराया जाता है। बता दें कि गुरूद्वारे के लंगर हॉल में भोजन दिन के 12:00 बजे से रात के 11: 45 बजे तक प्रदान किया जाता है। इस गुरुद्वारा उन सभी लोगों के लिए खुला रहता है जो जहां की यात्रा करने आते हैं। इसके साथ ही यहां लंगर रसोई में मदद करके आने वाले यात्री भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। लंगर में मदद करना यहां पर सबसे बड़ी प्रार्थना मानी जाती है।
जैसा कि आप जानते हैं कि बंगला साहिब का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जिसकी वजह से यहां पर इस धर्म से जुड़े सभी त्यौहारों को बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। यहां का वार्षिकोत्सव प्रकाश उत्सव के साथ शुरू होता है, जो दसवें सिख गुरु गोविंद सिंह के जन्म का उत्सव है। बैसाखी, फसल का मौसम का उत्सव है, जिसे यहां बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। गुरु पूरब या गुरु नानक देव का जन्म और गुरु हर कृष्ण की जयंती यहाँ मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक हैं।
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बंगला साहिब में प्रवेश करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
गुरुद्वारा साल में सभी दिन 24 घंटे खुला रहता है। यहां पर लंगर का समय सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक और शाम 7 बजे रात 10 बजे तक है। इस गुरूद्वारे को पूरी तरह से देखने के लिए पर्यटकों को कम से कम 1 घंटे का समय चाहिए।
गुरुद्वारा कनॉट प्लेस में स्थित है, जिसे दिल्ली के दिल के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ आप ब्लू लाइन और येलो लाइन मेट्रो के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर आप ब्लू लाइन मेट्रो से यात्रा कर रहे हैं तो राजीव चौक पर उतरें। इसके बाद आप यहां से गुरुद्वारा तक पहुँचने के लिए एक ऑटो-रिक्शा लें सकते हैं, जो स्टेशन से 2.8 किलोमीटर दूर है। पटेल चौक मेट्रो स्टेशन येलो लाइन पर गुरूद्वारे का निकटतम मेट्रो स्टेशन है, जो 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुरूद्वारे के पास एक बस स्टॉप भी है, जहां पर बस से पहुंच सकते हैं और अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पैदल चल सकते हैं। इसके अलावा आप गुरूद्वारे तक पहुंचने के लिए टैक्सी या कैब भी किराये पर ले सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने गुरुद्वारा बंगला साहिब के बारे में जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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