Chandratal Lake In Hindi : टूरिस्ट और ट्रेकर का स्वर्ग कही जाने वाली चंद्रताल झील को हिमालय में लगभग 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित देश की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक के रूप में जाना जाता है। बता दें कि यह झील समुंद्र टापू पठार पर स्थित है जो चंद्र नदी को देखती है। “चंद्र ताल” (चंद्रमा की झील) नाम इसके अर्धचंद्राकार आकार की वजह से पड़ा है। यह झील भारत की दो उच्च ऊंचाई वाली आर्द्रभूमि में से एक है जिसे रामसर स्थलों के रूप में नामित किया गया है। यह झील तिब्बती व्यापारियों के लिए स्पीति और कुल्लू घाटी की यात्रा के समय एक अस्थायी निवास के रूप में काम करती है।
चंद्रताल झील पर्यटकों को अपने आकर्षण से बेहद आकर्षित करती है, अगर आप चंद्रताल झील के बारे में या इसके पास के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल को जरुर पढ़ें।
चंद्रताल बारालाचा ट्रेक एक मजेदार ट्रेक है जो रोमांच से भरा अनुभव प्रदान करता है। यह ट्रेक पहाड़ों और राजसी नीले पानी की सीमा के सबसे मनोरम दृश्यों प्रस्तुत करता है। यह ट्रेक चट्टानी पर्वत दर्रे और हरे-भरे घास के मैदानों से होकर गुज़रता है। चंद्रताल लेक का एक ट्रेक लाहौल रेंज के मनोरम दृश्य के साथ मीनार, तलागिरी, तारा पहाड़ और मुल्किला की बर्फ से ढकी चोटियों से गुजरता है, जो सभी 6000 मीटर से अधिक ऊंचे हैं। यह ट्रेक आपको 5000 मीटर ऊपरी बिंदु पर ले जाता है। अगर आप इतने ऊँचे ट्रेक पर चल रहे होते हैं तो इसके लिए अच्छी फिटनेस और अच्छी सहनशक्ति होने बेहद जरुरी है। नदी की क्रासिंग के समय यह ट्रेक थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो जाता है, लेकिन इसको सावधानी पूर्वक पार किया जा सकता है।
आपको बता दें कि चंद्रताल झील के लिए ट्रेकिंग जून और अक्टूबर में आयोजित की जाती है। मानसून में यहाँ जाने से बचना चाहिए क्योंकि इस दौरान नदियों और झील का जल स्तर असामान्य रूप से अधिक हो जाता है, जो आपकी यात्रा में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
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चंद्रताल झील एक आधिकारिक शिविर स्थल है, जहां पर्यटक रात भर प्रकृति की गोद में लेट सकते हैं और इस जगह पर अदभुद आनंद प्राप्त कर सकते हैं। रात में झील के किनारे लेट कर तारों को टिमटिमाते हुए देख सकते हैं। चंद्रताल झील के किनारे एक रात बिताना निश्चित रूप से अपने मन और शरीर दोनों को एक खास अनुभव प्रदान करेगा।
चंद्रताल झील का नाम चंद्रताल सिर्फ इसके चंद्रमा के आकार के कारण ही नहीं बल्कि इस कारण भी पड़ा है क्योंकि यह चंद्रमा को दर्शाता है। यहाँ पर पर्यटक रात में अनूठी सुंदरता को देखने के लिए इस जगह की यात्रा करते हैं। झील सुबह गहरे नीले रंग की दिखाई देती है लेकिन शाम होने के साथ ही यह हरे रंग की दिखाई और रात में काली दिखाई देती है।
स्पीति के व्यंजनों में व्यंजनों का एक दिलचस्प मिश्रण है, जिसका स्वाद हर किसी को लेना चाहिए। यहाँ तिब्बती भोजन काफी प्रसिद्ध है। यहाँ उत्तर-भारतीय भोजन के साथ इजरायल के भोजन का भी आनंद लिया जा सकता है। यहाँ के गाँव में जौ के खेत होते हैं जो यहाँ के भोजन का सबसे बड़ा स्त्रोत है। यहाँ पर अनाज का उपयोग (जौ व्हिस्की), चंग (जौ बीयर) का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। और भुना हुआ आटा लड्डू नाश्ते में उपयोग किया जाता है, जिसको थुंग्पा कहा जाता है। यहाँ के स्थानीय फूड में मोमोस, थुकपा, बटर टी, चांग के नाम शामिल है जिनका स्वाद आपको जरुर लेना चाहिए। इसके अलवा यहाँ की चाय नींबू, पुदीना, अदरक, शहद के गार्निश के काफी प्रसिद्ध है।
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अगर आप चंद्रताल झील के लिए यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहाँ की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जुलाई और अगस्त के बीच है। इन महीनों में सड़कों से बर्फ बिलकुल साफ हो जाती हैं, जिससे सड़कों पर चलना काफी आसान हो जाता है।
अगर आप चंद्रताल लेक के अलावा इसके आसपास के पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी को जरुर पढ़ें, यहाँ हम आपको चंद्रताल झील के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं।
चंद्रताल झील से काई मठ की दूरी 42 किलोमीटर है। काई मठ (Key Monastery) भारत के लाहौल और स्पीति जिले में एक प्रसिद्ध तिब्बती बौद्ध मठ है। काई मठ समुद्र तल से 4,166 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी में स्पीति नदी के बहुत करीब है। काई मठ और की मठ के रूप में भी जाना जाता है, यह माना जाता है कि ड्रोमटन द्वारा स्थापित किया गया था, जो 11 वीं शताब्दी में प्रसिद्ध शिक्षक आतिशा के छात्र थे।
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चंद्रताल झील से कुंजुम दर्रा की दूरी 10 किलोमीटर है। कुंजुम दर्रा को स्थानीय लोगों द्वारा Kunzum La भी कहा जाता है। यह भारत के सबसे ऊँचे भारत के सबसे ऊँचे मोटरेबल माउंटेन पासों में से एक है, जो समुद्र तल से 4,551 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह सुंदर पास कुल्लू और लाहौल से स्पीति घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता और मनाली से करीब 122 किमी की दूरी पर है। कुंजुम पास से प्रसिद्ध चंद्रताल झील (चाँद झील) के लिए 15 किमी की ट्रेक है। ऐसा माना जाता है कि पर्यटकों को देवी कुंजुम देवी के मंदिर के पास रास्ते में उनके सम्मान के रूप में बीहड़ इलाके से सुरक्षित रूप से यात्रा करने का आशीर्वाद लेने के लिए रुकना पड़ता है। यहाँ की मान्यता यह है कि यात्रियों को अपने वाहन से मंदिर का पूरा चक्कर लगाना होता है।
चंद्रताल झील से 72 किमी की दूरी पर खतरनाक चट्टानों के पास पहाड़ के दूसरी तरफ धनकर झील स्थित है। चंद्रताल झील से झील तक जाने में लगभग एक घंटे का समय लगता है। आप इस झील के किनारे शांति भरा समय बिता सकते हैं और आकाश के बदलते रंगों को देख सकते हैं। चंद्रताल झील से धनकर झील की दूरी 30 किलोमीटर है।
धनकर मठ भारत के हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में स्थित है, जिसको 100 सबसे लुप्तप्राय स्मारकों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 12,774 फीट की ऊंचाई पर, मठ एक चट्टान के किनारे पर अविश्वसनीय रूप से झुका हुआ है और स्पीति घाटी के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। 1000 फीट ऊंचे पहाड़ पर एक हजार साल पहले निर्मित इस मठ से स्पीति और पिन नदियों के संगम के छू लेने वाले दृश्यों को देखा जा सकता है। धनकर मठ बौद्ध कला और संस्कृति के मुख्य केंद्रों में से एक होने की वजह से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया है। चंद्रताल झील से धनकर झील की दूरी 71 किलोमीटर है।
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हिमचल प्रद्रेश में 10,000 फीट की ऊंचाई पर खड़ा मजबूत टेबो मठ स्पीति घाटी के टेबो गाँव के सबसे पुराने मठों में से एक है। यह भारत और हिमालय का सबसे पुराना मठ है जो अपनी स्थापना के बाद से लगातार काम कर रहा है। यह आकर्षक मठ ‘हिमालय के अजंता’ के रूप में प्रसिद्ध है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि इस मठ की दीवारों पर अजंता की गुफाओं की तरह आकर्षक भित्ति चित्रों और प्राचीन चित्र बने हुए हैं। बौद्ध संस्कृति में सबसे ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों में से एक होने के नाते, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसके रखरखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी संभाली है। यह मठ 6300 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और बौद्ध समुदाय के लिए एक अनमोल खजाना है। चंद्रताल झील से ताबो मठ की दूरी 84 किलोमीटर है।
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ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण स्पीति क्षेत्र माउंटेन बाइकिंग के लिए सबसे अनुकूल है और किसी भी माउंटेन बाइकर की सबसे पहली पसंद है। यहाँ आप ऊँची सड़कों से बाइक पर यात्रा कर सकते हैं। स्पीति में माउंटेन बाइकिंग का मजा लेने का सबसे अच्छा समय जून से सितम्बर के महीनों के दौरान होता है।
किब्बर को जिसे किब्बर के नाम से भी जाना जाता है और यह हिमाचल प्रदेश में 4270 मीटर की ऊँचाई पर स्पीति घाटी में स्थित एक छोटा सा गाँव है। सुरम्य पहाड़ों और बंजर परिदृश्यों से घिरा किब्बर एक मोटर योग्य सड़क के साथ उच्चतम गांव होने का दावा करता है। किब्बर को अपने स्थानीय मठ और किब्बर वन्यजीव अभयारण्य के लिए जाना जाता है। इसकी उंचाई और प्रदूषण मुक्त वातावरण इसको फोटोग्राफरों के लिए एक परफेक्ट जगह बनाते हैं। किब्बर की दूरी चंद्रताल झील से 40 किलोमीटर है।
पिन वैली नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल और स्पीति जिले में स्थित कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व में स्थित है। यह धनकर मठ से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस नेशनल पार्क की उंचाई लगभग 3,500 मीटर से लेकर इसके शिखर तक 6,000 मीटर से अधिक है। पिन वैली नेशनल पार्क प्रसिद्ध हिमालयी हिम तेंदुओं और उनके शिकार, इबेक्स की दुर्लभ प्रजातियों का घर है। पिन वैली नेशनल पार्क अपने अविश्वसनीय ट्रेक के लिए सबसे प्रसिद्ध है जो अपने सभी पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है। पिन वैली नेशनल पार्क से चंद्रताल झील की दूरी 65 किलोमीटर है।
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बारलाचा ला को बारलाचा पास के नाम से भी जाना जाता है, एक उच्च पर्वत दर्रा है जो समुद्र तल से 16,040 फीट की ऊंचाई पर ज़ांस्कर श्रेणी में स्थित है। यह 8 किलोमीटर लंबा दर्रा हिमाचल प्रदेश में लाहौल जिले को जम्मू और कश्मीर के लद्दाख से जोड़ता है और यह लेह-मानगढ़ राजमार्ग के साथ स्थित है। इस पास से कुछ किलोमीटर की दूरी पर आपको भगा नहीं मिलेगी जो चेनाब नहीं की सहायक नहीं है और सूर्य ताल झील से निकलती है। बारालाचा दर्रा कई खूबसूरत स्थलों से घिरा हुआ है, जो कि लोगों को बेहद आकर्षित करते हैं। बारलाचा ला से चंद्रताल झील की दूरी 37 किलोमीटर है।
त्रिलोकीनाथ मंदिर को श्री त्रिलोकीनाथजी मंदिर भी कहा जाता है, जो भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल और स्पीति जिले के त्रिलोकीनाथ गाँव में स्थित है। यहाँ स्थित उदयपुर गाँव से लगभग 9 किमी दूर स्थित है। यह मंदिर दुनिया में एक मात्र ऐसा मंदिर है यहाँ पर हिंदू और बौद्ध दोनों पूजा करते हैं। हिन्दुओं द्वारा इस मंदिर में ‘भगवान शिव’ की पूजा की जाती है और बौद्ध इसे आर्य अवलोकितेश्वर के रूप में देखते हैं। हालांकि, यह माना जाता है कि त्रिलोकीनाथ मंदिर मूल रूप से एक बौद्ध मठ था।
शशूर मठ हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में स्थित ड्रग्पा संप्रदाय का एक बौद्ध मठ है। यह मठ एक तीन मंजिला संरचना है जो मनाली से 35-40 किमी की दूरी पर स्थित है। स्थानीय भाषा में “शशूर” का शाब्दिक अर्थ नीला चीड़ है, क्योंकि शशूर मठ के चारों ओर नीले देवदार के पेड़ पाए जा सकते हैं। शशूर मठ घाटी से 600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहाँ से पहाड़ों और कीलोंग शहर का मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं। शशूर मठ को 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था। जो भी इस मठ को देखने के लिए आता है वो इसके इंटीरियर्स और वास्तुकला की तारीफ जरुर करता है। यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय जुलाई में होता है जब यहाँ वार्षिक छम नृत्य उत्सव के दौरान होता है।
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चंद्रताल जाने के लिए निकटतम मोटर योग्य सड़क कुंजम दर्रा है, जो झील से लगभग 2 किलोमीटर दूर पार्किंग स्थल तक लेकर जाता है। पहले कुंजुम दर्रा से चंद्रताल झील तक का पैदल रास्ता था, लेकिन अब लगभग 2 घंटे में बाइक या कार से इसकी यात्रा की जा सकती है। चंद्र ताल, सूरज ताल से लगभग 30 किलोमीटर दूर है।
विकल्प के रूप में आप मनाली से चंद्रताल तक कार किराये पर लेकर भी पहुंचा जा सकता है। हालांकि कार से यात्रा करना आपको काफी महंगा पड़ेगा। एक अन्य विकल्प के रूप में आपको स्पिति घाटी में काजा के लिए बस लेना होगा और बट्टल में उतरना है। बट्टल से, चंद्रताल झील के लिए 14 किमी का ट्रेक है। जो लोग ट्रेक करने में इच्छुक नहीं हैं वो लोग हीच- हाइक कर सकते हैं।
स्पीति घाटी के लिए कोई सीधी उड़ान उपलब्ध नहीं है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा भुंतर में है, जो कुल्लू के पास स्थित है और घाटी से 245 किमी दूर है। हालाँकि, भुंतर हवाई अड्डा सीमित उड़ानों के साथ छोटा है। विकल्प के रूप में 522 किमी की दूरी पर स्थित चंडीगढ़ हवाई अड्डा निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। एक और अन्य विकल्प में रूप में हवाई अड्डा शिमला में स्थित है।
स्पीति से निकटतम ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन चंडीगढ़ में स्थित है, जिसकी देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है। जोगिंद्रनगर में एक रेलवे स्टेशन भी है जो स्पीति के सबसे नजदीक है, लेकिन इस रेलवे स्टेशन की कनेक्टिविटी बहुत खराब है। इसके एक और निकटतम रेलवे स्टेशन कालका में स्थित है।
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इस आर्टिकल में आपने चंद्रताल झील घूमने की जानकारी और इसके आसपास के पर्यटन स्थल को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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